जैन धर्म से जुड़े ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं व्याख्या | Jainism Gk Quiz (Set-2)

जैन धर्म से जुड़े महत्वपूर्ण ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन व्याख्या सहित। -Jainism Gk Quiz (set-2).

जैन धर्म

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 2)

16. त्रिरत्न सिद्धांत सम्यक धारणा, सम्यक चरित्र, सम्यक ज्ञान जिस धर्म की महिमा हैं, वह हैं

व्याख्या: बौद्धधर्म में त्रिरत्नो में - बुद्ध धम्म और संघ का महत्वपूर्ण स्थान है। परन्तु जैनधर्म में त्रिरत्न में मूलभूत सिद्धांत हैं जिनका अनुशीलन कर्मफल से मुक्ति के लिए किया जाता है। जैन धर्म के त्रिरत्न है - (क) सम्यक दर्शन (ख) सम्यक ज्ञान (ग) सम्यक आचार

17. निम्नलिखित में से कौन-सा स्थल पार्श्वनाथ से संबद्ध होने के कारण जैन सिद्धक्षेत्र माना जाता है

व्याख्या: श्री सम्मेद शिखरजी' के रूप में चर्चित इस पुण्य क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों (सर्वोच्च जैन गुरुओं) ने मोक्ष की प्राप्ति की। यहीं 23 वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी निर्वाण प्राप्त किया था। माना जाता है कि 24 में से 20 जैन ने पर मोक्ष प्राप्त किया था।

18. स्यादवाद सिद्धांत है

व्याख्या: स्यादवाद या 'अनेकांतवाद' या 'सप्तभंगी का सिद्धान्त' जैन धर्म में मान्य सिद्धांतों में से एक है। यह जैन दर्शन के अंतर्गत किसी वस्तु के गुण को समझने, समझाने और अभिव्यक्त करने का सापेक्षिक सिद्धांत है। 'सापेक्षता' अर्थात 'किसी अपेक्षा से'।

19. जैन समुदाय में प्रथम विभाजन के श्वेताम्बर संप्रदाय के संस्थापक थे?

व्याख्या: जैन धर्म के अनुयायियों में मतभेद के कारण जैन धर्म दो सम्प्रदायों में बंट गया। स्थूलभद्र के शिष्य श्बेताम्बर (श्वेत वस्त्र धारण करने वाले) तथा भद्रबाहु के शिष्य दिगम्बर (नग्न रहने वाले) कहलाए।

20. प्रथम जैन महासभा का आयोजन कहाँ हुआ था?

व्याख्या: प्रथम जैन महासभा का आयोजन 322 - 299 ई. पु में चन्द्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में पाटलिपुत्र में हुई। इसकी अध्यक्षता स्थूलभद्र ने की थीं।

21. द्वितीय जैन महासभा का आयोजन कहाँ हुआ था?

व्याख्या: स्थान-वल्लभी में द्वितीय जैन संगीति हुई थी। अध्यक्ष– देवर्षि क्षमाश्रमण की अध्यक्षता में हुई। कार्य-धर्म ग्रंथों को अंतिम रूप से संकलित कर लिपिबद्ध किया गया।

22. जैन साहित्य का संकलन किस भाषा व लिपि में है?

व्याख्या: जैन ग्रंथ जैन साहित्य बहुत विशाल है। अधिकांश में वह धार्मिक साहित्य ही है। संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश भाषाओं में यह साहित्य लिखा गया है।

23. निम्न कथनों पर विचार कीजिए-
  1. वर्धमान महावीर की माता लिच्छवी के नरेश चेटक की पुत्री थी
  2. गवर्धमान महावीर की माता कोलिय राजवंश की राजकुमारी थी
  3. 23वें तीर्थकर पार्श्वनाथ बनारस के थे
इन कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं?

व्याख्या: जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक और 24 वें तीर्थकर महावीर स्वामी का जन्म वैशाली के निकट कुंडग्राम में 540 ई. पू. में हुआ था। इनकी माता का नाम त्रिशला, पिता का नाम सिद्दार्थ था तथा पत्नी का नाम यशोदा था। माता त्रिशला लिच्छवी प्रधान चेटक की बहन तथा पिता ज्ञात्रिक कुल के प्रधान थे।

24. कथन (A): जैन धर्म के अहिंसा पर बल ने कृषकों को जैन धर्म अपनाने से रोका
कारण (R): कृषि में कीटों एवं कीड़ों की हत्या होना शामिल है

व्याख्या: जैन धर्म में पांच महाव्रत है -

  1. अहिंसा
  2. अमृषा या झूठ न बोलना
  3. अचौर्य या चोरी न करना
  4. अपरिग्रह या सम्पति अर्जित न करना
  5. ब्रह्मचर्य, जिसे जैन धर्म के 24वें तीर्थकर महावीर स्वामी ने जोड़ा था।

जैन धर्म में अहिंसा या किसी भी प्राणी को न सताने के व्रत को सबसे अधिक महत्व दिया है। जैन धर्म में युद्ध और कृषि दोनों वर्जित है, क्योंकि दोनों में जीवों की हत्या होती है। फलत: अहिंसा नामक व्रत ने कृषकों को जैन धर्म अपनाने से रोक दिया और जैन धर्मावलम्बियों ने अपना कार्यकलाप व्यापार और वाणिज्य तक ही सिमित रखा। कभी-कभी इस व्रत (अहिंसा) के विभिन्न परिणाम दिखाई देते हैं, जैसे कुछ जैन धर्मावलम्बि राजा पशु की हत्या करने वालों को फाँसी पर चढ़ा देते थे।

25. बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म दोनों ही विश्वास करते हैं कि-

व्याख्या: जैन धर्म और बौद्ध धर्म दोनों ही कर्म तथा पुनर्जन्म में विश्वास करते थे। इसके अलावा बौद्ध धर्म मध्यम मार्ग का उपदेश देता है तो जैन धर्म मोक्ष के लिए घोर तपस्या तथा शरीर त्याग का आदेश देता है। बौद्ध धर्म आत्मा के अस्तित्व में विश्वास नहीं करता था वही महावीर आत्मा में विश्वास करते थे। कर्मवाद तथा मोक्ष सम्बन्धी दोनों धर्मों के विचार भिन्न भिन्न हैं। जैन धर्म कर्म को एक भौतिक तत्व के। रूप में मानता है जबकि बौद्ध धर्म इच्छा द्वारा किये गये कार्य को ही कर्म कहता है। इसी प्रकार जैन मत के अनुसार मोक्ष का अर्थ शरीर विनाश है। जबकि बौद्ध मत के अनुसार निर्वाण इस जीवन में भी प्राप्त हो सकता है। स्वयं बुद्ध का जीवन इसका प्रमाण है। गौतम बुद्ध ने जाति-पाँति जैसी सामाजिक कुरीतियों का जितने प्रबल शब्दों में खण्डन किया, महावीर ने नहीं किया। सामाजिक विषयों में महावीर के विचार ब्राह्मणों से बहुत मिलते-जुलते थे। इस प्रकार देखा जाय तो ये दोनों धर्म वैदिक धर्म के सुधारवादी स्वरूप थे।

26. जैन धर्म शवेताम्बर एवं दिगम्बर संप्रदायों में कब विभाजित हुआ ?

व्याख्या: जैन धर्म की दो मुख्य शाखाएँ है - दिगम्बर और श्वेतांबर। दिगम्बर संघ में साधु नग्न (दिगम्बर) रहते है और श्वेतांबर संघ के साधु श्वेत वस्त्र धारण करते है। इसी मुख्य विभन्ता के कारण यह दो संघ बने। यह चन्द्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में विभाजित हुआ।

27. निम्न में से कौन-से धर्म पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं?
  1. हिन्दू धर्म
  2. बौद्ध धर्म
  3. जैन धर्म

व्याख्या: हिन्दू धर्म की भांति जैन धर्म और बौद्ध धर्म भी कर्म और पुनर्जन्म में विशवास करते है।

28. ऋग्वेद में किन दो जैन तीर्थंकरों का उल्लेख मिलता है?

व्याख्या: ऋग्वेद में जैन धर्म के दो तीर्थंकरों का उल्लेख है। ऋषभदेव जो पहले तीर्थंकर थे और अरिष्टनेमि जो 22 वें तीर्थंकर थे।

29. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए :
सूची-I (महावीर के नाम)
  1. केवलिन
  2. जिन
  3. महावीर
  4. निर्ग्रथ
सूची-II (अर्थ)
  1. पूर्ण ज्ञानी
  2. इन्द्रियों को जीतने वाला
  3. अपरिमित पराक्रमी
  4. बंधन रहित

व्याख्या: 12 वर्ष तक लगातार कठोर तपस्या एवं साधना के बाद 42 वर्ष की अवस्था में महावीर को जुंभिक ग्राम के समीप ऋजुपालिका नदी के किनारे एक साल के वृक्ष के नीचे कैवल्य (ज्ञान) प्राप्त हुआ। कैवल्य (ज्ञान) प्राप्त हो जाने के बाद महावीर स्वामी को केवलिन (पूर्ण ज्ञानी), जिन (विजेता), अर्ह (योग्य) एवं निर्ग्रथ (बंधन रहित) जैसी उपाधियाँ मिली। ज्ञान प्राप्ति के उपरांत महावीर स्वामी ने चंपा, वैशाली, मिथिला, राजगृह, श्रावस्ती, अंग, कोशल, विदर्भ, मगध आदि स्थानों का भ्रमण कर जैन मत का प्रचार-प्रसार किया।

30. महावीर ने जैन संघ की स्थापना कहाँ की?

व्याख्या: जैन धर्म के ग्रंथ कल्पसूत्र के अनुसार महावीर ने पावापुरी में एक वर्ष बिताया था। यहीं उन्होंने अपना प्रथम धर्म-प्रवचन किया था, इसी कारण इस नगरी को जैन धर्म के संम्प्रदाय का सारनाथ माना जाता है। महावीर स्वामी द्वारा 'जैन संघ' की स्थापना पावापुरी में ही की गई थी।


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