मुग़ल सम्राज्य से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या - Mughal Empire GK Quiz (set-12)

मुग़ल सम्राज्य से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या - Mughal Empire GK Quiz (set-12).

मुग़ल सम्राज्य

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 12)

व्याख्या: सआदत खान जिनका पूरा नाम सआदत खान बुरहान-उल-मुल्क था, 1722 ई. में नियुक्त किये गए, अवध के पहले नवाब थे।

उन्होंने फैजाबाद को अपनी राजधानी बनाई थी। मुगल शासन के कमजोर होने का लाभ उठाते हुए, सआदत खान ने एक स्वतंत्र राज्य के रूप में अवध पर अपना नियंत्रण स्थापित किया था। सफदरजंग, सआदत खान का उत्तराधिकारी था।

व्याख्या: कंधार प्रान्त को सर्वप्रथम मुगल शासक अकबर ने 1595 ई. में जीता। जहांगीर के समय 1622 ई. में कंधार मुगलों के अधिकार से निकल गया। शाहजहाँ के कुटनीतिक प्रयास के बावजूद 1649 ई. में कंधार का किला पुन: मुगलों के अधिकार से अंतिम रूप से छिन गया। कंधार के निकल जाने से मुगल साम्राज्य को बड़ा धक्का लगा क्योंकि कंधार सामरिक एवं आर्थिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण था। सारे अफगानिस्तान पर नजर रखने तथा काबुल की सुरक्षा के अतिरिक्त अफगान एवं बलूची कबीलों पर नियंत्रण रखने के लिए अतिरिक्त समृद्ध एवं उपजाऊ भूमि वाला प्रांत कंधार भारत तथा मध्य एशिया के बीच व्यापार की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण केंद्र था।

व्याख्या: शुरुआती मुगल बादशाहों ने आगरा को अपनी राजधानी के रूप में पसंद किया और शाहजहाँ द्वारा पुरानी दिल्ली की दीवारों (1638) के निर्माण के बाद ही दिल्ली उनकी स्थायी गद्दी बन गई। हिंदू राजाओं से लेकर मुस्लिम सुल्तानों तक, शहर की बागडोर एक शासक से दूसरे शासक के पास स्थानांतरित होती रही।

व्याख्या: महाराणा प्रताप की मृत्यु पर उसके उत्तराधिकारी अमर सिंह ने मुगल सम्राट जहांगीर से संधि कर ली। उसने अपने पाटवी पुत्र को मुगल दरबार में भेजना स्वीकार कर लिया। इस प्रकार 100 वर्ष बाद मेवाड़ की स्वतंत्रता का भी अन्त हुआ।

व्याख्या: बीजापुर के शासक आदिलशाह को जहांगीर ने 'फर्जन्द' (पुत्र) की उपाधि से सम्मानित किया।
बीजापुर सल्तनत या आदिलशाही सल्तनत (1490-1686) दक्कन का एक राज्य था। यह बहमनी सल्तनत का एक प्रांत था जिसका सूबेदार युसूफ़ आदिलशाह था जिसने बीजापुर को 1490 में स्वतंत्र घोषित कर दिया। उसने इसके साथ ही आदिलशाही वंश की स्थापना भी की। 1686 में औरंगजेब ने इसको मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया।

व्याख्या: मैंने अपना राज्य अपनी प्यारी बेगम के हाथों में एक प्याला शराब और एक प्याला शोरबे के लिए बेच दिया है' यह किसकी जहांगीर की है।

व्याख्या: जहांगीर चित्रकारी और कला का बहुत शौकीन था। जहांगीर के समय को चित्रकला का स्वर्णकाल कहा जाता है।

व्याख्या: मराठों एवं अफगानों को मनसबदारी प्रथा में शामिल करने वाला प्रथम मुगल शासक जहांगीर था।

मनसबदारी प्रणाली मुगल काल में प्रचलित एक प्रशासनिक प्रणाली थी जिसे अकबर ने आरम्भ किया था। 'मनसब' मूलतः अरबी शब्द है जिसका अर्थ 'पद' या 'रैंक' है। मनसब शब्द, शासकीय अधिकारियों तथा सेनापतियों का पद निर्धारित करता था।

जहांगीर ने मंसबदारी पद्धति में एक महत्वपूर्ण प्रयोग किया अर्थात् दो अश्व और तीन अश्व श्रेणी का प्रारंभ। दो अश्व व तीन अश्व श्रेणी को सवार श्रेणी का ही भाग माना जाता था।

व्याख्या: महावत खाँ का विद्रोह जहांगीर के समय हुआ था।
महावत खां मुगल राज्य का एक मनसबदार और दरबारी था।महावत खां का प्रभाव तब बढ़ने लगा जब परवेज़ और महावत खां ने खुर्रमको उन्होंने पराजित किया था।

व्याख्या: शाहजहां का मूल नाम खुर्रम था। शाहजहां का जन्म 1592 को लाहौर में हुआ था। शाहजहां ने अपने पिता के शासनकाल में बहुत से विजय अभियानों का नेतृत्व किया था।

व्याख्या: शाहजहां जहांगीर के बाद उसके द्वितीय पुत्र खुर्रम ने 1628 में तख्‍त संभाला. खुर्रम ने शाहजहां का नाम ग्रहण किया जिसका अर्थ होता है दुनिया का राजा।

1612 ई में खुर्रम का विवाह आसफ खान की बेटी अरजुमंद बानो बेगम से हुआ, जिसे शाहजहां ने मलिका-ए-जमानी की उपाधि प्रदान की. 1631 ई में प्रसव पीड़ा के कारण उसकी मृत्यु हो गई।

व्याख्या: दारा शिकोह (जन्म 20 मार्च 1615 - हत्या 10 सितंबर 1659) मुमताज़ महल और सम्राट शाहजहाँ का ज्येष्ठ पुत्र तथा औरंगज़ेब का बड़ा भाई। शाहजहाँ इसे अपने उत्तराधिकारी के रूप में देखता था, जो दारा के अन्य भाइयों को स्वीकार नहीं था।

व्याख्या: बहादुरपुर का युद्ध एक संघर्ष है जो 24 फरवरी 1658 को हुआ। यह युद्ध भारत के मुग़ल बादशाह शाहजहां (शासनकाल:1628-57/58) के बेटों के बीच उत्तराधिकार की लड़ाई का निर्णय करने में सहायक रहा।

धरमत का युद्ध 15 अप्रैल, 1658 ई. को लड़ा गया था।

सामूगढ़ का युद्ध 29 मई, 1658 ई. को मुग़ल बादशाह शाहजहाँ के पुत्रों, दारा शिकोह और औरंगज़ेब तथा मुराद बख़्श की संयुक्त सेनाओं के मध्य लड़ा गया था। इस युद्ध में दारा शिकोह को हाथी पर बैठा हुआ न देखकर उसकी शेष सेना में भगदड़ मच गई और जिसके कारण दारा युद्ध हार गया।

उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद के निकट खजुहा में 5 जनवरी, 1659 ई. को औरंगज़ेब और उसके भाई शाह शुजा के मध्य उत्तराधिकारी के लिये युद्ध हुआ था।

14 मार्च 1659 को औरंगजेब व दारा शिकोह के मध्य दौराई (अजमेर के निकट) का युद्ध लड़ा गया जिसमें औरंगजेब विजयी हुआ।

व्याख्या: सामूगढ़ का युद्ध 29 मई, 1658 ई. को मुग़ल बादशाह शाहजहाँ के पुत्रों, दारा शिकोह और औरंगज़ेब तथा मुराद बख़्श की संयुक्त सेनाओं के मध्य लड़ा गया था। इस युद्ध में दारा शिकोह को हाथी पर बैठा हुआ न देखकर उसकी शेष सेना में भगदड़ मच गई और जिसके कारण दारा युद्ध हार गया।

व्याख्या: शाहजहाँ 1652 में ऐसे बीमार हुए कि लोगों को उनका अन्त निकट लग रहा था। ऐसे में दारा शिकोह, शाह शुजा और औरंगज़ेब के बीच में सत्ता संघर्ष शुरू हुआ। शाह शुजा जिसने स्वयं को बंगाल का राज्यपाल घोषित कर दिया था, अपने बचाव के लिए बर्मा के अरकन क्षेत्र में शरण लेने पर विवश हुआ। 1659 में औरंगज़ेब ने शाहजहाँ को ताज महल में बन्दी बना लिया और स्वयं को शासक घोषित किया। दारा शिकोह को गद्दारी के आरोप में फाँसी दी गई। शासक होकर भी औरंगज़ेब ने राजकोष से अपने पर कुछ खर्च नहीं किया।


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