वर्धन वंश से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या | Vardhan Vansh Gk Quiz (set-1)

वर्धन वंश से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या | Vardhan Vansh Gk Quiz (set-1).

वर्धन वंश

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 1)

1. थानेश्वर में वर्धन वंश / पुष्यभूति वंश की स्थापना किसने की?

व्याख्या: पुष्यभूति वंश की स्थापना छठी शताब्दी ई. में गुप्त वंश के पतन के बाद हरियाणा के अम्बाला ज़िले के थानेश्वर नामक स्थान पर हुई थी। इस वंश का संस्थापक 'पुष्यभूति' को माना जाता है, जो कि शिव का उपासक और उनका परम भक्त था। इस वंश में तीन राजा हुए- प्रभाकरवर्धन और उसके दो पुत्र राज्यवर्धन तथा हर्षवर्धन। पुष्यभूति राजवंश या वर्धन राजवंश ने भारत के उत्तरी भाग में 3ठी तथा 7वीं शताब्दी में शासन किया।

2. कदम्ब राज्य की स्थापना मयूरशर्मन ने की थी। उसने अपनी राजधानी बनायी

व्याख्या: कदंब दक्षिण भारत का एक ब्राह्मण राजवंश। कदंब कुल का गोत्र मानव्य था और उक्त वंश के लोग अपनी उत्पत्ति हारीति से मानते थे। ऐतिहासिक साक्ष्य के अनुसार कदंब राज्य का संस्थापक मयूर शर्मन्‌ नाम का एक ब्राह्मण था जो विद्याध्ययन के लिए कांची में रहता था और किसी पल्लव राज्यधिकारी द्वारा अपमानित होकर जिसने चौथी शती ईसवी के मध्य (लगभग 345 ई.) प्रतिशोधस्वरूप कर्नाटक में एक छोटा सा राज्य स्थापित किया था। इस राज्य की राजधानी वैजयंती अथवा बनवासी थी। छठी शताब्दी के आरंभिक दशाब्दों में रवि वर्मन्‌ राजा हुआ जिसने अपनी राजधानी बनवासी से हटाकर पालाशिका अथवा हाल्सी (बेलगाँव जिले में) बनाई।

3. निम्नलिखित में वह अंतिम बौद्ध राजा कौन था जो संस्कृत का महान विद्वान और लेखक था?

व्याख्या: हर्षवर्धन भारत के आखिरी महान राजाओं में एक थे। चौथी शताब्दी से लेकर 6ठी शताब्दी तक मगध पर से भारत पर राज करने वाले गुप्त वंश का जब अन्त हुआ, तब देश के क्षितिज पर सम्राट हर्ष का उदय हुआ। उन्होंने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाकर पूरे उत्तर भारत को एक सूत्र में बांधने में सफलता हासिल की। हर्ष एक बहुत अच्छे लेखक ही नहीं, बल्कि एक कुशल कवि और नाटककार भी थे। हर्ष की ही देख-रेख में ‘बाना’ और ‘मयूरा’ जैसे मशहूर कवियों का जन्म हुआ था। यही नहीं, हर्ष खुद भी एक बहुत ही मंजे हुए नाटककार के रूप में सामने आए। ‘नगनन्दा’, ‘रत्नावली’ और ‘प्रियदर्शिका’ उनके द्वारा लिखे गए कुछ नामचीन नाटक हैं।

4. 'हर्षचरित' किसके द्वारा लिखी गई थी?

व्याख्या: बाण भट्टराव सातवीं शताब्दी के संस्कृत गद्य लेखक और कवि थे। वह राजा हर्षवर्धन के आस्थान कवि थे। उनके दो प्रमुख ग्रंथ हैं: हर्षचरितम् तथा कादम्बरी। हर्षचरितम् , राजा हर्षवर्धन का जीवन-चरित्र था और कादंबरी दुनिया का पहला उपन्यास था। कादंबरी पूर्ण होने से पहले ही बाण भट्टराव जी का देहांत हो गया तो उपन्यास पूरा करने का काम उनके पुत्र भूषण भट्ट राव ने अपने हाथ में लिया। दोनों ग्रंथ संस्कृत साहित्य के महत्त्वपूर्ण ग्रंथ माने जाते है।

5. हर्षवर्धन के समय में कौन-सा चीनी तीर्थयात्री भारत आया था?

व्याख्या: ह्वेन त्सांग एक प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु था। वह हर्षवर्द्धन के शासन काल में भारत आया था। वह भारत में 15 वर्षों तक रहा। उसने अपनी पुस्तक सी-यू-की में अपनी यात्रा तथा तत्कालीन भारत का विवरण दिया है। उसके वर्णनों से हर्षकालीन भारत की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक अवस्था का परिचय मिलता है।

6. किस व्यक्ति को द्वितीय अशोक कहा जाता है?

व्याख्या: हर्षवर्धन को द्वितीय अशोक कहा जाता है। हर्षवर्धन (590 - 647) प्राचीन भारत में एक राजा था जिसने उत्तरी भारत में अपना एक सुदृढ़ साम्राज्य स्थापित किया था। वह हिन्दू सम्राट था जिसने पंजाब छोड़कर शेष समस्त उत्तरी भारत पर राज्य किया।

7. बाणभट्ट किस सम्राट् के राजदरबारी कवि थे?

व्याख्या: बाण भट्टराव सातवीं शताब्दी के संस्कृत गद्य लेखक और कवि थे। वह राजा हर्षवर्धन के आस्थान कवि थे। उनके दो प्रमुख ग्रंथ हैं: हर्षचरितम् तथा कादम्बरी। हर्षचरितम् , राजा हर्षवर्धन का जीवन-चरित्र था और कादंबरी दुनिया का पहला उपन्यास था।

8. 'प्रतापशील', 'हुण हरिण केसरी', 'महाराजाधिराज' नामक उपाधियां निम्न में से किसकी थी?

व्याख्या: हर्ष चरित में प्रभाकरवर्द्धन को 'हूणहरिणकेसरी' कहा गया है।
हूणों ने लगभग 604 ई. में भारत पर आक्रमण किया, प्रभाकरवर्द्धन ने उनका दमन करने केलिए अपने बड़े पुत्र राज्यवर्धन और हर्षवर्धन को एक बड़ी सेना के साथ भेजा था, उन्होंने हूणों को परास्त किया।

9. सम्राट हर्ष ने अपनी राजधानी थानेश्वर से कहाँ स्थानान्तरित की थी?

व्याख्या: सम्राट हर्ष ने अपनी राजधानी थानेश्वर से कन्नौज स्थानान्तरित की थी। हर्षवर्धन की दो राजधानियां थी। उनकी पहली राजधानी थानेश्वर में थी जो अभी कुरुक्षेत्र के पास हैं एक छोटे से कस्बे के रूप में। यहाँ पर उनका शिलालेख मिला है। और दूसरी राजधानी कन्नौज में थी जो गंगा किनारे उत्तर प्रदेश में थी। उन्होंने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाकर पूरे उत्तर भारत को एक सूत्र में बांधने में सफलता हासिल की।

10. 'सकलोत्तरापथनाथ' किसे कहा गया है?

व्याख्या: हर्ष वर्धन हरियाणा के थानेशवर के पुष्यभूति वंश का शासक था,यह सन् 606ई.से647ई. तक शासक रहा।इसने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया। इसी के शासन काल मे ही चीनी यात्री हवेंगसान भारत आया। हर्ष ने सर्वप्रथम बंगाल के गौड़़ नरेश शशांक को पराजित किया। 630ई से 633ई के मध्य वल्लभी नरेश ध्रुवसेन द्वितीय को हराया। इसी बीच हषर्वर्धन और पुलिकेशन द्वितीय के मध्य नर्मदा नदी के तट पर युद्ध हुआ जिसमें हर्ष की असफलता का उल्लेख मिलता हैं। हषर्वर्धन ने अपनी सैन्य शक्ति और कुटनीति से संपूर्ण उत्तर भारत को जीत लिया इसलिए इसे अभिलेखो मे सकलोत्तरापथनाथ अर्थात उत्तर भारत का स्वामी कहा गया हैं।हर्ष ने परमभट्टारक , महाराजाधिराज, सकलोत्तरायेश्वर, आदि उपाधियाँ धारण की।

11. ह्वेनसांग ने किसे 'शीलादित्य' कहा है?

व्याख्या: हर्षवर्धन के कई सिक्के मौखरी शासकों के सिक्कों के साथ भिटौरा ढेर से प्राप्त हुए हैं, जिससे प्रमाणित होता है कि शिलादित्य नाम से हर्षवर्धन ने कुछ सिक्के चलाए जिस पर वृषभ की आकृति थी।

13. 'नागानंद' का रचनाकार कौन था?

व्याख्या: नागानन्द (नागों का आनन्द) राजा हर्षवर्धन (606 C.E. - 648 C.E.) द्वारा रचित संस्कृत नाटक है। यह संस्कृत के सर्वश्रेष्ठ नाटकों में से है। यह नाटक पाँच अंकों में है। इसमें गरुड़ देवता को खुश करने के लिये नागों की बलि देने को रोकने के लिये राजकुमार जिमुतवाहन द्वारा अपना शरीर त्याग की कहानी है।

13. गुप्त वंश के हास के पश्चात् उत्तर भारत में बड़े भाग का पुनर्गठन किसने किया?

व्याख्या: गुप्त वंश के हास के पश्चात् उत्तर भारत में बड़े भाग का पुनर्गठन हर्षवर्द्धन ने किया।

हर्षवर्धन या हर्ष (606ई.-647ई.), राज्यवर्धन के बाद लगभग 606 ई. में थानेश्वर के सिंहासन पर बैठा।

हर्ष के विषय में हमें बाणभट्ट के हर्षचरित से व्यापक जानकारी मिलती है। हर्ष ने लगभग 41 वर्ष शासन किया।

14. बंगाल का कौन-सा शासक हर्ष का समकालीन था?

व्याख्या: शशांक , बंगाल का हिंदू राजा था जिसने सातवीं शताब्दी के अंतिम चरण में बंगाल पर शासन किया वह हर्ष का समकालीन था। वह बंगाल का पहला महान् राजा था। उसने गौड़ राज्य की स्थापना की। उसकी राजधानी 'कर्णसुवर्ण' थी।

15. चालुक्य शासक पुलकेशिन II ने किस नदी के किनारे हर्षवर्धन को परास्त किया था?

व्याख्या: पुलिकेशन II वातापी के चालुक्य वंश का राजा था। उसका 618 ई में नर्मदा नदी के तट पर हर्षवर्धन से युद्ध हुआ। हर्ष कन्नौज से अपनी सेना लेकर आया और इस युद्ध में पराजित हो गया। इस युद्ध में उसके हाथियों का काफी नुकसान हुआ।


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