पर्वत, पठार एवं मैदान से जुड़े ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर - GK Quiz (Set-1)

पर्वत, पठार एवं मैदान से सम्बंधित ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ।

पर्वत, पठार एवं मैदान समान्य ज्ञान क्विज

व्याख्या: स्थलमंडल या स्थलमण्डल (अंग्रेज़ी: lithosphere) भूगोल और भूविज्ञान में किसी पथरीले ग्रह या प्राकृतिक उपग्रह की सबसे ऊपरी पथरीली या चट्टान निर्मित परत को कहते हैं। पृथ्वी पर इसमें भूपटल (क्रस्ट) और भूप्रावार (मैन्टल) की सबसे ऊपर की परत शामिल हैं जो कई टुकड़ों में विभक्त है और इन टुकड़ों को प्लेट कहा जाता है।

व्याख्या: पर्वत की गणना द्वितीय श्रेणी के स्थल रूपों में की जाती है।

  • प्रथम श्रेणी उच्चावच- इसके अन्तर्गत महाद्वीप एवं महासागरीय बेसिन को शामिल किया जाता है।
  • द्वितीय श्रेणी के उच्चावच- पर्वत, पठार, मैदान तथा झील आदि द्वितीय श्रेणी के उच्चावच हैं।
  • तृतीय श्रेणी उच्चावच- सरिता, खाङी, डेल्टा, सागरीय जल, भूमिगत जल, पवन, हिमनद आदि के कारण उत्पन्न स्थलाकृतियों को तृतीय श्रेणी उच्चावच कहते हैं।

व्याख्या: पेटागोनिया का पठार अर्जेन्टाइना में लिमये नदी से दक्षिणी अमेरिका के अन्तिम छोर तक फैला है। 300 से 900 मीटक ऊँचा यह पठार पश्चिम में एण्डीज पर्वतमाला से सीमित होकर पूर्व में वेदिकायुक्त ढालों के रूप में अटलांटिक महासागर तक विस्तृत है।

व्याख्या: जे. जोली ने 1925 में अपनी पुस्तक 'द सरफेस हिस्ट्री ऑफ द अर्थ' में उष्मीय चक्र या रेडियोधर्मिता सिद्धांत के अपने सिद्धांत को रखा।

उनका सिद्धांत सरल था और उस समय उपलब्ध नवीनतम वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित था। सियाल (ग्रेनाइट) से बने महाद्वीप भारी सिमा (बेसाल्ट) पर टिके हुए हैं। इस सिद्धांत का एक महत्वपूर्ण आधार चट्टानों की रेडियोधर्मिता है, सिमा की तुलना में सियाल की चट्टानें रेडियो-सक्रिय खनिजों में अधिक समृद्ध हैं।

व्याख्या: भूसन्नति — भूविज्ञान तथा भूआकृतिविज्ञान की एक अपेक्षाकृत पुरानी संकल्पना और शब्द है जिसका व्यवहार अभी भी कभी-कभी ऐसे छिछले सागरों अथवा सागरीय द्रोणियों के लिए किया जाता है जिनमें अवसाद जमा होने और तली के धँसाव की प्रक्रिया चल रही हो।

सर्वप्रथम इस तरह का विचार अमेरिकी भूवैज्ञानिक जेम्स हाल और जेम्स डी डाना द्वारा प्रस्तुत किया गया था और इसके द्वारा पर्वतों की उत्पत्ति की व्याख्या करने वाले सिद्धांत का प्रतिपादन किया गया था। हालाँकि, प्लेट टेक्टॉनिक्स सिद्धांत के बाद यह परिकल्पना अब पुरानी पड़ चुकी है।हाल और डाना ने भूसन्नतियों की परिकल्पना एप्लेशियन पर्वत की उत्पत्ति की व्याख्या प्रस्तुत करने के लिए की थी और बाद में जर्मन भूवैज्ञानिक कोबर ने अपना पर्वत निर्माण का “भूसन्नति सिद्धांत” भी प्रस्तुत किया और अल्पाइन पर्वतों (ऍटलस, ऐल्प्स और हिमालय इत्यादि) के निर्माण की व्यख्या दी।

व्याख्या: वलित पर्वत (अंग्रेज़ी:Fold mountains)वे पर्वत हैं जिनका निर्माण वलन नामक भूगर्भिक प्रक्रिया के तहत हुआ है। प्लेट विवर्तनिकी के सिद्धांत के बाद इनके निर्माण के बारे में यह माना जाता है कि भूसन्नतियों में जमा अवसादों के दो प्लेटों के आपस में करीब आने के कारण दब कर सिकुड़ने और सिलवटों के रूप में उठने से हुआ है। टर्शियरी युग में बने वलित पर्वत आज सबसे महत्वपूर्ण पर्वत श्रृंखलाओं में से हैं जैसे ऐल्प्स, हिमालय, इत्यादि।

व्याख्या: यूराल, पश्चिमी रूस की एक पर्वत श्रृंखला है जो उत्तर से दक्षिण की ओर तक विस्तृत है। यह भौगोलिक रूप से एशिया और यूरोप को अलग करती है। इससे कई नदियाँ निकलती है। प्रमुख नदी कामा कैस्पियन सागर में अपना जल विसर्जित करती है।यह पर्वत शृंखला उत्तर में आर्कटिक महासागर से दक्षिण में कैस्पियन सागर तक फैली हुई है, और यूरोप को एशिया महाद्वीप से अलग करती है। इस पर्वत शृंखला का उत्थान कई युगों में हुआ है। शृंखलाओं का विस्तार उत्तर से पश्चिम तथा उत्तर से पूर्व की ओर है और सर्वाधिक ऊँचाई दक्षिणी भाग में पाई जाती है। इस पर्वत की संयुक्त बनावट इसकी भौमिकी दशाओं से स्पष्ट परिलक्षित होती है

व्याख्या: हिमालय एक वलित पर्वत का उदाहरण है, जिसके निर्माण का इतिहास करोड़ों वर्ष पुराना है। यह पांच देशों की सीमाओं से लगता है जिनके नाम भारत, पाकिस्तान, चीन, नेपाल और भूटान है।

व्याख्या: ये तब बनते हैं जब पृथ्वी की टेक्टॉनिक चट्टानें एक दूसरे से टकराती या सिकुड़ती हैं, जिससे पृथ्वी की सतह में मोद के कारन् उभार आ जाता है। दुनिया के लगभग सभी बड़े और ऊँचे पर्वत युवा मोड़दार पर्वत हैं। हिमालय, यूरोपीय आल्प्स, उत्तरी अमरीकी रॉकी, दक्षिणी अमरीकी एण्डीज, वगैरह सभी युवा अर्थात नये पर्वत हैं। ये दुनिय के सब्से नये पर्वत तथा सब से ऊँचे पर्वत है

व्याख्या: अवशिष्ट पर्वत का निर्मान वाह्य दुतो के मलवो के जमाव से होता है। जैसे बिहार का पारसनाथ।एक पहाड़ के एक बड़े स्थालाकृति कि एक सीमित क्षेत्र में आसपास के भूमि के ऊपर फैला है, आम तौर पर एक चोटी के रूप में है। एक पर्वत आम तौर पर एक पहाड़ी से steeper है।

पर्वत विवर्तनिक बलों या ज्वालामुखी के माध्यम से बनते हैं। इन बलों को स्थानीय रूप से पृथ्वी की सतह बढ़ा सकते हैं। पर्वत नदियों, मौसम की स्थिति, और ग्लेशियरों की कार्रवाई के माध्यम से धीरे धीरे इरोड। कुछ पहाड़ों पृथक शिखर हैं, लेकिन सबसे बड़ी पर्वत श्रृंखला में होते हैं।

व्याख्या: भ्रंशोत्थ पर्वत या ब्लॉक पर्वत का निर्माण पृथ्वी के उपरी सतहो मे भ्रन्शन के द्वारा भूभाग के उपर उठने अथवा बहुत बडे भाग के टूट कर ऊर्ध्वाधर रूप से विस्थापित होने से होता है ऊपर उठे खण्ड को उत्खण्ड(हार्स्ट) तथा नीचे धँसे खण्डों को द्रोणिका भ्रंश(ग्राबेन) कहा जाता है जैसे युरोप की राइन घाटी तथा वॉसजेस पर्वत हार्ज। यह अच्छा उदाहरण। है।

व्याख्या: वलित पर्वत (अंग्रेज़ी:Fold mountains)वे पर्वत हैं जिनका निर्माण वलन नामक भूगर्भिक प्रक्रिया के तहत हुआ है। प्लेट विवर्तनिकी के सिद्धांत के बाद इनके निर्माण के बारे में यह माना जाता है कि भूसन्नतियों में जमा अवसादों के दो प्लेटों के आपस में करीब आने के कारण दब कर सिकुड़ने और सिलवटों के रूप में उठने से हुआ है। रॉकीज, एंडीज, एटलस, आल्प्स, हिमालय आदि किस प्रकार के पर्वत वलित पर्वत हैं।

व्याख्या: यूराल पर्वत पश्चिमी रूस की एक पर्वत श्रृंखला है जो उत्तर से दक्षिण की ओर तक विस्तृत है। यह भौगोलिक रूप से एशिया और यूरोप को अलग करती है। इससे कई नदियाँ निकलती है। प्रमुख नदी कामा कैस्पियन सागर में अपना जल विसर्जित करती है।

व्याख्या: हिमालय भारत में स्थित एक प्राचीन पर्वत श्रृंखला है। हिमालय को पर्वतराज कहते हैं जिसका अर्थ है पर्वतों का राजा।। कालिदास तो हिमालय को पृथ्वी का मानदंड मानते हैं।हिमालय की पर्वतश्रंखलाएँ शिवालिक कहलाती हैं। हिमालय पर्वत एक वलित पर्वत का उदाहरण है।

व्याख्या: मेसेटा का पठार अथवा मेसेटा सेन्ट्रल दक्षिणी यूरोप के आइबेरिया प्रायद्वीप पर आन्तरिक भाग में, स्पेन देश में, स्थित एक पठार है। स्पेन की राजधानी मैड्रिड इसी पठार के मध्य भाग में स्थित है।


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