भारत की प्राकृतिक वनस्पति वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उत्तर - GK Quiz

भारत की प्राकृतिक वनस्पति (Natural Vegetation) से सम्बंधित ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे एसएससी, बैंकिंग, रेलवे इत्यादि लिए महत्वपूर्ण है।

भारत की प्राकृतिक वनस्पति समान्य ज्ञान

व्याख्या: इस प्रकार के वन प्रायद्वीपीय भारत के मध्य भागों में प्रमुखता से पाए जाते हैं। इसके अलावा उत्तर पश्चिम में हरियाणा, पंजाब से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक राज्यों में भी यह वन पाए जाते हैं। आंशिक रूप से यह वन काबेरी, कृष्णा, गोदावरी, ताप्ती, नर्मदा, चम्बल नदियों के आस-पास भी पाए जाते हैं। दक्षिण में नीलगिरी की पहाड़ियों पर 1,800 मीटर तक सतपुड़ा की पहाड़ियों पर 1,000 मीटर तथा पूर्वी ढाल पर 1,500 मीटर तक यह वन पाए जाते हैं। इन वनों में मुख्य प्रजातियाँ लारेल, खेर, साल, बांस, मैग्नेलिय चैस्टनेट के वृक्ष बहुतायात से पाए जाते हैं।

व्याख्या: 200 सेंटीमीटर की औसत वर्षा तथा 24 के तापमान वाले क्षेत्र में इस प्रकार के वन पाए जाते हैं। उत्तर में हिमालय की तराई, पूर्वी हिमालय के पाद प्रदेश, दक्षिण में पश्चिमी घाट के ढलान, अन्नामलाई, नीलगिरी, केरल, कर्नाटक तथा अण्डमान निकोबार द्वीप समूह में इस प्रकार के वन पाए जाते हैं। पश्चिमी घाटों में 450 मीटर से 1,300 मीटर की ऊँचाई तथा असम में 1,00 मीटर की ऊँचाई में यह वन पाए जाते हैं। इन वनों में जंगली आम, रोजवुड, बांस, ताड़, महोगनी, रबड़ इत्यादि वृक्ष बहुतायात से पाए जाते हैं। इन वृक्षों की ऊँचाई सामान्यतया 30 से 40 मीटर तक अथवा उससे अधिक होती है।

व्याख्या: इस प्रकार के वन प्रायद्वीपीय भारत के मध्य भागों में प्रमुखता से पाए जाते हैं। इसके अलावा उत्तर पश्चिम में हरियाणा, पंजाब से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक राज्यों में भी यह वन पाए जाते हैं। आंशिक रूप से यह वन काबेरी, कृष्णा, गोदावरी, ताप्ती, नर्मदा, चम्बल नदियों के आस-पास भी पाए जाते हैं। दक्षिण में नीलगिरी की पहाड़ियों पर 1,800 मीटर तक सतपुड़ा की पहाड़ियों पर 1,000 मीटर तथा पूर्वी ढाल पर 1,500 मीटर तक यह वन पाए जाते हैं। इन वनों में मुख्य प्रजातियाँ लारेल, खेर, साल, बांस, मैग्नेलिय चैस्टनेट के वृक्ष बहुतायात से पाए जाते हैं।

व्याख्या: शुष्क प्रदेश के न्यून वर्षा वाले क्षेत्र में स्थित होने के कारण यहाँ पाए जाने वाले वनों को उष्ण कटिबन्धीय शुष्क कंटीले वन भी कहा जाता है। यहाँ पाई जाने वाली वनस्पतियों में झाड़ियों की अधिकता होती है जिनकी औसत ऊँचाई 6 से 9 मीटर के मध्य होती है। इन वृक्षों की जड़े काफी मोटी तथा गहराई तक होती हैं ताकि वे जल के अभाव में भू-गर्भ के जल को सोखकर अपने तनों में संचित कर सकें। इन झाड़ियों की पत्तियाँ बहुत छोटी अथवा काँटों के रूप में होती है ताकि जल का कम-से-कम वाष्पीकरण हो सके। मुख्यतया उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में इस प्रकार की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

व्याख्या: मैंग्रोव सामान्यतः पेड़ व पौधे होते हैं, जो खारे पानी में तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। ये उष्णकटिबन्धीय और उपोष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में मिलते हैं।

व्याख्या: मैंग्रोव वनस्पति उष्ण कटिबन्धीय वनस्पति है। ये मुख्य रूप से उष्ण कटिबन्धीय ज्वारीय, दलदलों, क्रीक तटीय लैगून तथा पश्च जल झीलों में मिलती है। विश्व की लगभग 7% मैंग्रोव वनस्पति भारत में पाई जाती है। भारत में इनका सर्वाधिक विस्तार गंगा तथा ब्रह्मापुत्र के डेल्टा में पाया जाता है। पश्चिमी बंगाल में 021 मिलियन हेक्टेयर, गुजरात में 0.1 मि. हे. तथा उड़ीसा में 0.02 मि. हे. में फैले हैं।

व्याख्या: भारतीय चंदन (Santalum album) का संसार में सर्वोच्च स्थान है। इसका आर्थिक महत्व भी है। यह पेड़ मुख्यत: कर्नाटक के जंगलों में मिलता है तथा भारत के अन्य भागों में भी कहीं-कहीं पाया जाता है। भारत के 600 से लेकर 900 मीटर तक कुछ ऊँचे स्थल और मलयद्वीप इसके मूल स्थान हैं।

व्याख्या: भारत के दक्षिणी भारत के केरल राज्य के पालक्काड ज़िले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है जो नीलगिरि पर्वत में है। इसमें विभिन्न प्रकार की जैव विविधता तथा वन संरक्षण है।

व्याख्या: फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान एक फूलों की घाटी का नाम है, जिसे अंग्रेजी में Valley of Flowers कहते हैं। यह भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में है। यह फूलों की घाटी विश्व संगठन, यूनेस्को द्वारा सन् 1982 में घोषित विश्व धरोहर स्थल नन्दा देवी अभयारण्य नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान का एक भाग है।

व्याख्या: शांतघाटी केरल राज्य में स्थित है। यह पलक्कड जिले में नीलगिरी की पहाड़ियों में है। यह विश्व विरासत पश्चिमी घाट का हिस्सा है। स्थानीय लोग इसे सैरंध्रीवनकहते हैं। स्थानीय हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार सैरंध्री का अर्थ द्रौपदी है। कहा जाता है कि पांडव वनवास के दौरान केरल पहुंच गए थे, जहां इस जादुई घाटी में आ गए। अंग्रेजों ने इसका नाम शांत घाटी रखा था, क्योंकि यहां शोर मचाने वाले कीड़ों की कमी थी। 

व्याख्या:

व्याख्या: यह उन प्रदेशों में पायी जाती है जहाँ वार्षिक वर्षा 300cm से अधिक तथा शुष्क ऋतू बहुत छोटी होती है।

व्याख्या: गंगा नदी के सुन्दरवन डेल्टा में उगने वाला हैलोफाइट पौधा है। यह समुद्र के किनारे की नमकीन मिट्टी में उगता है। सुन्दरवन में इस वृक्ष की अधिकता है तथा इसी के कारण सुन्दरवन का नामकरण हुआ है। इस वृक्ष में श्वसन जड़े पायी जाती हैं।

व्याख्या: भारतीय चंदन (Santalum album) का संसार में सर्वोच्च स्थान है। इसका आर्थिक महत्व भी है। यह पेड़ मुख्यत: कर्नाटक के जंगलों में मिलता है तथा भारत के अन्य भागों में भी कहीं-कहीं पाया जाता है। भारत के 600 से लेकर 900 मीटर तक कुछ ऊँचे स्थल और मलयद्वीप इसके मूल स्थान हैं।

व्याख्या: तेन्दु पत्ते इस्तेमाल बीड़ी बनाने के लिए होता है। बीड़ी भारतीय सिगरेट है। यह तेन्दु के पत्तों में तम्बाकू लपेटकर बनाई जाती है। 'बीड़ी' शब्द 'बीड़ा' से निकला है जो पान के पत्तों में सुपारी तथा कुछ अन्य मसाले डालकर बनती है।

व्याख्या: भारत के अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में मैंग्रोव वन, सदापर्णी वन और पर्णपाती वन का संयोजन पाया जाता है।

व्याख्या: मैंग्रोव सामान्यतः पेड़ व पौधे होते हैं, जो खारे पानी में तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। ये उष्णकटिबन्धीय और उपोष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में मिलते हैं।

व्याख्या: सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यानभारत के पश्चिम बंगाल राज्य के दक्षिणी भाग में गंगा नदीके सुंदरवन डेल्टा क्षेत्र में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान,बाघ संरक्षित क्षेत्र एवं बायोस्फ़ीयर रिज़र्व क्षेत्र है। यह क्षेत्र मैन्ग्रोव के घने जंगलों से घिरा हुआ है और रॉयल बंगाल टाइगर का सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र है। हाल के अध्ययनों से पता चला है कि इस राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की संख्या 103है।


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