सूफी आन्दोलन से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या - Sufi Movement GK Quiz (set-1)

सूफी आन्दोलन से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या - Sufi Movement GK Quiz (set-1).

सूफी आंदोलन

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 1)

व्याख्या: कुछ लोग कहते हैं कि ये सूफ़ (ऊन) से आया है क्योंकि कई सूफ़ी दरवेश ऊन का चोंगा पहनते थे। सूफी का मूल अर्थ 'एक जो ऊन पहनता है') है, और इस्लाम का विश्वकोश अन्य व्युत्पन्न परिकल्पनाओं को 'अस्थिर' कहता है। ऊनी कपड़े पारंपरिक रूप से तपस्वियों और मनीषियों से जुड़े थे।

व्याख्या: सूफी विचारधारा में गुरू ( पीर ) और शिष्य ( मुराद ) के बीच संबंध का महत्त्व बहुत अधिक है। प्रत्येक पीर अपना उत्तराधिकारी ( वलि ) नियुक्त करता था। सूफी दर्शन केवल एक ईश्वर में विश्वास ( एकेश्वरवादी ) करता था। उनके अनुसार ईश्वर एक है और सभी कुछ ईश्वर में है। सूफियों का जीवन सादा होता था। वे मूर्तिपूजा में विश्वास नहीं करते थे।

व्याख्या: हिंदी खड़ी बोली का जनक अमीर खुसरो को माना जाता है। उसका अबुल हसन यामुनुद्दीन अमीर खुसरों था। उनका जन्म 1253 में पटियाली (एटा) में हुआ था। उन्हें सात सुल्तानों का शासनकाल देखने वाला माना जाता है।

व्याख्या: मंसूर अल हल्लाज (858 – मार्च 26, 922) एक कवि और तसव्वुफ़ (सूफ़ी) के प्रवर्तक विचारकों में से एक था जिसको सन 922 में अब्बासी ख़लीफ़ा अल मुक़्तदर के आदेश पर बहुत पड़ताल करने के बाद फ़ांसी पर लटका दिया गया था। इसको अन अल हक़्क़ (मैं सच हूँ) के नारे के लिए भी जाना जाता है जो भारतीय अद्वैत सिद्धांत के अहं ब्रह्मास्मि के बहुत क़रीब है।

व्याख्या: ख़्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की मज़ार अजमेर शहर में है। यह माना जाता है कि मोइनुद्दीन चिश्ती का जन्म 536 हिज़री संवत् अर्थात 1141 ई॰ पूर्व पर्शिया के सिस्तान क्षेत्र में हुआ। इन को हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ के नाम से भी पुकारा जाता है। वे मानते थे यह मानता था कि भक्ति संगीत ईश्वर के निकट पहुँचने का मार्ग है।

व्याख्या: 1192 ई. में मुहम्मद ग़ोरी के साथ ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भारत आये थे। उन्होंने यहाँ ‘चिश्तिया परम्परा’ की स्थापना की। उनकी गतिविधियों का मुख्य केन्द्र अजमेर था। इन्हें 'गरी-ए-नवाज' भी कहा जाता है।

व्याख्या: भारत में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती द्वारा ‘चिश्ती सिलसिला’ का गठन हुआ जो 1192 में भारत आये थे। ये मूलतः इस्लाम धर्म से सम्बन्धित थे। सूफी सम्प्रदाय में 12 सिलसिले अस्तित्व में थे।

व्याख्या: दसवीं शताब्दी के बाद परंपरागत रूढ़िवादी प्रवृतियों पर अंकुश लगाने के लिए इस्लाम धर्म का रहस्यवादी आंदोलन सूफी आंदोलन के नाम से प्रसिद्ध है। इस आंदोलन का सूत्रपात फारस (पर्शिया) में हुआ थे जिसे वर्तमान में ईरान कहा जाता है।

व्याख्या: चिश्तिया शाखा के प्रख्यात सूफ़ी संतों में शेख सलीम चिश्ती का नाम विशेष उल्लेखनीय है। इनके पिता का नाम शेख बहाउद्दीन था। शेख सलीम चिश्ती बहुत समय तक अरब में रहे और वहां उनको '' शेख उल हिन्द '' की संज्ञा से विभूषित किया गया। उसके बाद वह भारत लौट आये और आगरा से बारह कोस की दूरी पर स्थित सीकरी नामक स्थान पर रहने लगे।

व्याख्या: चिश्ती सिलसिला यह सिलसिला ख्वाजा चिश्ती (हेरात वेफ निकट) नामक गाँव में स्थापित किया गया था।भारत में चिश्ती सिलसिला ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती (जन्म 1142 ई) द्वारा स्थापित कियागया था, जो 1192 ई. में भारत आए थे। उनका मानना था कि भक्ति का सबसे अच्छा तरीका मनुष्य की सेवा है औरइसीलिए उन्होंने दलितों के बीच काम किया।

व्याख्या: फ़िरदौसी सिलसिला के संस्थापक मध्य एशिया के सैफ़ुद्दीन बखरजी थे। यह सिलसला सुहरावर्दी सिलसिले की ही एक शाखा थी। भारत में इसका कार्य क्षेत्र बिहार में था। बदरुद्दीन समरंगजी और अहमद याहया मनैरी आदि इस सिलसिले के प्रमुख सन्त थे।

व्याख्या: कादिरी या कदीरिया सिलसिला की स्थापना 'सैय्यद अबुल कादि अल गिलानी' ने की थी। इनको 'पीरान-ए-पीर' (संतो के प्रधान) तथा 'पीर-ए-दस्तगीर' (मददगार संत) आदि की उपाधियाँ प्राप्त थीं। मुग़ल बादशाह शाहजहाँ का पुत्र दारा शिकोह इस सिलसिले का अनुयायी था। दारा शिकोह 'मुल्लाशाह बदख्शी' का शिष्य था।

व्याख्या: पीर जिसका अर्थ है 'मार्गदर्शक' या 'शिक्षक'।
मुरीद - किसी का सिद्धान्त मानने और उनके अनुसार चलनेवाला व्यक्ति शिष्य।
ख़लीफ़ा - अरबी भाषा में ऐसे शासक को कहते हैं जो किसी इस्लामी राज्य या अन्य शरिया (इस्लामी क़ानून) से चलने वाली राजकीय व्यवस्था का शासक हो।
खानकाह - सूफी सन्तोँ के निवास स्थान को कहते हैं।

व्याख्या: शेख बहाउद्दीन जकारिया चिश्ती सिलसिला का नहीं था।शेख बहाउद्दीन जकारिया ने सुहरावर्दिया सिलसिले से सम्बन्धित है।सुहरावर्दिया सिलसिले की स्थापना शेख़ शिहाबुद्दीन उमर सुहरावर्दी ने की थी, किन्तु 1262 ई. में इसके सुदृढ़ संचालन का श्रेय शेख़ बदरुद्दीन जकारिया को है।

व्याख्या: नसीरुद्दीन महमूद चिराग़ - देहलवी 14 वीं शताब्दी के रहस्यवादी-कवि और चिश्ती आदेश के सूफी संत थे। वह दिल्ली से चिश्ती आदेश का आखिरी महत्वपूर्ण सूफी था। देहलवी को 'रोशन चिराग-ए-दिल्ली' खिताब दिया गया था, जिसका अर्थ उर्दू में है, ' दिल्ली का प्रबुद्ध चिराग़ '।


Correct Answers:

CLOSE
/15
Incorrect Answer..!
Correct Answer..!
Previous Post Next Post
If you find any error or want to give any suggestion, please write to us via Feedback form.