मेघ एवं वर्षण से सम्बंधित ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर - Clouds GK Quiz (Set-2)

मेघ एवं वर्षण (Clouds and Precipitation) से सम्बंधित ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे एसएससी, बैंकिंग, रेलवे इत्यादि लिए महत्वपूर्ण है।

मेघ एवं वर्षण

व्याख्या: पर्वतीय वर्षा आर्द्र हवाओं के मार्ग में किसी पर्वत की स्थिति के कारण हवाओं के ऊपर उठने तथा संघनन होने के परिणामस्वरूप होने वाली वर्षा को कहा जाता है। आर्द्र पवनों के मार्ग में अवरोधक रूप में पर्वत की स्थिति, सागर से पर्वत श्रेणी की निकटता, पर्वत का अधिक ऊँचा होना तथा प्रचलित पवन में पर्याप्त आर्द्रता की उपस्थिति पर्वतीय वर्षा के लिए आदर्श दशाएँ होती हैं।

व्याख्या: भूमध्य जलवायु (mediterranean climate) वह जलवायु है जो भूमध्य द्रोणी क्षेत्र में व्यापक है। भूमध्य सागर के अलावा कैलिफ़ोर्निया के तटवर्ती क्षेत्र, पश्चिमी और दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया के कुछ क्षेत्र, दक्षिणपश्चिमी दक्षिण अफ़्रीका और मध्य चिली में भी इस प्रकार की मौसमी परिस्थितियाँ मिलती हैं। इन इलाक़ों में हलकी ठंड व वर्षा वाली शीतऋतु और मध्यम गरमी वाली व शुष्क ग्रीष्मऋतु होती है।

व्याख्या: भूमध्य सागरीय या रूम सागरीय जलवायु 30° से 45° अक्षांशो के मध्य भूमध्य सागरीय प्रदेश एवं महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर पायी जाती है। यहाँ गर्मी एवं जाड़े की दो स्पष्ट ऋतुएँ मिलती है। यहाँ न तो गर्मियों में अधिक गर्मी पड़ती है और न ही जाड़े में अधिक जाड़ा। भूमध्य सागरीय क्षेत्रों में वर्षा मुख्यत: शीत ऋतू (जाड़े) में होती है, वर्षा मुख्यत: चक्रवातीय प्रकार की होती है, वार्षिक वर्षा 40 सेमी. से 80 सेमी. होती है।

व्याख्या: वृष्टि छाया प्रदेश (Rain shadow area) किसी पर्वत श्रेणी के पवन विमुखी ढाल (lee ward slope) पर स्थित क्षेत्र जहाँ औसत वर्षा अपेक्षाकृत् अत्यल्प होती है। पर्वतश्रेणी के पवनाभिमुख ढाल पर आर्द्र हवाएं ऊपर उठती हैं और इनके संघनन से इस भाग पर भारी वर्षा होती है।

व्याख्या: समान वर्षा वाले स्थानों को जोड़ने वाली रेखा को आइसोहाइट कहा जाता है, आइसोहाइट युक्त मानचित्र को आइसोहाइटल मैप कहा जाता है।

व्याख्या: प्रकार की वर्षा अधिकतर भूमध्यरेखीय प्रदेशों में प्राय: प्रति दिन होती है। भूमध्यरेखा पर अधिक गरमी पड़ने से समुद्रों से प्रचुर मात्रा में जलवाष्प बनकर वायु में मिला करता है; गरमी और वाष्प के कारण आर्द्र वायु हल्की होकर ऊपर उठती है और इसका स्थान ग्रहण करने के लिए अन्य हवाएँ आती रहती हैं। वायु ऊपर जाकर ठंडी होती है तथा फैलती है। वाष्प की मात्रा अधिक होने से ओसांक तक पहुंचने के लिए ताप को कम गिरना पड़ता है। अत: वाष्प शीघ्र जल का रूप ले लेता है और प्रति दिन प्राय: दो बजे के बाद घनघोर वर्षा होती है। इस वर्षा को संवहनीय वर्षा कहते हैं।

व्याख्या: मावसिनराम या मॉसिनराम, भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय के पूर्वी खासी पर्वतीय जिले में बसा एक गाँव है। शिलांग से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गाँव अपनी 11,872 मिलीमीटर (467.4 इंच) वार्षिक वर्षा के साथ पृथ्वी पर स्थित सबसे नम स्थान है, लेकिन इस दावे को कोलम्बिया स्थित दो स्थान लॉरो जिसका औसत वार्षिक वर्षण 1952 और 1989 के बीच 12,717 मिलीमीटर (500.7 इंच) और लोपेज़ डेल मिकाए जिसका औसत वार्षिक वर्षण 1960 और 2012 के बीच 12,717 मिलीमीटर (500.7 इंच) था, विवादित बनाते हैं।.[बेहतर स्रोत वांछित] विश्व कीर्तिमानों की गिनीज पुस्तक ('गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स') के अनुसार 1985 में मौसिनराम में 26,000 मिलीमीटर (1,000 इंच) वर्षा हुई थी।

व्याख्या: आताकामा मरुस्थल, दक्षिण अमेरिका में स्थित एक लगभग शुष्क पठार है और इसका विस्तार एण्डीज़ पर्वतमाला के पश्चिम में महाद्वीप के प्रशांत तट पर लगभग 1000 किमी (600 मील) की दूरी तक है। नासा, नेशनल ज्योग्राफिक तथा अन्य कई प्रकाशनों के अनुसार यह दुनिया का सबसे शुष्क मरुस्थल है।चिली की तट शृंखला और एण्डीज़, के अनुवात पक्ष का वृष्टिछाया प्रदेश और शीतल अपतटीय हम्बोल्ट धारा द्वारा निर्मित तटीय प्रतिलोम परत, इस 20 करोड़ साल से ज्यादा पुराने मरुस्थल को कैलिफोर्निया स्थित मौत की घाटी से 50 गुणा अधिक शुष्क बनाते हैं। उत्तरी चिली में स्थित अटाकामा मरुस्थल का कुल क्षेत्रफल 40,600 वर्ग मील (105,000 कि॰मी2) है और इसका अधिकांश नमक बेसिनों (सलारेस), रेत, और बहते लावा से बना है।

व्याख्या: बादल फटना, (अन्य नामः मेघस्फोट, मूसलाधार वृष्टि) बारिश का एक चरम रूप है। इस घटना में बारिश के साथ कभी कभी गरज के साथ ओले भी पड़ते हैं। सामान्यत: बादल फटने के कारण सिर्फ कुछ मिनट तक मूसलाधार बारिश होती है लेकिन इस दौरान इतना पानी बरसता है कि क्षेत्र में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। बादल फटने की घटना अमूमन पृथ्वी से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर घटती है। इसके कारण होने वाली वर्षा लगभग 100 मिलीमीटर प्रति घंटा की दर से होती है। कुछ ही मिनट में 2 सेंटी मीटर से अधिक वर्षा हो जाती है, जिस कारण भारी तबाही होती है।

व्याख्या: रेगिस्तानी क्षेत्र कम वर्षा वाले क्षेत्रों में विकसित होते हैं। इन क्षेत्रों में प्रायः आर्द्रता की कमी पायी जाती है। आर्द्रता की कमी ही रेगिस्तानी भागों में वर्षा न होने या कम होने का प्रमुख कारण बनती है।

व्याख्या: विश्व में वार्षिक वर्षा का औसत 100 सेमी. है।

व्याख्या: गहरे भूरे रंग का एक निम्न स्थूल मेघ, जो गठन में समरूप होता है और जिससे निरंतर वर्षा होती है। कभी-कभी इससे होने वाली वर्षा स्थल तक नहीं पहुँच पाती। ऐसी दशा में यह मेघ एक लीक के समान प्रतीत होता है। घने वर्षास्तरी मेघ का संबंध किसी अवदाब के कोष्ण वाताग्र (warmfront) से होता है।

व्याख्या: तुंगता संचयी या कपार्सी मध्य मेघ (Altocumulus Clouds) श्वेत और भूरे रंग के होते हैं। ये पंक्तिबद्ध या लहरों के रूप में पाए जाते है। ये छायादार मेघ होते हैं। कभी-कभी संवहन तंरगों अथवा किसी पर्वत पर आरोहण करने वाली वायु धाराओं की लहरों में यत्र-तत्र एकाकी रुपासी मध्य मेघ उत्पन हो जाते हैं। पर्वत शिखरों पर उत्पन्न ऐसे मेघ 'पताका मेघ' कहे जाते हैं। ये 2000 से 6000 मीटर की औसत उंचाई पर वायुमंडल में बनते हैं।

व्याख्या: कपासी वर्षी बादल लम्बवत रचना वाले बादल होते हैं अर्थात इनका विस्तार ऊंचाई में अधिक होता है। इस वज़ह से ये पर्वत सदृश या लम्ब्वत स्तम्भ के रूप में द्रष्टिगत होते हैं। इसके साथ वर्षा ओला तथा तड़ित झंझा की अधिक सम्भावना रहती है। यह मुसलाधार वर्षा कराते है।

व्याख्या: कपासी बादलों का ही एक प्रकार कपासी वर्षी बादल हैं जो बारिश भी करते हैं, वैसे सामान्य कपासी बादल साफ़ मौसम की सूचना देते हैं। साफ़ मौसम के बाद इनका दिखाना शीत वाताग्र के आने की सूचना होता है और थोड़ी देर बाद बारिश की भी। बारिश के बाद इनका दिखाना मौसम के साफ़ हो जाने की सूचना देता है। भारत में कपासी बादल सामान्य रूप से बारिश के गुजर जाने के बाद नीले आकाश में सफ़ेद रुई के गोलों जैसे दीखते हैं।


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