वैदिक संस्कृति से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या | Vedic Culture Gk Quiz (Set-2)

वैदिक काल या संस्कृति से जुड़े महत्वपूर्ण ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन व्याख्या सहित। -Vedic Age or Vedic Culture Gk Quiz (set-2).

वैदिक संस्कृति (1500 ई.पू. - 600 ई.पू.)

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 2)

21. किस देवता के लिए ऋग्वेद में 'पुरंदर' शब्द का प्रयोग हुआ है?

व्याख्या: ऋग्वेद में पुरंदर शब्द का प्रयोग हुआ इंद्र देवता के लिए हुआ था। इंद्र को युद्ध का एवं वर्षा का देवता माना जाता है।

22. शुल्व सूत्र किस विषय से संबंधित पुस्तक है?
23. असतो मा सदगमय कहाँ से लिया गया है?

व्याख्या: असतो माँ सदगमय ऋग्वेद से लिया गया है जो कि मूलरूप से इस प्रकार है:

ॐ असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मामृतं गमय॥
ॐ शान्ति शान्ति शान्तिः॥ – बृहदारण्यकोपनिषद्
24. आर्य भारत में बाहर से आए और सर्वप्रथम बसे थे -

व्याख्या: आर्य सर्वप्रथम पंजाब एवं अफगानिस्तान में बसे। मैक्स मूलर ने आर्यों का मूल निवास-स्थान मध्य एशिया को माना है। आर्यों द्वारा निर्मित सभ्यता वैदिक सभ्यता कहलाई।

25. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए:
सूची-I (वेद)
  1. ऋग्वेद
  2. यजुर्वेद
  3. सामवेद
  4. अथर्ववेद
सूची-II (यज्ञकर्ता)
  1. हीता/होतृ
  2. अध्वर्यु
  3. उद्गाता/उद्गातृ
  4. ब्रह्मा

व्याख्या:

वेदऋत्विजकार्य
ऋग्वेदहोतृदेव स्तुति करना
यजुर्वेदअध्वुर्ययज्ञ कराना
सामवेदउद्गाताऋचाओं का गायन करने वाला
अथर्ववेदब्रह्मनिरीक्षणकर्ता (यज्ञों का)
26. वेदों को 'अपौरुषेय' क्यों कहा गया है?

व्याख्या: हिन्दू धर्म में वेदों के सन्दर्भ में अपौरुषेयतावाद वह मत है जो मानती है कि वेद 'अपौरुषेय' हैं अर्थात् वेदों को किसी ने नहीं रचा है - न तो मनुष्य ने और न ही किसी दैवी शक्ति ने। वेदों को 'अपौरुषेय शब्द' से भी कहते हैं।

27. वैशेषिक दर्शन के प्रतिपादक हैं

व्याख्या: वैशेषिक भारतीय दर्शनों में से एक दर्शन है। इसके मूल प्रवर्तक ऋषि कणाद हैं (ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी[ईशाईयों के धर्म का जन्म ही कुछ सौ वर्षो पूर्व हुआ हैं])। यह दर्शन न्याय दर्शन से बहुत साम्य रखता है किन्तु वास्तव में यह एक स्वतंत्र भौतिक विज्ञानवादी दर्शन है।

28. मीमांसा या पूर्व मीमांसा दर्शन के प्रतिपादक है-

व्याख्या: इसके रचयिता महर्षि जैमिनि हैं। इसे पूर्वमीमांसासूत्र भी कहते हैं। इसका रचनाकाल 300 ईसापूर्व से 200 ईसापूर्व माना जाता है। मीमांसासूत्र, मीमांसा दर्शन का आधारभूत ग्रन्थ है।

29. वेदांत या उत्तर-मीमांसा दर्शन के प्रतिपादक हैं

व्याख्या: उत्तरमीमांसा छः भारतीय दर्शनों में से एक। उत्तरमीमांसा को 'शारीरिक मीमांसा' और 'वेदान्त दर्शन' भी कहते हैं। ये नाम बादरायण के बनाए हुए ब्रह्मसूत्र नामक ग्रन्थ के हैं।

30. ऋग्वेद का कौन-सा मंडल पूर्णतः सोम को समर्पित है?

व्याख्या: सातवें मण्डल में ‘दशराज्ञ युद्ध’ का वर्णन किया गया है। दसवें मण्डल के ‘पुरुषसूक्त मंत्र’ में शूद्रों का उल्लेख प्रथम बार किया गया है। चारों वर्णों का सर्वप्रथम उल्लेख पुरुषसूक्त में ही मिलता है। ऋग्वेद का नौवां मंडल पूर्णतः सोम देवता को समर्पित है।

31. प्रसिद्ध दस राजाओं का युद्ध (दाशराज युद्ध) किस तट लड़ा गया?

व्याख्या: भरत वंश के राजा सुदास तथा अन्य दस जनों-पुरु, यदु, तुर्वश, अनु, द्रह्यु, अनिल, पक्य, भलानस, विषाणिन, और शिव के मध्य दाशराज्ञ युद्ध पुरुष्णी (रावी) नदी के किनारे लड़ा गया, जिसमें सुदास को विजय मिली, कुछ समय पश्चात् पुरुओं और भरतों के बीच मैत्री संबंध स्थापित होने से एक नवीन वंश कुरुवंश की स्थापना हुई।

32. धर्मशास्त्रों में भूराजस्व की दर क्या हैं?

व्याख्या: धर्मशात्रों में बताया गया है कि राजा अपने द्वारा किये गये कार्यों- सामान्यजन की सुरक्षा और कल्याणकारी सेवा आदि, के बदले उपज का छठवां हिस्सा अपनी वृत्ति के रूप में प्राप्त करेगा।

33. 800 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व का काल किस युग से जुड़ा है?

व्याख्या: प्राचीन भारतीय इतिहास में 800-600 ई. पू. के बीच का समय मुख्यतः ब्राह्मण युग का समय था। 600 से 300 ई.पू. का समय सूत्र युग का समय था।

34. किस काल में अछूत की अवधारणा स्पष्ट रूप से उदित हुयी?

व्याख्या: उत्तर वैदिक काल तक समाज स्पष्ट रूप से चार वर्णों में विभाजित हो चुका था। ये चार वर्ण थे - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र। इस काल में वर्ण व्यवस्था कर्म पर आधारित न रहकर जाति पर आधारित हो गयी। उत्तर वैदिक काल में यज्ञोपवीत संस्कार का अधिकार शूद्रों को नहीं था। तैत्तिरीय ब्राह्मण के उल्लेख के आधार पर ब्राह्मण सूत का, क्षत्रिय सन का और वैश्य ऊन का यज्ञोपवीत धारण करता था। ब्राह्मणों का उपनयन संस्कार बसन्त ऋतु, क्षस्त्रियों का ग्रीष्म ऋतु, वैश्यों का शीत ऋतु में होने का विवरण मिलता है। ऐतरेय ब्राह्मण में सर्वप्रथम चारों वर्णों के कर्मों के विषय में विवरण मिलता है। ब्राह्मणों को आदायी दान लेने वाला, सोपायी एवं स्वेच्छा से भ्रमणशील कहा गया। क्षत्रिय अथवा राजा भूमि का मालिक, प्रजा का सेवक एवं देश का रक्षक होता था। प्रायः ब्राह्मणों और क्षस्त्रियों के बीच श्रेष्ठता हेतु प्रतियोगिता होती थी।

35. एशिया माइनर स्थित बोगाजकोई का महत्त्व इसलिए है कि

व्याख्या: बोगाजकोई एशिया माइनर में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है, जहाँ से महत्त्वपूर्ण पुरातत्त्व सम्बन्धी अवशेष प्राप्त हुए हैं। वहाँ के शिलालेखों में जो चौदहवीं शताब्दी ई. पू. के बताये जाते हैं, इन्द्र, दशरथ और आर्त्ततम आदि आर्य नामधारी राजाओं का उल्लेख है तथा इन्द्र, वरुण और नासत्य आदि आर्य देवताओं से सन्धियों का साक्षी होने की प्रार्थना की गयी है। इस प्रकार बोगाजकोई से आर्यों के निष्क्रमण मार्गों का संकेत मिलता है।

36. गायत्री मंत्र (देवी सवितृ को संबोधित) किस पुस्तक में मिलता है?

व्याख्या: सवितृ (सूर्य) देवता की स्तुति में रचा गया गायत्री मंत्र ऋग्वेद के तृतीय मंडल में उल्लिखित है। ऋग्वेद आर्यों का प्राचीनतम् और पवित्रतम् ग्रन्थ है। ऋग्वेद में देवताओं की स्तुतियों का उल्लेख है, इसमें 10 मण्डल, 1028 सूक्त तथा 10580 ऋचाएं हैं। गायत्री मंत्र सवितृ (सूर्य) देवता की स्तुति में रचा गया है। ऋग्वेद के तृतीय मण्डल के रचयिता विश्वामित्र हैं। प्रसिद्ध गायत्री मंत्र इसी मण्डल में हैं।

37. न्यायदर्शन को प्रचारित किया था

व्याख्या: न्याय दर्शन भारत के छः वैदिक दर्शनों में एक दर्शन है। इसके प्रवर्तक ऋषि अक्षपाद गौतम हैं जिनका न्यायसूत्र इस दर्शन का सबसे प्राचीन एवं प्रसिद्ध ग्रन्थ है।

38. प्राचीन भारत में 'निष्क' से जाने जाते थे

व्याख्या: योगदर्शन छः आस्तिक दर्शनों (षड्दर्शन) में से एक है। इसके प्रणेता पतञ्जलि मुनि हैं। यह दर्शन सांख्य दर्शन के 'पूरक दर्शन' के नाम से प्रसिद्ध है।

39. योग दर्शन के प्रतिपादक हैं

व्याख्या: योगदर्शन छः आस्तिक दर्शनों (षड्दर्शन) में से एक है। इसके प्रणेता पतञ्जलि मुनि हैं। यह दर्शन सांख्य दर्शन के 'पूरक दर्शन' के नाम से प्रसिद्ध है।

40. उपनिषद् पुस्तकें हैं

व्याख्या: उपनिषद् हिन्दू धर्म के महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ हैं। ये वैदिक वाङ्मय के अभिन्न भाग हैं। ये संस्कृत में लिखे गये हैं। इनकी संख्या लगभग 200 है, किन्तु मुख्य उपनिषद 13 हैं। हरेक उपनिषद किसी न किसी वेद से जुड़ा हुआ है। इनमें परमेश्वर, परमात्मा-ब्रह्म और आत्मा के स्वभाव और सम्बन्ध का बहुत ही दार्शनिक और ज्ञानपूर्वक वर्णन दिया गया है।


Correct Answers:

CLOSE
/20
Incorrect Answer..!
Correct Answer..!
Previous Post Next Post
If you find any error or want to give any suggestion, please write to us via Feedback form.