भारत के पर्वत से जुड़े जीके प्रश्न एवं व्याख्या - GK Quiz (Set-2)

भारत के पर्वत (Mountains of India) से सम्बंधित ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे एसएससी, बैंकिंग, रेलवे इत्यादि लिए महत्वपूर्ण है।

भारत के पर्वत समान्य ज्ञान

व्याख्या: माउण्ट एवरेस्ट (8848 मीटर) एशिया में विश्व का सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है जो नेपाल में स्थित है। माउण्ट एवरेस्ट को तिब्बत में कोमोलंग्मा (बर्फ की देवी) तथा नेपाल में सागरमाथा (ब्रह्माण्ड की माता) कहते हैं। इसे पृथ्वी का तीसरा ध्रुव भी कहते हैं।

व्याख्या:  29 मई, 1953 को सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर एवरेस्ट पर पहली बार चढ़ने का रेकॉर्ड बना। इस कारनामे को न्यू जीलैंड के एडमंड हिलरी और नेपाल के बहादुर शेरपा तेनजिंग नॉरगे ने अंजाम दिया था। 

व्याख्या: नंदा देवी उत्तराखंड का सबसे ऊँचा पर्वत है। नंदा देवी भारत की दूसरी सबसे ऊँची पर्वत चोटी है और देश के भीतर सबसे ऊँची है। नंदादेवी मुख्य शिखर 7,816 मीटर (25,643 फीट) ऊंचा चमोली जिले में स्थित है और नंदा देवी पूर्व पिथौरागढ़-चमोली में 7,434 मीटर (24,390 फीट) ऊंचा है। नंदा देवी का शिखर एक राष्ट्रीय उद्यान है जिसे उत्तर पश्चिम में नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता है।

व्याख्या: अराकान योमा भारत तथा म्यांमार (भूतपूर्व बर्मा) की सीमा निर्धारित करने वाली एक पर्वत श्रेणी है। यह पर्वत श्रेणी आसाम की 'लुशाई' पहाड़ियों के दक्षिण तथा बांग्लादेश के चटगाँव नामक पहाड़ी क्षेत्र के पूर्व में स्थित है, जिसका विक्टोरिया नामक सर्वोच्च शिखर 10,018 फुट ऊँचा है।

व्याख्या: सतपुड़ा श्रेणियाँ नर्मदा और ताप्ती नदियों के बीच में स्थित हैं। सतपुड़ा विन्ध्याचल के दक्षिण में लगभग उसके समानान्तर स्थित है। यह पश्चिम में राजपीपला पहाड़ियों से प्रारम्भ होकर महादेव और मैकाल पहाड़ियों के रूप में छोटा नागपुर पठार के पश्चिमी सीमा तक विस्तृत हैं। सतपुड़ा की सबसे अधिक ऊँचाई महादेव पहाड़ी के पंचमढ़ी नगर के निकट धूपगढ़ (1350 मी.) में मिलती है।

व्याख्या: के2 (K2, के-टू) विश्व का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत है। यह पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिनजिआंग प्रदेश की सीमा पर काराकोरम पर्वतमाला की बाल्तोरो मुज़ताग़ उपश्रृंखला में स्थित है। 8,611 मीटर (28,251 फ़ुट) की ऊँचाई वाली यह चोटी माउंट एवरेस्ट के बाद पृथ्वी की दूसरी उच्चतम पर्वत चोटी है। 1856 में पहाड़ का पहली बार लडोन धवटिं ने सर्वेक्षण किया। थॉमस माउंट लमरी भी उसके साथ था उसने उसका नाम 'टू' (अंग्रेज़ी में 'दो' की संख्या) रखा क्योंकि काराकोरम पर्वतमाला में शीर्ष दूसरे नंबर पर थी।

व्याख्या: हिमालय हिमाचल प्रदेश में 45000 वर्ग किमी, में फैला है। यहाँ हिमालय की तीन श्रेणियाँ-महान हिमालय के रूप में जास्कर श्रेणी, लघु हिमालय के रूप में पीर पंजाल एवं धौलाधार एवं वास्य हिमालय के रूप में शिवालिक पायी जाती है। ज्ञातव्य है कि हिमाचल हिमालय में कुल्लू, कांगड़ा एवं लहुल स्फीति की घाटियाँ स्थिति हैं, जो कि धौलाधार तथा पीर पंजाल का उपभाग है। अतः उत्तर (a) होगा।

व्याख्या: नंदा देवी पर्वत भारत के उत्तराखंड राज्य के अंतर्गत गढ़वाल ज़िले में स्थित है। यह पर्वत हिमालय के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र का प्रसिद्ध पर्वतशिखर है। जिसकी चमोली से दूरी 32 मील पूर्व है।

व्याख्या: सीनोजोइक के अन्तर्गत (ऐनोजोइक) चतुर्थक या क्वार्टरनरी व टर्शियरी काल को सम्मिलित किया जाता है। शिवालिक का निर्माण प्लायोसीन युग में हुआ था जो टर्शियरी काल से संबद्ध है। यह हिमालय की नवीनतम श्रेणी है।

व्याख्या: कंचनजंघा (नेपाली:कंचनजंघा Kanchanjaŋghā), (लिम्बू: सेवालुंगमा) विश्व की तीसरी सबसे ऊँची पर्वत चोटी है, यह सिक्किम के उत्तर पश्चिम भाग में नेपाल की सीमा पर है।

व्याख्या: अरावली भारत के पश्चिमी भाग राजस्थान में स्थित एक पर्वतमाला है। भारत की भौगोलिक संरचना में अरावली प्राचीनतम पर्वत है। यह संसार की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला है जो राजस्थान को उत्तर से दक्षिण दो भागों में बांटती है।

व्याख्या: अजंता पर्वत श्रृंखला भारत में केवल एक राज्य (महाराष्ट्र) में फैली हुई है जबकि अरावली पर्वत श्रृंखला राजस्थान, हरियाणा और गुजरात में, सतपुड़ा मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में और सहयाद्रि गुजरात, महाराष्ट्र गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडू, और केरल राज्यों में विस्तृत है।

व्याख्या: भारत की भौगोलिक संरचना में अरावली प्राचीनतम पर्वत है। पर्वतीकरण की विभिन्न अवस्थाओं में कैलिडोनियन युग जो आज से 40 करोड़ वर्ष पूर्व रहा में अरावली पर्वत का निर्माण एक वलित पर्वत के रूप में हुआ। किन्तु अधिक समय बीत जाने के कारण अत्यधिक अपरदन होने से वर्तमान में यह केवल अवशिष्ट पर्वत के रूप में बचा है। हिमालय पर्वतमाला जिसका निर्माण टर्शियरी युग में हुआ। यह नवीन वास्तविक वलित पर्वत है।

व्याख्या: गुरुशिखर (माउंट आबू, 1722 मी.) अरावली पर्वत श्रेणी का सर्वोच्च शिखर है। अरावली श्रेणी प्री-कैम्ब्रियन काल की चट्टानों से निर्मित अत्यधिक प्राचीन व अवशिष्ट पर्वतमाला है। यह विच्छिन्न पहाड़ियों की श्रृंखला के रूप में गुजरात से दिल्ली तक विस्तृत है। इसकी चौड़ाई दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर क्रमश: घटती चली जाती है।

व्याख्या: भारत के पश्चिमी तट पर स्थित पर्वत श्रृंखला को पश्चिमी घाट या सह्याद्रि कहते हैं। दक्‍कनी पठार के पश्चिमी किनारे के साथ-साथ यह पर्वतीय श्रृंखला उत्‍तर से दक्षिण की तरफ 1600 किलोमीटर लम्‍बी है।पश्चिम घाट एक भ्रंश कगार (भ्रंश के एक तरफ हलचल होने से निर्मित खड़ी चट्टानें।) या फाल्ट स्क्रैप है।

व्याख्या: भारत के पश्चिमी तट पर स्थित पर्वत श्रृंखला को पश्चिमी घाट या सह्याद्रि कहते हैं। दक्‍कनी पठार के पश्चिमी किनारे के साथ-साथ यह पर्वतीय श्रृंखला उत्‍तर से दक्षिण की तरफ 1600 किलोमीटर लम्‍बी है

व्याख्या: प्रायद्वीपीय भारत में उच्चतम पर्वत चोटी अनाइमुडी है जो अन्नाइमलाई पर स्थित है और जिसकी ऊंचाई 2695 मीटर है। दूसरी सर्वोच्च चोटी दोदाबेट्टा है, जो तमिलनाडु में नीलगिरि पर स्थित है और इसकी ऊँचाई 2636 मीटर है।

व्याख्या: नीलगिरि पहाड़ियाँ तमिलनाडु राज्य का पर्वतीय क्षेत्र है। यह सुदूर दक्षिण की पर्वत श्रेणी है। इन पहाड़ियों पर पश्चिमी एवं पूर्वी घाटों का संगम होता है। प्राचीन काल में यह श्रेणी मलय पर्वत में सम्मिलित थी। कुछ विद्वानों का अनुमान है कि महाभारत, वनपर्व में कर्ण की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में केरल तथा तत्पश्चात् नील नरेश के विजित होने का जो उल्लेख है, उससे इस राजा का नील पर्वत के प्रदेश में होना सूचित होता है।

व्याख्या: कार्डेमम पहाड़ियां​ जिन राज्यों की सीमाओं पर स्थित हैं वे केरल एवं तमिलनाडु हैं। दक्षिण भारत की सबसे ऊंची चोटी अनाइमुड़ी है, जिसकी ऊंचाई 2696 मी है। यह अन्नामलाई की पहाड़ी पर स्थित है। अनाइमुड़ी तीन पहाड़ियों का केन्द्र बिन्दु है, यहां से तीन पहाड़ी श्रृंखलाएं तीन दिशाओं में जाती हैं। दक्षिण की ओर इलायची (कार्डेमम) की पहाड़ियां, उत्तर की ओर अन्नामलाई की पहाड़ियां तथा उत्तर-पूर्व की ओर पालनी की पहाड़ियां हैं। 

व्याख्या: पूर्वी घाट पर्वत श्रेणी प्राय:द्वीप पठार की पूर्वी सीमा पर 1300 मीटर की लंबाई में फैली हुई है। इसके उत्तरी भाग में चानोकाइट एवं स्लेट जैसी चट्टानें पाई जाती हैं। 'विशाखापत्तनम चोटी' एवं 'महेंद्रगिरि' पूर्वी घाट पर्वत की प्रमुख चोटियाँ हैं।
अनेक नदियों ने पूर्वी घाट पर्वत को कई स्थानों पर काट दिया है। अत: यहाँ कई अलग-अलग पहाड़ियाँ देखने को मिलती हैं। यहाँ की पहाड़ियों में बिलगिरि पहाड़ी, मालगिरि पहाड़ी, जावदी पहाड़ी, जिंग्जी पहाड़ी आदि प्रमुख हैं।
बिलगिरि एवं मालगिरि की पहाड़ी चंदन तथा सागवान के लिए शेवराय की पहाड़ी विभिन्न प्रकार के धात्विक खनिजों के लिए प्रसिद्ध है।


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