वायुमंडल की संरचना से जुड़े ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर - GK Quiz (Set-1)

वायुमंडल की संरचना से सम्बंधित ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे एसएससी, बैंकिंग, रेलवे इत्यादि लिए महत्वपूर्ण है।

वायु मंडल की संरचना समान्य ज्ञान क्विज

व्याख्या: पृथ्वी के चारो ओर हजारो किमी. की उंचाई तक फैले हुए गैसीय आवरण को वायुमंडल कहा जाता है। स्ट्राहलर के अनुसार यद्यपि वायुमंडल का 97% भाग 29 km तक की ऊंचाई तक सिमित है परन्तु इसकी अधिकतम उपरी सीमा 10000 किमी. तक बताई जाती है। वायुमंडल में अनेक गैसों का मिश्रण है।

व्याख्या: वायुमंडल की लगभग मोटाई 1000 km है।
पृथ्वी के चारो ओर हजारो किमी. की उंचाई तक फैले हुए गैसीय आवरण को वायुमंडल कहा जाता है। स्ट्राहलर के अनुसार यद्यपि वायुमंडल का 97% भाग 29 km तक की ऊंचाई तक सिमित है परन्तु इसकी अधिकतम उपरी सीमा 10000 किमी. तक बताई जाती है। वायुमंडल में अनेक गैसों का मिश्रण है।

व्याख्या: वायुमंडल का सर्वाधिक स्थायी तत्व जलवाष्प है।
जलवाष्प अथवा जल वाष्प पानी की गैसीय अवस्था है और अन्य अवस्थाओं के विपरीत अदृश्य होती है। पृथ्वी के वायुमण्डल में इसकी मात्रा लगातार परिवर्तनशील होती है। द्रव अवस्था में स्थित पानी से जलवाष्प का निर्माण क्वथन अथवा वाष्पीकरण के द्वारा होता रहता है और संघनन द्वारा जलवाष्प द्रव अवस्था में भी परिवर्तित होती रहती है। बर्फ़ से इसका निर्माण ऊर्ध्वपातन की प्रक्रिया द्वारा होता है।

व्याख्या: पृथ्वी के चारों ओर घिरे वायु के विस्तृत फैलाव को वायुमंडल कहते हैं। वायुमंडल की उपरी परत के अध्ययन को वायु विज्ञान एवं निचली परत के अध्ययन को ऋतू विज्ञान कहते हैं। आयतन के अनुसार वायुमंडल में विभिन्न गैसों का मिश्रण इस प्रकार है - नाइट्रोजन 78.07%, ऑक्सीजन 20.93%, कार्बन डाईऑक्साइड 0.03% एवं आर्गन 0.93%।

व्याख्या: अक्रिय से तात्पर्य Inert से है तो सर्वाधिक मात्रा आर्गन Ar की है -.934% यानी लगभग 1%। इसके बाद नीऑन और हीलियम।

व्याख्या: वायुमंडल मुख्यत: पृथ्वी से विकिरण द्वारा गर्म होता है। पृथ्वी को सूर्य से प्राप्त होने वाला विकिरण लघु तंरगों के रूप में होता है जिसे वायुमंडल नहीं सोख सकता। परिणामस्वरूप प्रवेशी सौर विकिरण भूतल पर पहुंचकर पृथ्वी को गर्म करता है। गर्म होकर पृथ्वी विकिरण पिंड बन जाती है और वायुमंडल में दीर्घ तरंगो के रूप में उर्जा का विकिरण करने लगती है। यह उर्जा वायुमंडल को निचे से गर्म करती है। इस प्रक्रिया को पृथ्वी का विकिरण कहा जाता है।

व्याख्या: नाइट्रोजन - 78.08%, ऑक्सीजन - 20.99%, आर्गन - 0.93%, कार्बन डाईऑक्साइड - 0.03%, नियान - 0.018%, हीलियम - 0.005%, ओजोन - 0.00006%

व्याख्या: ग्रीन हाउस गैसें ग्रह के वातावरण या जलवायु में परिवर्तन और अंततः भूमंडलीय ऊष्मीकरण के लिए उत्तरदायी होती हैं। इनमें सबसे ज्यादा उत्सर्जन कार्बन डाई आक्साइड, नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, वाष्प, ओजोन आदि करती हैं।

व्याख्या: ओज़ोन परत पृथ्वी के वायुमंडल की एक परत है जिसमें ओजोन गैस की सघनता अपेक्षाकृत अधिक होती है। ओज़ोन परत के कारण ही धरती पर जीवन संभव है। यह परत सूर्य के उच्च आवृत्ति के पराबैंगनी प्रकाश की 93-99 % मात्रा अवशोषित कर लेती है, जो पृथ्वी पर जीवन के लिये हानिकारक है। पृथ्वी के वायुमंडल का 91% से अधिक ओज़ोन यहां मौजूद है।

व्याख्या: नाइट्रोजन - 78.08%, ऑक्सीजन - 20.99%, आर्गन - 0.93%, कार्बन डाईऑक्साइड - 0.03%, नियान - 0.018%, हीलियम - 0.005%, ओजोन - 0.00006%

व्याख्या: ग्रीनहाउस प्रभाव या हरितगृह प्रभाव (greenhouse effect) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी ग्रह या उपग्रह के वातावरण में मौजूद कुछ गैसें वातावरण के तापमान को अपेक्षाकृत अधिक बनाने में मदद करतीं हैं। इन ग्रीनहाउस गैसों में कार्बन डाई आक्साइड, जल-वाष्प, मिथेन आदि शामिल हैं।

व्याख्या: इस वायुमंडल में विभिन्न गैसों का मिश्रण, जल वाष्प और एयरोसोल पाए जाते हैं। इन गैसों में सबसे ज्यादा मात्रा में नाइट्रोजन का अनुपात पाया जाता है जो कि 78.08 प्रतिशत है। उसके बाद ऑक्सीजन पाई जाती है। जिसकी मात्रा 20.95 प्रतिशत है।

व्याख्या: वायुमंडल को क्षोभ मंडल, समताप मंडल आदि परतों में विभाजित करने का मुख्य आधार तापमान है।

व्याख्या: क्षोभमण्डल या ट्रोपोस्फ़ीयर (troposphere) पृथ्वी के वायुमंडल का सबसे निचला हिस्सा है। इसी परत में आर्द्रता, जलकण, धूलकण, वायुधुन्ध तथा सभी मौसमी घटनाएं होती हैं। यह पृथ्वी की वायु का सबसे घना भाग है और पूरे वायुमंडल के द्रव्यमान का 80% हिस्सा इसमें मौजूद है। भूमध्य रेखा (इक्वेटर) पर इसकी ऊंचाई 18 किमी है जो ध्रुवों पर घटकर सिर्फ़ 8 किमी ही रह जाती है। क्षोभमण्डल की औसत ऊँचाई 13 कीमी है।


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