पूर्व मध्यकालीन भारत (दक्षिण भारत) से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या - Gk Quiz (set-4)

पूर्व मध्यकालीन भारत (दक्षिण भारत) से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या - Gk Quiz (set-4).

पूर्व मध्यकालीन भारत (उत्तर भारत)

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 4)

46. वेंगी के चालुक्य राज्य का चोल साम्राज्य में विलय किसने किया?
47. 'चालुक्य विक्रम संवत्' का प्रचलन किसने किया?

व्याख्या: विक्रम संवत अत्यन्त प्राचीन संवत है। साथ ही ये गणित की दृष्टि से अत्यन्त सुगम और सर्वथा ठीक हिसाब रखकर निश्चित किये गये है। 'विक्रम संवत' का प्रणेता सम्राट विक्रमादित्य vi को माना जाता है। 'चालुक्य विक्रमादित्य षष्ठ' के 'वेडरावे शिलालेख' से पता चलता है कि राजा ने शक संवत के स्थान पर 'चालुक्य विक्रम संवत' चलाया, जिसका प्रथम वर्ष था - 1076-77 ई.।

48. 'विक्रमांकचरित' का रचयिता बिल्हण एवं मिताक्षरा के रचनाकार विज्ञानेश्वर संरक्षक शासक थे

व्याख्या: विक्रमांकचरित का रचयिता बिल्हण एवं मिताक्षरा के रचनाकार विज्ञानेश्वर संरक्षक शासक विक्रमादित्य VI थे।चालुक्य-विक्रम संवत् उसके शासनारूढ़ होने पर आरम्भ किया गया। वह कला और साहित्य का संरक्षक और संवर्धक थे।

49. 'मिताक्षरा' की विषयवस्तु है

व्याख्या: मिताक्षरा संस्कृत भाषा में धर्मशास्त्र का प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इसका प्रणयन 'विज्ञानेश्वर' ने किया था, जो चालुक्यों की राजधानी कल्याणी में विक्रमादित्य चालुक्य (1076-1126 ई.) के राज्य काल में रहते थे। बंगाल तथा आसाम के अतिरिक्त शेष भारत में हिन्दू क़ानून के विषय में 'मिताक्षरा' को प्रमाण माना जाता है। इसमें बताया गया है कि हिन्दू परिवारों में समस्त पैतृक सम्पत्तियों में पुत्र पिता का सहभागी होता है , उसे अपनी स्वीकृति के अतिरिक्त अन्य किसी रीति से उत्तराधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।

50. पल्लवों की राजभाषा थी

व्याख्या: पल्लवों की राजभाषा संस्कृत थी। संस्कृत की इस काल में विशेष उन्नति हुई और उसे राजभाषा का पद प्राप्त हुआ।

51. गोपुरम (मुख्य द्वार) के प्रारंभिक निर्माण का स्वरूप सर्वप्रथम किस मंदिर में मिलता है?
52. 12वीं सदी के राष्ट्रकूट वंश के पाँच शिलालेख किस राज्य में मिले हैं?

व्याख्या: 12वीं सदी के राष्ट्रकूट वंश के पाँच शिलालेख कर्नाटक राज्य में मिले हैं। राष्ट्रकूट वंश का आरम्भ 'दन्तिदुर्ग' से लगभग 736 ई. में हुआ था। उसने नासिक को अपनी राजधानी बनाया। इसके उपरान्त इन शासकों ने मान्यखेत, (आधुनिक मालखंड) को अपनी राजधानी बनाया। राष्ट्रकूटों ने 736 ई. से 973 ई. तक राज्य किया।

53. निम्नांकित राजवंशों में से किसके शासक अपने शासनकाल में ही अपना उत्तराधिकारी घोषित कर देते थे?

व्याख्या: चोल साम्राज्य में उत्तराधिकार का नियम निश्चित था। राजा अपने जीवन-काल में ही अपना उत्तराधिकारी घोषित कर देता था जिसे युवराज कहते थे। युवराज को प्रशासन का अनुभव कराया जाता था और शासन-कार्य में वह अपने पिता की सहायता करता था।

54. दक्षिणी भारत का 'तक्कोलम का युद्ध' हुआ था

व्याख्या: दक्षिणी भारत का प्रसिद्ध तक्‍कोलम का युद्ध राष्‍ट्रकूट नरेश कृष्‍ण तृतीय परांतक प्रथम के बीच हुआ था। इसमें कृष्‍ण तृतीय ने गंगों की सहायता से चोलों को पराजित किया। काँची तथा तंजावूर पर इसी विजय के बाद राष्‍ट्रकूटों का अधिकार हुआ था।

55. एलोरा गुफाओं का निर्माण कराया था

व्याख्या: एलोरा एक पुरातात्विक स्थल है, जो भारत में औरंगाबाद स्थित है। इन्हें राष्ट्रकूट वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था। अपनी स्मारक गुफाओं के लिए प्रसिद्ध, एलोरा युनेस्को द्वारा घोषित एक विश्व धरोहर स्थल है।

56. द्रविड़ शैली के मंदिरों में 'गोपुरम' से तात्पर्य है

व्याख्या: गोपुरम अधिकतर आयताकार होते हैं, जिनके भूमि तल पर विराट काष्ठ द्वार होते हैं, जो अंदर का मार्ग प्रशस्त करते हैं, एवं खूब अलंकृत होते हैं। ऊपर का गोपुरम कई तलों में बंटा होता है, एवं ऊपर जाते जाते तंग होता जाता है। इसके सबसे ऊपर प्रायः ढोलक आकार का शिखर होता है, एवं उसके ऊपर विषम संख्या में कलश शोभा पाते हैं।

57. एलोरा में गुफाओं व शैलकृत मंदिरों का संबंध है केवल -

व्याख्या: एलोरा की गुफ़ाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले में वेरुल (एलोरा) नामक स्थान पर स्थित हैं। इन गुफ़ाओं के अंतर्गत 7वीं से 9वीं शताब्दी के बीच 34 शैलकृत गुफ़ाएं बनाई गयी थीं, जिसमें 01 से 12 तक बौद्धों तथा 13 से 29 तक हिन्दुओं और 30 से 34 तक जैनों की गुफ़ाएं हैं।

58. निम्नलिखित में से चोल प्रशासन की विशेषता क्या थी?

व्याख्या: चोलो के अभिलेखों आदि से ज्ञात होता है कि उनका शासन सुसंगठित था। राज्य का सबसे बड़ा अधिकारी राजा मंत्रियों एवं राज्याधिकारियों की सलाह से शासन करता था। शासनसुविधा की दृष्टि से सारा राज्य अनेक मंडलों में विभक्त था। मंडल कोट्टम् या बलनाडुओं में बँटे होते थे। इनके बाद की शासकीय परंपरा में नाडु (जिला), कुर्रम् (ग्रामसमूह) एवं ग्रामम् थे। चोल राज्यकाल में इनका शासन जनसभाओं द्वारा होता था। चोल ग्रामसभाएँ 'उर' या 'सभा' कही जाती थीं। इनके सदस्य सभी ग्रामनिवासी होते थे।

59. चोलों का राज्य किस क्षेत्र में फैला हुआ था?

व्याख्या: चोलों के विषय में प्रथम जानकारी पाणिनी कृत अष्टाध्यायी से प्राप्त होती है। इस विषय में जानकारी के अन्य स्रोत कात्यायन कृत वार्तिक, महाभारत, संगम साहित्य, पेरीप्लस ऑफ द इरीथियन सी’ एवं टॉलेमी का विवरण आदि है। चोल राज्य आधुनिक कावेरी नदी घाटी, कोरोमंडल, तिरुचिरापल्ली, तंजौर तक विस्तृत था। इसकी पहली राजधानी ‘उत्तरी मनलूर’ थी। कालान्तर में उरैयूर तथा तंजावूर चोलों की राजधानियां बनीं। चोल राजवंश का प्रारम्भिक इतिहास संगम युग से प्रारम्भ होता है। पूर्व मध्यकाल में चोल सत्ता का संस्थापक विजयालय था। विजयालय ने तंजौर को अपनी राजधानी बनाया और नरकेसरी की उपाधि धारण की।

60. चोल शासकों के समय में बनी हुई प्रतिमाओं में सबसे अधिक विख्यात हुई

व्याख्या: नटराज की कांस्य मूर्ति चोल वंश से संबंधित है। नटराज का अर्थ है- तांडव नृत्य की मुद्रा में शिव। नटराज शिवजी का एक नाम है और उस रूप में जिसमें वह सबसे उत्तम नर्तक है। नटराज शिव का स्वरूप न सिर्फ उनके संपूर्ण काल एवं स्थान को ही दर्शाता है; अपितु यह भी बिना किसी संशय से स्थापित करता है कि ब्रह्मांड में स्थित सारा जीवन उनकी गति कंपन तथा भ्रमण से परे शून्य की निशब्दता सभी कुछ एक शिव में ही निहित है। नटराज दो शब्दों के समावेश से बना है- नट (अर्थात कला) और राज। इस स्वरूप में शिव कलाओं के आधार है। शिव का तांडव नृत्य प्रसिद्ध है।


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