मौर्योत्तर काल से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या | Mauryottar Period Gk Quiz (Set-5)

मौर्योत्तर काल से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या | Mauryottar Period Gk Quiz (set-5).

मौर्योत्तर काल

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 5)

61. निम्नलिखित में से कौन कनिष्क के बौद्ध होने के लिए उत्तरदायी था?

व्याख्या: अश्वघोष, बौद्ध महाकवि तथा दार्शनिक थे। बुद्धचरितम् इनकी प्रसिद्ध रचना है। कुषाणनरेश कनिष्क के समकालीन महाकवि अश्वघोष का समय ईसवी प्रथम शताब्दी का अन्त और द्वितीय का आरम्भ है।

62. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए:
सूची-I
  1. इंडो - ग्रीक
  2. शक
  3. पार्थव
सूची-II
  1. हिन्द-यवन
  2. सीथियन
  3. पहलव

व्याख्या: हिन्द-यवन (इंडो-ग्रीक/बैक्ट्रियन) राज्य- मौर्योत्तर काल में प्रथम विदेशी आक्रांता हिन्द-यवन थे। इसके बाद क्रमश: शक पहलव तथा कुषाणों ने भारत में अपना आधिपत्य जमाया।

63. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए:
सूची-I (राज्य)
  1. शुंग
  2. चेदि
  3. सातवाहन
  4. कुशाण
सूची-II (राजधानी)
  1. विदिशा
  2. कलिंग
  3. प्रतिष्ठान/पैठन
  4. पुरुषपुर/पेशावर

व्याख्या: शुंग वंश प्राचीन भारत का एक शासकीय वंश था जिसने मौर्य राजवंश के बाद शासन किया। इसका शासन उत्तर भारत में 187 ई.पू. से 75 ई.पू. तक यानि 112 वर्षों तक रहा था। पुष्यमित्र शुंग इस राजवंश का प्रथम शासक था। शुंग शासकों ने अपनी राजधानी विदिशा में स्थापित किया था।

कलिंग के चेदि राजवंश का संस्थापक महामेघवाहन नामक व्यक्ति था।अतः इस वंश का नाम महामेघवाहन वंश भी पङ गया। इस वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली राजा खारवेल था।

सातवाहन प्राचीन भारत का एक राजवंश था। इसने ईसापूर्व 130 से लेकर दूसरी सदी (ईसा के बाद) तक केन्द्रीय दक्षिण भारत पर राज किया। यह मौर्य वंश के पतन के बाद शक्तिशाली हुआ था। इनकी राजधानी प्रतिष्ठान थी।

कुषाण प्राचीन भारत के राजवंशों में से एक था। कुछ इतिहासकार इस वंश को चीन से आए युएझ़ी लोगों के मूल का मानते हैं। कनिष्क कुषाण साम्राज्य का सबसे शक्तिशाली शासक था। उसके साम्राज्य की राजधानी पुरूषपुर (पेशावर) थी। उसके शासन के दौरान, कुषाण साम्राज्य उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान से लेकर मथुरा और कश्मीर तक फैल गया था।

64. रोमन साम्राज्य के अनुसरण पर किस वंश के शासकों ने 'कैसर' (सीजर) की उपाधि ग्रहण की ?

व्याख्या: रोमन साम्राज्य के अनुसरण पर कुषाण वंश के शासकों ने 'कैसर' (सीजर) की उपाधि ग्रहण की।

65. निम्नलिखित में से किसका निर्माण शुंग काल में हुआ?

व्याख्या: भरहुत भारत के मध्य प्रदेश राज्य में सतना जिले में स्थित एक स्थल है। यह स्थान बौद्ध स्तूप और कलाकृतियों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का स्तूप पुष्यमित्र शुंग द्वारा सम्भवतः 185 ईसापूर्व के बाद निर्मित किया गया था।

66. सातवाहन नरेश हाल के समकालीन गुनाढय ने किस प्राकृत ग्रंथ की रचना की?

व्याख्या: बृहत्कथा गुणाढ्य द्वारा पैशाची भाषा में रचित काव्य है। 'वृहत्कथा' का शाब्दिक अर्थ है - 'लम्बी कथा'। इसमें एक लाख श्लोक हैं। इसमें पाण्डववंश के वत्सराज के पुत्र नरवाहनदत्त का चरित (कथा) वर्णित है। इसका मूल रूप प्राप्त नहीं होता किन्तु यह कथासरित्सागर, बृहत्कथामंजरी तथा बृहत्कथाश्लोकसंग्रहः आदि संस्कृत ग्रंथों में रूपान्तरित रूप में विद्यमान है। पंचतंत्र, हितोपदेश, वेतालपंचविंशति आदि कथाएँ सम्भवतः इसी से ली गयी हैं।

67. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
  1. सातवाहन शासक बौद्धों पर अत्याचार करते थे
  2. पुष्यमित्र शुंग बौद्धों को संरक्षण देते थे
  3. बोधगया में शशांक ने बोधिवृक्ष को काट दिया था
इनमें से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

व्याख्या: बोधि वृक्ष बिहार राज्य के गया जिले में बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर परिसर में स्थित एक पीपल का वृक्ष है। इसी वृक्ष के नीचे ईसा पूर्व 531 में भगवान बुद्ध को बोध (ज्ञान) प्राप्त हुआ था। बगाल के राजा शशांक ने बोधिवृक्ष को जड़ से ही उखड़ने की ठानी। लेकिन वे इसमें असफल रहे। कहते हैं कि जब इसकी जड़ें नहीं निकली तो राजा शशांक ने बोधिवृक्ष को कटवा दिया और इसकी जड़ों में आग लगवा दी। लेकिन जड़ें पूरी तरह नष्ट नहीं हो पाईं। कुछ सालों बाद इसी जड़ से तीसरी पीढ़ी का बोधिवृक्ष निकला, जो तकरीबन 1250 साल तक मौजूद रहा।

68. निम्नलिखित में से किस अभिलेख में चन्द्रगुप्त मौर्य और अशोक दोनों का उल्लेख किया गया है?

व्याख्या: महाक्षत्रप रुद्रदमन का जूनागढ़ अभिलेख में चन्द्रगुप्त मौर्य और अशोक दोनों का उल्लेख किया गया है।

69. प्राचीन भारत में निम्न में से किस एक ने नियमित रूप से सोने के सिक्के चलाए ?

व्याख्या: कनिष्क | स्वर्ण सिक्का भारत के किसी राजा द्वारा जारी प्रथम स्वर्ण सिक्का माना जाता है; इसे 127 सीई में कुषाण राजा कनिष्क 1 द्वारा जारी किया गया था। यह उन कुछ विशेष सिक्कों में से हैं जिन्हे ग्रीक भाषा में और बाद में बैक्टरियन भाषा में जारी किया गया था जो कि एक इरानी भाषा थी और उस दौरान केन्द्रीय एशिया के क्षेत्र बैक्टरिया (वर्तमान उज़्बेकिस्तान, अफगानिस्तान और तज़ाकिस्तान) में बोला जाता था।

70. कलिंग नरेश खारवेल किस वंश से संबंधित था?

व्याख्या: खारवेल (193 ईसापूर्व) कलिंग (वर्तमान ओडिशा) में राज करने वाले महामेघवाहन वंश का तृतीय एवं सबसे महान तथा प्रख्यात सम्राट थे। खारवेल के बारे में सबसे महत्वपूर्ण जानकारी हाथीगुम्फा में चट्टान पर खुदी हुई सत्रह पंक्तियों वाला प्रसिद्ध शिलालेख है।

मौर्य साम्राज्य की अवनति के पश्चात कलिंग में चेदि राजवंश का उदय हुआ।


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