गरमपंथी या उग्रवादी चरण ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं व्याख्या - GK Quiz (Set-1)

उग्रवादी चरण ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन और उत्तर विस्तृत समाधान के साथ। उदारवादी चरण MCQ क्विज़, आगामी परीक्षाओं जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC की तैयारी करें।

उदारवादी चरण

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 1)

व्याख्या: द्वितीय चरण (1905 से 1919 ई. तक) : इस समय तक 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' काफ़ी परिपक्व हो गई थी तथा उसके लक्ष्य एवं उद्देश्य स्पष्ट हो चुके थे। राष्ट्रीय कांग्रेस के इस मंच से भारतीय जनता के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक विकास के लिए प्रयास शुरू किये गये। इस दौरान कुछ उग्रवादी विचारधारा वाले संगठनों ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद को समाप्त करने के लिए पश्चिम के ही क्रांतिकारी ढंग का प्रयोग भी किया।

व्याख्या: बंगाल विभाजन के निर्णय की घोषणा 19 जुलाई 1905 को भारत के तत्कालीन वाइसराय कर्जन के द्वारा किया गया था। एक मुस्लिम बहुल प्रान्त का सृजन करने के उद्देश्य से ही भारत के बंगाल को दो भागों में बाँट दिये जाने का निर्णय लिया गया था। बंगाल-विभाजन 16 अक्टूबर 1905 से प्रभावी हुआ। इतिहास में इसे बंगभंग के नाम से भी जाना जाता है।

व्याख्या: स्वदेशी आन्दोलन विशेषकर उस आन्दोलन को कहते हैं जो बंग-भंग के विरोध में न केवल बंगाल अपितु पूरे ब्रिटिश भारत में चला। इसका मुख्य उद्देश्य अपने देश की वस्तु अपनाना और दूसरे देश की वस्तु का बहिष्कार करना था।

व्याख्या: भारत में उग्र राष्ट्रीयता के जन्मदाता तथा निर्भयता से राष्ट्र की वेदना को प्रकट करने वाले प्रथम भारतीय बाल गंगाधर तिलक थे।
बाल गंगाधर तिलक( जन्म- 23 जुलाई, 1856, रत्नागिरी, महाराष्ट्र; मृत्यु- 1 अगस्त, 1920, मुंबई) विद्वान, गणितज्ञ, दार्शनिक और उग्र राष्ट्रवादी व्यक्ति थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता की नींव रखने में सहायता की। उन्होंने 'इंडियन होमरूल लीग' की स्थापना सन् 1914 ई. में की और इसके अध्यक्ष रहे तथा सन् 1916 में मुहम्मद अली जिन्ना के साथ लखनऊ समझौता किया, जिसमें आज़ादी के लिए संघर्ष में हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रावधान था।

व्याख्या: स्वतंत्रता-पूर्व भारत में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष श्रीमती एनी बेसेन्ट थी जिन्हें 1917 ई. में कलकता में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 32 वें अधिवेशन में अध्यक्ष चुना गया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष सरोजनी नायडू थी।

व्याख्या: गदर पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष सरदार सोहन सिंह भाकना (Sardar Sohan Singh Bhakna)थे। इसके अतिरिक्त केसर सिंह थथगढ – उपाध्यक्ष, लाला हरदयाल – महामंत्री, लाला ठाकुर दास धुरी – संयुक्त सचिव और पण्डित कांशी राम मदरोली – कोषाध्यक्ष थे।

व्याख्या: कोलकाता का चीफ प्रेसिडेंसी मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड राजनीतिक कार्यकर्त्ताओं को अपमानित और दंडित करने के लिए बहुत बदनाम था। क्रांतिकारियों ने उसे समाप्त करने का काम प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस को सौंपा। सरकार ने किंग्सफोर्ड के प्रति लोगों के आक्रोश को भांपकर उसकी सुरक्षा की दृष्टि से उसे सेशन जज बनाकर मुजफ्फरपुर भेज दिया। पर दोनों क्रांतिकारी भी उसके पीछे-पीछे पहुँच गए। किंग्सफोर्ड की गतिविधियों का अध्ययन करने के बाद उन्होंने 30 अप्रैल, 1908 को यूरोपियन क्लब से बाहर निकलते ही किंग्सफोर्ड की बग्घी पर बम फेंक दिया। किन्तु दुर्भाग्य से उस समान आकार-प्रकार की बग्घी में दो यूरोपियन महिलाएँ बैठी थीं जो कि पिंग्ले कैनेडी नामक एडवोकेट की पत्नी और बेटी थी, वे मारी गईं। क्रांतिकारी किंग्सफोर्ड को मारने में सफलता समझ कर वे घटना स्थल से भाग निकले।

व्याख्या: स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है मैं इसे लेकर रहूंगा' के उद्घोषक लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का स्थान स्वराज के पथगामियों में अग्रणीय है। महानायक तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को शिवाजी महाराज की कर्मभूमि महाराष्ट्र के कोंकण प्रदेश के रत्नागिरि नामक स्थान पर हुआ।

व्याख्या: भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 जिसे सामान्यतः मॉर्ले-मिंटो सुधारों के रूप में जाना जाता है, यूनाइटेड किंग्डम की संसद के एक अधिनियम के रूप में लाया गया था जिसके द्वारा ब्रिटिश भारत के शासन में सीमित रूप में भारतियों की भागीदारी बढ़ाने हेतु प्रबंध किया जाना था।

व्याख्या: भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 जिसे सामान्यतः मॉर्ले-मिंटो सुधारों के रूप में जाना जाता है, यूनाइटेड किंग्डम की संसद के एक अधिनियम के रूप में लाया गया था जिसके द्वारा ब्रिटिश भारत के शासन में सीमित रूप में भारतियों की भागीदारी बढ़ाने हेतु प्रबंध किया जाना था।

व्याख्या: भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 जिसे सामान्यतः मॉर्ले-मिंटो सुधारों के रूप में जाना जाता है, यूनाइटेड किंग्डम की संसद के एक अधिनियम के रूप में लाया गया था जिसके द्वारा ब्रिटिश भारत के शासन में सीमित रूप में भारतियों की भागीदारी बढ़ाने हेतु प्रबंध किया जाना था।

व्याख्या: भारत में गरमदलीय आंदोलन का पिता बाल गंगाधर तिलक को कहा जाता है।

व्याख्या: अरविन्द घोष या श्री अरविन्द एक योगी एवं दार्शनिक थे। वे 15 अगस्त 1872 को कलकत्ता में जन्मे थे। इनके पिता एक डाक्टर थे। इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया।

व्याख्या: श्रीमती भीखाजी जी रूस्तम कामा (मैडम कामा) (24 सितंबर 1861-13 अगस्त 1936) भारतीय मूल की पारसी नागरिक थीं जिन्होने लन्दन, जर्मनी तथा अमेरिका का भ्रमण कर भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में माहौल बनाया।


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