भूगोल के अर्थ एवं विषय क्षेत्र ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर - GK Quiz

भूगोल के अर्थ एवं इसके विषय क्षेत्र से सम्बंधित ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ।

भूगोल के अर्थ एवं विषय क्षेत्र

समान्य ज्ञान क्विज

व्याख्या: एच॰ एफ॰ टॉजर ने हिकैटियस (500 ईसा पूर्व) को भूगोल का पिता माना था जिसने स्थल भाग को सागरों से घिरा हुआ माना तथा दो महादेशों का ज्ञान दिया। अरस्तु (Aristotle) (384-322 ईसा पूर्व) वैज्ञानिक भूगोल के जन्मदाता माना जाते हैं।

  1. भूगोल का जनक - 'हिकेटियस'
  2. वर्तमान भूगोल का जनक - 'अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट'
  3. व्यवस्थित भूगोल का जनक - 'इरैटॉस्थनीज'
  4. ज्योग्रैफिका शब्द का प्रथम प्रस्तावक - 'इरैटॉस्थनीज'
  5. भौतिक भूगोल का जनक - 'पोलीडोनियम'
  6. सांस्कृतिक भूगोल का जनक - 'कार्ल - ओ - सावर'
  7. गणितीय भूगोल के संस्थापक - 'थेल्स व एनेक्सीमींडर'
  8. विश्व ग्लोब का निर्माता - 'मार्टिन वैहम'
  9. विश्व मानचित्र के निर्माणकर्ता - 'अनेग्जी मेंडर'
  10. भौगोलिक विश्वकोश का रचनाकार - 'स्ट्राबो'

व्याख्या: इरैटोस्थनिज़ (Eratosthenes ; 276 इसापूर्व – 195/194 इसापूर्व) यूनान का गणितज्ञ, भूगोलविद, कवि, खगोलविद एवं संगीत सिद्धानतकार था।

भूगोल को एक अलग अध्ययन शास्त्र के रूप में स्थापित किया और भूगोल के लिए Geographica शब्द का प्रयोग किया। इसलिए इनको व्यवस्थित भूगोल का जनक भी कहते है। इन्होंने ही भू-भौतिकी (geodesy) को जन्म दिया।

व्याख्या: इरैटोस्थनिज़ (Eratosthenes ; 276 इसापूर्व – 195/194 इसापूर्व) यूनान का गणितज्ञ, भूगोलविद, कवि, खगोलविद एवं संगीत सिद्धानतकार था।

भूगोल को एक अलग अध्ययन शास्त्र के रूप में स्थापित किया और भूगोल के लिए Geographica शब्द का प्रयोग किया। इसलिए इनको व्यवस्थित भूगोल का जनक भी कहते है। इन्होंने ही भू-भौतिकी (geodesy) को जन्म दिया।

व्याख्या: भूगोल (Geography) वह शास्त्र है जिसके द्वारा पृथ्वी के ऊपरी स्वरुप और उसके प्राकृतिक विभागों (जैसे पहाड़, महादेश, देश, नगर, नदी, समुद्र, झील, डमरुमध्य, उपत्यका, अधित्यका, वन आदि) का ज्ञान होता है।

व्याख्या: वारेनियस के अनुसार भूगोल पृथ्वी को केन्द्र मानकर अध्ययन करने वाला विज्ञान है। बर्नहार्डस वेरेनियस (बर्नहार्ड वारेन) एक जर्मन भूगोलवेत्ता था।।

व्याख्या: इमानुएल कांट (1724-1804) जर्मन वैज्ञानिक, नीतिशास्त्री एवं दार्शनिक थे। उसका वैज्ञानिक मत 'कांट-लाप्लास परिकल्पना' (हाइपॉथेसिस) के नाम से विख्यात है।

व्याख्या: ग्रिफिथ टेलर ऑस्ट्रेलिया के विख्यात भूगोलवेत्ता थे।टेलर ने जलवायु की दशाओं का मानवीय बसाव पर प्रभाव का भी अध्ययन किया। अपने शोध (अनुसन्धान) के आधार पर टेलर ने वातावरण, मानव प्रजाति और प्रवास की रचना, जिसमें टेलर ने ‘प्रवास कटिबन्ध सिद्धांत’ का प्रतिपादन किया। टेलर ने अनेक ग्रंथों और महत्वपूर्ण शोध पत्रों का प्रकाशन किया। ‘हमारी विकासशील सभ्यता’, ‘भूशांति का आरम्भ विश्व शांति के मार्ग का भौगोलिक पक्ष’, ‘20 वीं शताब्दी में भूगोल’ आदि उनके प्रमुख ग्रन्थ हैं।

व्याख्या: स्कॉटलैण्ड के भूविज्ञानी जेम्स हट्टन (James Hutton) का दृढ मत था कि जिन प्रक्रमों ने पृथ्वी को अब तक बदला है वे ही अब भी इसे बदल रहे हैं इसी सन्दर्भ में उन्होंने कहा था वर्तमान भूत की कुंजी है।

व्याख्या: भूदृश्य के विकास और रूपांतरण से संबंधित ‘अपरदन का भौगोलिक चक्र’ विलियम मोरिस डेविस की एक संकल्पना है जिसमें उसने किसी स्थान की भू-आकृतियों के विकास में तीन कारकों को महत्त्वपूर्ण माना है। ये कारक हैं : (i) संरचना (ii) प्रक्रम (iii) समय या अवस्था। इन कारकों को डेविस का त्रिकूट कहा जाता है और एक वाक्य में व्यक्त किया गया है कि “स्थलरूप संरचना,प्रक्रम और अवस्था का प्रतिफल होता है।

व्याख्या: कार्ल ऑरटविन सावर प्रसिद्ध अमेरिकन सांस्कृतिक भूगोलवेत्ता थे। यह मिसौरी राज्य (USA) के रहने वाले थे। 1915 में शिकागो विवि में शोध उपाधि ली। मिशिगन विवि में प्रथम नियुक्ति प्रोफेसर के पद पर हुई।

1923 में केलिफोर्निया विवि में प्रोफेसर बने। 1923-1970 तक बर्क़ेले सम्प्रदाय से जुड़े रहे। 1925 में क्षेत्रीय विभिन्नता शब्द का प्रयोग किया जिसकी विस्तृत विवेचना आगे चलकर हार्टशोर्न ने की। मुख्य योगदान - सांस्कृतिक भूगोल में। इन्हें सांस्कृतिक भूगोल का पिता कहा जाता है।

व्याख्या: भू आकृति विज्ञान (Geomorphology) भू-आकृतियों और उनको आकार देने वाली प्रक्रियाओं का वैज्ञानिक अध्ययन है; तथा अधिक व्यापक रूप में, उन प्रक्रियाओं का अध्ययन है जो किसी भी ग्रह के उच्चावच और स्थलरूपों को नियंत्रित करती हैं। भू-आकृति विज्ञान का जन्मदाता पेशल को माना जाता है।

व्याख्या: जहाँ नियतिवादी विद्वान् प्रकृति को समस्त मानवीय क्रियाओं का नियंत्रक (Determinant) मानते हैं, वहीं सम्भववादी विद्वान् प्रकृति के इस नियंत्रण में कुछ संभावनाओं को तलाशते हैं इन दोनों विचारधाराओं के समन्यव के रूप में एक तीसरी विचारधारा आस्ट्रेलियाई भूगोलवेत्ता ग्रिफिथ टेलर ने प्रस्तुत की, जो पर्यावरण निश्चयवाद तथा सम्भववाद की चरम सीमाओं के बीच का दर्शन या विचारधारा हैI

ग्रिफिथ टेलर ने इस विचारधारा को नवनिश्चयवाद या आधुनिक निश्चयवाद अथवा रुको और जाओ निश्चयवाद (STOP and GO DETERMINISM) अथवा वैज्ञानिक निश्चयवाद या नव नियतिवाद (Neo Environmental Determinism) कहा है I

व्याख्या: मानव पारिस्थितिकी एक अंतर्विषयक विज्ञान है जो मनुष्य, मानव समाज और मानव निर्मित पर्यावरण के प्राकृतिक पर्यावरण के साथ अन्योन्याश्रय संबंधों का अध्ययन करता है।

विज्ञान की इस शाखा का विकास बीसवीं सदी के आरम्भ में एक साथ कई शास्त्रों के चिंतनफ़लक में हुए परिवर्तन का परिणाम है। यह विज्ञान अपनी अध्ययन सामग्री और विधियों तथा सिद्धांतों के लिये जीव विज्ञान, पारिस्थितिकी, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र और भूगोल आदि पर आश्रित है।

प्रसिद्द भूगोलवेत्ता हार्लेन एच॰ बैरोज ने एसोशियेशन ऑफ अमेरिकन ज्याग्रफर्स के 1922 ई॰ के वार्षिक अधिवेशन में मानव भूगोल को मानव पारिस्थितिकी के रूप में विकसित करने का पुरजोर समर्थन किया।

व्याख्या: थेल्स यूनान का महान दार्शनिक थे। इनको ज्यामिति का जनक कहा जाता है। इन्होंने गणितीय भूगोल में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उस समय के सात यूनानी भौतिक विज्ञानिको में थेल्स का प्रथम स्थान था और 'आयोनिक स्कुल ऑफ फिलासफी ' से सम्बंधित था. इन्होने मिस्र और सहलग्न देशो की यात्रा की।.मिस्र के ज्यामिति से परिचित थे और इसी के आधार पर उसने दो स्थान के बिच दूरी को नापे थे। इन्होने नील नदी की उत्पति,कटाव और डेल्टा प्रदेश का भी विवरण दिया है।इन्होने पृथ्वी के आकृति को गुम्बदकार बताया और उसकी स्थिति ब्रह्माण्ड के बीच में बताई थी।

व्याख्या: जीन ब्रून्स फ्रांस के प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता थे। इन्होंने मानव भूगोल से संबंधित ला जियोग्राफी ह्यूमेन (La Géographie humaine) नामक किताब लिखी।

व्याख्या: “भूगोल वह विज्ञान है, जिसमे पृथ्वी को स्वतंत्र ग्रह के रूप में मान्यता देते हुए, उसके समस्त लक्षणों, घटनाओं एवं उसके अन्त:सम्बन्ध का अध्ययन किया जाता है।” — ''कार्ल रिटर'

व्याख्या: मानव भूगोल पृथ्वी की सतहों और मानव समुदायों के बीच सम्बंधों का संश्लेषित अध्ययन है। कार्ल रिटर विश्वविख्यात जर्मन भूगोलवेत्ता थे। ये आधुनिक भूगोल के संस्थापक तथा भूगोल के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र तुलनात्मक भूगोल के जनक माने जाते हैं।

व्याख्या: कु. सेम्पुल के अनुसार - मानव भूगोल अस्थायी पृथ्वी एवं चंचल मानव के पारस्परिक परिवर्तनशील संबंधों का अध्ययन है।


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