बौद्ध धर्म से जुड़े महत्वपूर्ण ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन व्याख्या सहित। Buddhism Gk Quiz (Set-4)

बौद्ध धर्म से जुड़े महत्वपूर्ण ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन व्याख्या सहित। -Buddhism Gk Quiz with explanation (set-4).

बौद्ध धर्म

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 4)

46. बौद्ध शिक्षा का केन्द्र था

व्याख्या: विक्रमशिला भारत का एक प्रसिद्ध शिक्षा-केन्द्र (विश्वविद्यालय) था। नालन्दा विश्वविद्यालय और विक्रमशिला दोनों पाल राजवंश के राज्यकाल में शिक्षा के लिए जगत्प्रसिद्ध थे। वर्तमान समय में बिहार के भागलपुर जिले का अन्तिचक गाँव वहीं है जहाँ विक्रमशिला थी। इसकी स्थापना 8वीं शताब्दी में पाल राजा धर्मपाल ने की थी।

47. भारत में सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप कहाँ स्थित है?

व्याख्या: सांची का महान मुख्य स्तूप, मूलतः सम्राट अशोक महान ने तीसरी शती, ई. पू. में बनवाया था। इसके केन्द्र में एक अर्धगोलाकार ईंट निर्मित ढांचा था, जिसमें भगवान बुद्ध के कुछ अवशेष रखे थे।

48. भारत में सबसे प्राचीन विहार है

व्याख्या: भारत में सबसे प्राचीन विहार 'नालंदा है। नालंदा विश्वविद्यालय इस बौद्ध विहार का और अधिक विस्तार करके बनाया था।

49. निम्नलिखित में से कौन-सा एक अन्य तीनों के समकालिक नहीं था ?

व्याख्या: हर्यक वंशीय शासक बिम्बिसार ने 544 ई. पू. से 492 ई. पू. तक मगध पर शासन किया था। मत्स्य पुराण में उसका नाम क्षेत्रोजस दिया गया है। जैन साहित्य में उसे श्रेणिक कहा गया है। बिम्बिसार और अजातशत्रु, कोशल नरेश प्रसेनजित तथा वत्सराज उदयन महत्मा बुद्ध के समकालीन थे। इन्होने बौद्ध धर्म को राज्याश्रय प्रदान किया था तथा उनकी शिष्यता ग्रहण की थी। मिलिंद इनका समकालीन नहीं था, नागसेन द्वारा रचित मिलिन्दपन्हो में इसकी सूचना मिलती है।

50. प्राचीन भारत के बौद्ध मठों में, परवन नामक समारोह आयोजित किया जाता था, जो-

व्याख्या: प्राचीन भारत के बौद्ध मठों में, परवन नामक समारोह आयोजित किया जाता था, जो वर्षा ऋतु के दौरान मठों में प्रवास के समय भिक्षुओं द्वारा किये गए अपराधों की स्वीकारोक्ति का अवसर होता था।

51. कश्मीर में कनिष्क के शासनकाल में जो बौद्ध संगीति आयोजित हुई थी उसकी अध्यक्षता किसने की थी ?

व्याख्या: वसुमित्र प्रसिद्ध बौद्ध दार्शनिक तथा लेखक था। वह कुषाण सम्राट कनिष्क का समकालीन था। इतिहास प्रसिद्ध बौद्ध संगीतियों में से चौथी संगीति का सभापतित्व वसुमित्र ने किया था।

52. आष्टांगिक मार्ग की संकल्पना, अंग है

व्याख्या: गौतम बुद्ध ने चतुर्थ आर्य सत्य में दुःख निरोध का उपाय बताया है। इसे दुःख निरोध गामिनी प्रतिपदा, मध्यमा प्रतिपदा, मध्यम मार्ग भी कहते हैं। इस मध्यमा प्रतिपदा में आठ मार्ग हैं इसलिए इसे 'अष्टांग मार्ग' भी कहा जाता है। इसके आठ सोपान है - सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाक, सम्यक कर्मांत, सम्यक आजीव, सम्यक व्यायाम, सम्यक स्मृति एवं सम्यक समाधि। अष्टांग मार्ग या अष्टांगिक मार्ग की संकल्पना धर्मचक्र प्रवर्तन सुत की विषयवस्तु का अंग है।

53. मिलिंदपण्हो' (मिलिंद के प्रश्न) राजा मिलिंद और किस बौद्ध भिक्षु के मध्य संवाद के रूप में है?

व्याख्या: नागसेन सर्वस्तिवादी बौद्ध भिक्षु थे जिनका जीवनकाल 150 ई॰पूर्व है। वे कश्मीर के निवासी थे। उनके द्वारा रचित पालि ग्रन्थ मिलिन्दपन्हो में भारतीय-यूनानी शासक मिलिन्द (यूनानी : Menander I ) द्वारा बौद्ध धर्म के सम्बन्ध में उनसे पूछे गये प्रश्नों का वर्णन है। इस ग्रन्थ का संस्कृत रूप नागसेनभिक्षुसूत्र है।

54. महायान बौद्ध धर्म में बोधिसत्व अवलोकितेश्वर को और किस अन्य नाम से जानते हैं?

व्याख्या: महायान बौद्ध धर्म में बोधिसत्व अवलोकितेश्वर को पद्मपाणि नाम से जानते हैं। अवलोकितेश्वर महायान बौद्ध धर्म सम्प्रदाय के सब से लोकप्रिय बोधिसत्वों में से एक हैं।

55. बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म दोनों ही विश्वास करते हैं कि-

व्याख्या: जैन धर्म और बौद्ध धर्म दोनों ही कर्म तथा पुनर्जन्म में विश्वास करते थे। इसके अलावा बौद्ध धर्म मध्यम मार्ग का उपदेश देता है तो जैन धर्म मोक्ष के लिए घोर तपस्या तथा शरीर त्याग का आदेश देता है। बौद्ध धर्म आत्मा के अस्तित्व में विश्वास नहीं करता था वही महावीर आत्मा में विश्वास करते थे। कर्मवाद तथा मोक्ष सम्बन्धी दोनों धर्मों के विचार भिन्न भिन्न हैं। जैन धर्म कर्म को एक भौतिक तत्व के। रूप में मानता है जबकि बौद्ध धर्म इच्छा द्वारा किये गये कार्य को ही कर्म कहता है। इसी प्रकार जैन मत के अनुसार मोक्ष का अर्थ शरीर विनाश है। जबकि बौद्ध मत के अनुसार निर्वाण इस जीवन में भी प्राप्त हो सकता है। स्वयं बुद्ध का जीवन इसका प्रमाण है। गौतम बुद्ध ने जाति-पाँति जैसी सामाजिक कुरीतियों का जितने प्रबल शब्दों में खण्डन किया, महावीर ने नहीं किया। सामाजिक विषयों में महावीर के विचार ब्राह्मणों से बहुत मिलते-जुलते थे। इस प्रकार देखा जाय तो ये दोनों धर्म वैदिक धर्म के सुधारवादी स्वरूप थे।

56. बौद्ध धर्म के महायान और हीनयान संप्रदायों में सर्वाधिक मौलिक अंतर कौन-सा है ?

व्याख्या: हीनयान सम्प्रदाय में महात्मा बुद्ध को एक महापुरुष माना जाता था, परन्तु महायान सम्प्रदाय में उन्हें देवता माना जाता था तथा उनकी पूजा की जाने लगी थी। इसी के साथ अनेक बोधिसत्वों की पूजा भी प्रारम्भ हुई।

57. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए:
सूची-I (बौद्ध संगीति)
  1. प्रथम बौद्ध संगीति
  2. द्वितीय बौद्ध संगीति
  3. तृतीय बौद्ध संगीति
  4. चतुर्थ बौद्ध संगीति
सूची-II (अध्यक्षता)
  1. महाकस्सप
  2. सब्बकामि
  3. मोग्गलिपुत्त तिस्स
  4. वसुमित्र

व्याख्या: प्रथम बौद्ध संगीति अजातशत्रु के शासनकाल में राजगृह स्थित सप्तपर्णी गुफा में 483 ई. पू. में सम्पन्न हुई थी। इसकी अध्यक्षता महाकस्सप न की थी। उद्देश्य – बुद्ध के उपदेशों को दो पिटकों विनय पिटक तथा सुत्त पिटक में संकलित किया गया।
द्वितीय बौद्ध संगीति कालाशोक (शिशुनाग वंश) के शासनकाल में वैशाली में 383 ई. पू. में सम्पन्न हुई थी। इसकी अध्यक्षता साबकमीर (सर्वकामनी) न की थी। अनुशासन को लेकर मतभेद के समाधान के लिए बौद्ध धर्म स्थापित एवं महासांघिक दो भागों में बँट गया।
तृतीय बौद्ध संगीति पाटलिपुत्र में 251 ई.पू. में सम्पन्न हुई थी। इसकी अध्यक्षता मोग्गलिपुत्ततिस्स ने अशोक (मौर्यवंश) के शासन काल में की थी। इसमें संघ भेद के विरुद्ध कठोर नियमों का प्रतिपादन करके बौद्ध धर्म को स्थायित्व प्रदान करने का प्रयत्न किया गया। धर्म ग्रन्थों का अंतिम रूप से सम्पादन किया गया तथा तीसरा पिटक अभिधम्मपिटक जोङा गया।
चतुर्थ बौद्ध संगीति कश्मीर के कुण्डलवन में वसुमित्र की अध्यक्षता में हुई। इसमें उपाध्यक्ष अश्वघोष थे। चतुर्थ बौद्ध संगीति कनिष्क (कुषाण वंश) के काल में हुई। बौद्ध धर्म का दो सम्प्रदायों हीनयान एवं महायान में विभाजन।

58. बुद्धचरित', जिसे 'बौद्धों का रामायण' कहा जाता है, के रचनाकार हैं

व्याख्या: बुद्धचरितम्, संस्कृत का महाकाव्य है। इसके रचयिता अश्वघोष हैं। इसकी रचनाकाल दूसरी शताब्दी है। इसमें गौतम बुद्ध का जीवनचरित वर्णित है। इस महाकाव्य का आरम्भ बुद्ध के गर्भाधान से तथा इसकी परिणति बुद्धत्व-प्राप्ति में होती है। यह महाकव्य भगवान बुद्ध के संघर्षमय सफल जीवन का ज्वलन्त, उज्ज्वल तथा मूर्त चित्रपट है। इसकी कथा का रूप-विन्यास वाल्मीकिकृत रामायण से मिलता-जुलता है।

59. महाविभाष शास्त्र' के रचयिता हैं

व्याख्या: सुमित्र प्रसिद्ध बौद्ध दार्शनिक तथा लेखक था। वह कुषाण सम्राट कनिष्क का समकालीन था। इतिहास प्रसिद्ध बौद्ध संगीतियों में से चौथी संगीति का सभापतित्व वसुमित्र ने किया था।

60. कौन-सी बौद्ध रचना गीता के समान पवित्र मानी जाती है?

व्याख्या: धम्मपद बौद्ध साहित्य का सर्वोत्कृष्ट लोकप्रिय ग्रंथ है। इसमें बुद्ध भगवान् के नैतिक उपदेशों का संग्रह यमक, अप्पमाद, चित्त आदि 26 वग्गों (वर्गों) में वर्गीकृत 423 पालि गाथाओं में किया गया है। त्रिपिटक में इसका स्थान सुत्तपिटक के पाँचवें विभाग खुद्दकनिकाय के खुद्दकपाठादि 15 उपविभागों में दूसरा है। ग्रंथ की आधी से अधिक गाथाएँ त्रिपिटक के नाना सुत्तों में प्रसंगबद्ध पाई जा चुकी हैं। धम्मपद की रचना उपलब्ध प्रमाणों से ई.पू. 300 व 100 के बीच हो चुकी थी, ऐसा माना गया है।


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