भारत के उद्योग से जुड़े ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं व्याख्या - GK Quiz (Set-1)

भारत के उद्योग (Industries of India) से सम्बंधित ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे एसएससी, बैंकिंग, रेलवे इत्यादि लिए महत्वपूर्ण है।

भारत के उद्योग समान्य ज्ञान

व्याख्या: सार्वजनिक क्षेत्र में लौह और इस्पात उद्योग में सबसे अधिक पूंजी का निवेश हुआ है।

व्याख्या: कुलटि, पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिला का एक एक कस्बा है जो आसनसोल का पश्चिमी समीपवर्ती भाग है। पहले यह एक छोटा सा गाँव था किन्तु इंडियन आइरन ऐण्ड स्टील कम्पनी के कारण य बढ़ते-बढ़ते कस्बा बन गया है। सन 1870 में भारत की पहली वात्या भट्ठी (ब्लास्ट फरनेस) यहाँ स्थापित हुई थी। उस समय औद्योगिक रूप से विकसित राष्ट्रों के पास भी बहुत कम वात्या भट्ठियाँ हुआ करती थीं।

व्याख्या: विशाखापत्तनम स्टील प्लांट विशाखापत्तनम में राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड का एकीकृत स्टील प्लांट है। इसकी स्थापना 1971 में हुई थी।

व्याख्या: दुर्गापुर इस्पात संयंत्र: इसकी स्थापना पश्चिम बंगाल में ब्रिटेन की सहायता से की गई थी। दुर्गापुर (Durgapur) भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के पश्चिम बर्धमान ज़िले में स्थित एक नगर और लोकसभा निर्वाचनक्षेत्र है। दुर्गापुर इस्पात कारखाना 1950 के अन्तिम वर्षों में ब्रिटिश सहयोग से स्थापित किया गया।

व्याख्या: राऊरकेला इस्पात संयंत्र: इसकी स्थापना उड़ीसा में जर्मनी की सहायता से की गई थी। राउरकेला इस्पात कारखाना (आर.एस.पी) भारत में सार्वजनिक क्षेत्र का पहला एकीकृत इस्पात कारखाना है। 10 लाख टन क्षमता का यह कारखाना जर्मनी के सहयोग से दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-1961) में शुरू की गई।

व्याख्या: भिलाई इस्पात संयंत्र, भारतीय रेलवे के लिए भारत का एकमात्र उत्पादक और विश्व स्तरीय आपूर्तिकर्ता है। भिलाई में स्थित भिलाई इस्पात संयंत्र भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में है। इसकी स्थापना 1955 में USSR (रूस) की मदद से की गई थी। छत्तीसगढ़ में भिलाई संयंत्र और झारखण्ड में बोकारो इस्पात संयंत्र को सोवियत संघ के सहयोग से स्थापित किया गया था।

व्याख्या: बोकारो स्टील प्लांट भारत का सार्वजनिक क्षेत्र का इस्पात संयत्र है जो सोवियत संघ के सहयोग से बना था। यह झारखण्ड के बोकारो में स्थित है।
भिलाई लौह-इस्पात संयंत्र: इसकी स्थापना छतीसगढ़ में रूस की सहायता से की गई थी।
विशाखापट्टनम इस्पात कारखाना, वाइज़ाग स्टील के नाम से लोकप्रिय लघु रत्न प्रतिष्ठा के साथ भारत का एक प्रमुख इस्पात उत्पादक है।

व्याख्या: भिलाई, दुर्गापुर और राउरकेला में लौह-इस्पात संयंत्र की स्थापना दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-1961) में शुरू की गई।

व्याख्या: सेल का आरम्भ एक स्वाधीन राष्ट्र के उदय के साथ हुआ। स्वाधीनता मिलने के पश्चात राष्ट्र निर्माताओं ने देश के तीव्र औद्योगिकीकरण के लिए आधारभूत सुविधाएं जुटाने की परिकल्पना की। इस्पात क्षेत्र को आर्थिक विकास का साधन माना गया। 19 जनवरी, 1954 को हिन्दुस्तान स्टील प्रा.लि. की स्थापना की गई।

व्याख्या: भद्रावती शिमोगा शहर से 20 किमी तथा बंगलुरु से 255 किमी दूरी पर स्थित है। लोहा इस्पात के कारखाने के कारण नगर की काफी प्रसिद्धि है। बाबाबूदन की पहाड़ियों से लोहा तथा गुड्डा से चूना मंडी प्राप्त किया जाता है। लोहे इस्पात के अतिरिक्त अल्कतरा, अमोनियम सल्फेट, सीमेंट आदि पदार्थो का उत्पादन भी होता है। शहर का नाम भद्रा नदी पर पड़ा है, जो शहर के बीच से बहती है।

व्याख्या: दुर्गापुर इस्पात संयंत्र, स्टील ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड के एकीकृत इस्पात संयंत्रों में से एक है, जो दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल में स्थित है। इसे 1959 में यूनाइटेड किंगडम की मदद से स्थापित किया गया था।
राउरकेला इस्पात संयंत्र जर्मन फर्मों अर्थात क्रुप और डेमाग के सहयोग से स्थापित किया गया था। इसकी शुरुआत 1961 में हुई थी।
भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना सितंबर 1967 में सोवियत संघ की तकनीकी सहायता से की गई थी।

व्याख्या: आधुनिक ढंग की सूती वस्त्र की पहली मिल की स्थापना 1818 में कोलकता के समीप फोर्ट ग्लास्टर में की गयी थी, किन्तु यह असफल रही। पुनः 1851 में मुम्बई में एक मिल स्थापित की गयी, जो असफल रही। सबसे पहला सफल आधुनिक कारख़ाना 1854 में मुम्बई में ही कावसजी डाबर द्वारा खोला गया जिसमें 1856 में उत्पादन प्रारम्भ हुआ।

व्याख्या: सूती वस्त्र उद्योग भारत का सबसे प्राचीन एवं बड़ा उद्योग है। इसमें भारत की सर्वाधिक जनसंख्या 5 करोड़ को रोज़गार भी प्राप्त हुआ है। प्रायः भारत के सभी राज्यों में सूती वस्त्र उद्योग से सम्बन्धित मिलें स्थापित हैं, किन्तु महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल आदि राज्यों में इनकी प्रमुखता है। सूती वस्त्र उद्योग का सर्वाधिक केन्द्रीकरण महाराष्ट्र तथा गुजरात राज्यों में हुआ है, जो भारत की सर्वाधिक कपास का भी उत्पादन करते हैं।

व्याख्या: जूट उद्योग में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है। जूट 'सोने का रेशा' के नाम से मशहूर है। जूट उद्योग का पहला कारख़ाना कोलकाता के समीप रिसरा नामक स्थान में 1859 में लगाया गया था। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत विभाजन से सर्वाधिक प्रभावित होने वाला उद्योग यही था, क्योकि तत्कालीन 120 कारखानों में से 10 पूर्वी पाकिस्तान में चले गये थे, जबकि जूट उत्पादन क्षेत्र का अधिकांश भाग उसके पास था।

व्याख्या: लालइमली मिल की स्थापना वर्ष 1876 में जार्ज ऐलन, वीई कूपर, गैविन एस जोन्स, डा.कोंडोन और बिवैन पेटमैन आदि ने की थी। पहले यह मिल ब्रिटिश सेना के सिपाहियों के लिए कंबल बनाने का काम करती थी। तब इसका नाम कॉनपोरे वुलन मिल्स था। बाद में मिल परिसर में लाल इमली के पेड़ होने की वजह से इसका नाम लालइमली पड़ा। इसकी पहचान दमदार क्वालिटी की वजह से भी थी।

व्याख्या: डालमियानगर बिहार के रोहतास जिले का एक नगर है। यह भारत के सबसे बड़े और और सबसे पुराने औद्योगिक कस्बों में से एक है। यह सोन नदी के किनारे डेहरी में स्थित है।

व्याख्या: रेल डिब्बे निर्माण केंद्र
इंटीग्रल कोच फैक्ट्री पैराम्बूर (चेन्नई) बी.जी. डिब्बा निर्माण
रेल कोच फैक्ट्री, कपूरथला (पंजाब) बी.जी. डिब्बा निर्माण
चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स, चितरंजन
भारत अर्थमूवर्स लिमिटेड बेंगलुरु (कर्नाटक)
जेसफ़ एंड कंपनी लिमिटेड, कोलकाता (पं.बंगाल)
व्हील एंड एक्सेल, बेंगलुरु (कर्नाटक)

व्याख्या: देश में रेशम उद्योग का सर्वाधिक स्थानीयकरण कर्नाटक में हुआ है। भारत में शहतूत रेशम का उत्पादन मुख्यतया कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, जम्मू व कश्मीर तथा पश्चिम बंगाल में किया जाता है, जबकि गैर-शहतूत रेशम का उत्पादन झारखण्ड, छत्तीसगढ़, ओडिशा तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों में होता है।

व्याख्या: राजस्थान में लाइमस्टोन खनिज की पर्याप्त मात्र उपलब्ध होने के कारण यहाँ सीमेंट उद्योग प्रमुखता से विकसित हुआ है। सीमेंट उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान का देश में द्वितीय स्थान है। राज्य में लगभग 23 सीमेंट के कारखाने हैं।
दक्षिण भारत का राज्य आँध्रप्रदेश देश भर में सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक प्रदेश है।
वही राजस्थान दूसरा कर्नाटक तीसरा मध्यप्रदेश चौथा एवं गुजरात पाँचवाँ सबसे ज़्यादा सीमेंट उत्पादक राज्य हैं।

व्याख्या: सीमेंट वन आधारित उद्योग नहीं है।


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