मराठा से जुड़े ऑब्जेक्टिव प्रश्न उत्तर और व्याख्या - Marathas MCQ GK Quiz (Set-5)

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मराठा सम्राज्य

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 5)

व्याख्या: 4 मार्च 1816 को ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के राजा ने सुगौली संधि का अनुमोदन कर दिया, जो 2 दिसम्बर 1815 को हस्ताक्षरित था. इसके साथ ही ब्रिटिश और नेपाल शासन के बीच युद्ध विराम की घोषणा हो गई। इस संधि के तहत अंग्रेजों ने मिथिला (तराई) का एक बड़ा भू-भाग नेपाल के अधीन कर दिया था।

व्याख्या: रघुजी भोंसले, (जिसे रघुजी भोंसले प्रथम के नाम से भी जाना जाता है) नागपुर के भोंसला शासकों में प्रथम शासक था। उसका जन्म एक मराठा ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वैवाहिक सम्बन्ध से वह राजा शाहू का सम्बन्धी भी था। वह पेशवा बाजीराव प्रथम के प्रतिद्वन्द्वी दल का नेता था।

व्याख्या: छत्रपति शिवाजी महाराज- वह शाहजी के दूसरे पुत्र थे, मराठा राष्ट्र के निर्माता थे। उन्होने मालवा, कोंकण और देश क्षेत्रों के मराठा प्रमुखों को एक छोटे से राज्य के निर्माण के लिए एकजुट किया। 1647 में अपने संरक्षक कोंणदेव की मृत्यु के बाद उन्होंने वंशानुगत जागीर पर अधिकार कर लिया।

उनका जन्म 1627 में शिवनेर के पहाड़ी किले में हुआ था। उन्होंने कम उम्र में अपने सैन्य करियर की शुरुआत की। उन्होंने 1656 में तोरण के किले पर कब्जा कर लिया। 1656 से, उन्होंने बीजापुर के स्थानीय अधिकारियों से कई अन्य किलों पर कब्जा करना शुरू कर दिया।

शिवाजी को औपचारिक रूप से 1674 में रायगढ़ में उनके राज्य के छत्रपति (राजा) के रूप में ताज पहनाया गया था।

व्याख्या: पानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 में अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली और पुणे के सदाशिवराव भाऊ पेशवा के तहत मराठों के बीच लड़ा गया था। यह लडाई अहमद शाह अब्दाली ने सदाशिवराव भाऊ को हराकर जीत ली थी। यह हार इतिहास मे मराठों की सबसे बुरी हार थी।

व्याख्या: यदुनाथ सरकार (बांग्ला में उच्चारण, 'जदुनाथ सरकार') (1870 - 1958) भारत के एक प्रसिद्ध इतिहासकार थे। भारतीय मुगलकाल के इतिहास-लेखन के क्षेत्र में उनका अकादमिक योगदान अप्रतिम है।

व्याख्या: बाजीराव प्रथम को लड़ाकू पेशवा के रूप में स्मरण किया जाता है। (सैनिक पेशवा तथा शक्ति के अवतार के रूप में) बाजीराव प्रथम शिवाजी महाराज के बाद गुरिल्ला युद्ध का सबसे बड़ा प्रतिपादक था। शाहू ने बाजीराव प्रथम को योग्य पिता का योग्य पुत्र कहा है। बाजीराव प्रथम ने हिन्दू पादशाही का आदर्श रखा। यद्यपि बालाजी बाजीराव ने इसे खत्म कर दिया।

व्याख्या: पेशवा शासन के दौरान नाना फडनवीस मराठा साम्राज्य के प्रभावशाली मंत्री व कूटनीतिज्ञ थे। यूरोपीय द्वारा उन्हें 'मराठा मैकियावेली' (सुप्रसिद्ध इतालवी कूटनीतिज्ञ निकोलो मैकियावेली पर आधारित नाम) कहा जाता था। ब्रिटिश साम्राज्य की बढ़ती हुई शक्ति के दौरान भी उन्होंने मराठा साम्राज्य को सुरक्षित रखा।

व्याख्या: सदाशिवराव भाऊ (4 अगस्त 1730-20 जनवरी 1761) मराठा सेना के सेनानायक थे। उन्हें देशी राज्यों के विरुद्ध सैनिक सफलताओं के कारण असाधारण सेनानी समझा गया और पानीपत में मराठों की भीषण पराजय का आवश्यकता से अधिक दोषी भी। अनुकूल प्रकृति होते हुए भी महत्त्वकांक्षी और स्पष्टवादी होने से, भाऊ ने शासनप्रबंध में असाधरण दक्षता प्राप्त की; किन्तु वहीं भाऊ और पेशवा में मनोमालिन्य बढ़ाने का भी कारण बना। भाऊ का प्रथम महत्त्वपूर्ण कार्य पश्चिमी कर्नाटक में मराठा आधिपत्य स्थापित करना था। फिर, विद्रोही यामाजी शिवदेव को पराजित कर उसने संगोला का किला हस्तगत किया। उसने मराठा शासन में वैधानिक क्रांति स्थापित कर दी।

व्याख्या: शाह आलम द्वितीय (1728-1806), जिसे अली गौहर भी कहा गया है, भारत का मुगल सम्राट रहा। इसे गद्दी शाहजहां (तृतीय) को हटाकर मिली। 14 सितंबर 1803 को इसका राज्य ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन आ गया और ये मात्र कठपुतली बनकर रह गया। 1806 में इसकी मृत्यु हुई। 1759 में अपने पिता आलमगीर द्वितीय की हत्या करवा दी जाने के कारण वह मुगल राजधानी दिल्ली को छोड़कर पटना की ओर भाग गए जहां पर उन्होंने अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए इमाद उल मुल्क और शाहजहां (तृतीय) के विरुद्ध षड्यंत्र रचना शुरू कर दिया और अपनी एक बहुत बड़ी सेना बनाई और उन्होंने शाहजहां (तृतीय) और इमादउल मुलक को हटाने के लिए सदाशिवराव भाऊ से सहायता मांगी सदाशिवराव भाऊ ने उनकी मदद की और इमादउल मुलक को खत्म कर शाहजहां (तृतीय) को गद्दी से हटाकर 1760 में शाह आलम को दिल्ली का मुगल सम्राट बनाया गया। 1760 से लेकर 1806 तक इनका शासन काल रहा 1771 में मराठा सरदार महादजी शिंदे की सहायता से इन्होंने वापस दिल्ली की गद्दी को प्राप्त किया और महादाजी से प्रसन्न होकर उन्होंने उसे अमीरुल हमारा और वकील उल मुतल्क की उपाधि प्रदान की।

व्याख्या: माधवराव मराठा साम्राज्य का अंतिम पेशवा था। उनके कार्यकाल के दौरान, मराठा साम्राज्य पानीपत की तीसरी लड़ाई के दौरान हुए नुकसान से उबर गया, जिसे मराठा पुनरुत्थान के नाम से जाना जाता है। उन्हें मराठा इतिहास के सबसे महान पेशवाओं में से एक माना जाता है।

व्याख्या: पेशवा माधवराव नारायण की कम आयु होने के कारण मराठा राज्य की देख-रेख बारह-भाई सभा नाम की 12 सदस्यों की एक परिषद करती थी। इस परिषद के 2 मुख्य सदस्य थे महादजी सिंधिया व नाना फडनवीस। इसी के समय प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध हुआ। प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध का कारण रघुनाथ राव का पद से हटने के बाद ब्रिटिशरों के पास मद्द मांगने के लिए जाना था। सालाबाई की संधि से यह युद्ध समाप्त हुआ।

व्याख्या: माधवराव नारायण शासनकाल में प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध (1775-82) हुआ। पहला आंग्ल-मराठा युद्ध 1775 से 1782 तक चला, जिसमें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की जीत हुई। 1782 में हस्ताक्षरित सालबाई की संधि ने युद्ध को समाप्त कर दिया।


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