गरमपंथी या उग्रवादी चरण ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं व्याख्या - GK Quiz (Set-3)

उग्रवादी चरण ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन और उत्तर विस्तृत समाधान के साथ। उदारवादी चरण MCQ क्विज़, आगामी परीक्षाओं जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC की तैयारी करें।

उदारवादी चरण

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 3)

व्याख्या: बंगाल विभाजन के निर्णय की घोषणा 19 जुलाई 1905 को भारत के तत्कालीन वाइसराय कर्जन के द्वारा किया गया था। एक मुस्लिम बहुल प्रान्त का सृजन करने के उद्देश्य से ही भारत के बंगाल को दो भागों में बाँट दिये जाने का निर्णय लिया गया था। बंगाल-विभाजन 16 अक्टूबर 1905 से प्रभावी हुआ। इतिहास में इसे बंगभंग के नाम से भी जाना जाता है।

व्याख्या: लखनऊ समझौता दिसंबर 1916 में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस और अखिल भारतीय मुस्लिम लीग द्वारा किया गया समझौता है, जो 29 दिसम्बर 1916 को लखनऊ अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस द्वारा और 31 दिसम्बर 1916 को अखिल भारतीय मुस्लिम लीग द्वारा पारित किया गया।

व्याख्या: कांग्रेस का सूरत अधिवेशन 1907 ई. में सूरत में सम्पन्न हुआ। ऐतिहासिक दृष्टि से यह अधिवेशन अति महत्त्वपूर्ण था। गरम दल तथा नरम दल के आपसी मतभेदों के कारण इस अधिवेशन में कांग्रेस दो भागों में विभाजित हो गई। उग्रवादी नेता, बालगंगाधर तिलक या लाला लाजपत राय में से किसी एक को अध्यक्ष बनाना चाहते थे जबकि नरमपंथी डा० रास बिहारी घोष के नाम का प्रस्ताव लाये। अन्त में दादा भाई नौरोजी को अध्यक्ष बनाकर विवाद को शान्त किया गया।

व्याख्या: कांग्रेस का सूरत अधिवेशन 1907 ई. में सूरत में सम्पन्न हुआ। ऐतिहासिक दृष्टि से यह अधिवेशन अति महत्त्वपूर्ण था। गरम दल तथा नरम दल के आपसी मतभेदों के कारण इस अधिवेशन में कांग्रेस दो भागों में विभाजित हो गई। इसके बाद 1916 ई. के 'लखनऊ अधिवेशन' में पुन: दोनों दलों का आपस में विलय हुआ। 1918 – बम्बई अधिवेशन - हसन इमाम की अध्यक्षता में हुए इस अधिवेशन में कांग्रेस का दूसरा विभाजन हुआ।

व्याख्या: अनुशीलन समिति का प्रतीक: अखण्ड भारत (United India) अनुशीलन समिति भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय बंगाल में बनी अंग्रेज-विरोधी, गुप्त, क्रान्तिकारी, सशस्त्र संस्था थी। इसका उद्देश्य वन्दे मातरम् के प्रणेता व प्रख्यात बांग्ला उपन्यासकार बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय के बताये गये मार्ग का 'अनुशीलन' करना था।

व्याख्या: अरविन्द घोष या श्री अरविन्द एक योगी एवं दार्शनिक थे। वे 15 अगस्त 1872 को कलकत्ता में जन्मे थे। इनके पिता एक डाक्टर थे। इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, किन्तु बाद में यह एक योगी बन गये और इन्होंने पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया।

व्याख्या: बंगाल विभाजन के विरोध में 1908 ई. में सम्पूर्ण देश में `बंग-भंग' आन्दोलन शुरु हो गया। इस विभाजन के कारण उत्पन्न उच्च स्तरीय राजनीतिक अशांति के कारण 1911 में दोनो तरफ की भारतीय जनता के दबाव की वजह से बंगाल के पूर्वी एवं पश्चिमी हिस्से पुनः एक हो गए।

व्याख्या: लॉर्ड हार्डिंग 1910-16 तक भारत के वायसराय रहे। इन्ही के समय में ब्रिटेन के राजा जार्ज पंचम के भारत आगमन (11 दिसम्बर, 1911) पर दिल्ली में एक भव्य दरबार का आयोजन किया गया, यही बंगाल विभाजन को रद्द करने की घोषणा की गई। प्रथम विश्वयुद्ध भी लार्ड हार्डिंग के समय में प्रारम्भ हुआ। इन्ही ने रक्षा कानूनों को शांति समय में भी जारी रखना चाहा था। लार्ड विलियम बैटिंग के कार्यकाल में ही 1829 ई. में सत्ती प्रथा विरोधी अधिनियम पारित हुआ था।

व्याख्या: 1 अक्टूबर, 1906 को आगा खां के नेतृत्व में मुसलमानों का एक शिष्टमण्डल ने प्रांतीय केंद्रीय व स्थानीय निकायों में निर्वाचन हेतु मुसलमानों के लिए विशिष्ट स्थिति की मांग की। इस मांग के जवाब में मिंटो ने मुसलमानों को आश्वासन देते हुए कहा कि उनके राजनैतिक अधिकारों और हितों की भारत में रक्षा की जाएगी।

व्याख्या: बंगाल विभाजन पहली बार 1905 ई. में वाइसराय लॉर्ड कर्ज़न द्वारा किया गया था। विभाजन के सम्बन्ध में कर्ज़न का तर्क था कि तत्कालीन बंगाल, जिसमें बिहार और उड़ीसा भी शामिल थे, काफ़ी विस्तृत है और अकेला लेफ्टिनेंट गवर्नर उसका प्रशासन भली-भाँति नहीं चला सकता है।

व्याख्या: अरविन्द घोष कांग्रेस के गरम दल के नेता थे। वह गर्म दल के चार स्तंभों (लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, विपिन चन्द्र पाल और अरविन्द घोष) में से एक थे।

व्याख्या: वर्ष 1906 के कलकता अधिवेशन में अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी के विभाजन की नौबत आ गई थी, लेकिन दादाभाई नौरोजी के अध्यक्ष बनने से संभावित विभाजन फिलहाल टल गया। दादाभाई नौरोजी को लगभग सभी राष्ट्रवादी एक सच्चा देशभक्त मानते थे। राजनितिक विचारों से दादाभाई पूर्ण राजभक्त थे। वह समझते थे कि भारत में अंग्रेजी राज्य से बहुत लाभ हुआ है और वह इस साहचर्य (Association) के सदा बने रहने में अभिरुचि रखते थे। राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकता अधिवेशन में ही पहली बार दादाभाई ने स्वराज्य की मांग की थी।

व्याख्या: गोपाल कृष्ण गोखले (अंग्रेज़ी: Gopal Krishna Gokhale, जन्म: 9 मई, 1866 ई., कोल्हापुर, महाराष्ट्र; मृत्यु: 19 फ़रवरी, 1915 ई.) अपने समय के अद्वितीय संसदविद और राष्ट्रसेवी थे। यह एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक भी थे। 1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम के नौ वर्ष बाद गोखले का जन्म हुआ था। यह वह समय था, जब स्वतंत्रता संग्राम असफल अवश्य हो गया था, किंतु भारत के अधिकांश देशवासियों के हृदय में स्वतंत्रता की आग धधकने लगी थी।

व्याख्या: कांग्रेस का कलकत्ता अधिवेशन 1906 ई. में कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में सम्पन्न हुआ। इस अधिवेशन में नरम दल तथा गरम दल के बीच जो मतभेद थे, वह उभरकर सामने आ गये। इन मतभेदों के कारण अगले ही वर्ष 1907 ई. के 'सूरत अधिवेशन' में कांग्रेस के दो टुकड़े हो गये और अब कांग्रेस पर नरमपंथियों का क़ब्ज़ा हो गया।


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