जैन धर्म से जुड़े ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं व्याख्या | Jainism Gk Quiz (Set-3)

जैन धर्म से जुड़े महत्वपूर्ण ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन व्याख्या सहित। -Jainism Gk Quiz (set-3).

जैन धर्म

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 3)

31. 'अणुव्रत' शब्द किस धर्म से जुड़ा है?

व्याख्या: महावीर के अनुसार अणुव्रत पाँच होते हैं- (1) अहिंसा, (2) सत्य, (3) अस्तेय, (4) ब्रह्मचर्य और (5) अपरिग्रह। जीवों की स्थल हिंसा के त्याग को अहिंसा कहते हैं। राग-द्वेष-युक्त स्थूल असत्य भाषण के त्याग को सत्य कहते हैं। बुरे इरादे से स्थूल रूप से दूसरे की वस्तु अपहरण करने के त्याग को अस्तेय कहते हैं।

32. जैन ग्रंथ 'कल्प सूत्र' के रचयिता हैं

व्याख्या: कल्पसूत्र नामक जैनग्रंथों में तीर्थंकरों (पार्श्वनाथ, महावीर स्वामी आदि) का जीवनचरित वर्णित है। भद्रबाहु इसके रचयिता माने जाते हैं। पारंपरिक रूप से मान्यता है कि इस ग्रन्थ की रचना महावर स्वामी के निर्वाण के 150 वर्ष बाद हुई।

33. परिशिष्ट पर्व', जो कि जैन धर्म से संबधित रचना है, के रचयिता हैं

व्याख्या: जैन ग्रन्थो में एतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण 'परिशिष्ट पर्व' रचना हेमचन्द्र द्वारा 12 वीं शताब्दी में रची गई थी।

34. किस जैन रचना में सोलह महाजनपदों का उल्लेख मिलता है?

व्याख्या: 600 BC से 325 BC के दौरान 16 महाजनपद थे जिनका उल्लेख आरंभिक बौद्ध साहित्य (अंगुत्तरा, निकाया, महावस्तु ) और जैन साहित्य (भगवती सुत्त )में किया गया है

35. जैन तीर्थकर पाश्र्वनाथ द्वारा प्रतिपादित चार महाव्रतों में महावीर स्वामी ने पाँचवें महाव्रत के रूप में क्या जोड़ा?

व्याख्या: भगवान महावीर ने पाँचवें महाव्रत के रूप में ब्रह्मचर्य महाव्रत को जोड़ा। भगवान पार्श्वनाथ के समय चार महाव्रत (अहिंसा, सत्य, अचौर्य व अपरिग्रह) स्वरूप चातुर्याम धर्म था।

36. जैन शिल्पकला के उदाहरण हैं
1. उड़ीसा का बाघ गुफा, खण्डगिरि, हाथीगुफा मंदिर
2. आबू / राजस्थान का दिलवाड़ा मंदिर
3. रणकपुर (जोधपुर के निकट) का चौमुख मंदिर
4. श्रवणबेलगोला / कर्नाटक का गोमतेश्वर या बाहुबली की प्रतिमा

व्याख्या: उड़ीसा का बाघ गुफा, खण्डगिरि, हाथीगुफा मंदिर
आबू / राजस्थान का दिलवाड़ा मंदिर
रणकपुर (जोधपुर के निकट) का चौमुख मंदिर
श्रवणबेलगोला / कर्नाटक का गोमतेश्वर या बाहुबली की प्रतिमा

37. जैन धर्म को अंतिम राजकीय संरक्षण किस वंश के शासकों ने दिया?

व्याख्या: गुजरात के चौलुक्य वंश का इतिहास हम मुख्य रूप से जैन लेखकों के ग्रन्थों से ज्ञात करते है। ये लेखक चौलुक्य शासकों की राजसभा में निवास करते थे। इन ग्रन्थों में हेमचन्द्र का द्वाश्रयकाव्य, मेरुतुंगकृत प्रबन्धचिन्तामणि, सोमेश्वरकृत कीर्तिकौमुदी, जयसिंहसूरि का कुमारभूपालचरित, आदि का उल्लेख किया जा सकता है जिनके अध्ययन से हम इस वंश के शासकों की राजनैतिक तथा सांस्कृतिक उपलब्धियों का विवरण प्राप्त करते हैं।

38. अनेकांतवाद निम्नलिखित में से किसका क्रोड़ (केंद्रीय) सिद्धांत एवं दर्शन है?

व्याख्या: अनेकान्तवाद जैन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और मूलभूत सिद्धान्तों में से एक है। मौटे तौर पर यह विचारों की बहुलता का सिद्धान्त है। अनेकावान्त की मान्यता है कि भिन्न-भिन्न कोणों से देखने पर सत्य और वास्तविकता भी अलग-अलग समझ आती है।

39. महान धार्मिक घटना ‘महामस्तकाभिषेक' निम्नलिखित में से किससे संबंधित है और किसके लिए की जाती है?

व्याख्या: महामस्तकाभिषेक, दो शब्दों के मेल से बना है– महा और मस्तकाभिषेक जिसका अर्थ होता है, बड़े स्तर पर आयोजित होने वाला अभिषेक। सबसे प्रचलित महामस्तकाभिषेक गोमटेश्वर बाहुबली का होता है जो 12 वर्ष के अन्तराल पर दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य के श्रवणबेलगोला शहर में आयोजित किया जाता है।

40. जैनियों का विश्वास है कि जैन मत चौबीस तीर्थंकरों की शिक्षाओं का परिणाम है। इस कथन के आलोक में, निम्नलिखित में से कौन-सा एक, वर्धमान महावीर के विषय में सही है?

व्याख्या: वे अंतिम और चौबीसवें तीर्थंकर थे जिसे इस नये धर्म का संस्थापक नहीं माना गया बल्कि वर्तमान धार्मिक संप्रदाय का सुधारक माना गया

41. जैन दर्शन के अनुसार सृष्टि की रचना एवं पालन-पोषण -

व्याख्या: जैन धर्म के अनुसार सृष्टि का निर्माता ईश्‍वर नहीं है अपितु यह संसार 6 द्रव्‍यों जीव, युदगल, धर्म, अधर्म, आकाश एवं काल से बना है। इस सृष्टि के कण-कण में आत्‍मा का वास है अर्थात आत्‍मा के अतिरिक्‍त कुछ भी असीम नहीं है।

42. प्राचीन भारतीय इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से बौद्ध धर्म और जैन धर्म दोनों में समान रूप से विद्यमान था/थे?
1. तप और भोग की अति का परिहार
2. वेद-प्रामाण्य के प्रति अनास्था
3. कर्मकाण्डों की फलवत्ता का निषेध
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए :

व्याख्या: तप और भोग की अति का परिहार बौद्ध और जैन धर्म दोनों में समान रूप से विद्यमान नहीं थे। जैन धर्म में तप के अति का परिहार न कर उसका समर्थन किया गया था।

43. स्वामी महावीर के भिक्षुणी संघ की प्रधान कौन थी

व्याख्या: जनमत के अनुरोध पर महावीर स्वामी द्वारा भिक्षुणी संघ की स्थापना की गयी। प्राथमिक संघ के समय महावीर के एक लाख उनसठ हजार श्रावक (भिक्षु) तथा तीन लात अट्ठारह हजार श्राविकाएं (भिक्षुणी) थी यह तत्कालिन विश्व का सबसे बड़ा धर्म संघ था। भिक्षु संघ का नेतृत्व इंद्रभूति और भिक्षुणी संघ की प्रमुख राजकुमारी चन्दनबाला (चन्दना) थी।


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