संगम काल से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या | Sangam Kal Gk Quiz (set-1)

संगम काल से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या - Sangam Kal Gk Quiz (set-1).

संगम काल

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 1)

1. 'लाल चेर' के नाम से प्रसिद्ध वह चेर शासक कौन था, जिसने कणगी (पत्तिनी) के मंदिर का निर्माण कराया था?

व्याख्या: सेनगुट्टवन इस राजवंश का सबसे शानदार शासक था. इसे लाल चेर के नाम से भी जाना जाता था. वह प्रसिद्ध तमिल महाकाव्य शिल्प्पदिकाराम का नायक था. दक्षिण भारत से चीन के लिए दूतावास भेजने वाला वह पहला चेर राजा था।

2. तमिल का गौरवग्रंथ 'जीवक चिन्तामणि' किससे संबंधित है?

व्याख्या: जीवक चिन्तामणि एक तमिल महाकाव्य है। यह जैन मुनि तिरुतक्कदेवर द्वारा रचित जैन धर्म ग्रन्थ है। इस ग्रंथ को तमिल साहित्य के 5 प्रसिद्ध ग्रंथों में गिना जाता है। 13 खण्डों में विभाजित इस ग्रंथ में कुल 3,145 पद हैं। इसमें कवि ने 'जीवक' नामक राजकुमार का जीवनवृत्त प्रस्तुत किया है।

3. तमिल भाषा के ‘शिल्पादिकारम्' और 'मणिमेखलई' नामक गौरवग्रंथ किससे संबंधित है?

व्याख्या: तमिल भाषा के ‘शिल्पादिकारम्' और 'मणिमेखलई' नामक गौरवग्रंथ बौद्ध धर्म से संबंधित है।

शिलप्पादिकारम को 'तमिल साहित्य' के प्रथम महाकाव्य के रूप में जाना जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ है- 'नूपुर की कहानी'। इस महाकाव्य की रचना चेर वंश के शासक सेन गुट्टुवन के भाई इलांगो आदिगल ने लगभग ईसा की दूसरी-तीसरी शताब्दी में की थी। 'शिलप्पादिकारम' की सम्पूर्ण कथा नुपूर के चारों ओर घूमती है।

मणिमेखलै महाकाव्य की रचना मदुरा के एक बौद्ध धर्म को मानने वाले व्यापारी 'सीतलै सत्तनार' ने की थी। इस महाकाव्य की रचना 'शिलप्पादिकारम' के बाद की गयी। ऐसी मान्यता है कि, जहाँ पर 'शिलप्पादिकारम' की कहानी ख़त्म होती है, वहीं से 'मणिमेखलै' की कहानी प्रारम्भ होती है।

4. निम्न में कौन संगमयुगीन व्याकरण रचना सर्वाधिक महत्वपूर्ण रचना मानी गयी है?

व्याख्या: तोल्काप्पियम 'द्वितीय संगम' का एक मात्र शेष ग्रंथ है।
अगस्त्य ऋषि के बारह योग्य शिष्यों में से एक 'तोल्काप्पियर' द्वारा यह ग्रंथ लिखा गया था।
सूत्र शैली में रचा गया यह ग्रंथ तमिल भाषा का प्राचीनतम व्याकरण ग्रंथ है।
संगमकालीन इस ग्रंथ में आठों प्रकार के विवाहों का उल्लेख मिलता है।
इस ग्रंथ में प्रेम विवाह को 'पंचतिणै', एक पक्षीय प्रेम को 'कैक्किणै' एवं अनुचित प्रेम को 'पेरुन्दिणै' कहा गया है।

5. निम्नलिखित राजवंशों में किसका उल्लेख संगम साहित्य में नहीं हुआ है?

व्याख्या: संगम साहित्य में तत्कालीन तीन राजवंशों-चेर, चोल, पाण्ड्य के विषय में विस्तृत जानकारी मिलती है। चेर राजवंश-ऐतरेय ब्राह्मण में प्राप्त होने वाला उल्लेख चेरपाद, सम्भवतः चेरों के विषय में प्रथम जानकारी है। इसके अतिरिक्त रामायण, महाभारत, अशोक के शिलालेख, कालिदास के रघुंश महाकाव्य एवं संगम साहित्य से चेर के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। चेरों का राजकीय चिन्ह धनुष था। चोल वंश-चोलों के विषय में प्रथम जानकारी पाणिनि कृत अष्टाध्यायी से मिलती है। इस विषय में जानकारी के अन्य त्रोत-कात्यायन कृत वार्तिक, महाभारत एवं संगम साहित्य साहित्य आदि हैं। कालान्तर में उरैपुर तथा तंजावुर चोलों की राजधानी बनी। चोलों का शासकीय चिन्ह बाघ था। पाण्ड्य वंश-इसका प्रारम्भिक उल्लेख अष्टाध्यायी में मिलता है। इसके अतिरिक्त अशोक के अभिलेख, महाभारत एवं रामायण में भी पाण्ड्य राज्य के विषय में जानकारी मिलती है। पाण्ड्य की राजधानी मदुरा थी। पाण्ड्य का राज चिन्ह मछली था।

6. संगम युग में उरैयूर किसलिए विख्यात था?

व्याख्या: संगम काल में उरैयूर सूती वस्त्र एवं कपास के व्यापार के लिए प्रसिद्ध था। उरैयूर नामक स्थान की चर्चा ‘पेरिप्लस ऑफ द इरीथियन सी’ में भी हुई है।

7. 'तोलक्कप्पियम्' ग्रंथ संबंधित है

व्याख्या: तोल्काप्पियम 'द्वितीय संगम' का एक मात्र शेष ग्रंथ है।
अगस्त्य ऋषि के बारह योग्य शिष्यों में से एक 'तोल्काप्पियर' द्वारा यह ग्रंथ लिखा गया था।
सूत्र शैली में रचा गया यह ग्रंथ तमिल भाषा का प्राचीनतम व्याकरण ग्रंथ है।
संगमकालीन इस ग्रंथ में आठों प्रकार के विवाहों का उल्लेख मिलता है।
इस ग्रंथ में प्रेम विवाह को 'पंचतिणै', एक पक्षीय प्रेम को 'कैक्किणै' एवं अनुचित प्रेम को 'पेरुन्दिणै' कहा गया है।

8. धार्मिक कविताओं का संकलन ‘कुरल' किस भाषा में है?

व्याख्या: धार्मिक कविताओं का संकलन ‘कुरल' तमिल भाषा में है। प्रसिद्ध महाकाव्य 'कुरल' के लेखक 'तिरुवल्लुवर' हैं।

9. किस संगमयुगीन राज्य के संरक्षण में तीन संगमों का आयोजन किया गया?

व्याख्या: प्राचीन दक्षिण भारत में आयोजित तीन संगम थे, जिन्हें लोकप्रिय रूप से Muchchangam कहा जाता था। इन संगमों का विकास मदुराई के पांड्या राजाओं के शाही संरक्षण के तहत हुआ। संगम युग के दौरान प्रमुख तीन राजवंशों ने शासन किया जिनमें चेर, चोल और पाण्ड्य राजवंश थे।

10. किसने उल्लेख किया है कि 'नंदों ने अपना कोष गंगा की धारा में छिपा रखा था’?
11. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए:
सूची-I (राज्य)
  1. चेर
  2. चोल
  3. पाण्डेय
सूची-II (राजकीय चिन्ह)
  1. धनुष
  2. बाघ
  3. मछली

व्याख्या: संगम साहित्य में तत्कालीन तीन राजवंशो-चेर, चोल और पांड्य के विषय में विस्तृत जानकारी मिलती है। चेर राजवंश-ऐतरेय ब्राह्मण में प्राप्त होने वाला उल्लेख चेरपाद, सम्भवत: चेरों के विषय में प्रथम जानकारी है। चेरों के राजकीय चिन्ह धनुष था।

चोल वंश- चोलों के विषय में प्रथम जानकारी पाणिनि कृत अष्टाध्यायी से मिलती है। चोंलों का राजकीय चिन्ह बाघ था।

पांड्य वंश- इसका प्रारम्भिक उल्लेख अष्टाध्यायी में मिलता है। इसकी अतिरिक्त अशोक के अभिलेख, महाभारत एवं रामायण में भी पांड्य राज्य के विषय में जानकारी मिलती है। पांड्य की राजधानी मदुरा थी। पाण्ड्य का राज चिन्ह मछली था।

12. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए
सूची-I (पुस्तक)
  1. तोल्ल्ककम्पियम
  2. शिल्पादिकारम
  3. मणिमेकलई
  4. जीवक चिन्तामणि
सूची-II (लेखक)
  1. तोलकक्म्पियर
  2. इलांगो आडीगल
  3. सितलै श्तनार
  4. तिरुत्तक्कदेवर

व्याख्या: संगम ग्रन्थ तिरक्कुरल की रचना तिरुवल्लुवर ने की थी। संगम कालीन महाकाव्य शिल्पपदिकारम की रचना इलंगो आदिगल ने की थी। इलंगो आदिगल चेर शासक शेनगुट्टूवन का छोटा भाई था और अनुश्रुति है कि उसके भय से घर-बार छोड़कर सन्यासी हो गया था।

मणिमैखले की रचना मदुरा के एक अनाज व्यापारी सित्तलै सत्तनार (अथवा कुलविनशन सत्तनार) ने की थी। यह एक बौद्ध था।

तोलकाप्पियम की रचना तोलकाप्पियर ने की थी। यह एक प्राचीन तमिल साहित्य का प्राचीनतम ग्रन्थ था इसकी रचना सूत्र शैली में की गई है।व्याकरण के साथ-साथ यह काव्य-शास्त्र का भी एक उच्चकोटि का ग्रन्थ है। यह प्रबंध तीन खंडो में विभाजित है।

13. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए:
सूची-I (क्षेत्र)
  1. कुरिंजी
  2. पालई
  3. मुल्लाई
  4. मरूदम
  5. नेउल
सूची-II (अर्थ)
  1. पहाड़ी
  2. मरुभूमि / निर्जन स्थल
  3. जंगल
  4. कृषि भूमि
  5. तटीय प्रदेश

व्याख्या:

14. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए:
सूची-I (संगम)
  1. प्रथम संगम
  2. द्वितीय संगम
  3. तृतीय संगम
सूची-II (अध्यक्ष)
  1. अग्स्तस्य
  2. अगस्त एवं तोल्लकाप्पियर
  3. नक्कीरर

व्याख्या: प्रथम संगम मदुरा में अगस्त्य ऋषि की अध्यक्षता में हुआ।
द्वितीय संगम का आयोजन स्थल कपाटपुरम (अलवै) में हुआ। यह संगम तोल्कापियर एवं अगस्त्य ऋषि की अध्यक्षता में हुआ।
तृतीय संगम नक्कीरर की अध्यक्षता में उत्तरी मदुरा में आयोजित किया गया संगम साहित्य में उपलब्ध समस्त तमिल ग्रंथ इसी संगम से सम्बन्धित है।

15. कपाटपुरम या अल में संपन्न द्वितीय संगम का एकमात्र शेष ग्रंथ कौन-सा है?

व्याख्या: तोलकाप्पियम की रचना तोलकाप्पियर ने की थी। यह एक प्राचीन तमिल साहित्य का प्राचीनतम ग्रन्थ था इसकी रचना सूत्र शैली में की गई है।व्याकरण के साथ-साथ यह काव्य-शास्त्र का भी एक उच्चकोटि का ग्रन्थ है। यह प्रबंध तीन खंडो में विभाजित है।


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