गुप्त काल या गुप्त सम्राज्य से ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या | Gupta Empire Gk Quiz (Set-5)

गुप्त काल या गुप्त सम्राज्य से जुड़े महत्वपूर्ण ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन व्याख्या सहित। -Gupta dynasty or Gupta Empire Gk Quiz (set-5).

गुप्त सम्राज्य

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 5)

61. गुप्त काल में उत्तर भारतीय व्यापार निम्नलिखित किस एक पतन से संचालित होता था?

व्याख्या: ताम्रलिप्ति यह प्राचीन बन्दरगाह नगर, भारत के पूर्वी समुद्र तट पर स्थित था। किंतु कालांतर में गंगा का मार्ग बदल जाने से समुद्र तट से दूर हो गया। वर्तमान में इस स्थान पर पश्चिम बंगाल के मिदनापुर ज़िले में रुपानारायन नदी एवं हुगली नदी के संगम से लगभग 19.3 किलोमीटर ऊपर तामलुक नगर स्थित है। कनिंघम ने भी ऐसा माना है। इसे प्राचीनकाल में ताम्रलिप्त, ताम्रलिप्तक, दामलिप्त आदि नामों से जाना जाता था। उस युग में इसकी प्रसिद्धि व्यापार, वाणिज्य, शिक्षा एवं बौद्ध धर्म के केन्द्र होने की वजह से थी।

62. गुप्त शासकों द्वारा जारी किए गए चाँदी के सिक्के कहलाते थे

व्याख्या: गुप्त राजाओं ने सर्वाधिक स्वर्ण मुद्राएं जारी की। इनकी स्वर्ण मुद्राओं में स्वर्ण की मात्रा कुषाणों की स्वर्ण तुलना से कम थी। गुप्त राजाओं ने गुजरात को विजित करने के उपरान्त चाँदी के सिक्के चलाए जिन्हें रूपक कहा जाता था। मौर्यकालीन सिक्कों को आहत सिक्का भी कहा जाता था। पण चांदी का सिक्का था। यह मौर्यकालीन अर्थव्यवस्था का आधार एवं प्रमुख मुद्रा थी। सोने, चाँदी, तांबा एवं रांगा चारों धातुओं से कार्षापण बनता था।

63. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए:
सूची-I
  1. विशाखादत्त
  2. वराहमिहिर
  3. चरक
  4. ब्रह्मगुप्त
सूची-II
  1. चिकित्सा
  2. नाटक
  3. खगोल विज्ञान
  4. गणित

व्याख्या: विशाखदत्त गुप्तकाल की विभूति थे। इनके दो नाटक प्रसिद्ध हैं- मुद्राराक्षस तथा देवीचन्द्रगुप्तम

वराहमिहिर ईसा की पाँचवीं-छठी शताब्दी के भारतीय गणितज्ञ एवं खगोल शास्त्री थे। वराहमिहिर ने ही अपने पंचसिद्धान्तिका नामक ग्रंथ में सबसे पहले बताया कि अयनांश का मान 50.32 सेकेण्ड के बराबर है।

महर्षि चरक एक महान आयुर्वेदाचार्य थे। जिनका जन्म आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व हुआ था। कुछ ग्रंथो के अनुसार इन्हें कनिष्क प्रथम के समकालीन माना जाता हैं।

ब्रह्मगुप्त प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ थे। ब्रह्मगुप्त गणित ज्योतिष के बहुत बड़े आचार्य थे। आर्यभट के बाद भारत के पहले गणित शास्त्री 'भास्कराचार्य प्रथम' थे।

64. चन्द्रगुप्त II के काल में विद्या, कला व साहित्य का महान केन्द्र कौन-सा था?

व्याख्या: चन्द्रगुप्त II के काल में विद्या, कला व साहित्य का महान केन्द्र उज्जैन था। उज्जैन (उज्जयिनी) भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर है जो क्षिप्रा नदी या शिप्रा नदी के किनारे पर बसा है। यह एक अत्यन्त प्राचीन शहर है। यह महान सम्राट विक्रमादित्य के राज्य की राजधानी थी।

65. कालिदास की किस कृति की गिनती विश्व की सौ प्रसिद्ध साहित्यिक कृतियों में होती है

व्याख्या: अभिज्ञान शाकुन्तलम् महाकवि कालिदास का विश्वविख्यात नाटक है ‌जिसका अनुवाद प्रायः सभी विदेशी भाषाओं में हो चुका है।

66. वर्तमान गणित में दशमलव प्रणाली आविष्कार का श्रेय निम्न में से किस युग को है?

व्याख्या: वर्तमान गणित में दशमलव प्रणाली आविष्कार का श्रेय गुप्त युग को है।

67. निम्न में से कौन सा गुप्त वंश के पतन का कारण नहीं था?

व्याख्या: जिस गुप्त वंश का सूरज, कुशल व दृढ़ प्रशासन व्यवस्था के कारण उगा था, वही प्रशासन इसके पतन का कारण भी बन गया। गुप्त शासनकाल में सामंती प्रथा वंशानुगत थी। राजतंत्र के विघटन ने सामंतों को भी अपनी अलग शासन व्यवस्था बनाने का कारण मिल गया।

68. निम्नलिखित में किस गुप्त शासक ने अपने सिक्कों पर अपने को वीणा बजाते हुए आकृति में अंकित करवाया है?

व्याख्या: समुद्रगुप्त को सिक्कों पर वीणा वादन करते हुए दिखाया गया है। इसी से अनुमान लगाया गया है कि समुद्रगुप्त संगीत प्रेमी था। इसे कविराज भी कहा जाता था।

69. वह प्रथम भारतीय विद्वान् कौन था, जिसने गणित को एक पृथक विषय के रूप में स्थापित किया?

व्याख्या: आर्यभट (476-550) प्राचीन भारत के एक महान ज्योतिषविद् और गणितज्ञ थे। इन्होंने आर्यभटीय ग्रंथ की रचना की जिसमें ज्योतिषशास्त्र के अनेक सिद्धांतों का प्रतिपादन है।

70. गुप्तकालीन पुस्तक 'नवनीतकम्' का संबंध है

व्याख्या: नावनीतक आयुर्वेद का प्राचीन ग्रन्थ है। यह संस्कृत-प्राकृत में रचित है तथा लिपि गुप्त लिपि है। इसका रचनाकाल ईसा की चौथी शताब्दी सम्भावित है। इसकी प्रति पूर्वी तुर्किस्तान से प्राप्त हुई जो मध्य एशिया से चीन को जोड़ने वाले मार्ग पर स्थित है। भारत के बौद्ध भिक्षु इसी मार्ग से दूरस्थ प्रदेशों की यात्रा करते थे।

71. तांबे के सिक्के जारी करने वाला पहला गुप्त शासक कौन था?

व्याख्या: यह प्राचीन भारत में तीसरी से पाँचवीं सदी तक शासन करने वाले गुप्त राजवंश का राजा था। इनकी राजधानी पाटलीपुत्र थी जो वर्तमान समय में पटना के रूप में बिहार की राजधानी है। यह समुद्रगुप्त का बड़ा पुत्र एवं प्रसिद्ध गुप्त शासक चन्द्रगुप्त -II बड़ा भाई था। तांबा का सिक्का जारी करने वाला यही पहला गुप्त शासक था।

72. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए
सूची-I (शासक)
  1. समुद्रगुप्त
  2. चन्द्रगुप्त II
  3. स्कंदगुप्त
  4. बुद्धगुप्त
सूची-II (अभिलेख)
  1. प्रयाग प्रशस्ति
  2. मेहरौली लौह स्तम्भ लेख
  3. भीतरी स्तंभ लेख
  4. पहाड़पुर ताम्रपत्र

व्याख्या: प्रयाग प्रशस्ति गुप्त राजवंश के सम्राट समुद्रगुप्त के दरबारी कवि हरिसेन द्वारा रचित लेख था।

दिल्ली का लौह स्तम्भ, दिल्ली में क़ुतुब मीनार के निकट स्थित एक विशाल स्तम्भ है। यह कथित रूप से राजा चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य (राज 375 - 413) से निर्माण कराया गया।

भीतरी, उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में सैदपुर से उत्तर-पूर्व की ओर लगभग पाँच मील की दूरी पर स्थित ग्राम है। जिसपर गुप्त शासकों की यशस्वी परंपरा के गुप्त सम्राट स्कंदगुप्त का अभिलेख उत्कीर्ण है।

73. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए:
सूची-I (मुद्रा के प्रकार)
  1. कुमारदेवी प्रकार
  2. वीणावादक
  3. चक्र-विक्रम प्रकार
  4. कार्तिकेय प्रकार
सूची-II (शासक)
  1. चन्द्रगुप्त I
  2. समुद्रगुप्त
  3. चन्द्रगुप्त II
  4. कुमारगुप्त I

व्याख्या: कुमार देवी के साथ विवाह कर चन्द्रगुप्त प्रथम ने वैशाली का राज्य प्राप्त किया। चन्द्रगुप्त कुमारदेवी प्रकार के सिक्के के पृष्ठ भाग पर सिंहवाहिनी देवी दुर्गा की आकृति बनी है।

गुप्त शासक समुद्रगुप्त ने अपने सिक्कों पर अपने को वीणा बजाते हुए आकृति में अंकित करवाया है

चन्द्रगुप्त द्वितीय की मुद्राओं पर 'विक्रम' अथवा 'अजित विक्रम', 'सिंह विक्रम', और 'चक्र विक्रम' जैसी उपलब्धियां मिलती है।

74. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए:
सूची-I (शासक)
  1. चन्द्रगुप्त I
  2. समुद्रगुप्त
  3. चन्द्रगुप्त II
  4. स्कंदगुप्त
सूची-II (उपाधि)
  1. महाधिराज
  2. अश्वमेध पराक्रम
  3. परम भागवत
  4. शक्रोपम

व्याख्या: चन्द्रगुप्त को महाराजाधिराज चन्द्रगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, महाराजाधिराज एक उपाधि थी, जो चन्द्रगुप्त प्रथम को दी गयी थी।

सारे भारतवर्ष में अबाध शासन स्थापित कर लेने के पश्चात्‌ इसने समुद्रगुप्त ने अश्वमेध यज्ञ किए और ब्राह्मणों दीनों, अनाथों को अपार दान दिया। शिलालेखों में इसे 'चिरोत्सन्न अश्वमेधाहर्त्ता' और 'अनेकाश्वमेधयाजी' कहा गया है।

हालांकि चन्द्रगुप्त द्वितीय का अन्य नाम देव, देवगुप्त, देवराज, देवश्री आदि हैं। उसने विक्रमांक, विक्रमादित्य, परम भागवत आदि उपाधियाँ धारण की। उसने नागवंश, वाकाटक और कदम्ब राजवंश के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किये।

स्कंदगुप्त को कहोम अभिलेख में शक्रोपम कहा गया है।

75. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए:
सूची-I (शासक)
  1. चन्द्रगुप्त I
  2. रामगुप्त
  3. समुद्रगुप्त
  4. रूद्रसेन II
सूची-II (पत्नी)
  1. कुमारदेवी (लिच्छवी)
  2. ध्रुव देवी
  3. दत्ता देवी
  4. प्रभावती

व्याख्या: चन्द्रगुप्त द्वितीय की पत्नी महादेवी कुबेरनागा थी, जबकि चन्द्रगुप्त प्रथम की पत्नी महादेवी कुमार देवी, कुमार गुप्त प्रथम की पत्नी महादेवी अनन्त देवी थी।

चन्द्रगुप्त II की पुत्री प्रभावती का विवाह वाकाटक शासक रुद्रसेन II से हुआ था।


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