मराठा से जुड़े ऑब्जेक्टिव प्रश्न उत्तर और व्याख्या - Marathas MCQ GK Quiz (Set-2)

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मराठा सम्राज्य

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 2)

व्याख्या: शिवाजी महाराज के राजनीतिक गुरु और संरक्षक उनके दादाजी कोंडदेव थे। उनका बचपन दादाजी कोंडदेव व उनकी माता जीजाबाई के करीब बीता जहाँ उन्होंने राजनीतिक शिक्षा सीखने के साथ साथ मुगल शासकों को खदेड़ने की योजना का आभास हुआ।

व्याख्या: छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 20 Jan 1627 AD में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। शाहजी भोंसले की पत्नी जीजाबाई (राजमाता जिजाऊ) की कोख से शिवाजी महाराज का जन्म हुआ था।

समर्थ रामदास (1606 - 1682) महाराष्ट्र के एक प्रसिद्ध सन्त थे। वे छत्रपति शिवाजी महाराजमहाराज के गुरु थे। उन्होने दासबोध नामक एक ग्रन्थ की रचना की जो मराठी में है।

दादोजी कोंडदेव (1577 - 1649) महाराज शिवाजी महाराज के पिता शाहजी के विश्वसनीय ब्राह्मण क्लार्क (कारकुन) थे। पूना में रहनेवाले शाहजी के कुटुंब और वहाँ की उनकी जागीर की देखभाल करने के लिए इनकी नियुक्ति सन् 1637 ई. में हुई थी। ये इसलिये प्रसिद्ध हैं कि युवा शिवाजी महाराज का प्रशिक्षण इनकी ही देखरेख में हुआ था, जो आगे चलकर मराठा साम्राज्य के संस्थापक बने।

व्याख्या: शिवाजी महाराज को कर्मदर्शन का उपदेश देने वाले एवं शिवाजी महाराज के पुत्र शम्भाजी को मराठों को संगठित करने और महाराष्ट्र धर्म को प्रचारित करने का उपदेश देनेवाले मराठा संत समर्थ रामदास थे।

व्याख्या: दासबोध मराठी संत-साहित्य का एक प्रमुख ग्रन्थ है। इसकी रचना 17वीं शताब्दी में महाराष्ट्र के तेजस्वी संत श्री समर्थ रामदास ने की।

व्याख्या: पेशवा बाजीराव द्वितीय ने 31 दिसम्बर, 1802 में बेसिन की संधि कर सहायक संधि को स्वीकार कर लिया। यह संधि मराठों द्वारा अंग्रेजों के साथ की गई प्रथम सहायक संधि भोंसले ने देवगांव की संधि (1803) और सिंधिया ने सुर्जी अर्जुन गाँव की संधि (1803) द्वारा वेलेजली की सहायक संधि को स्वीकार कर लिया। होलकर ने अंत तक वेलेजली की सहायक संधि को नहीं स्वीकारा, परन्तु दिसम्बर 1811 में माहीदपुर (मध्य प्रदेश) के युद्ध में लॉर्ड हेस्टिंग से पराजित होकर अंततोगत्वा जनवरी 1818 में मंदसौर की संधि द्वारा उसने भी सहायक संधि स्वीकार कर ली। अत: होलकर अंतिम मराठा सरदार था जिसने सहायक संधि स्वीकार की। सहायक संधि प्रणाली का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांसीसी गवर्नर डूप्ले ने किया था। उसने भारतीय नरेशों को सैनिक सहायता के बदले धन लेने की प्रथा की शुरुआत की थी। अंग्रेजों ने भी इस प्रथा को स्वीकार किया। क्लाइव व उसके बाद के गवर्नरों ने इस प्रणाली का उपयोग किया। किन्तु इसे एक व्यवस्थित निति वेलेजली ने बनाया और इसे अंग्रेजी राज्य के विस्तार का साधन बनाया।

व्याख्या: सरंजामी व्यवस्था मराठा भूराजस्व प्रथा से संबंधित है। मराठा वतनदारों (जागीरदारों) को सरंजामी भूमि उनके निर्वहन के लिए प्रदान की जाती थी।

व्याख्या: बीजापुर के शासक ने शिवाजी महाराज को जिन्दा या मुर्दा पकड़ लाने का आदेश देकर अपने मक्कर सेनापति अफजल खां को भेजा था। उसने भाईचारे व सुलह का झूठा नाटक रचकर शिवाजी महाराज को अपनी बांहों के घेरे में दबाकर मारना चाहा, लेकिन चालाक शिवाजी महाराज ने उसे ही मौत की नीन्द सुला दी थी। शिवाजी महाराज की ताकत से मुगल बादशाह औरंगजेब डरे हुए थे। औरंगजेब ने दक्षिण में नियुक्त अपने सूबेदार को उन पर चढ़ाई करने का आदेश दिया, लेकिन सूबेदार को मुंह की खानी पड़ी। शिवाजी महाराज से लड़ाई के दौरान उसने अपना पुत्र खो दिया और खुद उसकी अंगुलियाँ कट गयी।

व्याख्या: 1666 ई. में शिवाजी महाराज जयसिंह के आश्वासन पर औरंगजेब से मिलने आगरा आये पर उचित सम्मान न मिलने पर दरबार से उठकर चले गये, औरंगजेब ने उन्हें कैद कर जयपुर भवन (आगरा) में रखा परन्तु चतुराई से शिवाजी महाराज आगरे के कैद से फरार हो गये।

व्याख्या: ग्वालियर राज्य की स्थापना महादजी सिंधिया ने की थी। ध्यातव्य है कि सिंधिया वंश का संस्थापक रानोजी सिंधिया था।

व्याख्या: पानीपत का तीसरा युद्ध (1761 ई.) में मराठों और अहमदशाह अब्दाली के मध्य हुआ था। जिसमें अहमदशाह अब्दाली के मराठों को पराजित किया। कांशीराम पंडित इस युद्ध में अवध के नवाब शुजाउद्दोला के साथ थे, जिन्होंने इस युद्ध को आँखों से देखा था।

व्याख्या: शिवाजी महाराज द्वारा दुर्गों पर किये गये अधिकार का सही क्रम सिंहगढ़ / कोण्डाना-तोरण-पुरन्दर-रायगढ़ है। तानाजी मालसुरे द्वरा जीता गया 'कोंडाना' जिसका फरवरी 1670 ई. में शिवाजी महाराज ने नाम बदलकर 'सिंहगढ़' रख दिया था, सर्वाधिक महत्वपूर्ण किला था।

व्याख्या: अफजल खान और शिवाजी महाराज ने 10 नवंबर 1659 को वाई के पास प्रतापगढ़ में एक बैठक की। इस बैठक के दौरान, अफजल खान ने विश्वासघात का प्रयास किया और इसके प्रतिशोध में शिवाजी महाराज ने अफजल खान को मार डाला।

छत्रपति शिवाजी के विरुद्ध प्रारम्भ में शाइस्ता ख़ाँ को कुछ सफलता मिली, किन्तु वर्षाकाल में जब वह पूना लौट गया, तब शिवाजी ने रात्रि में अचानक उस पर आक्रमण कर दिया। शिवाजी द्वारा अचानक किये गए आक्रमण से शाइस्ता ख़ाँ ने बड़ी कठिनता से अपने प्राणों की रक्षा की, किन्तु उसे अपनी तीन अंगुलियों से हाथ धोना पड़ा तथा उसका पुत्र भी मारा गया।

छत्रपति शिवाजी (1627-1680 ई.) ने सूरत को दो बार लूटा। प्रथम बार 1664 में व दूरारी बार अक्टूबर, 1670 में।

व्याख्या: मराठा शक्ति के संस्थापक शिवाजी महाराज का जन्म 20 अप्रैल, 1627 ई. को शिवनेर के दुर्ग में हुआ था। उनके पिता का नाम शाहजी भोंसले तथा माता का नाम जीजाबाई था। उनके संरक्षक दादाकोंण देव एवं गुरुसमर्थ रामदास थे।

व्याख्या: मई, 1666 ई. में शिवाजी महाराज शाही दरबार में उपस्थित हुए जहाँ उनके साथ तृतीय श्रेणी के मनसबदारों जैसा व्यवहार किया गया और उन्हें नजरबंद भी कर दिया गया।

व्याख्या: शम्भाजी (1680.89) के बाद राजाराम, शिवाजी महाराज द्वितीय व ताराबाई तथा शाहूजी गद्दी पर आसीन हुए। बालाजी विश्वनाथ ने शाहू की जीत के समय महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इस जीत से समस्त मराठे सरदार साहू के पक्ष में हो गये।


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