मुग़ल सम्राज्य से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या - Mughal Empire GK Quiz (set-13)

मुग़ल सम्राज्य से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या - Mughal Empire GK Quiz (set-13).

मुग़ल सम्राज्य

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 13)

व्याख्या: औरंगजेब के खिलाफ पहला संगठित विद्रोह आगरा और दिल्ली क्षेत्र में बसे जाटों ने किया। इस विद्रोह की रीढ अधिकतर किसान और काश्तकार थे किन्तु नेतृत्व मुख्यतः जमीदारों ने किया। मुगलों और बुंदेलों के बीच पहली बार संघर्ष मधुकर शाह के समय शुरू हुआ।
1672 ई. में किसानों और मुगलों के बीच मथुरा के निकट नारनौल नामक स्थान पर एक युद्ध हुआ जिसका नेतृत्व सतनामी नामक एक धार्मिक संप्रदाय ने किया था।
औरंगजेब के खिलाफ बगावत करने वालों में सिक्ख अंतिम थे। यग औरंगजेब के काल का एक मात्र विद्रोह था जो धार्मिक कारणों से हुआ था।

व्याख्या: 1685ई. में राजाराम के नेतृत्व में जाटों ने दूसरा जाट विद्रोह किया। यह विद्रोह अधिक संगठित था। इस युद्ध में जाटों ने छापामार हमलों के साथ – साथ लूटमार की नीति अपनायी।
राजाराम ने सिकंदरा में स्थित अकबर के मकबरे को लूटा था और मकबरे से अकबर की हड्डियाें को निकाल कर जला दिया था।

व्याख्या: साकी मुस्तैद ख़ाँ' द्वारा रचित यह कृति औरंगज़ेब के शासन काल के 11 वें वर्ष से लेकर 20वें वर्ष तक की स्थिति पर प्रकाश डालती है। 'जदुनाथ सरकार' ने इस कृति को ‘मुग़ल राज्य का गजेटियर’ कहा है।

व्याख्या: जिस प्रकार स्पेन के फोड़े ने नेपोलियन को बर्बाद किया उसी प्रकार दक्कन के फोड़े ने औरंगजेब को'—यह उक्ति जदुनाथ सरकार ने की है।
जदुनाथ सरकार ने मुग़ल और मराठा इतिहास पर कई ग्रन्थ लिखे, इन ग्रन्थों की प्रमाणिक सामग्री ने इन्हें ख्यातिप्राप्त इतिहासकार बना दिया।

व्याख्या: मुगल बादशाह औरंगजेब को उसकी प्रजा 'शाही वेश में एक दरवेश/फिकीर' कहती थी।

व्याख्या: अकबर ने अपने शासन के 8 वें वर्ष में वकील से वित्तीय अधिकार लेकर दीवान-ए-वजीरात-ए-कुल' नामक नये पदाधिकारी को प्रदान किया। मुजफ्फर खान को इस पद पर प्रथम बार नियुक्त किया गया।

व्याख्या: मुगल काल में प्रांतों को सूबा कहा जाता था, अकबर के शासनकाल के अंतिम समय में सूबों की संख्या 15 थी जो औरंगजेब के समय बढ़कर 21 हो चुकी थी। सूबेदार : यह सूबे का प्रमुख तथा बादशाह द्वारा नियुक्त उसका प्रतिनिधि होता था। दीवान : सूबे का दीवान सूबेदार के नियंत्रण में नहीं रह कर केंद्रीय दीवान के अधीनस्थ होता था।

व्याख्या: महाल-ए-पैबाकी भूमि न तो जागीर भूमि होती थी और न ही खालसा भूमि। यह भूमि हस्तांतरण के लिए आरक्षित रखी जाती थी। इस भूमि को आबंटन से पूर्व राजकीय कर्मचारियों की देखरेख में रखा जाता था।

व्याख्या: मनसबदारी व्यवस्था की शुरुआत 1575 में अकबर ने की थी। मनसबदार के साथ 1594-95 ई. से सवार का पद भी जुड़ने लगा। इस तरह अकबर के शासन काल में मनसबदारी प्रथा कई चरणों से गुजरकर उत्कर्ष पर पहुंची। जहांगीर ने मनसबदारी व्यवस्था में कुछ परिवर्तन करते हुए सवार पद में दु-अस्पा एवं सिह अस्पा की व्यवस्था की। दु-अस्पा में मनसबदारों को निर्धारित संख्या में घुड़सवारों के साथ उतने ही कोतल (अतिरिक्त) घोड़े रखने होते थे जबकि सिंह-अस्पा में मनसबदारों को दुगुने कोतल घोड़े रखने पड़ने थे। शाहजहां ने अपने शासन काल में मनसबदारी व्यवस्था में व्याप्त भष्टाचार को रोकने के लिए उन मनसबदारों के लिए नियम बनाया, जो अपने पद की तुलना में घुड़सवारों की संख्या कम रखते थे। औरंजेब के समय में सक्षम मनसबदारों के किसी महत्वपूर्ण पद पर जैसे फौजदार या किलेदार आदि पद पर नियुक्त या फिर किसी महत्वपूर्ण अभियान पर जाते समय उसके सवार पद में अतिरिक्त वृद्धि का एक और माध्यम निकाला गया, जिसे मसाहत कहा गया।

व्याख्या: जागीरदारी संकट सर्वप्रथम मुगल बादशाह औरंगजेब के शासनकाल में उत्पन्न हुई।

व्याख्या: मुगल स्थापत्य कला के संदर्भ में, 'पिट्रा डयुरा' (Pietra Dura) का अर्थ संगमरमर के पत्थर पर जवाहरात से की गई जड़ावट है।


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