वैदिक संस्कृति से जुड़े ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं व्याख्या | Vedic Culture Gk Quiz (Set - 5)

वैदिक काल या संस्कृति से जुड़े महत्वपूर्ण ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन व्याख्या सहित। -Vedic Age or Vedic Culture Gk Quiz (set-5).

वैदिक संस्कृति (1500 ई.पू. - 600 ई.पू.)

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 5)

81. ऋग्वेद में सबसे पवित्र नदी किसे माना गया है?

व्याख्या: ऋग्वेद के द्वितीय से सप्तम मंडल को वंश मंडल कहा जाता है। गोत्र शब्द का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद में हुआ था।

82. वैदिक समाज की आधारभूत इकाई थी

व्याख्या: प्रशासन की सबसे छोटी इकाई कुल थी। एक कुल में एक घर में एक छत के नीचे रहने वाले लोग शामिल थे। परिवार के मुखिया को कुलुप कहा जाता था। एक ग्राम कई कुलों से मिलकर बना होता था। ग्रामों का संगठन विश् कहलाता था और विशों का संगठन जन। कई जन मिलकर राष्ट्र बनाते थे। ग्राम के मुखिया को ग्रामिणी, विश का प्रधान विशपति

83. ऋग्वैदिक काल के उस सबसे प्रधान देवता की पहचान करें, जिसकी स्तुति में 250 सूक्तों की रचना की गयी थी

व्याख्या: ऋग्वेद में लगभग 250 सूक्तों में इन्द्र की स्तुति की गई है। अत: ऋग्वेद में सर्वाधिक सूक्त इन्द्र के लिए प्रयुक्त है।

84. किस वेद में सभा को 'नरिष्ट' अर्थात् सामूहिक वाद-विवाद या अनुल्लंघनीय कहा गया है?

व्याख्या: अथर्ववेद में सभा को 'नरिष्ट' अर्थात् सामूहिक वाद-विवाद या अनुल्लंघनीय कहा गया है।

85. किस रचना में नारी को सुरा और पांसा के साथ तीन प्रमुख बुराइयों में शामिल किया गया है?

व्याख्या: मैत्रायणी संहिता में- स्त्री की तुलना मदिरा,विष, पासे से की गई है।

86. उत्तर-वैदिक काल में किस देवता को सर्वोच्च स्थान प्राप्त था?

व्याख्या: प्रजापति को सर्वोच्च देवता कहा गया, जबकि परीक्षित को मृत्युलोक का देवता कहा गया। उत्तर वैदिक काल में ही वासुदेव साम्प्रदाय एवं 6 दर्शनों – सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, पूर्व मीमांसा व उत्तर मीमांसा का अविर्भाव हुआ।

87. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए :
सूची-I
  1. राजसूय यज्ञ
  2. अश्वमेध यज्ञ
  3. बाजपेय यज्ञ
  4. अग्निष्टोम यज्ञ
सूची-II
  1. राजा के सिंहासनारोहण से संबंधित यज्ञ
  2. राजनैतिक शक्ति बढ़ाने हेतु किया जानेवाला यज्ञ
  3. शौर्य प्रदर्शन व प्रजा के मनोरंजनार्थ किया जानेवाला यज्ञ
  4. देवताओं को प्रसन्न करने हेतु अग्नि हो पशुबलि दिया जानेवाल एवं सोमरस का पान किया जानेवाला यज्ञ

व्याख्या:
राजसूय यज्ञ - राजा के सिंहासनारोहण से संबंधित यज्ञ
अश्वमेध यज्ञ - राजनैतिक शक्ति बढ़ाने हेतु किया जानेवाला यज्ञ
बाजपेय यज्ञ - शौर्य प्रदर्शन व प्रजा के मनोरंजनार्थ किया जानेवाला यज्ञ
अग्निष्टोम यज्ञ - देवताओं को प्रसन्न करने हेतु अग्नि हो पशुबलि दिया जानेवाल एवं सोमरस का पान किया जानेवाला यज्ञ

88. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए :
सूची-I (ऋग्वेद में उल्लिखित नदिओं का नाम)
  1. पुरुष्नी
  2. शतुद्री
  3. अस्किनी
  4. विपाशा
सूची-II (आधुनिक नाम)
  1. रावी
  2. सतलज
  3. चिनाव
  4. व्यास

व्याख्या: ऋग्वेद में 42 नदियों का उल्लेख है जिसमें से मुख्य नदियां निम्नलिखित हैं-
क्रुमु (कुरुम), गोमती (गोमल), कुभा (काबुल), सुवास्तु (स्वात), वितास्ता (झेलम), आस्किनी(चेनाब), परुष्णी (रावी), शतुद्र (सतलज), विपासा (व्यास)

89. संस्कारों की कुल संख्या कितनी है?

व्याख्या: हिन्दू धर्म में सोलह संस्कारों (षोडश संस्कार) का उल्लेख किया जाता है जो मानव को उसके गर्भाधान संस्कार से लेकर अन्त्येष्टि क्रिया तक किए जाते हैं। इनमें से विवाह, यज्ञोपवीत इत्यादि संस्कार बड़े धूमधाम से मनाये जाते हैं। वर्तमान समय में सनातन धर्म या हिन्दू धर्म के अनुयायी में गर्भाधन से मृत्यु तक 16 संस्कारों होते है।
1. गर्भाधान, 2. पुंसवन, 3. सीमन्तोन्नयन, 4. जातकर्म, 5. नामकरण, 6. निष्क्रमण, 7. अन्नप्राशन, 8. चूड़ाकर्म, 9. विद्यारंभ, 10. कर्णवेध, 11. यज्ञोपवीत, 12. वेदारंभ, 13. केशांत ,14. समावर्तन, 15. विवाह, 16. अन्त्येष्टि

90. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए:
सूची-I
  1. ब्रह्म विवाह
  2. दैव विवाह
  3. आर्ष विवाह
  4. प्रजापत्य विवाह
सूची-II
  1. समान वर्ण या जाति का विवाह
  2. पुरोहित का पारिश्रमिक में मिले कन्या के साथ विवाह
  3. कन्या मूल्य के रूप में एक जोड़ी गाय व बैल चुकाकर किया गया विवाह
  4. बिना दहेज़ का विवाह
91. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए :
सूची-I
  1. गन्धर्व विवाह
  2. आसुर विवाह
  3. राक्षस विवाह
  4. पैशाच विवाह
सूची-II
  1. प्रेम विवाह
  2. कन्या को खरीदकर किया गया विवाह
  3. पराजित राजा की कन्या या अपहरण की गई कन्या के साथ विवाह
  4. सोई हुई अवस्था में कन्या को गुमराह कर या, मानसिक रूप से अस्वस्थ कन्या को गुमराह कर उसके साथ किया गया विवाह
92. तीन ऋण में शामिल नहीं है

व्याख्या: देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण।
कहीं कहीं पर ब्रहमा के ऋण का उल्लेख भी मिलता है। इस तरह चार ऋण हो जाते हैं।

93. ऋग्वैदिक काल से संबंधित मृदभांड संस्कृति है

व्याख्या: गैरिक मृदभांड (OCP) – हङपा सभ्यता के समकालीन है लेकिन संबंधित नहीं। यह ऋग्वैदिक काल से संबंधित मृदभांड संस्कृति है।

94. उत्तर-वैदिक काल से संबंधित मृदभांड संस्कृति है

व्याख्या: चित्रित धूसर मृदभांड पश्चिमी गंगा के मैदान और भारतीय उपमहाद्वीप पर घग्गर-हकरा घाटी के लौह युग की भारतीय संस्कृति है जो लगभग 1200 ईसा पूर्व से शुरू होकर 600 ईसा पूर्व तक चली।

95. हरियाणा प्रान्त में चित्रित धूसर मृदभाण्ड (PGW) स्थल किस स्थान पर हाल में किए गए उत्खननों से प्रकाश में आया है ?

व्याख्या: भगवानपुर, जिसे भागपुरा के नाम से भी जाना जाता है, कुरुक्षेत्र जिले के थानेसर उप-जिले, हरियाणा का एक गाँव है। यह एक पुरातात्विक स्थल है जो Hakra Ghaggar channel के किनारे स्थित है। कुरुक्षेत्र से 24 किमी उत्तर पूर्व में स्थित, साइट हड़प्पा और Painted Grey Ware संस्कृतियों के बीच एक ओवरलैप दिखाने के लिए उल्लेखनीय है। Painted Grey Ware आमतौर पर वैदिक लोगों से जुड़ा हुआ है, इसलिए इस क्षेत्र को भारत की दो महान सभ्यताओं का संगम कहा जा सकता है।

96. प्राचीनतम विवाह संस्कार का वर्णन करनेवाला 'विवाह सूक्त' किसमें पाया जाता है?

व्याख्या: विवाह सूक्त - ऋग्वेद संहिता के दशम मण्डल के 85वें सूक्त को विवाहसूक्त नाम से जाना जाता है। अथर्ववेद में भी विवाह के दो सूक्त हैं। इस सूक्त में सूर्य की पुत्री 'सूर्या तथा सोम के विवाह का वर्णन है।

97. ऋग्वेद में 'अघन्य' (वध योग्य नहीं) शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया था ?

व्याख्या: ऋग्वेद में 'अघन्य' (वध योग्य नहीं) शब्द का प्रयोग गाय के लिए किया गया है। गाय को हमेशा पवित्र माना गया है और उसे अघन्य (जिसे मारा नहीं जा सकता) की श्रेणी में रखा है।

98. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए :
सूची-I
  1. संग्रहीतृ
  2. भागदूध
  3. क्षता/छत्री
  4. अक्षवाप
सूची-II
  1. कोषाध्यक्ष
  2. कर-संग्रहकर्ता
  3. पांसे के खेल में राजा का सहायक
  4. प्रतिहारी/ राज प्रसाद का सक्षक

व्याख्या: शतपथ ब्राह्मण में 12 प्रकार के रत्नियों का विवरण दिया गया है-

  • सेनानी - सेनापति
  • सूत - राजा का सारथी
  • ग्रामणी - गाँव का मुखिया
  • भागदूध - कर संग्रहकर्ता
  • संग्रहीता - कोषाध्यक्ष
  • अक्षवाय - पासे के खेल में राजा को सहयोग देने वाला
  • क्षता - प्रतिहारी
  • गोविकर्ता - जंगल विभाग का प्रधान अधिकारी
  • पालागल - राजा का मित्र या विदूषक
  • महिषी - मुख्य रानी
  • पुरोहित - धार्मिक कृत्य करने वाला
  • युवराज - युवराज
99. ऋत (प्राकृतिक संतुलन) स्थापित करने के कारण किस वैदिक देवता को 'ऋतस्य गोप' कहा गया है?

व्याख्या: वरुण, जो पहले भौतिक नियमों के रक्षक कहे जाते थे, बाद में 'ऋत के रक्षक' (ऋतस्य गोपा) के रूप में ऋग्वेद में प्रशंसित हैं।

100. निम्नलिखित में से कौन मूलतः 'जल या समुद्र का देवता' था?

व्याख्या: वरूण देवता को जल या समुद्र का देवता माना जाता है। वरुण देवता को देवताओं के देवता माना जाता है। देवताओं के तीन वर्गो (पृथ्वी स्थान, वायु स्थान और आकाश स्थान) में वरुण का सर्वोच्च स्थान है। वरुण देवता ऋतु के संरक्षक थे इसलिए इन्हें 'ऋतस्यगोप' भी कहा जाता था।


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