ब्रिटिश सत्ता का विस्तार MCQ प्रश्न उत्तर और व्याख्या - GK Quiz (Set-4)

भारत में ब्रिटिश सत्ता का विस्तार MCQ प्रश्न उत्तर और विस्तृत समाधान के साथ। ब्रिटिश सत्ता का विस्तार MCQ क्विज़, आगामी परीक्षाओं जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC की तैयारी करें।

ब्रिटिश सत्ता का विस्तार

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 4)

व्याख्या: इलाहाबाद की दूसरी संधि (अगस्त, 1765) के अनुसार, भगोड़े सम्राट शाह आलम को अंग्रेजी संरक्षण में ले लिया गया तथा उसे इलाहाबाद में रखा गया। शाहआलम ने अपने 12 अगस्त के फरमान द्वारा कंपनी को बंगाल, बिहार, उड़ीसा की दीवानी स्थायी रूप से दे दी, जिसके बदले कंपनी सम्राट को 26 लाख रुपया देगी तथा निजाम के व्यय के लिए 53 लाख रुपया देगी। इस स्म्ब्य कंपनी सीधे कर संग्रह करने का भार तो नहीं लेना चाहती थी और न ही उसके पास एसी क्षमता थी। कंपनी ने दीवानी कार्य के लिए दो उपदीवान, मुर्शिदाबाद (बंगाल) के लिए मुहम्मद रजा खान तथा बिहार के लिए राजा शिताब राय की नियुक्ति की। मुहम्मद रजा खान, उपनिजाम के रूप में भी कार्य करते थे। इस प्रकार समस्त दीवानी तथा निजामत का कार्य भारतीयों द्वारा ही चलता था, यद्यपि उत्तरदायित्व कंपनी का था।

व्याख्या: राजा शिताब राय को रावर्ट क्लाइव ने बिहार का नायब दीवान तथा मोहम्मद रजा खां को बंगाल का नायब नियुक्त किया।

व्याख्या: ज्ञातव्य है कि प्रसिद्ध 'कोहिनूर हीरा रणजीत सिंह को अफगान शासक शाहशुजा से प्राप्त हुआ था, जिसे नादिरशाह लाल किले से लूटकर ले गया था, और जिसे दिलीप सिंह से सम्राज्ञी को सौंप दिया था।

व्याख्या: पोर्टो नोवो की लड़ाई 1781 ई. में मैसूर के हैदरअली और सर आयरकूट के नेतृत्व में कम्पनी फ़ौजों के बीच की गई।

व्याख्या: महाराजा खरक सिंह (22 फरवरी 1801 - 5 नवंबर 1840), पंजाब और सिख साम्राज्य के एक सिख शासक थे। उन्होंने जून 1839 में अपने पिता रंजीत सिंह का उत्तराधिकारी बनाया।

महाराजा रणजीत सिंह- रणजीत सिंह का प्रशासन भी महत्त्वपूर्ण रहा। वह निरंकुश होते हुए भी 'खालसा' के नाम पर शासन करते थे। उनकी सरकार को 'सरकार खालसा' कहा जाता था।

एक फ़्राँसीसी पर्यटक 'विक्टर जैकोमाण्ट' ने रणजीत सिंह की तुलना नेपोलियन बोनापार्ट से की है।

व्याख्या: द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध (1803-06) - लार्ड वेलेजली
द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध 1803 ई. से 1806 ई. तक चला। बाजीराव द्वितीय को अपने अधीन कर लेने के उपरांत अंग्रेज इस बात के लिए प्रयत्नशील थे कि, वे होल्कर, भोसलें तथा महादजी शिन्दे को भी अपने अधीन कर लेंगे।
लॉर्ड वेलेजली ने महादजी शिन्दे और भोंसले, जो उस समय दक्षिण के बरार में थे, को अपने-अपने क्षेत्र में लौट जाने को कहा।

व्याख्या: सिक्खों के पाँचवे गुरु अर्जुन देव ने विद्रोही राजकुमार खुसरो की सहायता धन एवं आशीर्वाद से की थी। सम्राट की दृष्टि में गुरु अर्जुन देव को मृत्युदण्ड दिया जिससे सिक्कों और मुगलों के बीच भेदभाव उत्पन्न हो गए।

व्याख्या: 22 अक्टूबर, 1764 को निर्णायक 'बक्सर का युद्ध' प्रारम्भ हुआ। बक्सर के युद्ध का एतिहासिक दृष्टि से प्लासी के युद्ध से भी अधिक महत्व है क्योंकि ईद युद्ध के परिणाम से तत्कालीन प्रमुख भारतीय शक्तियों की संयुक्त सेना के विरुद्ध अंग्रेजी सेना की श्रेष्ठता प्रमाणित होती है। बक्सर के युद्ध ने बंगाल, बिहार और उड़ीसा पर कंपनी का पूर्ण प्रभुत्व स्थापित कर दिया, साथ ही अवध अंग्रेजों का कृपापात्र बन गया। मुगल बादशाह पेंशनर बन गया। बक्सर के युद्ध में अंग्रेजी सेना का नेतृत्व मेजर मुनरो कर रहा था। इस युद्ध ने बंगाल के साथ-साथ भारत पर अंग्रेजी प्रभुत्व की नीव रखी।

व्याख्या: 1 नवम्बर, 1858 को महारानी विक्टोरिया का घोषणापत्र लॉर्ड कैनिंग ने इलाहाबाद में पढ़कर सुनाया था।

व्याख्या: रणजीत सिंह के पिता महा सिंह इसी तरह की एक मिस्ल के सरदार थे। उस मिस्ल का नाम सुकरचकिया मिस्ल था जो पंजाब के पश्चिमी हिस्से में थी। महा सिंह के निधन के बाद रणजीत सिंह की परवरिश उनकी मां ने की।

व्याख्या: लॉर्ड विलियम बैटिंक (1828-1835) ने जुलाई, 1828 में भारत के गवर्नर जनरल का कार्यभार संभाला। इसी के समय में माथे पर जातीय चिन्ह लगाने तथा कानों में बालियाँ पहनने देने पर बेल्लोर के सैनिकों ने विद्रोह कर दिया था। इन्होने सन 1831 में कुशासन के आधार पर मैसूर तथा दुर्ग के प्रशासन को ब्रिटिश राज्य में मिला लिया।

व्याख्या: मीर कासिम (बंगाली : मूक कविता ; 8 मई 1777) 1760 से 1763 तक बंगाल के नवाब थे
उन्होंने अपनी राजधानी राजधानी मुर्शिदाबाद से वर्तमान में बिहार में स्थानांतरित कर दी, जहां उन्होंने स्वतंत्र सेना को उठाया, कर संग्रह को व्यवस्थित करके उन्हें वित्त पोषित किया।

व्याख्या: गुरु गोविन्द सिंह की मृत्यु मात्र 42 वर्ष की आयु में 7 अक्टूबर, 1708 को नांदेड़ , महाराष्ट्र में हुई। नादेड़ गुरुद्वारा गुरु गोविन्द सिंह का समाधि स्थल है, जिसके कारण ये पवित्र स्थल माना जाता है।

व्याख्या: बक्सर के युद्ध (1764) के समय दिल्ली का शासक शाह आलम ll था।

शाहआलम द्वितीय (शासन काल 1759-1806 ई., जन्म- 25 जून, 1728, शाहजहाँनाबाद; मृत्यु- 19 नवम्बर, 1806) 17वाँ मुग़ल बादशाह था। इसका असली नाम शाहज़ादा अली गौहर था। यह आलमगीर द्वितीय के उत्तराधिकारी के रूप में 1759 ई. में गद्दी पर बैठा।

14 सितंबर 1803 को इसका राज्य ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन आ गया और ये मात्र कठपुतली बनकर रह गया। 1806 में इसकी मृत्यु हुई।

व्याख्या: 'फूट डालो, शासन करो' की नीति चलाने वाले अंग्रेज़ों ने संधि करने के बाद टीपू से गद्दारी कर डाली। ईस्ट इंडिया कंपनी ने हैदराबाद के साथ मिलकर चौथी बार टीपू पर ज़बर्दस्त हमला किया और आख़िरकार 4 मई सन् 1799 ई. को मैसूर का शेर श्रीरंगपट्टनम की रक्षा करते हुए शहीद हो गया।


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