गरमपंथी या उग्रवादी चरण ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं व्याख्या - GK Quiz (Set-4)

उग्रवादी चरण ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन और उत्तर विस्तृत समाधान के साथ। उदारवादी चरण MCQ क्विज़, आगामी परीक्षाओं जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC की तैयारी करें।

उदारवादी चरण

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 4)

व्याख्या: 1908 में लोकमान्य तिलक ने क्रान्तिकारी प्रफुल्ल चाकी और क्रान्तिकारी खुदीराम बोस के बम हमले का समर्थन किया जिसकी वजह से उन्हें बर्मा (अब म्यांमार) स्थित मांडले की जेल भेज दिया गया। जेल से छूटकर वे फिर कांग्रेस में शामिल हो गये और 1916 में एनी बेसेंट जी और मुहम्मद अली जिन्ना के साथ अखिल भारतीय होम रूल लीग की स्थापना की।

व्याख्या: बिहार और उड़ीसा प्रांत ... 1 अप्रैल 1912 को बिहार और उड़ीसा विभाजन दोनों बिहार और उड़ीसा प्रांत के रूप में बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग हो गए थे।

व्याख्या: होम रूल आन्दोलन अखिल भारतीय होम रूल लीग, एक राष्ट्रीय राजनीतिक संगठन था जिसकी स्थापना 1916 में बाल गंगाधर तिलक द्वारा भारत में स्वशासन के लिए राष्ट्रीय मांग का नेतृत्व करने के लिए 'होम रूल' के नाम के साथ की गई थी। भारत को ब्रिटिश राज में एक डोमिनियन का दर्जा प्राप्त करने के लिए ऐसा किया गया था।

व्याख्या: ग़दर पार्टी पराधीन भारत को अंग्रेज़ों से स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से बना एक दल था। इसे अमेरिका और कनाडा के भारतीयों ने 25 जून 1913 में बनाया था। इसे प्रशान्त तट का हिन्दी संघ (Hindi Association of the Pacific Coast) भी कहा जाता था। यह पार्टी 'ग़दर' नाम का पत्र भी निकालती थी जो उर्दू और पंजाबी में छपता था।

व्याख्या: मुस्लिम नेताओं ने ढाका के नवाब सलीमुल्ला के नेतृत्व में 30 दिसम्बर, 1906 ई. को ढाका में 'मुस्लिम लीग' की स्थापना की।
सलीमुल्ला ख़ाँ 'मुस्लिम लीग' के संस्थापक व अध्यक्ष थे, जबकि प्रथम अधिवेशन की अध्यक्षता मुश्ताक हुसैन ने की। इस संस्था का प्रमुख उद्देश्य था- 'भारतीय मुस्लिमों में ब्रिटिश सरकार के प्रति भक्ति उत्पत्र करना व भारतीय मुस्लिमों के राजनीतिक व अन्य अधिकारो की रक्षा करना।

व्याख्या: एनी बेसेंट ने पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के माध्यम से होमरूल चलाने का प्रस्ताव किया। बाल गंगाधर तिलक ने अप्रैल, 1916 ई. में बेलगांव के सम्मेलन में होमरुल लीग के गठन की घोषणा की। टी. एस. अल्कॉट होमरूल की स्थापना से संबंधित नहीं थे।

व्याख्या: स्वदेशी आन्दोलन के निष्क्रिय होने से भारतीय राष्ट्रवाद के प्रहरी भी निष्क्रिय हो गए थे। वर्ष 1914 ई. में अचानक छिड़े प्रथम विश्वयुद्ध ने भारतीय राष्ट्रीयता के प्रहरियों को झकझोरा, उन्हें उद्वेलित किया। उस समय यह धारण प्रचलित थी की 'ब्रिटेन पर किसी भी तरह का संकट भारत के हित में है, उनके लिए एक मौका है। इस 'मौके' का की जगहों पर कई तरह से फायदा उठाया गया। उत्तरी अमेरिका में गदर क्रांतिकारियों और भारत में लोकमान्य तिलक, एनीबेसेन्ट व उनके स्वदेशी संगठनो ने इस मौके का लाभ उठाया। गदर क्रांतिकारियों ने सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से अंग्रेजी हुकुमत को उखाड़ फेंकने का प्रयास किया।

व्याख्या: 1916 के लखनऊ अधिवेशन में होमरूल लीग के सदस्यों के लिए अपनी ताकत दिखाने का अच्चा मौका था। तिलक के समर्थकों ने तो परंपरा बना दी, जिस पर कांग्रेस बहुत वर्षों तक टिकी रही। उनके समर्थकों ने लखनऊ पहुँचने के लिए एक ट्रेन आरक्षित की, जिसे कुछ लोगों ने 'कांग्रेस स्पेशल' कहा। अरुंडेल ने लीग के हर सदस्य से कहा था कि वह लखनऊ अधिवेशन का सदस्य बनने की हर संभव कोशिश करे। अधिवेशन की समाप्ति के तुरंत बाद उसी पंडाल में दोनों होमरूल लीगों की बैठक हुई, जिसमें लगभग एक हजार प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कांग्रेस लीग समझौते की सराहना की गई। तिलक तथा एनी बेसेन्ट ने बैठक को संबोधित किया।

व्याख्या: वारींद्र घोष और भूपेन्द्र नाथ दत्त के सहयोग से 1907 में कलकत्ता में अनुशीलन समिति का गठन किया गया जिसका प्रमुख उद्देश्य था - 'खून के बदले खून'। 1905 के बंगाल विभाजन ने युवाओं को आंदोलित कर दिया था, जो की अनुशीलन समिति की स्थापना के पीछे एक प्रमुख वजह थी।

व्याख्या: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विरुद्ध अनुनय, विनय और विरोध की राजनीती का दोष बाल गंगाधर तिलक ने लगाया था। राजकोट के खतरनाक अग्रदूतों में से एक भारतीय असंतोष के वास्तविक जनक भारत के बेताज बादशाह एवं लोकमान्य के नाम से प्रसिद्ध बाल गंगाधर तिलक का जन्म कोंकण तट के रत्नगिर नामक स्थान पर उच्चजाति के चितपावन ब्राह्मण के घर में 23 जुलाई, 1856 को हुआ था।

व्याख्या: वंदेमातरम स्वदेशी आन्दोलन का शीर्षगीत बना। स्वदेशी आन्दोलन का सबसे अधिक प्रभाव सांस्कृतिक क्षेत्र में पड़ा। बंग्ला साहित्य विशेषकर काव्य के लिए तो यह स्वर्णकाल था। रवीन्द्रनाथ टैगोर, रजनीकांत सेन, द्विजेन्द्र नाथ राय इत्यादि के उस समय के लिखे गीत क्रन्तिकारी आतंकवादियो, नरमपंथियों, गांधीवादियों और साम्यवादियों सबसे लिए प्रेरणा स्रोत बने।

व्याख्या: डॉ एनी बेसेन्ट (1 अक्टूबर 1847 - 20 सितम्बर 1933) अग्रणी आध्यात्मिक, थियोसोफिस्ट, महिला अधिकारों की समर्थक, लेखक, वक्ता एवं भारत-प्रेमी महिला थीं। सन 1917 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षा भी बनीं।
'कॉमन वील' और 'न्यू इण्डिया' इनके अंग्रेजी में प्रकाशित दो अख़बार थे। इसका उद्देश्य भारतीय में स्वतंत्रता के प्रति जागृति उत्पन्न करना था।

व्याख्या: एनी बेसेंट के साथ-साथ तिलं ने भी उदारवादियों व अतिवादियों के पुनर्मिलन की प्रक्रिया में योगदान दिया। सन 1916 में 26-30 दिसम्बर तक हुए कांग्रेस अधिवेशन में जिसकी अध्यक्षता अम्बिकाचरण मजूमदार ने किया, इसी अधिवेशन में इन्हें एक होने पर तैयार की। साथ ही साथ कांग्रेस एवं मुस्लिम लीग में भी समझौता कराया, जिसे लखनऊ समझौता या कांग्रेस लीग पैक्ट कहा जाता है।

व्याख्या: लोकमान्य तिलक ने आगरकर से मिलकर 1890 ई. में पूना में 'न्यू इंग्लिश स्कूल' खोला और आगरकर की सहायता से मराठा' और 'केसरी' दो समाचार पत्र निकाले। वेलेंटाइन शिरोल ने उन्हें 'भारतीय अशांति का जनक' कहा। वे तो राष्ट्रीय शिक्षा स्वदेशी वस्तुओं के प्रचार, विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार, निष्क्रिय प्रतिरोध तथा संवैधानिक आंदोलनों द्वारा स्वराज्य प्राप्त करना चाहते थे।

व्याख्या: एनी बेसेंट ने पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के माध्यम से होमरूल चलाने का प्रस्ताव किया। बाल गंगाधर तिलक ने अप्रैल, 1916 ई. में बेलगांव के सम्मेलन में होमरुल लीग के गठन की घोषणा की। टी. एस. अल्कॉट होमरूल की स्थापना से संबंधित नहीं थे।


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