जैन धर्म से जुड़े ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं व्याख्या | Jainism Gk Quiz (set-1)

जैन धर्म से जुड़े महत्वपूर्ण ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन व्याख्या सहित। -Jainism Gk Quiz (set-1).

जैन धर्म

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 1)

1. जैन परम्परा के अनुसार जैन धर्म में कुल कितने तीर्थकर हुए?

व्याख्या: जैन परंपरा के अनुसार वर्तमान में 24 तीर्थंकर हैं जिनका क्रम भगवान ऋषभदेव से लेकर भगवान महावीर स्वामी जी तक हैं।

2. महावीर का जन्म किस क्षत्रिय गोत्र में हुआ था?

व्याख्या: भगवन महावीर का जन्म ईसा से 599 वर्ष पहले वैशाली गणतंत्र के कुण्डलपुर में इक्ष्वाकु वंश के क्षत्रिय राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के यहाँ चैत्र शुक्ल तेरस को हुआ था। ग्रंथों के अनुसार उनके जन्म के बाद राज्य में उन्नति होने से उनका नाम वर्धमान रखा गया था।

3. महावीर की माता कौन थी?

व्याख्या: इनके पिता सिद्धार्थ थे, जो नाता, या जंत्री, कबीले के शासक थे। एक जैन परंपरा के अनुसार, उनकी माता देवानंद थीं, जो ब्राह्मण (पुजारी) जाति की सदस्य थीं; अन्य परंपराएं उन्हें त्रिशाला, विदेहदिन्ना या प्रियकारिणी कहती हैं और उन्हें क्षत्रिय जाति में रखती हैं।

4. महावीर की मृत्यु कहाँ हुई थी?

व्याख्या: भगवान महावीर ने ईसापूर्व 527, 72 वर्ष की आयु में बिहार के पावापुरी (राजगीर) में कार्तिक कृष्ण अमावस्या को निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त किया। उनके साथ अन्य कोई मुनि मोक्ष को प्राप्त नहीं हुए। पावापुरी में एक जल मंदिर स्थित है जिसके बारे में कहा जाता है कि यही वह स्थान है जहाँ से महावीर स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।

5. महावीर का मूल नाम था

व्याख्या: भगवन महावीर का जन्म ईसा से 599 वर्ष पहले वैशाली गणतंत्र के कुण्डलपुर में इक्ष्वाकु वंश के क्षत्रिय राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के यहाँ चैत्र शुक्ल तेरस को हुआ था। ग्रंथों के अनुसार उनके जन्म के बाद राज्य में उन्नति होने से उनका नाम वर्धमान रखा गया था।

6. दिलवाड़ा के जैन मंदिरों का निर्माण किसने करवाया था?

व्याख्या: दिलवाड़ा जैन मंदिर: इस जैन मंदिर का निर्माण 11 वीं और 13 वीं शताब्दी ईस्वी में विमल शाह द्वारा करवाया गया था और यह ढोलका के जैन मंत्रियों, वास्तुपाल-तेजपाल द्वारा डिजाइन क्या गया था। यह मंदिर जटिल संगमरमर की नक्काशी के लिए जाने जाते हैं।

7. जैन परंपरा के अनुसार महावीर कौन-से तीर्थकर थे?

व्याख्या: जैन परंपरा के अनुसार वर्तमान में 24 तीर्थंकर हैं जिनका क्रम भगवान ऋषभदेव से लेकर भगवान महावीर स्वामी जी तक हैं।

8. जैन धर्म का आधारभूत बिन्दु हैं

व्याख्या: जैन धर्म का अधार बिंदु अहिंसा है। यह मन , वचन , कर्म से न की जाने वाली अहिंसा है। इसका सार है जियो और जीने दो। अहिंसा पंच महाव्रतों में प्रमुख है।

9. 'जियो और जीने दो' किसने कहा?

व्याख्या: जियो और जीने दो' महावीर स्वामी ने कहा। मानवीय सिद्धान्तों को अपने अंदर समेटे हुए 'जिओ और जीने दो' का नारा जनमानस में प्राचीन काल से ही लोकप्रिय रहा है। यह नारा जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर महावीर स्वामी की मानवीय सीखों का मूल है।

10. तीर्थंकरों के क्रम में अंतिम कौन थे?

व्याख्या: जैन परंपरा के अनुसार वर्तमान में 24 तीर्थंकर हैं जिनका क्रम भगवान ऋषभदेव से लेकर भगवान महावीर स्वामी जी तक हैं।

11. जैन धर्म में पूर्ण ज्ञान के लिए क्या शब्द है?

व्याख्या: कैवल्य ज्ञान अर्थात् 'ब्रह्म-विद्या का वह ज्ञान जो शंशय-रहित और स्थायी हो'। या 'विवेक उत्पन्न होने पर औपाधिक दु:ख-सुखादि-अहंकार, प्रारब्ध, कर्म और संस्कार के लोप हो जाने से आत्मा के चितस्वरूप होकर आवागमन से मुक्त हो जाने की स्थिति को 'कैवल्य' कहते हैं।

12. महावीर स्वामी का जन्म कहाँ हुआ था?

व्याख्या: भगवन महावीर का जन्म ईसा से 599 वर्ष पहले वैशाली गणतंत्र के कुण्डलपुर में इक्ष्वाकु वंश के क्षत्रिय राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के यहाँ चैत्र शुक्ल तेरस को हुआ था। ग्रंथों के अनुसार उनके जन्म के बाद राज्य में उन्नति होने से उनका नाम वर्धमान रखा गया था।

13. निम्नलिखित में से कौन सबसे पूर्वकालिक जैन ग्रंथ कहलाता हैं?

व्याख्या: जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक स्वामी महावीर द्वारा दिए गए मौलिक सिद्धांतों को चौदह पूव्वों (14 पूर्व) में संकलित किया गया। यही ‘चौदह पूर्व’ जैन धर्म के प्राचीनतम धर्म ग्रंथ हैं। बारह अंग तथा उपांग भी जैन धर्म से सम्बन्धित हैं।

14. आजीवक संप्रदाय के संस्थापक कौन थे?

व्याख्या: आजीवक सम्प्रदाय के संस्थापक मक्खलिपुत्त गोशाल थे। इनके अनुयायी आजीवक के नाम से जाने जाते हैं। इस सम्प्रदाय के लोग कर्म सिद्धान्त एवं मानव प्रयत्न में विश्वास नहीं करते हैं। मक्खलिपुत्त गोशाल महावीर के साथी थे और नियतिवाद और जैन धर्म में उनकी आस्था थी। यह सम्प्रदाय मौर्यकाल में लोकप्रिय हुआ। आजीवकों का उल्लेख पतञ्जलि ने भी किया है। महावीर से श्रावस्ती में वाद-विवाद के बाद 487 ई. पू. मक्खलिपुत्त गोशाल की मृत्यु हुई थी।

15. भगवान् महावीर का प्रथम शिष्य कौन था?

व्याख्या: प्राचीन जैन सूत्रों में सात निह्नवों का उल्लेख मिलता है, इनमें से दो निह्नव तो महावीर के जीवन-काल में ही उत्पन्न हो गए थे। बहुरत नाम के पहले निह्नव के संस्थापक क्षत्रियकुंड ग्राम के निवासी स्वयं भगवान महावीर के दामाद जमालि थे; महावीर को केवलज्ञान होने के 14 वर्ष पश्चात् श्रावस्ती में इनकी उत्पत्ति हुई मानी जाती है। जमालि की मान्यता थी कि किसी कार्य को पूर्ण होने में बहुत समय लगता है, एक समय में वह पूर्ण नहीं होता, अतएव क्रियमाण को कृत नहीं किया जा सकता।


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