बौद्ध धर्म से जुड़े महत्वपूर्ण ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन व्याख्या सहित। Buddhism Gk Quiz (Set-6)

बौद्ध धर्म से जुड़े महत्वपूर्ण ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन व्याख्या सहित। -Buddhism Gk Quiz (set-6).

बौद्ध धर्म

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 6)

76. बौद्ध धर्म में भावी बोधिसत्व या भविष्य के बोधिसत्व किसे माना गया है?

व्याख्या: मैत्रेय (संस्कृत), मेत्तेय्य (पालि), या मैथरि (सिंहली), बौद्ध मान्यताओं के अनुसार भविष्य के बुद्ध हैं। ... बौद्ध परम्पराओं के अनुसार, मैत्रेय एक बोधिसत्व हैं जो पृथ्वी पर भविष्य में अवतरित होंगे और बुद्धत्व प्राप्त करेंगे तथा विशुद्ध धर्म की शिक्षा देंगे।

77. किसके समय में बौद्ध धर्म स्पष्टतः दो स्वतंत्र संप्रदायों 'हीनयान' एवं 'महायान में विभाजित हुआ?

व्याख्या: कनिष्क के शासन काल में कश्मीर के 'कुण्डलवन' नामक स्थान में बौद्ध धर्म की चतुर्थ संगीति का आयोजन किया गया था। उसकी अध्यक्षता प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान वसुमित्र ने की थी तथा अश्वघोष उसके उपाध्यक्ष बनाये गए। इस संगीति में बौद्ध त्रिपिटकों के प्रमाणिक पाठ तैयार हुए तथा 'विभाषाशास्त्र' आती बौद्ध ग्रंथो का संकलन किया गया। कनिष्क के समय में बौद्ध धर्म स्पष्टत: दो सम्प्रदायों में विभक्त हो गया।

  1. हीनयान
  2. महायान

कनिष्क ने बौद्ध धर्म की महायान शाखा को राज्याश्रय प्रदान किया तथा स्वदेश एवं विदेश में उसका प्रचार-प्रसार करवाया।

78. 'योगाचार' या विज्ञानवाद' के प्रतिपादक थे?

व्याख्या: 'योगाचार' या विज्ञानवाद' के प्रतिपादक मैत्रेयनाथ थे। इधर विद्वानों की यह धारणा बनी कि जिन ग्रन्थों के बारे में ऐसी प्रसिद्धि है, वे असंग के गुरु किसी मानवरूपी मैत्रेयनाथ की रचनाएँ हैं। अत: अब यह सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि योगाचार प्रस्थान के प्रवर्तक वस्तुत: मैत्रेयनाथ हैं। योगाचार (विज्ञानवाद) के विकास के इतिहास में असंग अत्यधिक महत्त्वपूर्ण आचार्य हैं। मैत्रेयनाथ की समस्त रचनाएँ विज्ञानवादविषयक ही हैं, यह निश्चितरूप से नहीं कहा जा सकता।

79. भारत से दक्षिण की ओर के देशों में बौद्ध धर्म का कौन-सा संप्रदाय प्रचलित हुआ?

व्याख्या: हीनयान अथवा 'थेरवाद' रूढिवादी बौद्ध परम्परा है। पहले ज़माने में 'थेरवाद' को 'हीनयान शाखा' कहा जाता था, लेकिन अब बहुत विद्वान कहते हैं कि यह दोनों अलग हैं। थेरवाद शाखा दक्षिणी एशियाई क्षेत्रों में प्रचलित है, जैसे की श्रीलंका, बर्मा, कम्बोडिया, म्यान्मार, थाईलैंड और लाओस।

80. भारत से उत्तर की ओर के देशों में बौद्ध धर्म का जिस संप्रदाय का प्रचलन हुआ, उसका नाम हैं

व्याख्या: महायान, वर्तमान काल में बौद्ध धर्म की दो प्रमुख शाखाओं में से एक है। दूसरी शाखा का नाम थेरवाद है। महायान बुद्ध धर्म भारत से आरम्भ होकर उत्तर की ओर बहुत से अन्य एशियाई देशों में फैल गया, जैसे कि चीन, जापान, कोरिया, ताइवान, तिब्बत, भूटान, मंगोलिया और सिंगापुर।

81. बौद्ध धर्म का मूलाधार है

व्याख्या: बौद्ध धर्म का मूलाधार चार आर्य सत्य हैं। ये चार आर्य सत्य हैं- दुःख, दुःख समुदाय, दुःख निरोध और दुःख निरोध-गामिनी-प्रतिपदा(दुःख निवारक मार्ग) यानी अष्टांगिक मार्ग।

82. बौद्ध धर्म में 'त्रिरत्न' क्या इंगित करता है ?

व्याख्या: त्रिरत्न (तीन रत्न) बौद्ध धर्म के सबसे महत्त्वपूर्ण अंग हैं। इन त्रिरत्नों पर ही बौद्ध धर्म आधारित हैं।
त्रिरत्न :- बुद्ध, धम्म और संघ

83. बौद्ध धर्म को भारत में अंतिम राजकीय संरक्षण किस वंश के शासकों ने दिया?

व्याख्या: 'पाल राजवंश' को 'गुुप्त राजवंश' भी कहा गया है।पाल राजवंश ने भारत के पूर्वी भाग में एक विशाल साम्राज्य बनाया। इस राज्य में वास्तु कला को बहुत बढावा मिला। पाल राजाओ के काल मे बौद्ध धर्म को बहुत बढावा मिला। पाल राजा हिन्दू थे परन्तु वे बौध्द धर्म को भी मानने वाले थे। पाल राजाओ के समय में बौद्ध धर्म को बहुत संरक्षण मिला। पाल राजो ने बौद्ध धर्म के उत्थान के लिए बहुत से कार्य किये जो कि इतिहास में अंकित है। पाल राजाओ ने हिन्दू धर्म को आगे बढ़ने के लिए शिव मंदिरों का निर्माण कराया और शिक्षा के लिए विश्वविद्यालयो का निर्माण कराया।

84. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए:
सूची-I (बौद्ध शिक्षा केंद्र)
  1. नालंदा
  2. ओदंतपुरी
  3. विक्रमशिला
  4. वल्लभी
सूची-II (संस्थापक)
  1. कुमारगुप्त I (गुप्त वंश)
  2. गोपाल (पाल वंश)
  3. धर्म पाल (पाल वंश)
  4. भटार्क (मैत्रक वंश)

व्याख्या: नालन्दा विश्वविद्यालय की स्थापना का श्रेय गुप्त शासक कुमारगुप्त प्रथम को प्राप्त है। इस विश्वविद्यालय को हेमंत कुमार गुप्त के उत्तराधिकारियों का पूरा सहयोग मिला। गुप्तवंश के पतन के बाद भी आने वाले सभी शासक वंशों ने इसकी समृद्धि में अपना योगदान जारी रखा।

ओदन्तपुरी विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना प्रथम पाल नरेश गोपाल ने सातवीं शताब्‍दी में की थी। उदंतपुरी विश्‍वविद्यालय का उत्‍खनन कार्य नहीं होने के कारण यह आज भी धरती के गर्भ में दबा है, जिसके कारण बहुत ही कम लोग इस विश्‍वविद्यालय के इतिहास से परिचित हैं।

विक्रमशिला विश्वविद्यालय बिहार राज्य के भागलपुर जिले में स्थित था। इस विश्वविद्यालय की स्थापना पाल वंश के राजा धर्मपाल ने 775-800 ई0 में की थी।

वल्लभी विश्वविद्यालय गुजरात के सौराष्ट्र भाग में स्थित है और इसको भारत के पश्चिमी भाग में नालंदा के जैसे गौरवशाली रूप में पाया गया है माना जाता है कि इसकी स्थापना मैत्रक वंश के संस्थापक सेनापति भुट्टारक ने की थी। यह वह काल था, जब गुप्त साम्राज्य का विखण्डन हो रहा था। वल्लभी लगभग 780 ई. तक राजधानी बना रहा, फिर अचानक इतिहास के पन्नों से अदृश्य हो गया।

85. वह आद्यतम बौद्ध साहित्य जो बुद्ध के विभिन्न जन्मों की कथाओं के विषय में है, क्या है?

व्याख्या: जातक ग्रंथो में बुद्ध के पिछले जन्म के बारे में बताया गया है।

86. निम्नलिखित में से कौन-सा बौद्ध पवित्र स्थल निरंजना नदी पर स्थित था ?

व्याख्या: बुद्धभूमि बोधगया के आसपास कई बौद्ध व सनातन स्थल हैं। जो दर्शनीय है। निरंजना नदी के पूर्वी तट पर जहां सुजाता स्तूप व सुजाता मंदिर स्थित है। वहीं, महाबोधि मंदिर से सटे आदि शंकराचार्य मठ और जगन्नाथ मंदिर, मुहाने नदी के तट पर ढुंगेश्वरी पहाड़ी श्रृंखला में प्रागबोधि गुफा दर्शनीय स्थलों में शुमार है।

87. गौतम बुद्ध का गुरु कौन था?

व्याख्या: बुद्ध के प्रथम गुरु आलार कलाम थे,जिनसे उन्होंनेे संन्यास काल में शिक्षा प्राप्त की।35 वर्ष की आयु में वैशाखी पूर्णिमा के दिन सिद्धार्थ पीपल वृक्ष के नीचे ध्यानस्थ थे।

88. प्राचीन भारतीय इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से बौद्ध धर्म और जैन धर्म दोनों में समान रूप से विद्यमान था/थे?
  1. तप और भोग की अति का परिहार
  2. वेद-प्रामाण्य के प्रति अनास्था
  3. कर्मकाण्डों की फलवत्ता का निषेध
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए:

व्याख्या: तप और भोग की अति का परिहार बौद्ध और जैन धर्म दोनों में समान रूप से विद्यमान नहीं थे। जैन धर्म में तप के अति का परिहार न कर उसका समर्थन किया गया था।

89. भगवान बुद्ध की प्रतिमा कभी-कभी एक हस्त मुद्रा युक्त दिखाई गई है, जिसे 'भूमि स्पर्श मुद्रा' कहा जाता है। यह किसका प्रतीक है ?

व्याख्या: मथुरा कला के अंतर्गत बुद्ध की धर्मचक्रप्रवर्तन मुद्रा, अभय मुद्रा, ध्यान मुद्रा और भू-स्पर्श मुद्रा आदि मूर्तियों का निर्माण किया गया था। बुद्ध की 'भूमिस्पर्श मुद्रा' मार (कामदेव) के प्रलोभनों के बावजूद अपनी शुचिता और शुद्धता का साक्षी होने के लिए बुद्ध का धरती को आह्वान प्रस्तुत करती है।

90. राजगृह, वैशाली और पाटलीपुत्र में निम्नलिखित में कौन-सी एक समानता है ?

व्याख्या: ये स्थान महासंधिको के बौद्ध धर्मसूत्रों के संकलन से संबंधित है।


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