ज्वार-भाटा से सम्बंधित ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर - GK Quiz

ज्वार भाटा (Jwar bhata) से सम्बंधित ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ।

ज्वार भाटा समान्य ज्ञान क्विज

व्याख्या: ये तरंगे जो माध्यम में एक नियत वेग से ही आगे की तरफ़ बढ़ती है अर्थात् इन तरंगो का वेग नियत रहता है। इन तरंगो में सभी कणों का आयाम समान होता है। उदाहरण - जल की सतह पर उत्पन्न तरंग।

व्याख्या: सन 1833 में विलियम वेवेल द्वारा प्रतिपादित 'प्रगामी तरंग सिद्धांत' के अनुसार ज्वार लहर द्वारा प्रतिपादित 'प्रगामी तरंग सिद्धांत' के अनुसार ज्वार लहर के रूप में आते हैं तथा ज्वार लहर चन्द्रमा की गति के अनुरूप पूर्व से पश्चिम को अबाध रूप से गति करती है।

व्याख्या: धरती पर स्थित सागरो/महासागरों के जल-स्तर का सामान्य-स्तर से ऊपर उठना ज्वार तथा नीचे गिरना भाटा कहलाता है। ज्वार-भाटा की घटना केवल सागर पर ही लागू नहीं होती बल्कि उन सभी चीजों पर लागू होतीं हैं जिन पर समय एवं स्थान के साथ परिवर्तनशील गुरुत्व बल लगता है। (जैसे ठोस जमीन पर भी) पृथ्वी, चन्द्रमा और सूर्य की पारस्परिक गुरुत्वाकर्षण शक्ति की क्रियाशीलता ही ज्वार-भाटा की उत्पत्ति का प्रमुख कारण हैं।

व्याख्या: अमावस्या या पूर्णिमा और नए चाँद के समय चन्द्रमा और सूर्य एक रेखा में आ जाते है, उस समय एक बहुत अधिक मान का गुरुत्वाकर्षण पैदा होता है, जो कि स्प्रिंग टाइड कहलाता हैं।

व्याख्या: दैनिक ज्वार (Diurnal Tide) - स्थान पर दिन में केवल एक बार ज्वार-भाटा आता है, तो उसे दैनिक ज्वार-भाटा कहते हैं। दैनिक ज्वार 24 घंटे 52 मिनट के बाद आते हैं। मैक्सिको की खाड़ी और फिलीपाइन द्वीप समूह में दैनिक ज्वार आते हैं।

व्याख्या: अर्द्ध-दैनिक ज्वार (Semi-Diurnal) - जब किसी स्थान पर दिन में दो बार (12 घंटे 26 मिनट में) ज्वार-भाटा आता है, तो इसे अर्द्ध-दैनिक ज्वार कहते हैं। ताहिती द्वीप और ब्रिटिश द्वीप समूह में अर्द्ध-दैनिक ज्वार आते हैं।

व्याख्या: जब सूर्य एवं चन्द्रमा पृथ्वी के निकटतम पहुंचकर सीधी अवस्था (syzgy) प्राप्त कर लेती है तो ऐसी स्थिति में आने वाले ज्वार को वृहत ज्वार कहा जाता है।

व्याख्या: चन्द्रमा एवं सूर्य की आकर्षण शक्तियों के कारण सागरीय जल के ऊपर उठने तथा गिरने को ज्वारभाटा कहते हैं। पृथ्वी, चन्द्रमा और सूर्य की पारस्परिक गुरुत्वाकर्षण शक्ति की क्रियाशीलता ही ज्वार-भाटा की उत्पत्ति का प्रमुख कारण हैं।

व्याख्या: किसी भी स्थान पर प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष की सप्तमी/अष्टमी को लघु ज्वार आता है। इस दिन सूर्य और चन्द्रमा समकोणिक स्थिति में होते हैं।

व्याख्या: वृहत ज्वार प्रत्येक महीने की अमावस्या तथा पूर्णिमा को आता है। इस दिन सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा एक सीध में होते हैं।

व्याख्या:

व्याख्या: संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी तट पर ''फंडी की खाड़ी'' (अटलांटिक महासागर सेंट लॉकेस की खाड़ी के दक्षिण में) में विश्व का सबसे ज्वार आता हैं जिसकी ऊँचाई 18 मीटर तक होती हैं।

व्याख्या: चन्द्रमा एवं सूर्य की आकर्षण शक्तियों के कारण सागरीय जल के ऊपर उठने तथा गिरने को ज्वारभाटा कहते हैं। पृथ्वी, चन्द्रमा और सूर्य की पारस्परिक गुरुत्वाकर्षण शक्ति की क्रियाशीलता ही ज्वार-भाटा की उत्पत्ति का प्रमुख कारण हैं।


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