वर्धन वंश से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या | Vardhan Vansh Gk Quiz (Set-3)

वर्धन वंश से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या | Vardhan Vansh Gk Quiz (set-3).

वर्धन वंश

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 3)

31. आज भी भारत में हेनसांग को याद करने का मुख्य कारण है

व्याख्या: ह्वेन त्सांग एक प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु था। वह हर्षवर्द्धन के शासन काल में भारत आया था। वह भारत में 15 वर्षों तक रहा। उसने अपनी पुस्तक सी-यू-की में अपनी यात्रा तथा तत्कालीन भारत का विवरण दिया है। उसके वर्णनों से हर्षकालीन भारत की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक अवस्था का परिचय मिलता है।

32. हर्षवर्धन के विजयी जीवन में एकमात्र पराजय देनेवाला पुलकेशिन II कहां का शासक था?

व्याख्या: पुलकेशिन II वातापी का शासक था।पुलकेशी द्वितीय, पुलकेशी प्रथम का पौत्र तथा चालुक्य वंश का चौथा राजा था, जिसने 609-642 ई. तक राज्य किया।कन्नौज का सम्राट हर्षवर्धन, पुलकेशी द्वितीय का समकालीन था। वह भी उत्तरी भारत में अपने साम्राज्य की स्थापना में तत्पर था। नर्मदा नदी के उत्तर के सब प्रदेश उसकी अधीनता को स्वीकृत करते थे। वस्तुतः इस समय भारत में दो ही प्रधान राजशक्तियाँ थीं, उत्तर में हर्षवर्धन और दक्षिण में पुलकेशी द्वितीय। यह स्वाभाविक था, कि उनमें संघर्ष होता। नर्मदा नदी के तट पर दक्षिणी और उत्तरी राजशक्तियों में घोर युद्ध हुआ जिसमें पुलकेशी द्वितीय, हर्षवर्धन को परास्त करने में सफल हुआ।

33. हर्षवर्धन ने अपनी पुत्री का विवाह वल्लमी नरेश से किया, जो कि उसकी एक बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि थी

व्याख्या: बलभी राज्य आधुनिक गुजरात में स्थित था। वहाँ का शासक ध्रुवसेन द्वितीय था। हर्ष ने उस पर आक्रमण किया। ध्रुवसेन पराजित हुआ तथा उसने भागकर भङौंच के गुर्जर शासक दद्द द्वितीय के दरबार में शरण ली। गुर्जर नरेश ने हर्ष से उसका राज्य वापस दिला दिया। दद्द एक साधारण सा शासक था, जो अकेला हर्ष जैसे शक्तिशाली शासक से नहीं लङ सकता था, अतः उसने चालुक्य नरेश पुलकेशिन द्वितीय की सहायता से यह युद्ध किया होगा। पुलकेशिन के एहोल अभिलेख से पता चलता है, कि दद्द उसका सामंत था। हर्ष ने बलभी नरेश को अपनी ओर मिलाने के लिये अपनी पुत्री का विवाह उससे कर दिया।

34. 641 ई० में किसने चीन के राजा ताई-त्सुंग के पास एक राजदूत भेजा?

व्याख्या: हर्षवर्धन ने 641 में चीन के राजा ताई-त्सुंग के पास एक राजदूत भेजा।हर्षवर्धन के भारतीय मिशन के जवाब में चीनी सम्राट ताई - सुंग ने तीन चीनी मिशन हर्षवर्धन के दरबार में भेजे , जिसमें से एक मिशन हर्षवर्धन के मरणोपरांत पहुचा

35. हर्षवर्धन के भारतीय मिशन के जवाब में चीनी सम्राट ताई - सुंग ने तीन चीनी मिशन हर्षवर्धन के दरबार में भेजे , जिसमें से एक मिशन हर्षवर्धन के मरणोपरांत पहुचा . अंतिम मिशन में शामिल उस चीनी राजदूत का क्या नाम हैं , जिसने हर्ष की मृत्यु क तुरन्त बाद घटनाक्रम घटित हुआ उसका विस्तार से वर्णन किया है?

व्याख्या: वांग-ह्वेन-त्से सातवीं सदी में भारत आया जिसने अत्यल्प राजनैतिक तथ्यों को लिपिबद्ध किया है।

36. किस चीनी यात्री को 'वर्तमान शाक्य मुनि' एवं 'यात्रियों में राजकुमार' कहा जाता है?

व्याख्या: यात्रियों का राजकुमार' ह्वेनसांग (Xuanzang) को कहा जाता है। यह हर्षवर्धन के शासन काल में भारत आया था। इसका मुख्य उद्देश्य बौद्ध धर्म के बारें में जानकारी प्राप्त करना था इसका वर्णन सि-यु-की के नाम से प्रसिद्ध है। ह्वेन सांग का जन्म वर्तमान के हेनांन प्रांत, चीन में 602 ईसा पूर्व में हुआ था। चूँकि बचपन से ही ह्वेन सांग चीन की धार्मिक किताबें पढ़ने के शौकीन थे और बौद्ध धर्म पर अच्छी किताबें पढ़ने के लिए पूरे चीन में यात्रा की थी। बौद्ध धर्म की पाठ पुस्तकों में कुछ विरोधाभासों को जानने के बाद, उन्होंने सच का स्पष्टीकरण करने के लिए भारत जाने का फैसला किया क्योंकि भारत बुद्ध का जन्मस्थान है। भारत पहुँचने के बाद, उन्होंने यहाँ पर अपने जीवन के 15 साल बिता दिए।

37. ह्वेनसांग भारत में लगभग कितने साल रहा?

व्याख्या: ह्वेन त्सांग एक प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु था। वह हर्षवर्द्धन के शासन काल में भारत आया था। वह भारत में 15 वर्षों तक रहा। उसने अपनी पुस्तक सी-यू-की में अपनी यात्रा तथा तत्कालीन भारत का विवरण दिया है। उसके वर्णनों से हर्षकालीन भारत की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक अवस्था का परिचय मिलता है।

38. हेनत्सांग के सम्मानार्थ एवं महायान धर्म के प्रचारार्थ हर्षवर्धन ने कहाँ महासभा का आयोजन 643 ई० में करवाया?

व्याख्या: हर्ष के समय में कन्नौज धर्म सभा का आयोजन 643 ई. में किया गया। इस सभा का उद्देश्य देश में बौद्ध धर्म को विकसित करने के लिए ह्वेंसांग की उपस्थिति का लाभ उठाना था। बहुत से शासक इस सभा में सम्मलित हुए। उसमे 3000 महायान और हीनयान बौद्ध भिक्षु, 3000 ब्राह्मण व नालंदा विश्वविद्यालय के लगभग 1000 विद्वान भाग लेने के लिए आये। ये सभा 23 दिन तक चली और उसमें महायान का प्रचार किया गया।

39. कुंभ मेला को प्रारंभ करने का श्रेय किसे दिया जाता है?

व्याख्या: कुंभ मेले का शुभांरम्भ कब हुआ और किसने किया इतिहास के आधुनिक ग्रंथों में इसकी कोई प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है परन्तु इसका जो लिखित प्राचीनतम वर्णन उपलब्ध है वह सम्राट हर्षवर्धन के समय का है, जिसका चीन के प्रसिद्ध तीर्थयात्री ह्वेनसांग द्वारा किया गया है।

40. नर्मदा नदी पर सम्राट् हर्ष के दक्षिणवर्ती अग्रगमन को रोका

व्याख्या: पुलकेशिन II वातापी का शासक था।पुलकेशी द्वितीय, पुलकेशी प्रथम का पौत्र तथा चालुक्य वंश का चौथा राजा था, जिसने 609-642 ई. तक राज्य किया।कन्नौज का सम्राट हर्षवर्धन, पुलकेशी द्वितीय का समकालीन था। वह भी उत्तरी भारत में अपने साम्राज्य की स्थापना में तत्पर था। नर्मदा नदी के उत्तर के सब प्रदेश उसकी अधीनता को स्वीकृत करते थे। वस्तुतः इस समय भारत में दो ही प्रधान राजशक्तियाँ थीं, उत्तर में हर्षवर्धन और दक्षिण में पुलकेशी द्वितीय। यह स्वाभाविक था, कि उनमें संघर्ष होता। नर्मदा नदी के तट पर दक्षिणी और उत्तरी राजशक्तियों में घोर युद्ध हुआ जिसमें पुलकेशी द्वितीय, हर्षवर्धन को परास्त करने में सफल हुआ।

41. निम्नलिखित में किसने नालंदा विश्वविद्यालय को 100 ग्रामों की आय दानस्वरूप दिये?

व्याख्या: हर्षवर्धन ने नालंदा विश्वविद्यालय को 100 ग्रामों की आय दानस्वरूप दिये।

42. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए:
सूची-I (रचना)
  1. हर्षचरित, कादंबरी
  2. नीतिशतक, श्रृंगारशतक, भक्तिशक्ति
  3. सूर्यशतक
  4. प्रियदर्शिका, रत्नावली, नागानंद
सूची-II (रचनाकार)
  1. हर्षवर्धन
  2. भर्तृहरी
  3. मयूर
  4. वाणभट्ट

व्याख्या: यद्यपि बाणभट्ट की लेखनी से अनेक ग्रन्थ रत्नों का लेखन हुआ है किन्तु बाणभट्ट का महाकवित्व केवल 'हर्षचरित' और 'कादम्बरी' पर प्रधानतया आश्रित है।

भर्तृहरि एक महान संस्कृत कवि थे। संस्कृत साहित्य के इतिहास में भर्तृहरि एक नीतिकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। इनके शतकत्रय (नीतिशतक, शृंगारशतक, वैराग्यशतक) की उपदेशात्मक कहानियाँ भारतीय जनमानस को विशेष रूप से प्रभावित करती हैं।

मयूर भट्ट संस्कृत कवि थे। इनकी सुप्रसिद्ध रचना 'सूर्यशतक' है। व्याकरण, कोश तथा अलंकार के विद्वानों में इस ग्रंथ की बड़ी प्रतिष्ठा रही है।

पूष्यभूति वंशीय शासक हर्षवर्धन (606-647) महान् विजेता एवं साम्राज्य निर्माता होने के साथ-साथ एक उच्च प्रतिभा के धनी नाटककार भी थे। हर्ष को संस्कृत में लिखित तीन नाटकों का रचियता माना जाता है- रत्नावली, नागानन्द, प्रियदर्शिका

43. निम्नलिखित में से कौन हर्षवर्धन के दरबार से संबद्ध नहीं था?

व्याख्या: कालिदास उज्जयिनी के उन राजा विक्रमादित्य के समकालीन हैं जिन्होंने ईसा से 57 वर्ष पूर्व विक्रम संवत् चलाया। कालिदास संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे। अभिज्ञानशाकुंतलम् कालिदास की सबसे प्रसिद्ध रचना है। मेघदूतम् कालिदास की सर्वश्रेष्ठ रचना है जिसमें कवि की कल्पनाशक्ति और अभिव्यंजनावादभावाभिव्यन्जना शक्ति अपने सर्वोत्कृष्ट स्तर पर है और प्रकृति के मानवीकरण का अद्भुत रखंडकाव्ये से खंडकाव्य में दिखता है।

44. कथन (A) : हर्षवर्धन ने किसी नवीन शासन प्रणाली को जन्म नहीं दिया।
कारण (R) : हर्षवर्धन ने गुप्त शासन प्रणाली को कुछ संशोधनों के साथ अपनाया

व्याख्या: हर्षवर्धन ने किसी नवीन शासन प्रणाली को जन्म नहीं दिया, हर्षवर्धन ने गुप्त शासन प्रणाली को कुछ संशोधनों के साथ अपनाया।

45. कौन सही सुमेलित है?

व्याख्या: हर्ष स्वयं प्रशासनिक व्यवस्था में व्यक्तिगत रूप से रुचि लेता था। सम्राट की सहायता के लिए एक मंत्रिपरिषद् गठित की गई थी। बाणभट्ट के अनुसार 'अवन्ति' युद्ध और शान्ति का सर्वोच्च मंत्री था। 'सिंहनाद' हर्ष का महासेनापति था। बाणभट्ट ने हर्षचरित में इन पदों की व्याख्या इस प्रकार की है-
भंडी - प्रधान सचिव
अवन्ति - युद्ध एवं शांति का मंत्री
सिंहनाद - महासेनापति
कुन्तल - अश्वा सेना का अधिकारी
स्कंदगुप्त - हस्ति सेना का प्रमुख

46. किसका कथन हैं - 'भारत के लोग गर्म मिजाज के हैं, उन्हें जल्दी गुस्सा आता है परंतु ईमानदार होते हैं। भारतीय स्वच्छता प्रेमी हैं।'?

व्याख्या: भारत के लोग गर्म मिजाज के हैं, उन्हें जल्दी गुस्सा आता है परंतु ईमानदार होते हैं। भारतीय स्वच्छता प्रेमी हैं। ह्वेंसांग का कथन है।

47. 'अग्रहार' का अर्थ था

व्याख्या: अग्रहार - 1. राजा की ओर से ब्राह्मण को योगक्षेम के लिये किया हुआ भूमि का दान। 2. वह गाँव या भूमि जो किसी ब्राह्मण को माफी दी जाय। 3. ब्राह्मण को देने के लिये कृषि की पैदावार से निकाला या अलग किया हुआ अन्न।

48. घटी यंत्र' / 'तुला यंत्र' का प्रयोग होता था

व्याख्या: हर्षवर्द्धन के समय घटीयंत्र का प्रयोग होता था। ह्वेनसांग ने घटी यंत्र का उल्लेख किया है। इसे तुला यंत्र भी कहा जाता था। घटी यंत्र का प्रयोग खेत की जुताई के लिए किया जाता था।

49. हर्ष के काल में भू-राजस्व की सीमा थी

व्याख्या: हर्ष के साम्राज्य में राजस्व को चार भागों में विभाजित किया गया था। पहला भाग राजा पर खर्च किया जाता था। दूसरा भाग विद्वानों पर खर्च किया जाता था। तीसरा भाग सरकारी कर्मचारियों पर खर्च किया जाता था और चौथे भाग को धार्मिक गतिविधियों पर खर्च किया जाता था। राजस्व का मुख्य स्रोत भूमि की उपज का छठा हिस्सा होती थी। कुछ अन्य कर बंदरगाहों, घाटों आदि पर लगाए गए थे। शाही भूमि से प्राप्त लाभ, खदानों और जागीरदारी से अर्जित शाही खजाना भी राजस्व के स्त्रोत थे।

50. सी-यू-की नामक यात्रा विवरण निम्नलिखित में से किससे जुड़ा है?

व्याख्या: सी-यू-की नामक यात्रा विवरण व्हेन-त्सांग से जुड़ा है। सी-यू-की में अपनी यात्रा तथा तत्कालीन भारत का विवरण दिया है। उसके वर्णनों से हर्षकालीन भारत की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक अवस्था का परिचय मिलता है।


Correct Answers:

CLOSE
/20
Incorrect Answer..!
Correct Answer..!
Previous Post Next Post
If you find any error or want to give any suggestion, please write to us via Feedback form.