भारत के ऊर्जा संसाधन से जुड़े ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं व्याख्या - GK Quiz

भारत के ऊर्जा संसाधन (Energy resources) से सम्बंधित ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे एसएससी, बैंकिंग, रेलवे इत्यादि लिए महत्वपूर्ण है।

भारत के ऊर्जा संसाधन समान्य ज्ञान

व्याख्या: जैवगैस या बायोगैस (Biogas) वह गैस मिश्रण है जो आक्सीजन की अनुपस्थिति में जैविक सामग्री के विघटन से उत्पन्न होती है। यह सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा की तरह ही नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। बायोगैस स्थानीय उपलब्ध कच्चे पदार्थों एवं कचरा से पैदा की जा सकती है। यह पर्यावरण-मित्र और CO2-न्यूट्रल है।

व्याख्या: भू-तापीय ऊर्जा (जिसे जियोथर्मल पॉवर कहते हैं, ग्रीक धातु जियो से आया है, जिसका अर्थ है पृथ्वी और थर्मोस अर्थात ताप) वह ऊर्जा है जिसे पृथ्वी में संग्रहित ताप से निकाला जाता है। यह भू-तापीय ऊर्जा, ग्रह के मूल गठन से, खनिज के रेडियोधर्मी क्षयसे और सतह पर अवशोषित सौर ऊर्जा से उत्पन्न होती है। पेलिओलिथिक काल से इसका प्रयोग स्नान के लिए और रोमन काल से स्थानों को गर्म करने के लिए किया जाता रहा है, लेकिन अब इसे बिजली उत्पन्न करने के लिए बेहतर रूप में जाना जाता है।

व्याख्या: सौर ऊर्जा वह उर्जा है जो सीधे सूर्य से प्राप्त की जाती है। सौर ऊर्जा ही मौसम एवं जलवायु का परिवर्तन करती है। यहीं धरती पर सभी प्रकार के जीवन (पेड़-पौधे और जीव-जन्तु) का सहारा है।सूर्य से सीधे प्राप्त होने वाली ऊर्जा में कई खास विशेषताएं हैं। जो इस स्रोत को आकर्षक बनाती हैं। इनमें इसका अत्यधिक विस्तारित होना, अप्रदूषणकारी होना व अक्षुण होना प्रमुख हैं। सम्पूर्ण भारतीय भूभाग पर 5000 लाख करोड़ किलोवाट घंटा प्रति वर्ग मी0 के बराबर सौर ऊर्जा आती है जो कि विश्व की संपूर्ण विद्युत खपत से कई गुने अधिक है। साफ धूप वाले (बिना धुंध व बादल के) दिनों में प्रतिदिन का औसत सौर-ऊर्जा का सम्पात 4 से 7 किलोवाट घंटा प्रति वर्ग मीटर तक होता है।

व्याख्या: ताप के परिवर्तन के फलस्वरूप पदार्थों के लम्बाई, क्षेत्रफल एवं आयतन में होने वाले परिवर्तन को में होने वाले परिवर्तन को ताप विस्तार (Thermal expansion) कहते हैं। सभी पदार्थों में यह प्रवृत्ति पायी जाती है।

व्याख्या: केरल में त्रिवेन्द्रम के समीप बिझिनजाम नामक स्थान पर देश की पहली लहर ऊर्जा परियोजना स्थापित की गयी है। • कर्नाटक के उत्तरी कनारा जिले में स्थित कारवार नामक स्थान का विकास देश के सबसे बड़े नौसैनिक अड्डे के रूप में किया जा रहा है।

व्याख्या: चेन्नई के पास कलपक्कम में बंगाल की खाड़ी के किनारे लोगों की नजरों से दूर भारतीय परमाणु वैज्ञानिक उस हाईटेक स्टोव को शुरू करने के अंतिम चरण में हैं, जिसके निर्माण में 15 साल से ज्यादा का समय लग गया है। यह नया परमाणु रिएक्टर एक तरह का ‘अक्षय पात्र’ है। पौराणिक गाथाओं में कहा जाता है कि अक्षय पात्र से कभी भी भोजन खत्म नहीं होता था। परमाणु ऊर्जा विभाग अपने अत्याधुनिक एवं स्वदेशी तौर पर डिजाइन किए गए फास्ट ब्रीडर रिएक्टर को संचालित करने के लिए तैयार हो रहा है।

व्याख्या: काकरापार परमाणु ऊर्जा संयन्त्र, भारत का एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र है जो गुजरात के व्यारा नगर के समीप स्थित है। यहाँ पर 220 मेगावाट क्षमता के दो परमाणु रिएक्टर हैं, जो दाबित भारी जल रिएक्टर हैं। इसकी पहली ईकाई (KAPS-1) 3 सितम्बर 1992 में क्रान्तिक (क्रिटिकल) हुई थी।

व्याख्या: भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड भारत का एक नाभिकीय विद्युत संयंत्र है जो कर्नाटक के उत्तर कन्नड जिले के कैगा नामक स्थान पर काली नदीके किनारे निर्मित है। यह संयंत्र सन 2000 से कार्यरत है। इसका संचालन भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड के द्वारा किया जाता है।

व्याख्या: तारापुर परमाणु ऊर्जा स्टेशन (T.A.P.S.) तारापुर, पालघर, भारत में स्थित है। यह भारत में निर्मित पहला वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा स्टेशन था।

व्याख्या: देश में हिमांचल प्रदेश के कुल्लू जिले में मणिकरण नामक स्थान पर भू-तापीय विद्युत् संयंत्र की स्थापना की गयी है।

व्याख्या: शिवासमूद्रम प्रपात कावेरी नदी पर है जो 98 मीटर की ऊँचाई से जल गिराता है। इसका उपयोग जल विद्दुत उत्पादन के लिए होता है। इस पर स्थापित जल विद्दुत गृह एशिया का प्रथम जल विद्दुत गृह है जिसकी स्थापना 1902 में हुई थी।

व्याख्या: चूखा परियोजना भारत और भूटान के सहयोग से बनायी गई परियोजना है। 84x4=336 मेगावाट की यह परियोजना भूटान में रायडक या वांग-चू नदी पर बनाई गयी है। इस परियोजना का निर्माण सन 1970 में शुरू हुआ था और 1991 में यह परियोजना पूर्ण रूप से कार्य करने लगी थी।

व्याख्या: महात्मा गांधी या जोग गरसोप्पा जलप्रपात - यह भारत का सबसे ऊँचा जलप्रपात है जो कि कर्नाटक राज्य में शरवती नदी पर स्थित है।इस जलप्रपात का प्रयोग जल विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है।

व्याख्या: दुलहस्ती पावर स्टेशन 390 मेगावाट (3 x130 मेगावाट) क्षमता की जल संचय वाली रन आफ द रिवर स्कीम है, जो चेनाब नदी की जल विद्युत क्षमता का दोहन करती है। यह जम्मू व कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में स्थित है। इस पावर स्टेशन में 65 मी ऊंचा और 186 मीटर लंबा कंक्रीट बाँध, 7.46 मीटर व्यास एवं 10.586 किलोमीटर लम्बी हार्स-शू आकार की हेडरेस सुरंग, सर्ज शाफ्ट तथा प्रैशर शाफ्ट के साथ 3.65 मीटर व्यास एवं 93 मीटर लंबी 03 पेनस्टॉक हैं। 

व्याख्या: लोकतक पावर स्टेशन (3 x 35 मे.वा.) बहुउद्देशीय स्टोरेज स्कीम है, जो खुंगा और इम्फ़ाल नदी से सिंचित लोकतक झील की जल विद्युत क्षमता का दोहन करता है। यह मणिपुर के जिला चुराचंदपुर में स्थित है।

व्याख्या: मेट्टूर बाँध भारत मे कावेरी नदी पर 1934 में बनाया गया एक विशाल बाँ है। यह कावेरी नदी के एक गार्ज पर बना है जब कावेरी नदी मैदान मे उतरती है। यह बाँध मेट्टूर जलविद्युत परियोजना का एक अंग है।

व्याख्या: भारत का पहला पनबिजली संयंत्र दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल में स्थापित किया गया था। वर्ष 1897 में सिद्रपोंग (दार्जिलिंग) में 130 किलोवाट की क्षमता वाला एक प्रोजेक्ट स्थापित किया गया।

व्याख्या: भारत ने 19वीं सदी के अंत तक जल विद्युत उत्पादन भी शुरू कर दिया था। भारत में पहली पनबिजली स्थापना 1897 में दार्जिलिंग नगर पालिका के लिए सिद्रपोंग में एक चाय बागान के पास स्थापित की गई थी।

व्याख्या: ओबरा भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में स्थित एक छोटा सा शहर है। ये शहर रेणुका नदी के किनारे बसा है और यहाँ पर स्थापित तपिय तथा जल विद्युत ईकाइयों के कारण प्रख्यात है।

व्याख्या: शिवासमूद्रम प्रपात कावेरी नदी पर है जो 98 मीटर की ऊँचाई से जल गिराता है। इसका उपयोग जल विद्दुत उत्पादन के लिए होता है। इस पर स्थापित जल विद्दुत गृह एशिया का प्रथम जल विद्दुत गृह है जिसकी स्थापना 1902 में हुई थी।

व्याख्या: उड़ान महाराष्ट्र राज्य में स्थित देश का गैस आधारित पहला बिजली संयंत्र है जहाँ से 250 मेगावाट विद्युत उत्पन्न की जाती है। इसकी स्थापना गेल के सहयोग से की गई है। इसी तरह के अन्य गैस आधारित पावर प्लांट मध्य प्रदेश में विजयपुर, उत्तर प्रदेश में औरेया और गुजरात में गांधार है।

व्याख्या: भूतापीय उर्जा पर आधारित मणिकर्ण बिजली संयन्त्र हिमाचल प्रदेश राज्य के कुल्लू जिले में स्थित है , जो गर्म पानी के स्त्रोतों के लिए प्रसिद्ध है। राज्य की पार्वती घाटी में स्थित मणिकर्ण के गर्म स्त्रोतों का तापमान 96 डिग्रीC तक पाया जाता है, जहाँ इन गर्म स्त्रोतों से विद्युत् उत्पादन किया जाता है।


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