नरमपंथी या उदरवादी चरण ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं व्याख्या - GK Quiz (Set-3)

उदारवादी चरण ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन और उत्तर विस्तृत समाधान के साथ। उदारवादी चरण MCQ क्विज़, आगामी परीक्षाओं जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC की तैयारी करें।

उदारवादी चरण

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 3)

व्याख्या: उमेश चन्द्र बनर्जी (29 दिसम्बर 1844 – 21 जुलाई 1906, व्योमेश चन्द्र बनर्जी के रूप में भी जाने जाते हैं) भारतीय बैरिस्टर एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष थे। ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स के लिये चुनाव लड़ने वाले वे प्रथम भारतीय थे (किन्तु वे जीत नहीं पाये)। ब्रितानी संसद में प्रवेश पाने की उन्होने दो कोशिशें की किन्तु असफल रहे।

व्याख्या: गोपाल कृष्ण गोखले स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं समाज सुधारक; और महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु भी थे। 1905 के बनारस अधिवेशन में ही हो गई थी जब गोपाल कृष्ण गोखले की अध्यक्षता में अधिवेशन हुआ तो बाल गंगाधर तिलक ने उदारवादियों की 'याचिका एवं याचना की नीति' का कड़ा विरोध किया।

व्याख्या: लैण्ड होल्डर्स सोसाइटी ऑफ़ बंगाल (पूर्व में जमींदारी एसोसिएशन) की स्थापना 1838 में द्वारकानाथ टैगोर, प्रसन्न कुमार टैगोर, राधाकान्त देव, रामकमल सेन और भवानी चरण मित्रा ने की थी। लैंड होल्डर्स सोसाइटी बंगाल,बिहार एवं उडीसा के जमींदारों की रक्षा हेतु स्थापित की गई थी।

व्याख्या: ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की स्थापना दादाभाई नौरोजी ने 1866 में की थी, भारतीयों और सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारियों के सहयोग से लंदन में की। इसने लंदन इंडियन सोसाइटी को परास्त किया और भारत के मामलों और विचारों पर चर्चा करने और सरकार को भारतीयों के लिए प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए एक मंच था। नौरोजी ने 2 मई 1867 को एसोसिएशन को पहला व्याख्यान दिया। एसोसिएशन के पहले अध्यक्ष लॉर्ड लिवडेन थे।एसोसिएशन का उद्देश्य 'देश के स्थानीय प्रशासन में सुधार और सरकार द्वारा संसद द्वारा रखी गई व्यवस्था में सुधार' था।

व्याख्या: पूना सार्वजनिक सभा की स्थापना 1870 में एम.जी. रानाडे तथा जी.वी. जोशी द्वारा की गई थी। रानाडे ने सभा को विलक्षण नेतृत्व प्रदान किया। 1875 में इस संस्था ने ब्रिटिश संसद में भारतीयों के प्रत्यक्ष प्रतिनिधित्व की मांग करते हुए हाउस ऑफ कॉमन्स के समक्ष याचिका प्रस्तुत की।

व्याख्या: इंडियन सिविल सर्विस के लिए चुने जाने वाले पहले भारतीय सत्येंद्रनाथ बनर्जी हैं। उन्होंने रोमेश चन्द्र दत्त और बिहारी लाल गुप्ता के साथ भारतीय सिविल सर्विस परीक्षाओं को पूरा करने के लिए 1868 में इंग्लैंड की यात्रा की। 1871 में वे सिलहट में सहायक मजिस्ट्रेट के रूप में पदस्थापित किए गए। हालांकि, बैनर्जी जल्द ही नस्लीय भेदभाव के कारण नौकरी से बर्खास्त कर दिए गए। सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने स्नातक होने के बाद इण्डियन सिविल सर्विस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) में प्रवेश के लिए इंग्लैण्ड में आवेदन किया। उस समय इस सेवा में सिर्फ़ एक हिन्दू था। बनर्जी को इस आधार पर शामिल नहीं किया गया कि उन्होंने अपनी आयु ग़लत बताई थी। जातीय आधार पर भेद-भाव किये जाने का आरोप लगाते हुए बनर्जी ने अपनी अपील में यह तर्क प्रस्तुत किया कि हिन्दू रीति के अनुसार उन्होंने अपनी आयु गर्भधारण के समय से जोड़ी थी, न कि जन्म के समय से और वह जीत गए। बनर्जी को सिलहट (अब बांग्लादेश) में नियुक्त किया गया, लेकिन क्रियान्वयन सम्बन्धी अनियमितताओं के आरोप में उन्हें 1874 में भारी विवाद तथा विरोध के बीच हटा दिया गया।

व्याख्या: लैण्ड होल्डर्स सोसाइटी ऑफ़ बंगाल (पूर्व में जमींदारी एसोसिएशन) की स्थापना 1838 में द्वारकानाथ टैगोर, प्रसन्न कुमार टैगोर, राधाकान्त देव, रामकमल सेन और भवानी चरण मित्रा ने की थी। लैंड होल्डर्स सोसाइटी बंगाल,बिहार एवं उडीसा के जमींदारों की रक्षा हेतु स्थापित की गई थी।

व्याख्या: लोकमान्य तिलक ने अपने पत्र केसरी में 'देश का दुर्भाग्य' नामक शीर्षक से लेख लिखा जिसमें ब्रिटिश सरकार की नीतियों का विरोध किया। उनको भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए के अन्तर्गत राजद्रोह के अभियोग में 27 जुलाई 1897 को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें 6 वर्ष के कठोर कारावास के अंतर्गत माण्डले (बर्मा) जेल में बन्द कर दिया गया।

व्याख्या: लॉर्ड एल्गिन द्वितीय भारत के एक वायसराय थे जो 1894 से 1899 पद पर रहे। इन्होंने 1895 में आंग्ल रूस संधि पर हस्ताक्षर किए गये। इनका कथन बहुत मशहूर है - भारत को तलवार के बल पर जीता गया था और तलवार के बल पर ही कब्जे में रखा जाएगा।


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