मौर्योत्तर काल से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या | Mauryottar Period Gk Quiz (Set-3)

मौर्योत्तर काल से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या | Mauryottar Period Gk Quiz (set-3).

मौर्योत्तर काल

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 3)

31. निम्नलिखित राजवंशों पर विचार कीजिए
  1. सातवाहन
  2. गुप्त
  3. शुंग
  4. चोल
इन राजवंशों का सही कालक्रम क्या है?

व्याख्या: शुंग वंश प्राचीन भारत का एक शासकीय वंश था जिसने मौर्य राजवंश के बाद शासन किया। इसका शासन उत्तर भारत में 178 ई.पू. से 75 ई.पू. तक यानि 112 वर्षों तक रहा था।
सातवाहन वंश (60 ई.पू. से 240 ई.) भारत का प्राचीन राजवंश था, जिसने केन्द्रीय दक्षिण भारत पर शासन किया था। भारतीय इतिहास में यह राजवंश 'आन्ध्र वंश' के नाम से भी विख्यात है।
गुप्त वंश 275 ई. के आसपास अस्तित्व में आया। इसकी स्थापना श्रीगुप्त ने की थी। चोल राजवंश (9वीं से 12वीं शताब्दी तक)

32. मौर्य साम्राज्य के ध्वंस के पश्चात् कई आक्रमणों की श्रृंखला रही। भारत पर सबसे पहले आक्रमण निम्नलिखित में से किसने किया?

व्याख्या: मौर्योत्तर काल में सबसे पहले भारत पर विदेशी आक्रमण करने वालों में यूनानी, यवन, इंडोग्रीक, हिन्द यूनानी या बैक्ट्रियन ग्रीक थे।

33. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए:
सूची-I (शासक)
  1. अशोक
  2. कनिष्क
  3. खारवेल
  4. कुमारगुप्त
सूची-II (उपाधि)
  1. विक्रमादित्य
  2. कलिंग - चक्रवर्ती
  3. महेंद्रादित्य
  4. देवपुत्र
  5. प्रियदर्शी

व्याख्या: शिलालेखों में अशोक सम्राट अपने आप को 'प्रियदर्शी' (प्राकृत में 'पियदस्सी') और देवानाम्प्रिय (यानि देवों को प्रिय, प्राकृत में 'देवानम्पिय') की उपाधि से बुलाते हैं।

कनिष्क ने देवपुत्र शाहने शाही की उपाधि धारण की थी।

खारवेल का नाम विभिन्न उपाधियों, जैसे - आर्य महाराज, महामेघवाहन, कलिंगाधिपति श्री खारवेल, राजा श्री खारवेल, लेमराज, बृद्धराज, धर्मराज तथा महाविजय राज आदि विशेषणों के साथ उल्लिखित है।

कुमारगुप्त प्रथम ने अश्वमेध यज्ञ करवाया था और महेन्द्रादित्य की उपाधि धारण की थी।

34. विक्रम संवत् कब से प्रारंभ हुआ?

व्याख्या: विक्रम संवत् का प्रारम्भ 57 ईसा पूर्व में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य द्वारा किया गया। ईस्वी के पश्चात् संवत् की गणना करते समय प्रत्येक सन् में 57 वर्ष और जोड़कर संवत् की गणना की जाती है। अतः निकटतम सही विकल्प (b) है।

35. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए:
सूची-I
  1. विक्रम संवत
  2. शक संवत
  3. गुप्त संवत
  4. कलि संवत
सूची-II
  1. 3102 ई. पू.
  2. 320 ई.
  3. 78 ई.
  4. 58 ई. पू.

व्याख्या: विक्रम संवत ईसा से लगभग पौने 58 साल पहले आरंभ हुआ।

शक संवत भारत का प्राचीन संवत है जो 78 ईसवी से आरम्भ होता है। शक संवत भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर है।

चन्द्रगुप्त ने एक 'गुप्त संवत' (319-320 ई.) चलाया, कदाचित इसी तिथि को चंद्रगुप्त प्रथम का राज्याभिषेक हुआ था।

कलियुग संवत भारत का प्राचीन संवत है जो 3102 ई.पू. से आरम्भ होता है।

36. मौर्यों के बाद दक्षिण भारत में सबसे प्रभावशाली राज्य था

व्याख्या: मौर्यों के बाद दक्षिण भारत में सातवाहनों का प्रभुत्व रहा। इस युग के शासकों में गौतमी पुत्र शातकर्णि तथा यज्ञश्री शातकर्णि प्रमुख शासक रहे। सातवाहनों का शकों से लंबा संघर्ष चला था। पल्लव वंश की स्थापना का श्रेय सिंहविष्णु को दिया जाता है जिसने दक्षिण में चोलों को पराजित किया था। उत्तरी महाराष्ट्र और विदर्भ में सातवाहनों के स्थान पर एक स्थानीय शक्ति वाकाटकों ने प्रभुत्व जमाया। वाकाटकों के बाद चालुक्य सत्ता में आए।

37. बुद्ध की खड़ी प्रतिमा निम्न में से किस काल में बनाई गई?

व्याख्या: कुषाण युग में ही मथुरा से बुद्ध एक बोधिसत्व की खड़ी व बैठी मुद्रा से बनी हुई मुर्तिया मिलती है।

38. शुंग वंश के बाद किस वंश ने भारत पर राज किया?

व्याख्या: इस वंश का अन्तिम शासक देवभूति था इसकी हत्या 73 ईसा पूर्व में इसके मंत्री वसुदेव ने कर दी तथा एक 'नये राजवंश कण्व वंश की स्थापना की।' इस प्रकार करीब 112 वर्षों तक शासन करने के उपरान्त इस वंश का पतन हो गया।

39. किस चीनी जनरल ने कनिष्क को हराया था?

व्याख्या: कनिष्क के मध्य एशिया पर आधिपत्य का ज्ञान अभी सीमित ही है। बुक ऑफ़ द लेटर हान, हौ हान्शु, से ज्ञात होता है कि, चीनी जनरल बान चाओ ने 90 ई में खोतान के निकट कनिष्क की 70,000 सैनिकों की सेना से युद्ध किया, जिसका नेतृत्त्व कुशाण सेनाधिपति ज़ाई ने किया था।

40. उत्तरी तथा उत्तरी-पश्चिमी भारत में सर्वाधिक संख्या में ताँबे के सिक्कों को जारी किया था

व्याख्या: उत्तरी तथा उत्तरी पश्चिमी भारत में सर्वाधिक संख्या में तांबे के सिक्कों को कुषाणों ने जारी किया था। कुषाणों के समय में चार धातुओं सोना, चांदी, तांबा तथा सीसे से कार्षापण नाम का सिक्का बनता है। कुषाणों ने बड़ी मात्रा में सोने के सिक्के जारी किए परन्तु कुषाणों ने अपने दैनिक जीवन में व्यापारिक लें देन तथा तांबे के सिक्कों का प्रयोग किया।

41. कथन (A) : कुषाण फारस की खाड़ी और लाल सागर से होकर व्यापार करते थे।
कारण (R) : उनकी सुसंगठित नौसेना उच्च कोटि की थी

व्याख्या: कुषाण फारस की खाड़ी और लाल सागर से होकर व्यापार करते थे

42. जो कला शैली भारतीय और ग्रीक / यूनानी शैली का सम्मिश्रण है, उसे कहते है -

व्याख्या: गांधार प्रान्त म विकसित होने के कारण इस कला कोक गांधार कला कहा जाता है और इस कला का संबंध यूनानी कला से होने के कारण इसको हिंद-यूनानी अथवा ग्रीक-रोमन कला भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त गांधार कला को. इंडो-हेलेनिक या ग्रीक बुद्धिस्ट कला भी कहा जाता है।

43. कनिष्क बौद्ध धर्म की किस शाखा का अनुयायी था जिसका प्रसार उसने मध्य एशिया व सुदूर पूर्व में किया?

व्याख्या: कनिष्क ने बौद्ध धर्म का प्रवेश तो सम्राट अशोक के काल में ही हो चुका था। पश्चिमोत्तर सीमा में हिन्दूकुश पर्वत पारकर अफगानिस्तान तथा बैक्ट्रिया के मार्ग से बौद्ध प्रचारक काश्गर, समरकंद, टैरिमघाटी होते हुए संपूर्ण मध्य एशिया में फैल गये थे।

कुषाणों ने इस कार्य को आगे बढाया। मध्य एशिया के साथ भारत का घनिष्ठतम संबंध कुषाणकाल में ही स्थापित हुआ। इसी समय महायान बौद्ध धर्म के प्रचारक अपना संदेश तथा धर्मग्रंथों के साथ वहां पहुंचे। कनिष्क के मध्य एशिया में अनेक विहार, स्तूप एवं मूर्तियों का निर्माण करवाया।

44. कनिष्क के शासन काल की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण घटना कौन-सी थी?

व्याख्या: चतुर्थ बौद्ध संगीति में थेरवाद त्रिपिटक को ताड़ के पतों पर लिखा गया। यह संगीति कश्मीर के कुण्डलवं में कनिष्क के काल में हुई थी।

45. प्राचीन भारत का महान् वैयाकरण पतंजलि किसका समकालीन था?

व्याख्या: पतंजलि शुंग वंश के शासनकाल में थे। डॉ. भंडारकर ने पतंजलि का समय 158 ई. पू. द बोथलिक ने पतंजलि का समय 200 ईसा पूर्व एवं कीथ ने उनका समय 140 से 150 ईसा पूर्व माना है। उन्होंने पुष्यमित्र शुंग का अश्वमेघ यज्ञ भी संपन्न कराया था। इनका जन्म गोनार्ध में हुआ था। साहित्यिक, पुरातात्विक ,भौगोलिक एवं अन्य साक्ष्यों के आधार पर यह स्थान भोपाल के पास का गांव गोदरमऊ है।


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