19वीं और 20वीं सदी के सामाजिक - धार्मिक सुधार आंदोलन ऑब्जेक्टिव प्रश्न - GK Quiz (Set-4)

19वीं और 20वीं सदी के सामाजिक - धार्मिक सुधार आंदोलन ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन और उत्तर विस्तृत समाधान के साथ। 19वीं और 20वीं सदी के सामाजिक - धार्मिक सुधार आंदोलन MCQ क्विज़, आगामी परीक्षाओं जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC की तैयारी करें।

19वीं और 20वीं सदी के सामाजिक - धार्मिक सुधार आंदोलन

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 4)

व्याख्या: शारदा देवी (अंग्रेज़ी: Sarada Devi, जन्म- 22 सितंबर, 1853; मृत्यु- 20 जुलाई, 1920) रामकृष्ण परमहंस की जीवन संगिनी थीं। 6 वर्ष की शारदामणि का 23 वर्ष के रामकृष्ण के साथ विवाह हुआ था। कुछ वर्ष बाद रामकृष्ण परमहंस अपनी पत्नी शारदा देवी को दिव्य माता की प्रतिमूर्ति मानने लगे।

व्याख्या: ब्रह्म समाज की स्थापना 20 अगस्त, 1828 को कलकत्ता में राजा राममोहन राय ने की थी। राजा राममोहन राय द्वारा ब्रह्म समाज स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य हिन्दू समाज में फैली विभिन्न बुराइयों - सती प्रथा, जातिवाद, अस्पृश्यता एवं बहुविवाह आदि का उन्मूलन करना था।

व्याख्या: पश्चिमी पंजाब में कूका आन्दोलन की शुरुआत लगभग 1840 में संभवत: भगत जवाहरमल द्वारा की गयी, जिन्हें आमतौर पर सियान साहिब के नाम से पुकारा जाता था। इसका उद्देश्य सिख धर्म में प्रचलित बुराइयों एवं अंधविश्वासों को दूर करके इस धर्म को शुद्ध करना था। 1872 में इसके एक नेता रामसिंह को रंगून में निर्वासित कर दिया गया, जहाँ 1885 में उनकी मृत्यु हो गयी।

व्याख्या: स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना 10 अप्रैल, 1875 ई. को गिरगांव मुम्बई में की थी, जिसका उद्देश्य वैदिक धर्म को शुद्ध रूप से स्थापित करना, भारत को धार्मिक सामाजिक व राजनीतिक रूप से एक सूत्र में बांधना तथा पाश्चात्य प्रभाव को समाप्त करना था।

व्याख्या: 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में 'नव हिन्दूवाद' (Neo-Hinduism) के सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि स्वामी विवेकानन्द थे।

व्याख्या: स्वामी विवेकानन्द ने अपने गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस की स्मृति में 1897 ई. में बेल्लूर में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। इनका बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। स्वामी विवेकानन्द एक कर्मयोगी और वेदांती थे। 1893 ई. में शिकागो में धर्म संसद में भाग लेकर इन्होंने पश्चात्य जगत को भारतीय संस्कृति व दर्शन से अवगत कराया। इन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वे ऐसे धर्म में विश्वास नहीं करते जो किसी विधवा के आंसू नहीं पोंछ सकता अथवा किसी अनाथ को रोटी नहीं दे सकता।

व्याख्या: बेहरामजी मेरवानजी मालाबारी (1853–1912) भारत के कवि, प्रकशक, लेखक तथा समाज सुधारक थे। वे स्त्रियों के अधिकारों की रक्षा के प्रबल पक्षधर थे। बेहराम जी ने स्त्री समाज को मुक्ति दिलाना अपने जीवन का सिद्धांत बना लिया था। भारतीयता के प्रति होते हुए अन्याय या अधर्म के विरुद्ध दादाभाई नौरोजी की लड़ाई में वह उनके दाहिने हाथ सदृश थे।

व्याख्या: प्रार्थना सभा भारतीय पुनर्जागरण के दौरान धार्मिक और सामाजिक सुधारों के लिए स्थापित एक समुदाय है।

इसकी स्थापना 31 मार्च 1867 को बंबई में आत्माराम पांडुरंग, महादेव गोविंद रानाडे और आर.जी. भंडारकर ने की थी।

व्याख्या: महाराष्ट्र के समाज सुधारक गोपालहरि देशमुख को लोकहितवादी कहा जाता था। गोपाल कृष्ण गोखले, न्यायाधीश रानाडे के शिष्य थे। वे रानाडे को अपना आध्यात्मिक और राजनीतिक गुरु मानते थे। l

1905 में गोखले ने सर्वेंट ऑफ़ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की। जिसका उद्देश्य देश भक्त तैयार करना था। उनकी मृत्यु पर तिलक ने उन्हें भारत का हीरा, महाराष्ट्र का रत्न और देश सेवकों का राजा बतलाया। ब्रिटिश सरकार गोखले को एक छुपा हुआ राजद्रोही समझती थी।

एम. जी. रानाडे को 'महाराष्ट्र का सुकरात' तथा 'आधुनिक ऋषि' कहा जाता था। रानाडे ने 1867 ई. में पूना में 'पूना सार्वजनिक सभा' की स्थापना की। जिसका उद्देश्य जनता में राजनीतिक चेतना को जागृत करना एवं महाराष्ट्र में समाज सुधार करना आदि था।

व्याख्या: "1849 में स्थापित परमहंस सभा, बंबई में स्थापित प्रथम सामाजिक-धार्मिक सुधार समूह था। परमहंस सभा या परमहंस मंडली की शुरुआत दुर्गाराम मेहताजी, दडोबा पांडुरंग और उनके मित्रों के समूह ने की थी।

दाडोबा पांडुरंग ने इस संगठन का नेतृत्व ग्रहण किया था। पांडुरंग ने परमहंसिक ब्रह्मधर्म में अपने सिद्धांतों को रेखांकित किया था। इसने एक गुप्त समाज के रूप में कार्य किया था।

सभा एकेश्वरवाद में विश्वास करती थी और जातिगत भेदभाव, महिला शिक्षा, बाल विवाह, विधवा पुनर्विवाह आदि के उन्मूलन के लिए लड़ी थी।

व्याख्या: राजा राममोहन राय ने शुद्ध एकेश्वरवाद के सिद्धांत पर आधारित ब्रह्म समाज की स्थापना की। इस प्रकार ब्रह्म समाज 19वीं शताब्दी का प्रथम धार्मिक और सामाजिक आन्दोलन था तथा राजा राममोहन राय पहले भारतीय थे जिन्होंने भारतीय धर्म और समाज की बुराइयों को दूर करने का प्रयत्न किया।

व्याख्या: देव समाज की स्थापना शिव नारायण अग्निहोत्री ने 1887 ई. में लाहौर में की थी। इस समाज का उद्देश्य पूर्णत: ब्रह्म समाज के समान था। देव समाज का धार्मिक ग्रन्थ 'देव साहित्य' और शिक्षाएं 'देव धर्म' थी। यह एक ईश्वरवादी थे। अग्निहोत्री इससे पहले ब्रह्म समाज के बंगाल में सदस्य थे।

व्याख्या: राधास्वामी मत के संस्थापक परम पुरुष पूरण धनी हुजूर स्वामी शिव दयाल सिंह सेठ थे। उनका जन्म 24 अगस्त 1818 को उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित पन्नी गली में हुआ था। वे बचपन से ही शब्द योग के अभ्यास में लीन रहते थे। बरसों के अनुभवों के आधार पर 15 फरवरी सन 1861 को उन्होंने राधा स्वामी सत्संग की शुरुआत की।

व्याख्या: नवजागरण के अग्रदूत', 'सुधार आंदोलनों के प्रवर्तक', 'आधुनिक भारत के पिता' एवं 'नव प्रभात का तारा' के नाम से विख्यात, राजा राम मोहन राय ने (1822 ई.) फ़ारसी भाषा में 'मिरात-उल-अखबार' प्रकाशित किया।

उन्होंने 1821 ई. में बंगाली पत्रिका 'संवाद कौमुदी' का भी प्रकाशन किया। राजा राम मोहन राय को भारतीय पत्रकारिता के अग्रदूत के नाम से भी जाना जाता है।

व्याख्या: सिविल मैरिज एक्ट या नेटिव मैरिज अथवा ब्रह्म मैरिजेज एक्ट के द्वारा, लड़कियों के विवाह की निम्नलिखित आयु 14 वर्ष और लड़कों की 18 वर्ष निर्धारित की गयी। इस अधिनियम के द्वारा बहुपत्नी प्रथा को भी समाप्त कर दिया गया। ज्ञातव्य है कि केशव चन्द्र सेन ने बाल विवाह को रोकने का अथक प्रयास किया। उन्हीं के प्रयास से 1872 में अंतर्जातीय एवं विधवा पुनर्विवाह बिल पारित हुआ।

व्याख्या: सर सैयद अहमद खान, शिक्षाविदों और भारत के समाज सुधारक ने 1870 में "द मोहम्मडन सोशल रिफॉर्मर" नाम से एक मासिक उर्दू पत्रिका "तहजीब अल-अखलाक" शुरू की।


Correct Answers:

CLOSE
0/15
Incorrect Answer..!
Correct Answer..!
Previous Post Next Post
If you find any error or want to give any suggestion, please write to us via Feedback form.