यूरोपीय कंपनियों का आगमन से जुड़े MCQ प्रश्न और उत्तर - General Knowledge Quiz (Set-1)

भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन से जुड़े 90 MCQ प्रश्न और उत्तर विस्तृत समाधान के साथ। Bharat me Europeans ka Aagman MCQ क्विज़ से अपनी आगामी परीक्षाओं जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC की तैयारी करें।

भारत में यूरोपीयों का आगमन

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 1)

व्याख्या: भारत आने वाले अंतिम यूरोपीय व्यापारी फ्रांसीसी थे। फ्रांसीसियों ने 1668 ई में सूरत में पहली फैक्ट्री स्थापित की और 1669 ई में मसुलिपत्तनम में एक और फैक्ट्री स्थापित की।

व्याख्या: फ्रांसिस्को डी अल्मेडा 1505 में भारत का पहला पुर्तगाली वायसराय बना। हिंद महासागर को नियंत्रित करने के लिए, अल्मेडा ने ब्लू वाटर पॉलिसी (कार्टाज सिस्टम) शुरू की। उन्होंने 1505 में सेंट एंजेलो किले का निर्माण शुरू किया।

व्याख्या:लॉर्ड डलहौजी 1848 में गवर्नर-जनरल के रूप में भारत आया। लॉर्ड डलहौज़ी ने हड़प की नीति को शुरू करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी। पूरी योजना स्वयं लॉर्ड डलहौजी ने तैयार की थी, जिन्होंने 1848 से 1856 तक गवर्नर-जनरल के रूप में कार्य किया।

व्यपगत का सिद्धान्त या हड़प नीति (अँग्रेजी: The Doctrine of Lapse, 1848-1856)। पैतृक वारिस के न होने की स्थिति में सर्वोच्च सत्ता कंपनी के द्वारा अपने अधीनस्थ क्षेत्रों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाने की नीति व्यपगत का सिद्धान्त या हड़प नीति कहलाती है।

व्याख्या: अल्फोंसो डी अल्बुकर्क 1510 में अल्मेडा के उत्तराधिकारी बने। महत्वपूर्ण पुर्तगाली गवर्नर जिसने अपने शासन क्षेत्र में सती प्रथा को समाप्त किया। उसने 1510 में बीजापुर के शासकों से गोवा पर कब्जा कर लिया।

व्याख्या: ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना 31 दिसम्बर, 1600 को लन्दन में, जॉन वाट्स और जॉर्ज ह्वाइट द्वारा की गई थी। कम्पनी ने ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ से रॉयल चार्ट्र हासिल कर भारत के साथ व्यापार करने का अधिकार प्राप्त कर लिया। इसकी स्थापना के समय भारत में मुगल शासक अकबर का शासनकाल था। अकबर का शासनकाल 1556 ई. से 1605 ई. के मध्य था।

व्याख्या: 17 मई 1498 को पुर्तगाल का वास्को-डी-गामा भारत के तट पर आया जिसके बाद भारत आने का रास्ता तय हुआ। वास्को डी गामा की सहायता गुजराती व्यापारी अब्दुल मजीद ने की। उसने कालीकट के राजा जिसकी उपाधि 'जमोरिन'थी से व्यापार का अधिकार प्राप्त कर लिया पर वहाँ सालों से स्थापित अरबी व्यापारियों ने उसका विरोध किया। 1499 में वास्को-डी-गामा स्वदेश लौट गया और उसके वापस पहुँचने के बाद ही लोगों को भारत के सामुद्रिक मार्ग की जानकारी मिली।

व्याख्या: 17 मई, 1498 को वास्कोडिगामा ने भारत के कालीकट तट पर पहुंचकर नए मार्ग की खोज की। कालीकट के तत्कालीन शासक जमोरिन ने वास्कोडिगामा का स्वागत किया था।

व्याख्या: खोजकर्ताओं में से एक और यूरोप से भारत सीधी यात्रा करने वाले जहाज़ों का कमांडर था, जो केप ऑफ गुड होप, अफ्रीका के दक्षिणी कोने से होते हुए भारत पहुँचा। वह जहाज़ द्वारा तीन बार भारत आया। उसकी जन्म की सही तिथि तो अज्ञात है लेकिन यह माना जाता है कि वह 1490 के दशक में साइन, पुर्तगाल में एक योद्धा था।

व्याख्या: थॉमस रो अथवा 'टॉमस रो' बादशाह जहाँगीर के शासनकाल में 1616 ई. में भारत आया था। इंग्लैण्ड के राजा से आज्ञा लेकर उसने कुछ लोगों को एकत्र कर ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना की थी। थॉमस रो ने अजमेर के क़िले में जहाँगीर से मुलाकात की थी।

व्याख्या: गोवा, दमन और दीव का उपनिवेशीकरण मूलत: पुर्तगालियों द्वारा किया गया था। 15 10 ई. में पुर्तगीज गवर्नर अल्बुकर्क, जिसे भारत में पुर्तगीज शक्ति का वास्तविक संस्थापक माना जाता है, ने बीजापुर के आदिलशाही सुलतान से गोवा जीत लिया। 1535 ई. में पुर्तगालियों ने दीव पर तथा 1559 ई. में दमन पर अधिकार कर लिया।

व्याख्या: अल्बुकर्क ने गोआ को 1510 ई0 में बीजापुर के सुलतान से छीना था।
अलबुकर्क या 'अलफ़ांसो-द-अल्बुकर्क' भारत में पुर्तग़ाली अधिकार में आये भारतीय क्षेत्र का दूसरा वायसराय था। वह फ़्रांसिस्को-द-अल्मेडा के बाद 1509 ई. में पुर्तग़ालियों का गवर्नर बनकर भारत आया था। अलबुकर्क को भारत में पुर्तग़ाली शक्ति का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। उसने कोचीन को अपना मुख्यालय बनाया था।

व्याख्या: 17 मई, 1498 को वास्कोडिगामा ने भारत के कालीकट तट पर पहुंचकर नए मार्ग की खोज की। कालीकट के तत्कालीन शासक जमोरिन ने वास्कोडिगामा का स्वागत किया था।

व्याख्या: भारत में 1612 ई. में अंग्रेजों ने अपनी पहली फैक्ट्री सूरत में स्थापित की थी। दक्षिण भारत में अंग्रेजों की पहली फैक्ट्री मछलीपट्टनम थी।

व्याख्या: 17 मई, 1498 को वास्कोडिगामा ने भारत के कालीकट तट पर पहुंचकर नए मार्ग की खोज की। कालीकट के तत्कालीन शासक जमोरिन ने वास्कोडिगामा का स्वागत किया था।

व्याख्या: कर्नाटक के दूसरे युद्ध (1749-1754 ई.) के ठीक दो साल बाद ही कर्नाटक का तृतीय युद्ध आरम्भ हो गया। यह युद्ध 1756-1763 ई. तक चला। इस समय यूरोप में 'सप्तवर्षीय युद्ध' आरम्भ हो गया था, और इंग्लैंण्ड तथा फ़्राँस में फिर से ठन गई थी। इसके फलस्वरूप भारत में भी अंग्रेज़ों और फ़्राँसीसियों में लड़ाई शुरू हो गई। इस बार लड़ाई कर्नाटक की सीमा लांघ कर बंगाल तक में फैल गई।


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