19वीं और 20वीं सदी के सामाजिक - धार्मिक सुधार आंदोलन ऑब्जेक्टिव प्रश्न - GK Quiz (Set-2)

19वीं और 20वीं सदी के सामाजिक - धार्मिक सुधार आंदोलन ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन और उत्तर विस्तृत समाधान के साथ। 19वीं और 20वीं सदी के सामाजिक - धार्मिक सुधार आंदोलन MCQ क्विज़, आगामी परीक्षाओं जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC की तैयारी करें।

19वीं और 20वीं सदी के सामाजिक - धार्मिक सुधार आंदोलन

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 2)

व्याख्या: 'सत्यार्थ प्रकाश' की रचना आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानन्द सरस्वती ने की थी। इस ग्रंथ में चौदह अध्याय हैं। 'सत्यार्थ प्रकाश' की रचना का प्रमुख उद्देश्य आर्य समाज के सिद्धान्तों का प्रचार-प्रसार था।

यद्यपि दयानन्द सरस्वती की मातृभाषा गुजराती थी और वे धाराप्रवाह संस्कृत भी बोलते थे, किंतु फिर भी उन्होंने 'सत्यार्थ प्रकाश' की रचना हिन्दी में की।

स्वामी जी पूरे भारत में घूम-घूमकर शास्त्रार्थ एवं व्याख्यान कर रहे थे। उनके अनुयायियों ने अनुरोध किया कि यदि इन शास्त्रार्थों एवं व्याख्यानों को लिपिबद्ध कर दिया जाय तो ये अमर हो जायें।

व्याख्या: रामकृष्ण मिशन की स्थापना 1 मई, 1897 ई. को हुई थी। इस मिशन की स्थापना स्वामी विवेकानन्द ने की थी जो रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे। इस मठ की विश्व में कुल 205 शाखाएं हैं और इसका मुख्यालय पश्चिम बंगाल के वेल्लूर मठ में स्थित है। यह संगठन वेदान्त की हिन्दू विचारधारा में यकीन रखता है।

व्याख्या: सन 1821 के आस-पास वहाबी आन्दोलन की स्थापना का श्रेय भारत के सैयद अहमद राय बरेलवी को जाता है, जो कि शाह अब्दुल अजीज का शिष्य था। शाह अजीज, शाह वली उल्लाह के सबसे बड़े पुत्र थे। इनके सम्पर्क में आने के पश्चात रायबरेलवी पर वहाबी आन्दोलन का विशेष प्रभाव पडा, जिसके चलते भारत में उसने पटना को वहाबी आन्दोलन का केंद्र बना कर कार्य किया। बिहार में इसका नेतृत्व चिराग अली ने किया। यह पाश्चात्य प्रभावों के विरुद्ध प्रतिक्रिया स्वरूप भी था। वहाबी आन्दोलन को मुसलमानों के स्वतंत्रता युद्ध की संज्ञा दी जाती थी। इसका मुख्य लक्ष्य मुसलमानों में फैली बुराइयों एवं कुरीतियों को दूर करना एवं इस्लाम को शुद्ध करना था।

व्याख्या: सन 1807 में ब्रिटेन ने दास प्रथा उन्मूलन क़ानून के तहत अपने देश में अफ़्रीकी ग़ुलामों की ख़रीद-फ़रोख्त पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी। 1808 में अमेरिकी कांग्रेस ने ग़ुलामों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया। वर्ष 1833 तक यह क़ानून पूरे ब्रिटिश साम्राज्य में लागू कर दिया। भारत में ब्रिटिश शासन के समय 1843 ई. में इस प्रथा को बन्द करने के लिए एक अधिनियम पारित कर दिया गया था।

व्याख्या: गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी परिषद के सदस्य लॉर्ड मैकाले ने 2 फरवरी, 1835 को अपना महत्त्वपूर्ण स्मरण-पत्र लिखा, जिसमें इस उद्देश्य को प्रकट किया गया कि भारत में व्यक्तियों की एक ऐसी श्रेणी विकसित की जाए जो रूप-रंग से तो भारतीय हो, किन्तु ज्ञान, प्रवृत्ति और नैतिकता की दृष्टि से अंग्रेज हों। तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बैंटिक ने मैकाले के प्रस्ताव को 7 मार्च, 1835 को स्वीकार कर लिया। इस प्रकार लॉर्ड विलियम बैंटिक ने अंग्रेजी शिक्षा को लागू किया।

व्याख्या: आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद ने वेदों के संदेश के प्रसार की दिशा में अपना पूरा जीवन समर्पित किया। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों, बुराइयों को मिटाने के लिए कार्य किया। महर्षि दयानंद सरस्वती ने लोगों को वेदों की ओर लौटने का आह्वान किया तथा धार्मिक अंधविश्वास और रूढ़ियों को दूर करने के लिए जनजागृति पैदा की तथा भारत के लोगों को वैदिक संस्कृति से पुन:अवगत कराया।

व्याख्या: महादेव गोविन्द रानाडे प्रार्थना समाज का सदस्य 1869 ई. में बने। प्रार्थना समाज को प्रसिद्धि दिलाने का श्रेय रानाडे को जाता है। इन्होंने बाल विवाह, पर्दा प्रथा, बहुविवाह एवं जाति-पाति का विरोध किया। इन्हें महाराष्ट्र का सुकरात कहा जाता है।

व्याख्या: स्वामी विवेकानन्द वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उनहोंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था।

भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुंचा। उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुआत 'मेरे अमेरिकी भाइयों एवं बहनों' के साथ करने के लिए जाना जाता है। उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था।

व्याख्या: अकबर द्वितीय ने राम मोहन राय को राजा की उपाधि दी। अकबर द्वितीय 1806-1837 तक मुगल सम्राट था। उसने 'फूलों की सैर' का त्योहार शुरू किया। उसकी कब्र महरौली में कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की कब्र के पास है।

व्याख्या: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना सर सैयद अहमद खान ने 1875 ई. में मोहम्मद एंग्लो-ओरिएण्टल कॉलेज के रूप में स्थापित किया था। मोहम्मद-एंग्लो-ओरिएण्टल कॉलेज 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बन गया।

व्याख्या: राजा राममोहन रॉय को 'आधुनिक भारत का जनक' कहा जाता है। वे ब्रह्म समाज के संस्थापक थे। राजा राममोहन रॉय भारतीय उपमहाद्वीप में सामाजिक-धार्मिक सुधार आन्दोलन के अग्रदूत थे।

दिल्ली के तत्कालीन मुगल शासक अकबर द्वितीय ने उन्हें 'राजा' की उपाधि से नवाजा था। उन्हें सती और बाल विवाह की प्रथाओं को खत्म करने के प्रयासों के लिए भी जाना जाता है।

उनका सारा जीवन समाज और महिलाओं के हक के लिए संघर्ष करते हुए बीता। वे एक महान विद्वान और स्वतंत्र विचारक थे। उन्हें बंगाल के नवयुग का प्रवर्तक भी कहा जाता है।

व्याख्या: राजा राममोहन राय अंग्रेजी शिक्षा के पक्ष में थे। उनके अनुसार, उदारवादी पाश्चात्य शिक्षा ही अज्ञान के अन्धकार से हमे निकाल सकती है और भारतीयों को देश के प्रशासन में भाग दिला सकती है। वे संस्कृत शिक्षा के पक्ष में नहीं थे।

व्याख्या: कन्याकुमारी का रॉक मेमोरियल स्वामी विवेकानन्द को समर्पित है। इसका निर्माण 1970 में विवेकानन्द शिला स्मारक समिति द्वारा किया गया था।

व्याख्या: राजा राममोहन राय का जन्म 22 मई, 1772 को बंगाल के हुगली जिले के राधा नगर गाँव में हुआ था। पिता का नाम रमाकांत राय एवं माता का नाम तारिणी देवी था। उनके प्रपितामह कृष्ण चन्द्र बनर्जी बंगाल के नवाब की सेवा में थे। उन्हें राय की उपाधि प्राप्त थी। ब्रिटिश शासकों के समक्ष दिल्ली के मुगल सम्राट की स्थिति स्पष्ट करने के कारण सम्राट ने उन्हें राजा की उपाधि से विभूषित किया था। प्रतिभा के धनी राजा राम मोहन राय बहुभाषाविद थे।

व्याख्या: राममोहन राय के धार्मिक/सामजिक विचारों के विरोध में भवानीचरण बंधोपाध्याय ने 1822 ई. में समाचार चन्द्रिका (पत्रिका) का प्रकाशन शुरू किया। इससे पूर्व वे संवाद कौमुदी के संपादक थे।


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