19वीं और 20वीं सदी के सामाजिक - धार्मिक सुधार आंदोलन ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन - GK Quiz (Set-1)

19वीं और 20वीं सदी के सामाजिक - धार्मिक सुधार आंदोलन ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन और उत्तर विस्तृत समाधान के साथ। 19वीं और 20वीं सदी के सामाजिक - धार्मिक सुधार आंदोलन MCQ क्विज़, आगामी परीक्षाओं जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC की तैयारी करें।

19वीं और 20वीं सदी के सामाजिक - धार्मिक सुधार आंदोलन

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 1)

व्याख्या: हिन्दू धर्म में पहला सुधार-आन्दोलन ब्रह्म समाज की स्थापना से शुरू हुआ जिस पर आधुनिक पाश्चात्य विचारधारा का बहुत प्रभाव पड़ा था। राजाराममोहन राय (1772-1833 ई.) इसके प्रवर्तक थे। वे मानवतावादी दृष्टिकोण, सामाजिक समानता व वैज्ञानिक सिद्धांतों के पक्ष-पोषक थे।

व्याख्या: राजा राम मोहन राय 'आधुनिक भारत के पिता' या 'बंगाल पुनर्जागरण के पिता' के रूप में जाने जाते हैं। इनका जन्म 22 मई 1772 को बंगाल के राधानगर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे एक धार्मिक और समाज सुधारक थे।

उन्हें सती प्रथा को समाप्त करने में उनकी भूमिका के लिए व्यापक रूप से जाना जाता था। उन्हें दिल्ली के नाममात्र मुगल सम्राट, अकबर द्वितीय द्वारा 'राजा' की उपाधि दी गई थी। वे विद्वान थे और संस्कृत, फारसी, हिंदी, बंगाली, अंग्रेजी और अरबी जानते थे।

ब्रह्म समाज का उद्देश्य हिन्दू धर्म की बुराइयों पर प्रहार करना तथा एकेश्वरवाद का प्रचार करना था। इसके संस्थापक राजा राममोहन राय थे, जिन्होंने 20 अगस्त, 1828 को कोलकाता में इसकी स्थापना की थी। यहां हिंदू धर्मग्रंथों का पाठ और व्याख्या की जाती थी।

व्याख्या: राजा राम मोहन राय 'आधुनिक भारत के पिता' या 'बंगाल पुनर्जागरण के पिता' के रूप में जाने जाते हैं। इनका जन्म 22 मई 1772 को बंगाल के राधानगर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे एक धार्मिक और समाज सुधारक थे।

उन्हें सती प्रथा को समाप्त करने में उनकी भूमिका के लिए व्यापक रूप से जाना जाता था। उन्हें दिल्ली के नाममात्र मुगल सम्राट, अकबर द्वितीय द्वारा 'राजा' की उपाधि दी गई थी। वे विद्वान थे और संस्कृत, फारसी, हिंदी, बंगाली, अंग्रेजी और अरबी जानते थे।

1814 में, उन्होंने मूर्तिपूजा, जातिगत कठोरता, अर्थहीन कर्मकांडों और अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अभियान चलाने के लिए कलकत्ता में आत्मीय सभा की स्थापना किया।

व्याख्या: धर्म समाज के संस्थापक राजा राधाकांत देब थे, जो कलकत्ता के अति प्रतिष्ठित शोभा बाजार के देब परिवार के, महाराजा नवकृष्ण देब के दत्तक पुत्र, गोपीमोहन देब के पुत्र थे।

व्याख्या: राजा राममोहन राय ने जातिवाद, अस्पृश्यता एवं सती प्रथा पर कड़े प्रहार किये। इन्हीं के प्रयासों से लॉर्ड विलियम बैंटिक ने 1829 ई. में एक कानून बनाकर सती प्रथा को प्रतिबंधित कर दिया।

व्याख्या: स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। इनका मूल नाम नरेंद्रनाथ दत्त था।

उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था।

व्याख्या: लॉर्ड विलियम बैंटिक ने 1829 में अधिनियम 17 (रेग्यूलेशन XVII ऑफ़ 1829) के तहत सती प्रथा का उन्मूलन कर दिया। बैंटिक के सामजिक सुधारों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है सती प्रथा का अंत। इससे पूर्व के गवर्नर जनरलों में किसी ने भी इस क्रूर प्रथा को छेड़ने का प्रयास नहीं किया। राजा राम मोहन राय जैसे प्रगतिशील विचारक ने इस प्रथा के उन्मूलन के लिए महत्त्वपूर्ण प्रयास किया।

व्याख्या: अलीगढ मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के अलीगढ शहर में स्थित है। अलीगढ मुस्लिम एंग्लों ओरिएंटल कॉलेज को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, ए. एम. यू. कॉलेज भी कहा जाता है।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय भारत के प्रमुख केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है। इसकी स्थापना 1920 में सर सैयद अहमद खान द्वारा की गयी थी और 1921 में भारतीय संसद के एक अधिनियम के माध्यम से केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया।

व्याख्या: आर्य समाज एक हिन्दू सुधार आन्दोलन है जिसकी स्थापना स्वामी दयानन्द सरस्वती ने 1875 में बंबई में मथुरा के स्वामी विरजानन्द की प्रेरणा से की थी। यह आन्दोलन पाश्चात्य प्रभावों की प्रतिक्रिया स्वरूप हिन्दू धर्म में सुधार के लिए प्रारंभ हुआ था।

आर्य समाज में शुद्ध वैदिक परम्परा में विशवास करते थे तथा मूर्ति पूजा, अवतारवाद, बलि, झूठे कर्मकांड व अंधविश्वासों को अस्वीकार करते थे। इसमें छुआछूत व जातिगत भेदभाव का विरोध किया।

व्याख्या: 1826 में हेनरी लुई विवियन देरीजियो (Henry Louis vivian Derecio) नामक व्यक्ति ने बंगाल में युवा आन्दोलन की स्थापना की। देरीजियो एक स्वतंत्र विचारक था तथा 19वीं. शताब्दी की उदारवादी विचारधारा से बड़ा प्रभावित था।

अत: वह एक ऐसा वातावरण उत्पन्न करना चाहता था। जिसमें भारतीयों की राजनीति में रूचि उत्पन्न हो। अत: उसने कॉलेज के मेधावी छात्रों से निकट संपर्क स्थापित करके उन्हें यूरोप के राजनीतिक विचारकों की विचारधाराओं से परिचित कराया।

व्याख्या: रूस निवासी महिला मैडम हैलीना ब्लावाट्स्की (H. P. Blavatsky) और अमेरिका निवासी कर्नल हेनरी स्टील आल्काट ने 17 नवम्बर 1875 को न्यूयार्क में थियोसॉफिकल सोसाइटी की स्थापना की।

सन 1879 में सोसाइटी का प्रधान कार्यालय न्यूयार्क से मुम्बई में लाया गया। सन 1882 में उसका प्रधान कार्यालय अद्यार (चेन्नै) में अंतिम रूप से स्थापित कर दिया गया।

व्याख्या: आत्मसम्मान आन्दोलन वर्ष 1920 में ई. वी. रामास्वामी नायकर द्वारा दक्षिण भारत में प्रारम्भ किया गया था। ई. वी. रामास्वामी नायकर जो कि 'पेरियार' के नाम से प्रसिद्ध थे, ने इसकी शुरुआत की थी। इन्होंने हरिजनों को सहयोग दिया और वायकोम सत्याग्रह का नेतृत्व किया।

'आत्म सम्मान लीग' सन 1944 में 'जस्टिस पार्टी' के साथ मिलकर 'द्रविड़कड़गम' बनी।

व्याख्या: सत्यशोधक समाज (अर्थ : सत्य अर्थात सच की खोज करने वाला समाज) 24 सितम्बर सन् 1873 में ज्योतिबा फुले द्वारा स्थापित एक पन्थ है। यह एक छोटे से समूह के रूप में शुरू हुआ और इसका उद्देश्य शूद्र एवं अस्पृश्य जाति के लोगों को विमुक्त करना था। इनकी विचार "गुलामगिरी, सार्वजनिक सत्यधर्म " में निहित है।

व्याख्या: सत्यशोधक समाज की स्थापना में महात्मा ज्योतिबा फुले ने 24 दिसम्बर, 1873 की थी, इसका प्रमुख उद्देश्य वंचित वर्ग को भी मुख्य धारा से जोड़ना था।

व्याख्या: 1831 से 1834 तक अपने इंग्लैंड प्रवास काल में राममोहन जी ने ब्रिटिश भारत की प्राशासनिक पद्धति में सुधार के लिए आन्दोलन किया। ब्रिटिश संसद के द्वारा भारतीय मामलों पर परामर्श लिए जाने वाले वे प्रथम भारतीय थे।

हाउस ऑफ़ कॉमन्स की प्रवर समिति के समक्ष अपना साक्ष्य देते हुए उन्होंने भारतीय प्रशासन की प्राय: सभी शाखाओं के संबंध में अपने सुझाव दिया। राममोहन जी के राजनीतिक विचार बेकन, ह्यूम, बैंथम, ब्लैकस्टोन और मोंटेस्क्यू जैसे यूरोपीय दार्शनिकों से प्रभावित थे। राजा राममोहन रॉय की मृत्यु 27 सितम्बर, 1833 में इंग्लैण्ड में हुई।


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