भारत की मिट्टियाँ से जुड़े ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं व्याख्या - Soils GK Quiz (Set-2)

भारत की मिट्टी (Soils) से सम्बंधित ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे एसएससी, बैंकिंग, रेलवे इत्यादि लिए महत्वपूर्ण है।

भारत की मिट्टी समान्य ज्ञान

व्याख्या: भारत की स्थानीय मिट्टी में से काली मिट्टी सबसे अलग दिखाई देती है, इसे रेगुर भी कहा जाता है। इसमे पोटास की बहुलता होती है। लेकिन प्राया: इसे काली कपास मिट्टी कह्ते हैं, क्योंकि इसमे कपास की खेती ज्यादा होती है। काली मिट्टी मुख्यतः महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, और मध्य प्रदेश में पाई जाती है और इस मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की अधिकता होती है।

व्याख्या: भारत की स्थानीय मिट्टी में से काली मिट्टी सबसे अलग दिखाई देती है, इसे रेगुर भी कहा जाता है। इसमे पोटास की बहुलता होती है। लेकिन प्राया: इसे काली कपास मिट्टी कह्ते हैं, क्योंकि इसमे कपास की खेती ज्यादा होती है। काली मिट्टी मुख्यतः महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, और मध्य प्रदेश में पाई जाती है और इस मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की अधिकता होती है।

व्याख्या:

व्याख्या: भारत की स्थानीय मिट्टी में से काली मिट्टी सबसे अलग दिखाई देती है, इसे रेगुर भी कहा जाता है। इसमे नाइट्रोजन,पोटास,ह्यूमस की कमी होती है। लेकिन प्राया: इसे काली कपास मिट्टी कह्ते हैं, क्योंकि इसमे कपास की खेती ज्यादा होती है। काली मिट्टी मुख्यतः महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, और मध्य प्रदेश में पाई जाती है और इस मिट्टी में मैग्नेशियम,चूना,लौह तत्व तथा कार्बनिक पदार्थों की अधिकता होती है। इस मिट्टी का काला रंग टिटेनीफेरस मैग्नेटाइड एंव जीवांश(Humus) की उपस्थिति के कारण होता है।

व्याख्या: भारत की स्थानीय मिट्टी में से काली मिट्टी सबसे अलग दिखाई देती है, इसे रेगुर भी कहा जाता है। इसमे पोटास की बहुलता होती है। लेकिन प्राया: इसे काली कपास मिट्टी कह्ते हैं, क्योंकि इसमे कपास की खेती ज्यादा होती है। काली मिट्टी मुख्यतः महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, और मध्य प्रदेश में पाई जाती है और इस मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की अधिकता होती है।

व्याख्या: भारत की स्थानीय मिट्टी में से काली मिट्टी सबसे अलग दिखाई देती है, इसे रेगुर भी कहा जाता है। इसमे पोटास की बहुलता होती है। लेकिन प्राया: इसे काली कपास मिट्टी कह्ते हैं, क्योंकि इसमे कपास की खेती ज्यादा होती है। काली मिट्टी मुख्यतः महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, और मध्य प्रदेश में पाई जाती है और इस मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की अधिकता होती है।

व्याख्या: काली मिट्टी काले रंग की होती है जिसके कारण इसमें एल्युमीनियम तथा लौह तत्त्व की उपस्थिति है। इसे रेगुर भी कहते हैं। इस मिट्टी का निर्माण ज्वालामुखी विस्फोट से हुआ है जिससे इसमें कई प्रकार के खनिज विद्यमान है। अत: यह बड़ी उपजाऊ मिट्टी है। यह मिट्टी कपास की कृषि के लिए बहुत ही उपयोगी है। सूखने पर इसमें दरारें पड़ जाती है जिसके कारण दूर से देखने पर यह जोती हुई प्रतित होती है। यही कारण है इसे स्वत: कृष्य मिट्टी भी कहा जाता है।

व्याख्या: काली मिट्टी की प्रमुख विशेषता यह है कि उसमें जल धारण करने की सर्वाधिक क्षमता होती है काली मिट्टी बहुत जल्दी चिपचिपी हो जाती है तथा सूखने पर इस में दरारें पड़ जाती हैं इसी गुण के कारण काली मिट्टी को स्वत जुताई वाली मिट्टी कहा जाता है।

व्याख्या: लाल मिट्टी (Red soil) लाल, पीली एवं चाकलेटी रंग की होती है। शुष्क और तर जलवायु में प्राचीन रवेदार और परिवर्तित चट्टानों की टूट-फूट से बनती है और यहमिट्टी पानी के संपर्क में आने से हल्की-हल्की पीली दिखती है इस मिट्टी में लोहा, ऐल्युमिनियम और चूना अधिक होता है।

व्याख्या: लाल मिट्टी (Red soil) लाल, पीली एवं चाकलेटी रंग की होती है। शुष्क और तर जलवायु में प्राचीन रवेदार और परिवर्तित चट्टानों की टूट-फूट से बनती है और यहमिट्टी पानी के संपर्क में आने से हल्की-हल्की पीली दिखती है इस मिट्टी में लोहा, ऐल्युमिनियम और चूना अधिक होता है।भारत में यह मिट्टी उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड से लेकर दक्षिण के प्रायद्वीप तक पायी जाती है। यह मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, पश्चिमी बंगाल, मेघालय, नागालैण्ड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु तथा महाराष्ट्र में मिलती है। छत्तीसगढ़ में लाल-पीली मिट्टी को स्थानीय रूप से 'मटासी मिट्टी' के नाम से जाना जाता है, इसका विस्तार राज्य के लगभग साठ प्रतिशत भूभाग पर है।

व्याख्या: लाल मिट्टी (Red soil) लाल, पीली एवं चाकलेटी रंग की होती है। शुष्क और तर जलवायु में प्राचीन रवेदार और परिवर्तित चट्टानों की टूट-फूट से बनती है और यहमिट्टी पानी के संपर्क में आने से हल्की-हल्की पीली दिखती है इस मिट्टी में लोहा, ऐल्युमिनियम और चूना अधिक होता है।

व्याख्या: लाल मिट्टी लौह ऑक्साइड की उपस्थिति के कारण इसका रंग लाल होता है ,लाल मिट्टी शुष्क और आर्द्र क्षेत्रों में पायी जाती है, लाल मिट्टीअधिकांशत: तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में पायी जाती है।

व्याख्या: लैटेराइट मृदा (Laterite soil) या 'लैटेराइट मिट्टी'(Laterite) का निर्माण ऐसे भागों में हुआ है, जहाँ शुष्क व तर मौसम बार-बारी से होता है। यह लेटेराइट चट्टानों की टूट-फूट से बनती है। यहमिट्टी चौरस उच्च भूमियों पर मिलती है। इस मिट्टी में लोहा, ऐल्युमिनियम और चूना अधिक होता है।

व्याख्या: लैटेराइट मृदा (Laterite soil) या 'लैटेराइट मिट्टी'(Laterite) का निर्माण ऐसे भागों में हुआ है, जहाँ शुष्क व तर मौसम बार-बारी से होता है। यह लेटेराइट चट्टानों की टूट-फूट से बनती है। यह मिट्टी चौरस उच्च भूमियों पर मिलती है। इस मिट्टी में लोहा, ऐल्युमिनियम और चूना अधिक होता है।

व्याख्या: उच्च तापमान, प्रचुर वर्षा और उष्णकटिबंधीय वन क्षेत्रों में जहाँ निक्षालन क्रिया अधिक होती है, यह मिट्टी निर्मित होती है। ह्रामूस का यहाँ अधिक मात्र में निर्माण होता है परन्तु जीवाणुओं द्वारा अधिक उप्य्होग एवं निक्षालन के कारण ह्रामूस नाइट्रोजन, पोटाश की मात्रा काफी कम पायी जाती है जबकि आयरन तथा फास्फोरस की अधिकता होती है। यह मिट्टी काजू, चाय, कहवा की खेती के लिए उपयुक्त है यह भारत में मालाबार तटीय प्रदेश, महाराष्ट्र पूर्वी तथा पश्चिमी घाट, कर्नाटक, असम में विस्तारित है।

व्याख्या: लैटेराईट स्थानबद्ध मिट्टी है, जो भारत में लगभग 1.26 लाख वर्ग किमी. में विस्तृत है। इस मिट्टी का निर्माण आर्द्र एवं शुष्क मौसम के क्रमिक परिवर्तन के कारण 'निक्षालन की प्रक्रिया' के द्वारा होता है।

व्याख्या: भारत की स्थानीय मिट्टी में से काली मिट्टी सबसे अलग दिखाई देती है, इसे रेगुर भी कहा जाता है। इसमे पोटास की बहुलता होती है। लेकिन प्राया: इसे काली कपास मिट्टी कह्ते हैं, क्योंकि इसमे कपास की खेती ज्यादा होती है। काली मिट्टी मुख्यतः महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, और मध्य प्रदेश में पाई जाती है और इस मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की अधिकता होती है।

व्याख्या: भारत की स्थानीय मिट्टी में से काली मिट्टी सबसे अलग दिखाई देती है, इसे रेगुर भी कहा जाता है। इसमे पोटास की बहुलता होती है। लेकिन प्राया: इसे काली कपास मिट्टी कह्ते हैं, क्योंकि इसमे कपास की खेती ज्यादा होती है। काली मिट्टी मुख्यतः महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, और मध्य प्रदेश में पाई जाती है और इस मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की अधिकता होती है।

व्याख्या: मृदा संरक्षण (Soil conservation) से तात्पर्य उन विधियों से है, जो मृदा को अपने स्थान से हटने से रोकते हैं। संसार के विभिन्न क्षेत्रों में मृदा अपरदन को रोकने के लिए भिन्न-भिन्न विधियाँ अपनाई गई हैं। मृदा संरक्षण की विधियाँ हैं - वनों की रक्षा, वृक्षारोपण, बंध बनाना, भूमि उद्धार, बाढ़ नियंत्रण, अत्यधिक चराई पर रोक, पट्टीदार व सीढ़ीदार कृषि, समोच्चरेखीय जुताई तथा शस्यार्वतन ।

व्याख्या: जलोढ़क से भरी मिट्टी को जलोढ़ मृदा या जलोढ़ मिट्टी कहा जाता है।जलोढ़ मिट्टी प्रायः विभिन्न प्रकार के पदार्थों से मिलकर बनी होती है जिसमें गाद (सिल्ट) तथा मृत्तिका के महीन कण तथा बालू तथा बजरी के अपेक्षाकृत बड़े कण भी होते हैं।


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