भौगोलिक स्थलाकृति से जुड़े ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं व्याख्या - GK Quiz (Set-1)

भौगोलिक स्थलाकृति (Topography) से सम्बंधित ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे एसएससी, बैंकिंग, रेलवे इत्यादि लिए महत्वपूर्ण है।

भौगोलिक स्थलाकृति

स्थलाकृति (अंग्रेज़ी: Topography, टोपॉग्रफ़ी) ग्रहविज्ञान की एक शाखा है जिसमें पृथ्वी या किसी अन्य ग्रह, उपग्रह या क्षुद्रग्रह की सतह के आकार व आकृतियों का अध्ययन किया जाता है। नक़्शों के निर्माण में स्थलाकृति का विशेष महत्व है।

व्याख्या: जलोढ़ पंख एक प्रमुख प्रवाही जल (नदी) कृत निक्षेपात्मक स्थलरुप हैं। अर्थात् जलोढ शंकु का विस्तृत रूप जलोढ पंख कहलाता है।अनेक जलोढ़ पंख मिलकर गिरिपद मैदान या तराई प्रदेश का निर्माण करते है।

व्याख्या: कैनियन भा गॉर्ज एक किसिम के घाटी होला जेकर दुन्नो ओर के ढाल लगभग खड़ा ढाल होलें आ चौड़ाई के अनुपात में गहिराई बहुत ढेर होला। इनहन के गहिरी घाटी, तंग घाटी भा सँकरी घाटी कहल जा सके ला। प्रमुख रूप से अइसन घाटी सभ के निर्माण अपरदन (जमीन कटाव) द्वारा होला जब नदी भा जलधारा घाटी के गहिरा तेजी से करे आ साइड के ढाल के कटाव ओतना तेजी से न होखे।

व्याख्या: अपरदन के सामान्य चक्र में पुनर्योवन को दर्शाने वाली स्थलाकृति अध: कर्तित विसर्प है।
नदी विसर्पों का बाढ़ मैदानों और डेल्टा मैदानों पर पाया जाना एक सामान्य बात है क्योंकि यहाँ नदी का ढाल बहुत मंद होता है। कठोर चट्टानों में भी गहरे कटे हुए और विस्तृत विसर्प मिलते हैं। इन विसर्पों को अध: कर्तित विसर्प या गभीरभूत विसर्प कहा जाता है।

व्याख्या: समप्राय मैदान एक प्रमुख प्रवाही जल (नदी) कृत अपरदनात्मक स्थलरुप हैं। यह मैदान नदियों के द्वारा किये गये अपरदनात्मक कार्यो से निर्मित होते है तथा इनकी संरचना समतल क्षेत्रो में टीले के रूप में होती है। उदा. छोटा नागपुर यह मैदान नदियों के द्वारा किये गये अपरदनात्मक कार्यो से निर्मित होते है तथा इनकी संरचना समतल क्षेत्रो में टीले के रूप में होती है। उदा. छोटा नागपुर जब नदियां अपरदन प्रक्रिया द्वारा अपने आधार तल को प्राप्त कर लेती है तो सम्पूर्ण भूभाग एक समप्राय मैदान में बदल जाता है।

व्याख्या: नदी विसर्प एक प्रमुख प्रवाही जल (नदी) कृत अपरदनात्मक स्थलरुप हैं। मैदानी क्षेत्रों में नदी की धारा दाएं-बाएं, होते हुए प्रवाहित होती है और विसर्प बनाती है। ये विसर्प अंग्रेजी के 'एस' आकार की होते हैं। नदियों का ऐसा घूमना अधिक अवसादी बोझ के कारण होता है।

व्याख्या: चापाकार झील (अंग्रेजी: Oxbow lake) एक प्रमुख प्रवाही जल (नदी) अप्रदनात्मक कृत हैं जो नदी की प्रौढावस्था के बाद उसके विसर्पों के अर्धचंद्राकार हिस्सों के मूल धारा से कट जाने और उनमें जल इकठ्ठा हो जाने से होता है।
नदी विसर्प एक प्रमुख प्रवाही जल (नदी) कृत अपरदनात्मक स्थलरुप हैं। मैदानी क्षेत्रों में नदी की धारा दाएं-बाएं, होते हुए प्रवाहित होती है और विसर्प बनाती है। ये विसर्प अंग्रेजी के 's' आकार की होते हैं। नदियों का ऐसा घूमना अधिक अवसादी बोझ के कारण होता है।

व्याख्या: नदियों द्वारा अपने किनारों पर प्राकृतिक रूप से बनाये गये बांधो को Levis या तटबंध नाम से जाना जाता है।

व्याख्या: नदीमुख-भूमि या डेल्टा नदी के मुहाने पर उसके द्वारा बहाकर लाय गए अवसादों के निक्षेपण से बनी त्रिभुजाकार आक्रति होती हैं। डेल्टा का नामकरणकर्ता हेरोटोडस को माना जाता हैं।

व्याख्या: वी आकार की घाटी का नामकरण अंग्रेजी वर्णमाला के “V” अक्षर के आधार पर किया गया हैं। सर्वप्रथम नदी निम्नवर्ती कटाव द्वारा अपनी तली को गहरा करती हैं। इससे तंग व संकरी “V” आकृति की घाटी विकसित होती हैं किसके पार्श्व तीव्र ढालवाले या उत्तल होते हैं। इस प्रकार के क्षेत्रों में नदी के तीव्र ढाल पर प्रवाहित होने के कारण उसकी धारा पतली और अत्यधिक तेज होती है और अवसाद-भार वहन करने की शक्ति भी अधिक होती हैं।

व्याख्या: छाड़न झील (अंग्रेज़ी: Cut-off lake) अथवा 'गोखुर झील' (अंग्रेज़ी: Ox-bow lake) किसी नदी से परित्यक्त जलीय भाग के रूप में निर्मित होने वाली झील को कहा जाता है।

परिपक्व बाढ़ के मैदान में नदियाँ प्रायः विसर्पी (मोड़दार या घुमावदार) मार्ग से प्रवाहित होती हैं, किन्तु जब बाढ़ के समय नदी में जल की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाती है, वह सीधे मार्ग से बहने लगती है और विसर्प वाले पुराने मार्ग को छोड़ देती है।

विसर्प (मोड़) के प्रवेश-स्थल पर मलवे का निक्षेप होते रहने से विसर्प के रूप में स्थित जलीय भाग मुख्य नदी से पृथक् हो जाता है और झील का रूप धारण कर लेता है। इन झीलों को आकृति के अनुसार 'गोखुर झील' कहते हैं। नदी से परित्यक्त जलीय भाग के रूप में निर्मित होने के कारण उसे 'छाड़न झील' कहा जाता है।

व्याख्या: महाखड्ड' या गार्ज 'वी” आकार की घाटी का ही विशिष्ट रूप हैं। इसके पार्श्व तीव्र तथा खडी दीवार के समान होते हैं। इनकि रचना प्रायः कठोर शैलों युक्त क्षेत्र में होती हैं। हिमालय में सिन्धु, सतलुज व ब्रह्म्पुत्र नदियो के महाखड्ड (गार्ज) प्रमुख हैं।

व्याख्या: प्राकृतिक तटबन्ध एक प्रमुख प्रवाही जल (नदी) कृत निक्षेपात्मक स्थलरुप हैं।

व्याख्या: महाखड्ड' या गार्ज 'वी” आकार की घाटी का ही विशिष्ट रूप हैं। इसके पार्श्व तीव्र तथा खडी दीवार के समान होते हैं। इनकि रचना प्रायः कठोर शैलों युक्त क्षेत्र में होती हैं। हिमालय में सिन्धु, सतलुज व ब्रह्म्पुत्र नदियो के महाखड्ड (गार्ज) प्रमुख हैं।

व्याख्या: बरखान (Barchan) अथवा बरखान स्तूप एक प्रकार के बालुका स्तूप हैं जिनकी आकृति अर्द्ध-चन्द्राकार होती है और अक्सर समूहों में पाए जाते हैं। ये ऐसे रेगिस्तानों में बनते हैं जहाँ पवन वर्ष भर एक ही दिशा से बहती है, इनका पवनानुवर्ती ढाल मंद और उत्तल होता है जबकि दूसरी तरफ़ का ढाल तेज होता है और अर्द्ध-चन्द्र के दोनों नुकीले हिस्से, जिन्हें स्तूप शृंग कहा जाता, पवन के बहाव की दिशा में आगे निकले हुए होते हैं।

व्याख्या: बहते हुए नदी जल द्वारा निर्मित आकृति विहीन मैदानों को पेनीप्लेन नाम से जाना जाता है।

व्याख्या: भूमि पर बिछे कठोर चट्टानी टुकड़ों पर बालुयुक्त हवा की चोट पड़ने से उनका आकार घिसकर चिकना व तिकोना हो जाता है। ये तिकोने टुकड़े ही ड्राइकांटर कहलाते हैं।


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