1857 का विद्रोह ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन व्याख्या सहित - GK Quiz (Set-2)

सवतंत्रता आंदोलन - 1857 का विद्रोह ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन और उत्तर विस्तृत समाधान के साथ। सवतंत्रता आंदोलन - 1857 का विद्रोह MCQ क्विज़, आगामी परीक्षाओं जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC की तैयारी करें।

सवतंत्रता आंदोलन - 1857 का विद्रोह

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 2)

व्याख्या: कुंवर सिंह सन 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सिपाही और महानायक थे।23 अप्रैल 1858 में, जगदीशपुर के पास अंतिम लड़ाई लड़ी। ईस्ट इंडिया कंपनी के भाड़े के सैनिकों को इन्होंने पूरी तरह खदेड़ दिया। उस दिन बुरी तरह घायल होने पर भी इस बहादुर ने जगदीशपुर किले से अंग्रेजों का 'यूनियन जैक' नाम का झंडा उतार कर ही दम लिया। वहाँ से अपने किले में लौटने के बाद 26 अप्रैल 1858 को इन्होंने वीरगति पाई।

व्याख्या: जनवरी, 1857 ई. से सेना में ‘नई एन्फील्ड राइफल’ का प्रयोग आरंभ हुआ, जिसमें गाय और सूअर की चर्बी वाले कारतूसों का प्रयोग होता था। भारतीय सैनिकों को इन कारतूसों को मुंह से काट कर प्रयोग करने के आदेश दिए गए। 28 मार्च, 1857 ई. को 34-नेटिव इन्फैन्ट्री बैरकपुर, कोलकाता से सैनिक मंगल पांडे के नेतृत्व में इन कारतूसों के प्रयोग संबंधी आदेश का उल्लंघन किया गया। परिणामस्वरूप, मंगल पांडे को फांसी की सजा दी गई।

व्याख्या: 1857 के विद्रोह के बाद ब्रिटिश सरकार द्वारा सेना के पुनर्गठन के लिए स्थापति पील आयोग की रिपोर्ट पर सेना मेँ भारतीय सैनिकों की तुलना मेँ यूरोपियो का अनुपात बढ़ा दिया गया।

व्याख्या: 1857 के विद्रोह के कई चित्र मिर्जा ग़ालिब के पत्रों और किताबों में मिलते है।

व्याख्या: मौलवी अहमदुल्लाह शाह ने फैजाबाद में विद्रोह को अपना नेतृत्व प्रदान किया। ये अंग्रेजों के सबसे कट्टर दुश्मन थे। वह मूलत: तमिलनाडु में अकाट के रहने वाले थे, पर वह फैजाबाद में आकर बस गए थे। उन्होंने भारत के विभिन्न धर्मानुयायियों का आहवान करते हुए कहा कि “सारे लोग काफिर अंग्रेजों के विरुद्ध खड़े हो जाओ और उन्हें भारत से बाहर खदेड़ दो।” इनके बारे में अंग्रेजों ने कहा कि, 'अदम्य साहस के गुणों से परिपूर्ण और दृढ़ संकल्प वाले व्यक्ति तथा विद्रोहियों में सर्वोत्तम सैनिक है।’ इनकी गिरफ्तारी के लिए ब्रिटिश सरकार ने 50,000 रु. का इनाम रखा था।

व्याख्या: बिहार के शाहाबाद जिले के जगदीशपुर ग्राम में 1782 में जन्में कुंवर सिंह ने जगदीशपुर की जमींदारी संभाली थी। जगदीशपुर से उन्होंने ही 1857 के विद्रोह का नेतृत्व किया था। 26 अप्रैल, 1858 को इनकी मृत्यु हो गई। 1857 के विद्रोह के समय इनके अदम्य साहस, वीरता और कुशल सेनानायकत्व के कारण इन्हें 'बिहार का सिंह' कहा गया।

व्याख्या: 1857 में जगदीशपुर में विद्रोह की अगुवाई करने वाले कुंवर सिंह बिहार के आरा जिले से संबंधित थे। जब उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का झंडा बुलंद किया। प्रकृति ने उन्हें अदम्य शौर्य, वीरता और सेनानायक के आदर्श गुणों से मंडित किया था, इसी कारण उन्हें सही रूप में विद्रोह के दौरान “बिहार का सिंह' माना जाता है।

व्याख्या: 1857 के विद्रोह की असफलता का मुख्य कारण किसी सामान्य योजना एवं केंद्रीय संगठन की कमी थी। विद्रोहियों के नेताओं में कोई संगठन की भावना देखने में नहीं आई। 82 वर्षीय बहादुरशाह कमजोर था, उसके द्वारा विभिन्न सरदारों का आह्वान करना काफी नहीं था। साथ ही विद्रोहियों ने वीरता तो दिखाई और सरकार का विनाश करने पर वे तुले हुए भी प्रतीत होते थे, किंतु ऐसा करने के लिए उनके पास किसी सुनियोजित कार्यक्रम का पूर्ण अभाव था। उनमें अनुशासन की कमी भी थी। कभी-कभी तो वे अनुशासित सेना के बजाए दंगाई भीड़ की तरह व्यवहार करते थे।

विदेशी शासन के प्रति एक साझी घृणा को छोड़कर और कोई संबंध सूत्र नेताओं के बीच नहीं था। किसी क्षेत्र विशेष से ब्रिटिश सत्ता को उखाड़ फेंकने के बाद उन्हें पता भी नहीं होता था कि उसकी जगह किस प्रकार की राजनीतिक सत्ता या संस्थाएं स्थापित की जाएं। उनके पास एक भविष्योन्मुख कार्यक्रम, सुसंगत विचारधारा, राजनीतिक परिप्रेक्ष्य या भावी समाज और अर्थव्यवस्था के प्रति एक स्पष्ट दृष्टिकोण का अभाव था।

व्याख्या: सर जेम्स आउट्रम और डब्ल्यू. टेलर ने 1857 के विद्रोह को हिंदू-मुस्लिम षडयंत्र का परिणाम बताया है। आउट्रम का विचार था कि “यह मुस्लिम षडयंत्र था, जिसमें हिंदू शिकायतों का लाभ उठाया जाए।” जॉन लॉरेन्स और सीले के अनुसार, वह केवल ‘सैनिक विद्रोह था। सर जॉन सीले के अनुसार, 1857 का विद्रोह “एक पूर्णतया देशभक्त रहित और स्वार्थी सैनिक विद्रोह था जिसमें न कोई स्थानीय नेतृत्व था और ना ही इसे सर्वसाधारण का समर्थन प्राप्त था”। उसके अनुसार, “यह एक संस्थापित सरकार के विरुद्ध भारतीय सेना का विद्रोह था।

व्याख्या: 1857 का विद्रोह बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ था और इसे जनता का व्यापक समर्थन प्राप्त था। फिर भी पूरे देश को या भारतीय समाज के सभी अंगों तथा वर्गों को अपनी लपेट में नहीं ले सका। यह दक्षिणी भारत तथा पूर्वी और पश्चिमी भारत के अधिकांश भागों में नहीं फैल सका।

भारतीय रजवाड़ों के अधिकांश शासक तथा बड़े जमींदार पक्के स्वार्थी तथा अंग्रेजों की शक्ति से भयभीत थे और वे विद्रोह में शामिल नहीं हुए। इसके विपरीत ग्वालियर के सिंधिया, इंदौर के होल्कर, हैदराबाद के निजाम, जोधपुर के राजा, भोपाल के नवाब, पटियाला, नाभा, और जींद के सिख शासक तथा पंजाब के दूसरे सिख सरदार, कश्मीर के महाराजा तथा दूसरे अनेक सरदारों और बड़े जमींदारों ने विद्रोह को कुचलने में अंग्रेजों की सक्रिय सहायता की। गवर्नर-जनरल कैनिंग ने बाद में टिप्पणी की, कि इन शासकों ने “तूफान के आगे बांध की तरह काम किया, वर्ना यह तूफान एक ही लहर में हमें बहा ले जाता।” व्यापारियों और शिक्षित वर्ग ने कलकत्ता और बम्बई में सभाएं कर अंग्रेजों की सहायता के लिए प्रार्थना की। उच्च तथा मध्य वर्गों के अधिकांश लोग विद्रोहियों के आलोचक थे।

विद्रोह में शामिल अवध के बहुत से तालुकदारों (बड़े जमींदारों) ने, अंग्रेजों से यह आश्वासन पाकर कि उनकी जागीरें वापस दे दी जाएंगी, विद्रोह से किनारा कर लिया।ग्रामीण जनता के हमलों का निशाना सूदखोर थे, इसलिए वे स्वाभाविक तौर पर विद्रोह के शत्रु हो गए थे। आधुनिक शिक्षा प्राप्त भारतीयों ने भी विद्रोह का साथ नहीं दिया। शिक्षित भारतीय, देश का पिछड़ापन समाप्त करना चाहते थे। उनके मन में यह गलत विश्वास भरा था कि अंग्रेज आधुनिकीकरण के ये काम पूरा करने में उनकी सहायता करेंगे

व्याख्या: लॉर्ड कैनिंग क्प चार्ल्स जॉन कैनिंग भी कहा जाता है। वह भारत का प्रथम वाइसरॉय था और गवर्नर के रूप में उसका कार्यकाल 1856 से 1862 तक रहा। इस दौरान ही 'गवर्नर ऑफ़ इंडिया 1858 एक्ट 'पास हुआ, जिसके अनुसार 'गवर्नर ऑफ़ जनरल ऑफ़ इंडिया' को ही वायसराय घोषित किया गया।

व्याख्या: गडकरी विद्रोह अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ किया गया था।1844 ई. में महाराष्ट्र में 'गड़करी जाति' के विस्थापित सैनिकों ने अंग्रेज़ों के विरुद्ध इस विद्रोह को अंजाम दिया। गडकरियों ने 'सनमगढ़' तथा 'भूदरगढ़' के क़िलों को को जीत लिया था। बाद के दिनों में अंग्रेज़ों ने इस विद्रोह को कुचल दिया, और क़िलों को फिर से प्राप्त कर लिया।

व्याख्या: बरेली में खान बहादुर ने विद्रोहियों का नेतृत्व किया और खुद को नवाब घोषित किया।सम्पूर्ण रूहेलखंड के यही नेता थे।कैम्पबेल ने यहाँ विद्रोह का समापन किया और खान बहादुर को फांसी की सजा सुनाई।विद्रोह के समय इंग्लैंड के प्रधानमन्त्री पामस्टर्न थे। और भारत के गवर्नर जनरल लार्ड कैनिंग थे।

व्याख्या: भगत सिंह ने 1857 के संग्राम में भाग नहीं लिया था। भगत सिंह को सांडर्स हत्याकांड और लाहौर षड्यंत्र के लिए सुखदेव और राजगुरु के साथ 23 मार्च 1931 को फांसी की सजा हुई।

व्याख्या: शहादत खां ने 1857 के महान विद्रोह में अंग्रेजों से संघर्ष किया था। माखन लाल चतुर्वेदी मध्य प्रदेश के साहित्यकार व महान कवि थे। उनकी कृतियाँ हैं - 'हिमतरंगिणी माता', हिम किरीटनी, युग चरण, समर्पण, मरण ज्वार, साहित्य देवता, कृष्णार्जुन युद्ध आदि।

चन्द्रशेखर आजाद ने इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में 28 फरवरी, 1931 ई. को अंग्रेजों से लड़ते हुए स्वयं को गोली मार ली थी। 9 अगस्त, 1925 को यू. पी. के क्रांतिकारियों ने सहारनपुर-लखनऊ लाइन पर काकोरी रेलवे स्टेशन में रेलगाड़ी से लाए जा रहे सरकारी खजाने को सफलतापूर्वक लूटा। काकोरी कांड के अभियोग में राम प्रसाद विस्मिल, अशफाक उल्ला खां, राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी तथा रोशन सिंह को फांसी पर लटका दिया गया।


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