पूर्व मध्यकालीन भारत (दक्षिण भारत) से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या - Gk Quiz (set-5)

पूर्व मध्यकालीन भारत (दक्षिण भारत) से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या - Gk Quiz (set-5).

पूर्व मध्यकालीन भारत (उत्तर भारत)

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 5)

61. किस राष्ट्रकूट शासक ने रामेश्वरम में विजय स्तंभ एवं देवालय की स्थापना की थी?

व्याख्या: कृष्ण तृतीय ने चोल नरेश परंतक प्रथम को पराजित कर चोल साम्राज्य के उत्तरी भाग पर क़ब्ज़ा कर लिया। इसके पश्चात् वह रामेश्वरम तक गया जहाँ उसने एक 'विजय स्तम्भ' तथा एक मन्दिर का निर्माण किया। अपनी विजय और अभियानों की सफलता के प्रतीक के रूप में कृष्ण तृतीय ने सकल दक्षिण दिशाधिपति की उपाधि ग्रहण की।

62. वेनिस यात्री मार्को पोलो (1288-1293) के पाण्ड्य राज्य के भ्रमण के समय वहां का शासक था

व्याख्या: वेनिस यात्री मार्को पोलो ने पांड्य नरेश मारवर्मन कुलशेखर के शासन काल में दक्षिण भारत की यात्रा की था।इसने पांड्य साम्राज्य की समृद्धि , विदेश व्यापार एवं सम्राट की न्याय व्यवस्था की भूरि-2 प्रशंसा की है।मार्कोपोलो के अनुसार पांड्य राज्य मावर मोतियां के लिए प्रसिद्ध था। इसने काकतीय वंश की शासिका रुडांबा का उल्लेख किया है।

63. एलोरा के प्रसिद्ध कैलाश मंदिर का निर्माण किसने कराया था?

व्याख्या: कैलाश (मंदिर) संसार में अपने ढंग का अनूठा वास्तु जिसे मालखेड स्थित राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण (प्रथम) (757-783 ई0) में निर्मित कराया था। यह एलोरा (जिला औरंगाबाद) स्थित लयण-श्रृंखला में है। यह मंदिर दुनिया भर में एक ही पत्‍थर की शिला से बनी हुई सबसे बड़ी मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है।

64. किसने मान्यखेत / मालखेद को राष्ट्रकूट राज्य की राजधानी बनायी?

व्याख्या: अमोघवर्ष प्रथम (800 – 878) भारत के राष्ट्रकूट वंश के महानतम शाशक थे। वे जैन धर्म के अनुयायी थे। इतिहासकारों ने उनकी शांतिप्रियता एवं उदारवादी धार्मिक दृष्टिकोण के लिये उन्हें सम्राट अशोक से तुलना की है।उसी ने मान्यखेट राजधानी बनाई थी। मान्यखेट 818 से 982 ई तक राष्ट्रकूट राजाओं की राजधानी था।

65. किसने कन्नड़ काव्य-शास्त्र की प्राचीनतम कृति 'कविराजमार्ग' की रचना की?

व्याख्या: कविराजमार्ग, कन्नड का सर्वप्रथम उपलब्ध ग्रंथ है। चंपू शैली में लिखा हुआ यह रीतिग्रंथ प्रधानतया दण्डी के काव्यादर्श पर आधरित है। इसका रचनाकाल सन् 815-877 ई के बीच माना जाता है। इस बात में विद्वानों में मतभेद है कि इसके रचयिता मान्यखेट के राष्ट्रकूट चक्रवर्ती स्वयं अमोघवर्ष प्रथम थे।

66. राष्ट्रकूट काल में 'राष्ट्र' (प्रांत) का प्रधान कहलाता था

व्याख्या: राष्ट्रकूटों ने एक सुव्यवस्थित शासन प्रणाली को जन्म दिया था। प्रशासन राजतन्त्रात्मक था। राजा सर्वोच्च शक्तिमान था। राजपद आनुवंशिक होता था। शासन संचालन के लिए सम्पूर्ण राज्य को राष्ट्रों, विषयों, भूक्तियों तथा ग्रामों में विभाजित किया गया था। राष्ट्र, जिसे 'मण्डल' कहा जाता था, प्रशासन की सबसे बड़ी इकाई थी। प्रशासन की सबसे छोटी इकाई 'ग्राम' थी। राष्ट्र के प्रधान को 'राष्ट्रपति' या 'राष्ट्रकूट' कहा जाता था। एक राष्ट्र चार या पाँच ज़िलों के बराबर होता था।

67. किस राजवंश का काल कन्नड़ साहित्य के उत्पत्ति का काल माना जाता है?

व्याख्या: राष्ट्रकूट राजवंश का काल कन्नड़ साहित्य के उत्पत्ति का काल माना जाता है।कन्नड़ साहित्य कन्नड़ भाषा का रचनात्मक लेखन है। कन्नड़ के प्रारंभिक दस्तावेज़ छठी शताब्दी और इसके बाद के शिलालेख हैं। शास्त्रीय परंपरा राष्ट्रकूट नरेश अमोघवर्ष के 'कविराज मार्ग' (नौवीं सदी) से शुरू हुई, जो संस्कृत काव्यशास्त्र पर आधारित ग्रंथ है।

68. राष्ट्रकूटकालीन स्थापत्य कला के नमूने मिलते हैं

व्याख्या: तंजावुर ज़िला, जो पहले तंजौर ज़िला कहलाता था, भारत के तमिल नाडु राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय तंजावुर है। यह क्षेत्र कावेरी नदी के नदीमुख (डेल्टा) में स्थित है और इसलिए इसकी भूमि बहुत उपजाऊ है। यह चोल साम्राज्य द्वारा निर्मित बृहदेश्वर मन्दिर और यहाँ पर विशेष शैली से बनने वाले पारम्परिक भारतीय चित्रों के लिए प्रसिद्ध है।

69. रावण की खाई, दशावतार, कैलाश गुफा मंदिर आदि मिलते हैं

व्याख्या: एलोरा की गुफा संख्या 14 '' रावण की खाई के लिए प्रसिद्ध है।एलोरा की गुफा संख्या 16 '' कैलाश मन्दिर '' के नाम से प्रसिद्ध है जिसका निर्माण कृष्ण प्रथम के काल में हुआ है। गुफा संख्या 15 दशावतार मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है जिसका निर्माण दन्तिदुर्ग ii के काल में हुआ था।

70. बंबई से 6 मील दूर धारापुरी / धारानगरी में स्थित गुफाएँ कौन है?

व्याख्या: एलिफैंटा मुम्बई से 12 कि0मी0 उत्तर-पूर्व में स्थित एक छोटे से द्वीप अपोलोबन्दर से एलीफैण्टा की पहचान की गई है, इसका प्राचीन नाम धारापुरी था। एलीफैण्टा की गुफाओं में 500-600 ई0 के लगभग निर्मित भगवान शंकर की लीलाओं का चित्रांकन किया गया है।

71. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. चोलों ने पाण्ड्य तथा चेर शासकों को पराजित कर प्रायद्वीपीय भारत पर प्रारंभिक मध्यकालीन समय में अपना प्रभुत्व स्थापित किया।
2. चोलों ने दक्षिण पूर्वी एशिया के शैलेन्द्र साम्राज्य के विरुद्ध सैन्य घढ़ाई की तथा कुछ क्षेत्रों को जीता।
इन कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

व्याख्या: चोल शासक राजराज प्रथम ने पांड्य तथा चेर शासकों को पराजित कर प्रायद्वीपीय भारत पर प्रारंभिक मध्यकालीन समय में अपना प्रभुत्व स्थापित किया। इसके अतिरिक्त इसने श्रीलंका के उत्तरी भाग को जीतकर चोल साम्राज्य का एक प्रांत बना दिया तथा मालदीव पर भी आधिपत्य स्थापित किया। इसी प्रकार राजेन्द्र चोल ने न केवल सम्पूर्ण श्रीलंका को जीता, बल्कि दक्षिण-पूर्व एशिया के शैलेन्द्र साम्राज्य के विरुद्ध सैन्य अभियान कर कुछ क्षेत्रों पर आधिपत्य स्थापित कर लिया।

72. होयसाल स्मारक पाए जाते हैं

व्याख्या: होयसला शासक कला और शिल्प के संरक्षक थे। बेलूर और हेलिबिड में इन्होंने भव्य मंदिरों का निर्माण कराया जो आज भी उसी शान से खड़े हैं। बेलूर कर्नाटक राज्य के हसन जिले का एक कस्बा है। बेलूर को मुख्यतः मन्दिर और शिल्प कला का दर्शन कराने वाले स्थान के रूप में जाना जाता है। हैलेबिडु के साथ जुड़वा नगर कही जाने वाली यह जगह तीन शताब्दियों तक (11वीं शताब्दी के मध्य से 14वीं शताब्दी के मध्य तक) होयसल वंश का गढ़ था।

73. चोल काल में निर्मित नटराज की कांस्य प्रतिमाओं में देवाकृति प्रायः

व्याख्या: स्थापत्य कला के साथ साथ तक्षण कला के क्षेत्र में भी चोल शासकों या कलाकारों ने सफलता प्राप्त की। उन्होंने पत्थर तथा धातु की बहुसंख्यक मूर्तियों का निर्माण किया। उनके द्वारा निर्मित मूर्तियों में देवी देवताओं की मूर्तियाँ ही अधि है। धातु मूर्तियों में कांस्य मूर्तियों का निर्माण अधिक हुआ है। इसमें सर्वाधिक सुंदर मूर्तियाँ नटराज की कांस्य मूर्तियाँ है जो बहुत बड़ी संख्या में मिलती है जो प्राय चतुर्भुज है, चोल मूर्तिकला मुख्यत: वास्तुकला की सहायक थी।

74. 9वीं शताब्दी ई. में निम्नलिखित में से किसके द्वारा चोल साम्राज्य की नीव डाली गई?

व्याख्या: चोल प्राचीन भारत का एक राजवंश था। दक्षिण भारत में और पास के अन्य देशों में तमिल चोल शासकों ने 9 वीं शताब्दी से 13 वीं शताब्दी के बीच एक अत्यंत शक्तिशाली हिन्दू साम्राज्य का निर्माण किया।चोल वंश का संस्थापक विजयालय (850-870-71 ई.) पल्लव अधीनता में उरैयुर प्रदेश का शासक था। विजयालय की वंशपरंपरा में लगभग 20 राजा हुए, जिन्होंने कुल मिलाकर चार सौ से अधिक वर्षों तक शासन किया।

75. सुगन्दवृत्त' (करों को हटाने वाला) की उपाधि किस चोल शासक ने धारण की?

व्याख्या: चोल नरेश कुलोतुंग i ने श्रीलंका को पूर्ण स्वतंत्रता दी और सिंहल राजकुमार के साथ अपनी पुत्री का विवाह कर दिया था। कुलोतुंग i ने सुगन्दवृत्त' (करों को हटाने वाला) उपाधि धारण की।


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