गाँधी युग ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं व्याख्या - राष्ट्रीय आंदोलन GK Quiz (Set-8)

गाँधी युग से सम्बंधित ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ। आधुनिक भारत के इतिहास - गाँधी युग MCQ क्विज़, आगामी परीक्षाओं जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC की तैयारी करें।

गाँधी युग (1917 ई.-1947 ई.)

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 8)

व्याख्या: डॉ. राजेंद्र प्रसाद 1946 में बनी भारत की अंतरिम सरकार में खाद्य एवं कृषि मंत्री (Minister of Agriculture and food) थे। इस सरकार में रक्षा विभाग बलदेव सिंह के पास था जबकि विदेश मामले तथा राष्ट्रमंडल संबंध का विभाग जवाहरलाल नेहरू के पास था।

व्याख्या: सुभाष चंद्र बोस ने भी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. बाद में सुभाष चंद्र बोस ने फॉरवर्ड ब्लॉक नामक राजनीतिक दल बना लिया.

व्याख्या: अंतरिम सरकार एक शाही संरचना और एक लोकतांत्रिक संरचना के बीच के रूप में बनाई गई थी। यह 15 अगस्त 1947 तक चला जब भारत स्वतंत्र हुआ एवं भारत और पाकिस्तान में विभाजित हो गया।

यह अंतरिम सरकार संविधान सभा द्वारा बनाई गई थी जिसे अगस्त 1946 में चुना गया था। उस वक़्त संविधान सभा का चुनाव प्रत्यक्ष नहीं था और प्रतिनिधि प्रांतीय विधानसभाओं द्वारा चुने गए थे।

इन चुनावों में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने लगभग 69 प्रतिशत सीटों के साथ बहुमत हासिल किया था। कांग्रेस पार्टी ने 208 सीटें और मुस्लिम लीग ने 73 सीटें प्राप्त की।

  • अंतरिम सरकार में, वायसराय की कार्यकारी परिषद मंत्रिपरिषद की स्थिति के बराबर थी, जो कार्यकारी के रूप में कार्य करती थी।
  • पंडित जवाहरलाल नेहरू इसके उपाध्यक्ष के रूप में चुने और वास्तविक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।

व्याख्या: चिटगांव शस्त्रागार धावे को 'मास्टर दा' के नाम से प्रसिद्ध सूर्यसेन ने आयोजित किया था सूर्यसेन ने बंगाल में इन्डियन रिपब्लिकन आर्मी (IRA) की स्थापना की थी। इसके सदस्यों में अनंत सिंह, अंबिका चक्रवर्ती, लोकिनाथ, प्रीतिलता बडेदार, गणेश घोष, कल्पना दत्त, आनंद गुप्त तथा टेगराबल प्रमुख थे। 18 अप्रैल, 1930 को सूर्यसेन ने अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की। सूर्यसेन के नेतृत्व में आई. आर. ए. के सदस्यों ने चटगांव शास्त्रागार पर आक्रमण कर हथियारों पर कब्जा कर लिया।

व्याख्या: लॉर्ड माउंटबेटन ने कैबिनेट मिशन की असफलता के बाद 4 मार्च और 6 मई के बीच भारतीय नेताओं के साथ साक्षात्कार की तीव्र श्रृंखला के बाद माउंटबेटन ने तय किया कि कैबिनेट मिशन की रुपरेखा अव्यवहारिक हो चुकी है। तब उन्होंने एक वैकल्पिक योजना बनाई, जिसे 'बाल्कन प्लान' नाम दिया गया। इसमें विभिन्न प्रांतो को सत्ता हस्तांतरण करने की बात थी। लेकिन नेहरु आदि नेताओं ने इस योजना को त्याग दिया था।

व्याख्या: द्वितीय विश्व युद्ध के समय सुभाष चन्द्र बोस का कहना था की इस अवसर का लाभ उठाकर भारत को स्वतंत्र कराया जा सकता है, क्योंकि इस समय ब्रिटेन युद्ध में फंसा हुआ है। वह ब्रिटेन पर किसी भी प्रकार के संकट को भारत के लिए वरदान मानते थे।

व्याख्या: 1919 के अधिनियम के प्रावधानों की समीक्षा हेतु 1927 में साइमन कमीशन की नियुक्ति की गई। भारतीयों ने साइमन कमीशन का विरोध इसलिए किया क्योंकि इस कमीशन में एक भी भारतीय नहीं था। जब साइमन कमीशन 3 फरवरी, 1928 को भारत पहुंचा तो भारतीयों ने व्यापक पैमाने पर इसका विरोध किया। जब कमीशन लाहौर पहुंचा तो वहां लाला लाजपत राय के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन किया गया और प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज के दौरान लाला जी को काफी चोटें आई। इस दमन पर लाला लाजपत राय ने कहा था 'मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत की कील सिद्ध होगी।''

व्याख्या: 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ में रोलेट एक्ट, अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों व दो नेताओं सत्यपाल और सैफ़ुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी के विरोध में एक सभा रखी गई, जिसमें कुछ नेता भाषण देने वाले थे। शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था, फिर भी इसमें सैंकड़ों लोग ऐसे भी थे, जो बैसाखी के मौके पर परिवार के साथ मेला देखने और शहर घूमने आए थे और सभा की खबर सुन कर वहां जा पहुंचे थे।

व्याख्या: पुस्तक 'दि स्टोरी ऑफ दि इन्टीग्रेशन ऑफ द इंडियन स्टेट्स' बी. पी. मेनन ने लिखी।
राउ बहादुर वाप्पला पंगुन्नि मेनन (30 सितंबर 1893 - 31 दिसंबर 1965) एक भारतीय प्रशासनिक सेवक थे जो भारत के अन्तिम तीन वाइसरायों के संविधानिक सलाहकार एवं राजनीतिक सुधार आयुक्त भी थे। भारत के विभाजन के काल में तथा उसके बाद भारत के राजनीतिक एकीकरण में उनकी महती भूमिका रही। बाद में वे स्वतंत्र पार्टी के सदस्य बन गये थे।

व्याख्या: पूना पैक्ट अथवा पूना समझौता भीमराव आम्बेडकर एवं महात्मा गांधी के मध्य पुणे की यरवदा सेंट्रल जेल में 24 सितम्बर, 1932 को हुआ था। अंग्रेज सरकार ने इस समझौते को सांप्रदायिक अधिनिर्णय (कॉम्युनल एवार्ड) में संशोधन के रूप में अनुमति प्रदान की।

व्याख्या: इंडियन इंडिपेंडेस लीग की स्थापना मुख्य रूप से भारतीय राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए जापानी समर्थन प्राप्त करने के लिए की गई थी।

  • लीग भंग होने से पहले मोहन सिंह के नेतृत्व में पहली भारतीय राष्ट्रीय सेना के साथ बातचीत और कमान करने आई थी।
  • जवाहरलाल नेहरू ने श्रीनिवास अयंगर और सुभाष चंद्र बोस के साथ वर्ष 1928 में इंडिपेंडेंस फॉर इंडिया लीग की स्थापना की, जिसने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग रखी।

इंडियन इंडिपेंडेस लीग (जिसे आईआईएल के नाम से भी जाना जाता है) 1920 से 1940 के दशक तक संचालित एक राजनीतिक संगठन था, जो भारत से बाहर रहने वालों को भारत पर ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन को हटाने की मांग के लिए संगठित करता था।

व्याख्या: जीवटराम भगवानदास कृपलानी (11 नवम्बर 1888 – 19 मार्च 1982) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी, गांधीवादी समाजवादी, पर्यावरणवादी तथा राजनेता थे।

व्याख्या: हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसिएशन भारतीय स्वतन्त्रता के लिए सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से ब्रिटिश राज को समाप्त करने के उद्देश्य को लेकर गठित एक क्रान्तिकारी संगठन था। 1928 तक इसे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के रूप में जाना जाता था।

व्याख्या: 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ में रोलेट एक्ट, अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों व दो नेताओं सत्यपाल और सैफ़ुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी के विरोध में एक सभा रखी गई, जिसमें कुछ नेता भाषण देने वाले थे। शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था, फिर भी इसमें सैंकड़ों लोग ऐसे भी थे, जो बैसाखी के मौके पर परिवार के साथ मेला देखने और शहर घूमने आए थे और सभा की खबर सुन कर वहां जा पहुंचे थे।


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