भारत की कृषि से जुड़े ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं व्याख्या - GK Quiz (Set-3)

भारत की कृषि (Agriculture) से सम्बंधित ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे एसएससी, बैंकिंग, रेलवे इत्यादि लिए महत्वपूर्ण है।

भारत की कृषि समान्य ज्ञान

व्याख्या: ऑपरेशन फल्ड या धवल क्रान्तिविश्व के सबसे विशालतम विकास कार्यक्रम के रूप मे प्रसिद्ध हैं। सन् 1970 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) द्वारा शुरु की गई योजना ने भारत को विश्व मे दुध का सबसे बडा उत्पादक बना दिया। इस योजना की सफलता के तहत इसे 'श्वेत क्रन्ति' का पर्यायवाची दिया गया। 

व्याख्या: डॉ॰ वर्गीज़ कुरियन (26 नवम्बर 1921 - 9 सितंबर 2012) एक प्रसिद्ध भारतीय सामाजिक उद्यमी थे और 'फादर ऑफ़ द वाइट रेवोलुशन' के नाम से अपने 'बिलियन लीटर आईडिया' (ऑपरेशन फ्लड) - विश्व का सबसे बड़ा कृषि विकास कार्यक्रम - के लिए आज भी मशहूर हैं। इस ऑपरेशन ने 1998 में भारत को अमरीका से भी ज़यादा तरक्की दी और दूध-अपूर्ण देश से दूध का सबसे बड़ा उत्पादक बना दिया। डेयरी खेती भारत की सबसे बड़ी आत्मनिर्भर उद्योग बन गयी। उन्होंने पदभार संभालकर भारत को खाद्य तेलों के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता दी। 

व्याख्या: भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर, उत्तर प्रदेश में एक सरकारी संस्थान है। इसकी स्थापना वर्ष 1983 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा बुनियादी रणनीतिक और व्यावहारिक अनुसंधान करने के लिए की गई थी।

व्याख्या: कृषि के क्षेत्र में हरित क्रांति और श्वेत क्रांति के बाद अब समय है कृष्ण क्रांति। पेट्रोलियम उत्पादों के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास को कृष्ण क्रांति नाम दिया गया हैं। इसका मकसद देश को पेट्रोल और डीजल में आत्मनिर्भर बनाने हैं।

व्याख्या: गुलाबी क्रान्ति (Pink revolution) प्याज तथा झींगा (Prawn) उत्पादन से सम्बन्धित हैं। भारत विश्व का सबसे बड़ा झींगा मछली उत्पादक देश बन गया हैं।

व्याख्या: गोल क्रांति का सम्बन्ध आलू के उत्पादन से हैं। भारत में आलू 16 वीं सदी में पुर्तगाल से लाया गया था और इसके विकास के लिए केन्द्रीय आलू अनुसन्धान संस्थान, शिमला की स्थापना की गई।

व्याख्या: भारत चाय का प्रमुख उत्पादक तथा विश्व में चाय का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। भारत में असम राज्य चाय का सबसे बड़ा उत्पादक है। यहाँ पर भारत के कुल चाय उत्पादन का लगभग 50 प्रतिशत उत्पादन होता है। असम में ब्रह्मपुत्र घाटी तथा सुरमा घाटी में चाय की उन्नत कृषि की जाती है। चाय उत्पादन में दूसरा स्थान पश्चिम बंगाल राज्य का है जहाँ पर दार्जिलिंग, कूच बिहार एवं जलपाईगुड़ी जिलों में चाय की खेती होती है। तमिलनाडु दक्षिण भारत का सर्वाधिक चाय उत्पादन करने वाला राज्य है। इन राज्यों के अतिरिक्त उत्तराखंड, केरल, कर्नाटक व महाराष्ट्र के पर्वतीय ढालों में भी चाय उगाई जाती है।

व्याख्या: गेहूं की पैदावार में उत्तर प्रदेश देश के बाकी राज्यों के मुकाबले बहुत आगे हैं। गेहं के बड़े उत्पाद राज्य पंजाब में जहां गेहूं का रकबा घट रहा है वहीं यूपी में यह रकबा बढ़ रहा हैं।

व्याख्या: चावल का कटोरा भारत में छत्तीसगढ़ राज्य को कहा जाता है और विश्व में चावल का कटोरा क्यूबा देश को कहा जाता हैं।

व्याख्या: दक्षिण भारतीय राज्य भारत में कॉफ़ी के प्रमुख उत्पादक हैं, कर्नाटक में 53%, केरल में 28%, तमिलनाडु में 11% और अन्य राज्यों में शेष आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, असम और त्रिपुरा हैं। पर्वतीय क्षेत्र मानसून, कॉफी और चाय बागान की महत्वपूर्ण किस्मों के लिए सबसे अच्छी जगह बनाती हैं। भारतीय कॉफी को दुनिया में बेहतरीन कॉफी के रूप में माना जाता है, वे प्रत्यक्ष सूर्य के प्रकाश की बजाए छाया के नीचे उगाए जाते हैं। भारत के प्रमुख कॉफी और चाय बागान क्षेत्र इस प्रकार है।

व्याख्या: खरीफ फसलों में धान (चावल), मक्का, ज्वार, बाजरा, मूँग, मूँगफली, गन्ना, सोयाबीन, उडद, तुअर, कुल्थी, जूट, सन, कपास प्रमुख हैं।

व्याख्या: तमिलनाडु में गेहूँ की खेती नहीं की जाती हैं। कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल में बहुत कम खेती की जाती हैं। गेहूँ के मुख्य उत्पादक क्षेत्र में उत्तर-प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, बिहार आदि राज्य शामिल हैं।

व्याख्या:झूम कृषि (slash and burn farming) एक आदिम प्रकार की कृषि है जिसमें पहले वृक्षों तथा वनस्पतियों को काटकर उन्हें जला दिया जाता है और साफ की गई भूमि को पुराने उपकरणों (लकड़ी के हलों आदि) से जुताई करके बीज बो दिये जाते हैं। फसल पूर्णतः प्रकृति पर निर्भर होती है और उत्पादन बहुत कम हो पाता है। कुछ वर्षों तक (प्रायः दो या तीन वर्ष तक) जब तक मिट्टी में उर्वरता विद्यमान रहती है इस भूमि पर खेती की जाती है। इसके पश्चात् इस भूमि को छोड़ दिया जाता है जिस पर पुनः पेड़-पौधें उग आते हैं। अब अन्यत्र जंगली भूमि को साफ करके कृषि के लिए नई भूमि प्राप्त की जाती है और उस पर भी कुछ ही वर्ष तक खेती की जाती है। इस प्रकार यह एक स्थानानंतरणशील कृषि (shifting cultivation) है जिसमें थोड़े-थोड़े समय के अंतर पर खेत बदलते रहते हैं। भारत की पूर्वोत्तर पहाड़ियों में आदिम जातियों द्वारा की जाने वाली इस प्रकार की कृषि को झूम कृषि कहते हैं। इस प्रकार की स्थानांतरणशील कृषि को श्रीलंका में चेना, हिन्देसिया में लदांग और रोडेशिया में मिल्पा कहते हैं।

व्याख्या: चावल का कटोरा भारत में छत्तीसगढ़ राज्य को कहा जाता है और विश्व में चावल का कटोरा क्यूबा देश को कहा जाता है.

व्याख्या:प्रश्नगत फसलों में चाय एकमात्र फसल है, जिसके लिए पानी की अधिक आवश्यकता तो होती है, लेकिन उसका जमाव इस फसल के लिए नुकसानदायक है। इस फसल के लिए 150 से 250 सेमी. की वर्षा आवश्यक है तथा 24 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान चाहिए। पानी का जमाव न हो, इसके लिए इसकी खेती ऊंचे पहाड़ी ढालों पर की जाती है।

व्याख्या: खरीफ फसलों में धान (चावल), मक्का, ज्वार, बाजरा, मूँग, मूँगफली, गन्ना, सोयाबीन, उडद, तुअर, कुल्थी, जूट, सन, कपास प्रमुख हैं।

व्याख्या: इन फसलों को बोते समय अधिक तापमान एवं आर्द्रता तथा पकते समय शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती हैं। उत्तर भारत में इनको जून-जुलाई में बोते हैं और इन्हें नवम्बर के आसपास काटा जाता हैं।

व्याख्या: रेशे वाली फसलों में कपास, सन तथा जूट है, जिनके रेशों से कपड़े, जूट एवं रस्सियों का निर्माण किया जाता हैं।


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