नरमपंथी या उदरवादी चरण ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं व्याख्या - GK Quiz (Set-1)

उदारवादी चरण ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन और उत्तर विस्तृत समाधान के साथ। उदारवादी चरण MCQ क्विज़, आगामी परीक्षाओं जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC की तैयारी करें।

उदारवादी चरण

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 1)

व्याख्या: कोंग्रेस की स्थापना के 20 वर्ष तक उसकी नीति उदार थी इसलिए इस अवधि को स्वतंत्रता आन्दोलन का उदारवादी चरण कहा जाता है। उदार वादियों को ब्रिटिश शासन और न्यायप्रियता में पूर्ण विशवास था तथा यह भी की ब्रिटिश राज भारत में वरदान है। 1895 में सुरेन्द्र बनर्जी ने कहा हमें ब्रिटेन की जनता की न्याय और उदारता का भरोसा है।

व्याख्या: भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना 72 प्रतिनिधियों की उपस्थिति के साथ 28 दिसम्बर 1885 को बॉम्बे के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में हुई थी। इसके संस्थापक महासचिव (जनरल सेक्रेटरी) ए ओ ह्यूम थे जिन्होंने कलकत्ते के व्योमेश चन्द्र बनर्जी को अध्यक्ष नियुक्त किया था।

व्याख्या: भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन का प्रथम चरण (1885-1905) भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के इस काल में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई। लेकिन इस समय तक कांग्रेस का लक्ष्य पूरी तरह से अस्पस्ट ही था। उस समय इस आन्दोलन का प्रतिनिधित्व अल्प शिक्षित, बुद्धिजीवी मध्यम वर्गीय लोगों के द्वारा किया जा रहा था। यह वर्ग पश्चिम की उदारवादी एवं अतिवादी विचार धारा से काफ़ी प्रभावित था।

व्याख्या: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली बैठक 28 दिसम्बर 1885 को बॉम्बे के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में हुई थी। इसके संस्थापक महासचिव (जनरल सेक्रेटरी) ए ओ ह्यूम थे।

व्याख्या: दादाभाई नौरोजी (4 सितम्बर 1825 -- 30 जून 1917) ब्रिटिशकालीन भारत के एक पारसी बुद्धिजीवी, शिक्षाशास्त्री, कपास के व्यापारी तथा आरम्भिक राजनैतिक एवं सामाजिक नेता थे। उन्हें 'भारत का वयोवृद्ध पुरुष' (Grand Old Man of India) कहा जाता है। 1892 से 1895 तक वे युनिटेड किंगडम के हाउस आव कॉमन्स के सदस्य ( एम पी) थे।

व्याख्या: लॉर्ड डफ़रिन ( जन्म- 21 जून, 1826; मृत्यु- 12 फ़रवरी, 1902) सन 1884 में लॉर्ड रिपन के बाद भारत का वायसराय बनकर आया। वह 1884 से 1888 ई. तक भारत का वाइसराय तथा गवर्नर-जनरल रहा। सामान्य तौर पर उसका शासनकाल शान्तिपूर्ण था, लेकिन तृतीय बर्मा युद्ध (1885-1886 ई.) उसी के कार्यकाल में हुआ, जिसके फलस्वरूप उत्तरी बर्मा ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य का अंग बन गया।लॉर्ड डफ़रिन के कार्यकाल की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण घटना है, 1885 ई. में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन बम्बई में होना।

व्याख्या: भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम 1904 लॉर्ड कर्जन के समय पारित किया गया था। लॉर्ड कर्ज़न ने भारत में शिक्षा और आर्थिक सुधारों के लिए मुख्य रूप से कार्य किये थे। भूमि पर लिये जाने वाले भूमिकर को और अधिक उदार बनाये जाने हेतु उसने 'भूमि प्रस्ताव' भी पारित किया था।

व्याख्या: लॉर्ड कार्नवालिस को भारत मेँ लोक सेवा का जनक कहा जाता है। इंडियन सिविल सर्विस के लिए चुने जाने वाले पहले भारतीय सत्येंद्रनाथ टैगोर हैं। ये रविन्द्रनाथ टैगोर के बड़े भाई थे।सन 1864 में ये सिविल सेवक के रूप में नियुक्त किये गये। इनकी नियुक्ति बम्बई प्रान्त में हुई।

व्याख्या: एलेन ओक्टेवियन ह्यूम ब्रिटिशकालीन भारत में सिविल सेवा के अधिकारी एवं राजनैतिक सुधारक थे। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापकों में से एक थे।1849 में अधिकारी बनकर सर्वप्रथम उत्तर प्रान्त के जनपद इटावा में आये। 1857 के प्रथम विद्रोह के सममय वे इटावा के कलक्टर थे।

व्याख्या: पूना में दिसम्बर के अंत में हैजा फैलने के कारण कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन को बम्बई स्थानांतरित करना पड़ा था।

व्याख्या: सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ( जन्म- 10 नवम्बर, 1848, कलकत्ता; मृत्यु- 6 अगस्त, 1925, बैरकपुर) प्रसिद्ध स्वाधीनता सेनानी थे, जो कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष चुने गए। उन्हें 1905 का 'बंगाल का निर्माता' भी जाता है। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय समिति की स्थापना की, जो प्रारंभिक दौर के भारतीय राजनीतिक संगठनों में से एक था और बाद में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता बन गए।


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