जातिगत, जनजातीय, किसान व मजदूर आंदोलन ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन - GK Quiz (Set-3)

निम्नजाति, जनजाति, किसान व मजदूर आंदोलन ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन और उत्तर विस्तृत समाधान के साथ। 19वीं और 20वीं सदी के सामाजिक - धार्मिक सुधार आंदोलन MCQ क्विज़, आगामी परीक्षाओं जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC की तैयारी करें।

निम्नजाति, जनजाति, किसान व मजदूर आंदोलन

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 3)

व्याख्या: उलगुलान विद्रोह बिरसा मुंडा से जुड़ा हुआ था। बिरसा मुंडा का जन्म 1875 के दशक में छोटा नागपुर में मुंडा परिवार में हुआ था। मुंडा एक जनजातीय समूह था जो छोटा नागपुर पठार में निवास करते थे। सन 1895 से 1900 तक बीरसा या बिरसा मुंडा का महाविद्रोह 'ऊलगुलान' चला

व्याख्या: खैरवार आदिवासी आंदोलन भागीरथ मांझी के नेतृत्व में 1874 में हुआ था।
खैरवार मध्य प्रदेश में पाई जाने वाली मुंडा जनजाति समूह की एक प्रमुख जनजाति है। इस जाति के लोग अपना मूल स्थान 'खरियागढ़' (कैमूर पहाड़ियाँ) को मानते हैं, जहाँ से वे हज़ारीबाग़ ज़िले तक पहुँचे थे।

व्याख्या: 19 नवंबर 1921 को 100 मोपला विद्रोहियों को ट्रेन के जरिए मालाबार से कोयंबटूर भेजा जा रहा था. उन्हें सामान ढोने वाली बोगी में बंद रखा गया था. पांच घंटे के बाद जब उनके दरवाजे खोले गए तो सभी की मौत हो चुकी थी.

व्याख्या: महात्मा ज्योतिबा फुले ने 1873 में समाज के दलित वर्ग के लिए "गुलामगिरी" लिखा, ताकि उन्हें जाति व्यवस्था के भेदभाव और उत्पीड़न का एहसास हो सके।

गुलामगिरी भारतीय समाज की सामाजिक संरचना में ब्राह्मणवादी वर्चस्व और पाखंड के बारे में बात करता है। इसने जाति व्यवस्था की प्रथा की आलोचना की।

व्याख्या: पागलपंथी विद्रोह करम शाह द्वारा चलाया गया एक अर्द्ध-धार्मिक प्रकृति का विद्रोह था जो सत्य समानता व भाईचारे के सिद्धांतो के समर्थन हेतु था। करमशाह का पुत्र तथा उत्तराधिकारी टीपू मेरे धार्मिक तथा राजनैतिक उद्देश्यों से प्रेरित था। उसने जमींदारों के द्वारा किये गए अत्याचारों के विरुद्ध कर दिया।

1825 ई. में टीपू ने शेरपुर पर अधिकार कर लिया और वहां का स्वतंत्र शासक बन गया, उसने प्रशासनिक समस्या के लिए एक न्यायधीश और जिलाधिकारी नियुक्त किया। विद्रोहियों ने गारो की पहाड़ियों तक उपद्रव किए तथा यह क्षेत्र 1840 से 1850 ई. तक उपद्रवग्रस्त बना रहा।

व्याख्या: भील विद्रोह 1812 ई. में अंग्रेज़ों के विरुद्ध किया गया था। भील जाति के लोग पश्चिमी तट पर स्थित ख़ानदेश में निवास करते थे। इन लोगों ने खेती से सम्बन्धित कठिनाइयों तथा अंग्रेज़ी हुकूमत के डर के कारण 1812-1819 ई. के मध्य विद्रोह किया।

यह विद्रोह 'सेवरम' के नेतृत्व में 1825 ई. में पुनः किया गया था। भीलों के द्वारा तीसरा विद्रोह 1831-1846 ई. के मध्य किया गया।

व्याख्या: हिन्दू पेट्रियट संपादक हरिश्चंद्र मुखर्जी थे। नील आंदोलन (1859-60) बंगाल के नदिया जिले के गोविंदपुर गांव से प्रारंभ हुआ था

व्याख्या: अखिल भारतीय हरिजन सेवक संघ एक स्वतंत्र राष्ट्रीय स्तर का गैर-लाभकारी स्वैच्छिक संगठन है, जिसे अखिल भारतीय अस्पृश्यता विरोधी लीग के रूप में भी जाना जाता है। इसकी स्थापना 30 सितंबर, 1932 को यरवदा जेल, पुणे में गांधीजी के महाकाव्य उपवास के मद्देनजर की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप ऐतिहासिक पूना समझौता हुआ था।

हरिजन सेवक संघ का उद्देश्य सत्य और अहिंसक तरीकों से हिंदू समाज में अस्पृश्यता के साथ-साथ तथाकथित अस्पृश्यों द्वारा सामना की जाने वाली सभी प्रासंगिक बुराइयों और अक्षमताओं का उन्मूलन था।

व्याख्या: कानपुर से प्रकाशित प्रताप समाचारपत्र के माध्यम से विजय सिंह पथिक ने बिजोलिया आंदोलन को समूचे भारत में चर्चा का विषय बना दिया। प्रताप हिन्दी का समाचार-पत्र था जिसेने भारत के स्वाधीनता आन्दोलन में प्रमुख भूमिका निभायी।

व्याख्या: आत्मसम्मान आन्दोलन वर्ष 1920 में ई. वी. रामास्वामी नायकर द्वारा दक्षिण भारत में प्रारम्भ किया गया था। ई. वी. रामास्वामी नायकर जो कि 'पेरियार' के नाम से प्रसिद्ध थे, ने इसकी शुरुआत की थी। इन्होंने हरिजनों को सहयोग दिया और वायकोम सत्याग्रह का नेतृत्व किया।

व्याख्या: जस्टिस पार्टी की स्थापना सन 1916 में मद्रास (आधुनिक चेन्नई) में हुई थी। इसके संस्थापक टी. एन. नायर, पी. त्यागराज और सी. जनेसा मुरलीधर थे।

व्याख्या: द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (शाब्दिक अर्थ.'द्रविड़ प्रगति संघ') जिसे द्रमुक नाम से भी जाना जाता है, तमिलनाडु की एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी है। इसका निर्माण जस्टिस पार्टी तथा द्रविड़ कड़गम से पेरियार से मतभेद के कारण हुआ था। इसके गठन की घोषणा 1949 में हुई थी। इसका प्रमुख मुद्दा समाजिक समानता, खासकर हिन्दू जाति प्रथा के सन्दर्भ में, तथा द्रविड़ लोगो का प्रतिनिधित्व करना है। एम करुणानिधि अभी इसके प्रमुख थे

व्याख्या: ऑल इंडिया डिप्रेस्ड क्लास एसोसिएशन का आयोजन 8 अगस्त 1930 को नागपुर में डॉ। बी.आर अम्बेडकर द्वारा किया गया था।

व्याख्या: सोवियत रूस और उसकी क्रांतिकारी प्रतिबद्धता से आकर्षित होकर भारतीय क्रांतिकारियों की काफी बड़ी संख्या, जो प्रवास में थे, वहां पहुची। उसमें सबसे विख्यात एवं महान क्रांतिकारी का नाम था एम. एन. राय. जिन्होंने लेनिन के साथ मिलकर उपनिवेशों के प्रति कम्यूनिस्ट इंटरनेशनल की नीति तैयार करने में मदद की। राय के नेतृत्व में इसी विचार के साथ भारतीयों ने मिलकर अक्टूबर, 1920 में ताशकंद में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की।

व्याख्या: अवध में होमरूल आन्दोलन के कार्यकर्ताओं ने किसानों को संगठित करना शरू कर दिया। संगठन को नाम दिया गया किसान सभा। फरवरी 1918 में गौरी शंकर मिश्र, इंद्रनारायण द्विवेदी तथा मदन मोहन मालवीय के प्रयासों से 'उ.प्र. किसान सभा' का गठन हुआ था। इस संगठन ने किसानों को बड़े पैमाने पर संगठित किया।

जून, 1919 तक सूबे की 173 तहसीलों ने इसकी 450 शाखाएँ गठित कर ली। किसान सभा ने किसानों को इस हद तक जागरूक बनाया कि दिसम्बर, 1918 में कांग्रेस अधिवेशन में बहुत बड़ी संख्या में उ. प्र. के किसानों ने भाग लिया।


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