जातिगत, जनजातीय, किसान व मजदूर आंदोलन ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन - GK Quiz (Set-1)

निम्नजाति, जनजाति, किसान व मजदूर आंदोलन ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन और उत्तर विस्तृत समाधान के साथ। 19वीं और 20वीं सदी के सामाजिक - धार्मिक सुधार आंदोलन MCQ क्विज़, आगामी परीक्षाओं जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC की तैयारी करें।

निम्नजाति, जनजाति, किसान व मजदूर आंदोलन

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 1)

व्याख्या: अप्रैल, 1935 ई. में संयुक्त प्रान्त में 'किसान संघ' की स्थापना हुई। इसी वर्ष एन.जी. रंगा एवं अन्य किसान नेताओं ने सभी प्रान्तीय किसान सभाओं को मिलाकर एक 'अखिल भारतीय किसान संगठन' बनाने की योजना बनाई।

अपने इसी उद्देश्य को आगे बढ़ाते हुए किसान नेताओं ने 11 अप्रैल, 1936 ई. को लखनऊ में अखिल भारतीय किसान सभा की स्थापना की। स्वामी सहजानन्द सरस्वती इसके अध्यक्ष तथा प्रो. एन.जी. रंगा इसके महासचिव चुने गए।

अखिल भारतीय किसान सभा को जवाहर लाल नेहरू ने भी सम्बोधित किया था। इस अधिवेशन में 1 सितम्बर, 1936 ई. को 'किसान दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय किया गया। फ़ैजपुर में कांग्रेस सम्मेलन के समय उसके समानान्तर होने वाले अखिल भारतीय किसान आन्दोलन की अध्यक्षता एन.जी. रंगा ने की।

व्याख्या: मेवाड़ प्रजा मंडल (24 अप्रैल 1938) की स्थापना का श्रेय माणिक्यलाल वर्मा को जाता है। उन्हीं के प्रयासों से 24 अप्रैल 1938 को उदयपुर में बलवंत सिंह मेहता की अध्यक्षता में मेवाड़ प्रजामंडल की स्थापना हुई।

25-26 नवम्बर 1941 को मेवाड़ प्रजामण्डल का प्रथम अधिवेशन उदयपुर के शाहपुरा हवेली में माणिक्य लाल वर्मा की अध्यक्षता में हुआ, जिसका उद्घाटन जे.बी. कृपलानी ने किया।

व्याख्या: वर्ष 1888 ई0 में अरव्विपुरम, केरल में श्री नारायण गुरु अरव्विपुरम आंदोलन चलाया। नारायण गुरु भारत के महान संत एवं समाजसुधारक थे।

कन्याकुमारी जिले में मारुतवन पहाड़ों की एक गुफा में उन्होंने तपस्या की थी। गौतम बुद्ध को गया में पीपल के पेड़ के नीचे बोधि की प्राप्ति हुई थी।

नारायण गुरु को उस परम की प्राप्ति गुफा में हुई। नारायण गुरु का जन्म दक्षिण केरल के एक साधारण परिवार में 26 अगस्त 1854 में हुआ था।

व्याख्या: नारायण गुरु के अनुसार जातीय भेद केवल तलीय है और उन्होंने इस बा पर बल दिया कि विशेष प्रकार के वृक्ष के पत्तों का रस, सार रूप से एक ही होगा। उन्होंने एक नारा दिया 'मानव के लिए एक धर्म, एक जाति तथा एक इश्वर।

व्याख्या: बारदोली सत्याग्रह गुजरात के सूरत जिले में किसानों द्वारा 4 फरवरी 1928 ई. में 'लगान न देने' के लिए किया गया। इसका नेतृत्व 'सरदार वल्लभ भाई पटेल' द्वारा किया गया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नरमपंथी नेताओं ने इस अहिंसक आन्दोलन का समर्थन 'सर्वेन्ट ऑफ इण्डिया सोसायटी' के माध्यम से किया।

व्याख्या: भारत में प्रथम फैक्टरी एक्ट 1881 में पारित हुआ। कारख़ाना अधिनियम, 1881 गवर्नर-जनरल लॉर्ड रिपन के समय में लाया गया। इस अधिनियम का उद्देश्य अल्पायु श्रमिकों को संरक्षण एवं उनके लिए स्वास्थ्य सुरक्षा की व्यवस्था करना था।

व्याख्या: बिरसा मुंडा (अंग्रेज़ी: Birsa Munda, जन्म- 15 नवम्बर, 1875 ई., राँची, झारखण्ड; मृत्यु- 9 जून, 1900 ई., राँची जेल) एक आदिवासी नेता और लोकनायक थे। ये मुंडा जाति से सम्बन्धित थे।

वर्तमान भारत में रांची और सिंहभूमि के आदिवासी बिरसा मुंडा को अब 'बिरसा भगवान' कहकर याद करते हैं। मुंडा आदिवासियों को अंग्रेज़ों के दमन के विरुद्ध खड़ा करके बिरसा मुंडा ने यह सम्मान अर्जित किया था।

  • 19वीं सदी में बिरसा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक मुख्य कड़ी साबित हुए थे।
  • बिरसा मुंडा ने अनुयायियों को संगठित करके दो दल बनाए। एक दल मुंडा धर्म का प्रचार करता था और दूसरा राजनीतिक कार्य।

कहा जाता है कि 1895 में कुछ ऐसी आलौकिक घटनाएँ घटीं, जिनके कारण लोग बिरसा को भगवान का अवतार मानने लगे। लोगों में यह विश्वास दृढ़ हो गया कि बिरसा के स्पर्श मात्र से ही रोग दूर हो जाते हैं।

व्याख्या: वायकोम सत्याग्रह (1924–25), अस्पृश्यता की कुप्रथा के विरुद्ध त्रावणकोर (केरल) में चलाया गया था। इसका उद्देश्य निम्न जातीय एझवाओं एवं अछूतों द्वारा गाँधी जी के अहिंसावादी तरीके से त्रावणकोर के एक मंदिर के निकट की सड़कों के उपयोग के बारे में अपने-अपने अधिकारों को मनवाना था।

व्याख्या: केरल में एक अन्य नेता थे जो एक अस्पृश्य जाति से थे। श्री नारायण गुरु (1854-1928) ने केरल में तथा केरल से बाहर कई स्थानों पर एस. एन. डी. पी. (श्री नारायण धर्म परिपालन योगम) नाम की एक संस्था तथा उसकी शाखाएं स्थापित की।

व्याख्या: महर्षि विट्ठल रामजी शिंदे (23 अप्रैल 1873 - 2 जनवरी 1944) महाराष्ट्र, भारत के सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक और धार्मिक सुधारकों में से एक थे। वह अपनी स्वतंत्रता से पहले भारत में उदारवादी विचारकों और सुधारवादियों में प्रमुख थे। उनका सबसे बड़ा योगदान अस्पृश्यता की प्रथा को दूर करने और भारतीय समाज में दबे हुए वर्गों में समानता लाने का प्रयास करना था।

व्याख्या: नारायण गुरु भारत के महान संत एवं समाजसुधारक थे। कन्याकुमारी जिले में मारुतवन पहाड़ों की एक गुफा में उन्होंने तपस्या की थी। गौतम बुद्ध को गया में पीपल के पेड़ के नीचे बोधि की प्राप्ति हुई थी। नारायण गुरु को उस परम की प्राप्ति गुफा में हुई।

व्याख्या: 1910 ई. के उपरान्त ज्योतिबा फुले के विचारों से प्रेरित होकर मुकुन्दराव पाटिलएवं शकंर राव जाधव ने एक ब्राह्मण विरोधी 'बहुजन समाज' की स्थापना की यह आंदोलन कालान्तर में सामाजिक एवं राजनैतिक रूप में विघटनकारी और ब्रिटिश सर्कार का समर्थक बन गया था।

व्याख्या: नायर सर्विस सोसाइटी (NSS) नायर समुदाय की सामाजिक उन्नति और कल्याण के लिए बनाई गई संस्था है जो मुख्य रूप से दक्षिण भारत में केरल राज्य में पाई जाती है। इसे मन्नथु पद्मनाभ पिल्लई के नेतृत्व में स्थापित किया गया था।

व्याख्या: एम. एन. जोशी, जोसेफ बैपटिसटा तथा लाला लाजपत राय के प्रयासों से 'अखिल भारतीय बाजार संघ कांग्रेस' या अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की स्थापना बंबई में 31 अक्टूबर, 1920 को हुई। लाला लाजपत राय इसके प्रथम अध्यक्ष और दीवान चमनलाल प्रथम माहसचिव थे।

व्याख्या: मुंडा विद्रोह उपमहाद्वीप में 19 वीं सदी के प्रमुख आदिवासी विद्रोह में से एक है। बिरसा मुंडा ने 1899-1900 में रांची के दक्षिण में इस आंदोलन का नेतृत्व किया।

24 दिसम्बर, 1899 को यह आन्दोलन आरम्भ हुआ। तीरों से पुलिस थानों पर आक्रमण करके उनमें आग लगा दी गई। सेना से भी सीधी मुठभेड़ हुई, किन्तु तीर कमान गोलियों का सामना नहीं कर पाये। बिरसा मुंडा के साथी बड़ी संख्या में मारे गए।

उनकी जाति के ही दो व्यक्तियों ने धन के लालच में बिरसा मुंडा को गिरफ़्तार करा दिया। 9 जून, 1900 ई. को जेल में उनकी मृत्यु हो गई। शायद उन्हें विष दे दिया गया था। लेकिन लोक गीतों और जातीय साहित्य में बिरसा मुंडा आज भी जीवित हैं।


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