यूरोपीय कंपनियों का आगमन से जुड़े MCQ प्रश्न और उत्तर - General Knowledge Quiz (Set-5)

भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन से जुड़े 90 MCQ प्रश्न और उत्तर विस्तृत समाधान के साथ। Bharat me Europeans ka Aagman MCQ क्विज़ से अपनी आगामी परीक्षाओं जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC की तैयारी करें।

भारत में यूरोपीयों का आगमन

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 5)

व्याख्या: पुर्तगाली पहले यूरोपीय थे, जिन्होंने भारत में एक प्रिंटिंग प्रेस लायें थे। भारत में पहली पुस्तक 1557 ई. में गोवा के जेसुइट द्वारा प्रकाशित की गई थी।

व्याख्या: 1698 में, कंपनी ने तीन गांवों सुतानाती, कालीकाता और गोविंदपुर की जमींदारी का अधिग्रहण किया, जहां अंग्रेजों ने अपने कारखाने के चारों ओर फोर्ट विलियम का निर्माण किया था।

व्याख्या: राल्फ फिच अकबर के दरबार में जाने वाले पहले अंग्रेज थे। उन्होंने 1585 ई. में अकबर के दरबार का दौरा किया। राल्फ फिच एक अंग्रेज व्यापारी और यात्री था।

व्याख्या: डच ने 1605 में आंध्र प्रदेश के मसौलीपटनम में अपना पहला कारखाना स्थापित किया। बाद में उन्होंने भारत के विभिन्न भागों में व्यापारिक केंद्र भी स्थापित किए। डच सूरत और डच बंगाल की स्थापना क्रमशः 1616 और 1627 में की गयी थी।

व्याख्या: 1698 में, कंपनी ने तीन गांवों सुतानाती, कालीकाता और गोविंदपुर की जमींदारी का अधिग्रहण किया, जहां अंग्रेजों ने अपने कारखाने के चारों ओर फोर्ट विलियम का निर्माण किया था।

ये गाँव जल्द ही एक शहर के रूप में विकसित हो गए, जिसे कलकत्ता (अब कोलकाता) के नाम से जाना जाने लगा।

व्याख्या: मुगल सम्राट फर्रुखसियर ने शाही फरमान (चार्टर) जारी किया जिसमें कंपनी को बंगाल में महत्वपूर्ण व्यापारिक सुविधाएँ प्रदान की गईं। इसके द्वारा कंपनी को केवल 3000 रु के वार्षिक खराज पर निःशुल्क व्यापार करने का अधिकार मिला।

इसमें करों का भुगतान किए बिना बंगाल में ब्रिटिश वस्तुओं के निर्यात और आयात की अनुमति शामिल थी। इस फरमान के तहत, कंपनी को माल के परिवहन के लिए दस्तक जारी करने के लिए अधिकृत किया गया था।

व्याख्या: प्रथम फरमान के तहत 3000 रु. के वार्षिक भुगतान करने पर कम्पनी को समस्त व्यापार में सीमा शुल्क से मुक्त कर दिया गया तथा कलकता के 38 सीमावर्ती गाँवों को खरीदने का भी अधिकार प्रदान किया।

दूसरे फरमान के तहत बम्बई में ढले सिक्कों को सम्पूर्ण साम्राज्य में लेन-देन की अनुमति प्रदान की।

तीसरे फरमान द्वारा 10,000 रु. वार्षिक कर के बदले सूरत समस्त व्यापार को आयात-निर्यात कर से मुक्त कर दिया।

और्म ने लिखा है कि ये तीनों फरमान 'कंपनी का महाधिकार-पत्र' (मैग्नाकार्टा) कहलाते हैं।

व्याख्या:विलियम हॉकिंस- ये ईस्ट इंडिया कम्पनी का एक कर्मचारी तथा व्यापारी था। विलियम हॉकिंस, 'हेक्टर' नामक जहाज़ पर सवार होकर पूर्व की ओर ईस्ट इण्डिया कम्पनी की तीसरी यात्रा का संचालक था।

विलियम हॉकिंस, बादशाह जहाँगीर के नाम इंग्लैण्ड के राजा 'जेम्स प्रथम' का पत्र लेकर वह 1608 ई. में भारत के सूरत में पहुँचा। वह मुग़ल दरबार में 1613 ई. तक रहा।

थॉमस रो अथवा 'टॉमस रो' बादशाह जहाँगीर के शासनकाल में 1616 ई. में भारत आया था। इंग्लैण्ड के राजा से आज्ञा लेकर उसने कुछ लोगों को एकत्र कर ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना की थी। थॉमस रो ने अजमेर के क़िले में जहाँगीर से मुलाकात की थी।

पादरी एडवर्ड टैरी- यह थॉमस रो का पादरी था, जो 1616 ई. में भारत आया था। वह थॉमस रो के साथ 1617 ई. में मांडू गया और वहाँ मुग़ल बादशाह जहाँगीर से भेंट की। इसके बाद वह अहमदाबाद चला गया।

राल्फ फिच- ये अकबर के दरबार में जाने वाले पहले अंग्रेज थे। उन्होंने 1585 ई. में अकबर के दरबार का दौरा किया। राल्फ फिच एक अंग्रेज व्यापारी और यात्री था।

व्याख्या: फोर्ट विलियम कोलकाता में हुगली नदी के पूर्वी किनारे पर बना एक किला है, जिसे ब्रिटिश राज के दौरान बनवाया गया था। इसे इंग्लैंड के राजा विलियम तृतीय के नाम पर बनवाया गया था।

फोर्ट गेल्ड्रिया का निर्माण डच द्वारा किया गया था। उन्होंने 1610 में पुलिकट में एक कारखाने की स्थापना की, जो बाद में उनकी गतिविधियों का मुख्य केंद्र बन गया और इसे बाद में फोर्ट गेल्ड्रिया के नाम से जाना गया। 1741 में, डच ईस्ट इंडिया कंपनी और त्रावणकोर राज्य ने कोलाचेल की लड़ाई लड़ी, जिसमें डचों की हार हुई और वहाँ से डच प्रभाव कम होना शुरू हो गया।

1635 में अफीम, नमक, मलमल और मसालों का व्यापार करने के लिए हुगली के निकट चिनसराह में एक उपनिवेश बस्ती स्थापित किया गया था। उन्होंने फोर्ट गुस्तावस नामक एक किला, एक चर्च और कई अन्य इमारतों का निर्माण किया।

फोर्ट लुई या फोर्ट सेंट लुइस एक फ्रांसीसी किला था जो भारत के पूर्वी तट पर पांडिचेरी में खड़ा था। किले को 1701 के आसपास फ्रांस्वा मार्टिन द्वारा बनाया गया था और मरणोपरांत 1706 के आसपास पूरा किया गया था।

व्याख्या: 1673 ई में बंगाल के मुग़ल सूबेदार ने फ्रांसीसियों को चन्द्रनगर में बस्ती बनाने की अनुमति प्रदान कर दी।

व्याख्या: डूप्ले का पूरा नाम 'जोसेफ़ फ़्रैक्वाय डूप्ले' था। वह फ़्राँसीसी ईस्ट कम्पनी की व्यापारिक सेवा में भारत आया और बाद को 1731 ई. में चन्द्रनगर का गवर्नर बन गया। 1741 ई. में वह पाण्डिचेरी का गवर्नर-जनरल बनाया गया और 1754 ई. तक इस पद पर रहा, जहाँ से वह वापस बुला लिया गया। वह योद्धा न होते हुए भी एक कुशल राजनीतिज्ञ और राजनेता था। भारतीय इतिहास में हुए कर्नाटक युद्धों में डूप्ले ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इन युद्धों के माध्यम से डूप्ले ने अपनी एक अमिट छाप भारतीय इतिहास में छोड़ी है।

व्याख्या: डूप्ले का पूरा नाम 'जोसेफ़ फ़्रैक्वाय डूप्ले' था। वह फ़्राँसीसी ईस्ट कम्पनी की व्यापारिक सेवा में भारत आया और बाद को 1731 ई. में चन्द्रनगर का गवर्नर बन गया। 1741 ई. में वह पाण्डिचेरी का गवर्नर-जनरल बनाया गया और 1754 ई. तक इस पद पर रहा, जहाँ से वह वापस बुला लिया गया। वह योद्धा न होते हुए भी एक कुशल राजनीतिज्ञ और राजनेता था। भारतीय इतिहास में हुए कर्नाटक युद्धों में डूप्ले ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।


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