जातिगत, जनजातीय, किसान व मजदूर आंदोलन ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन - GK Quiz (Set-2)

निम्नजाति, जनजाति, किसान व मजदूर आंदोलन ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन और उत्तर विस्तृत समाधान के साथ। 19वीं और 20वीं सदी के सामाजिक - धार्मिक सुधार आंदोलन MCQ क्विज़, आगामी परीक्षाओं जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC की तैयारी करें।

निम्नजाति, जनजाति, किसान व मजदूर आंदोलन

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 2)

व्याख्या: अखिल भारतीय किसान सभा की स्थापना 11 अप्रैल, 1936 ई. को लखनऊ में किसान नेताओं ने की थी। 1923 ई. में 'स्वामी सहजानंद सरस्वती' ने 'बिहार किसान सभा' का गठन किया। 1928 ई. में 'आंध प्रान्तीय रैय्यत सभा' की स्थापना एन.जी. रंगा ने की। उड़ीसा में मालती चैधरी ने 'उत्तकल प्रान्तीय किसान सभा' की स्थापना की। बंगाल में 'टेंनेंसी एक्ट' को लेकर अकरम ख़ाँ, अब्दुर्रहीम, फ़जलुलहक, के प्रयासों से 1929 ई. में 'कृषक प्रजा पार्टी' की स्थापना हुई।

व्याख्या: 30 जून, 1855 को दो सगे भाई सिदो और कान्हू मुर्मू के नेतृत्व में करीब 30,000 संथालों ने विद्रोह कर दिया। क्षेत्र से अंग्रेज शासन लगभग समाप्त हो गया।

व्याख्या: एम. एन. जोशी, जोसेफ बैपटिसटा तथा लाला लाजपत राय के प्रयासों से 'अखिल भारतीय बाजार संघ कांग्रेस' या अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की स्थापना बंबई में 31 अक्टूबर, 1920 को हुई। लाला लाजपत राय इसके प्रथम अध्यक्ष और दीवान चमनलाल प्रथम माहसचिव थे।

व्याख्या: 1895 में शुरू हुए इस विद्रोह ने अंग्रेजों को बिरसा के पीछे लगा दिया. गिरफ्तारी और रिहाई का दौर चला. लेकिन एक बार बिरसा जेल से छूटे, फिर रुकने का नाम नहीं लिया. 28 जून, 1898 को सामाजिक बराबरी के लिए चुटिया के मंदिर का अभियान शुरू किया.

व्याख्या: बिरसा मुंडा झारखंड के पक्ष में थे। यद्यपि बिरसा मुंडा का आंदोलन असफल हो गया एवं झारखण्ड राज्य की स्थापना अधूरी रह गई। कालांतर में जब बिहार का विभाजन कर झारखंड राज्य की स्थापना की गई तब बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देने हेतु झारखण्ड राज्य की स्थापना बिरसा मुंडा के जन्म दिवस अर्थात 15 नवम्बर के दिन की गई।

व्याख्या: छोटा नागपुर तथा 'सिंहभूम' ज़िले में रहने वाले 'हो' तथा 'मुण्डा' लोगों ने 1820-1822 ई. तथा 1831 ई. में ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सेना से संघर्ष किया।

यह क्षेत्र लगभग 1837 ई. तक विद्रोह से प्रभावित रहा। 'हो' तथा 'मुण्डाओं' का विद्रोह इतिहास में 'हो-मुण्डा विद्रोह' के नाम से जाना जाता है। छोटा नागपुर के 'कोलारी' आदिवासियों ने अपने क्षेत्र में अंग्रेज़ों के विस्तार का विरोध किया। विरोध करने वालों में बंगाल के 'पाराहार' राजा जगन्नाथ भी थे।

व्याख्या: छोटा नागपुर की अर्थव्यवस्था तत्कालीन समय (1908) में मुख्यत: वनों पर आधारित थी। खाद्य पदार्थ, जलावन लकड़ी अदि के लिए आदिवासी वनों पर ही आश्रित थे परन्तु 1908 में काश्तकारी अधिनियम ने उनके वनों के स्वतंत्र उपयोग पर प्रतिबन्ध लगा दिया जिसके परिणामस्वरूप यहाँ की आदिवासी जनता ने अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष किया क्योंकि वे अपना परंपरागत अधिकार नहीं छोड़ता चाहते थे।

व्याख्या: मानव बलि प्रथा का निषेध करने के कारण अंग्रेजों के विरुद्ध विरोध करने वाली खोंड जनजाति थी। खोंड, या कोंध (ओड़िया: କନ୍ଧ) भारत के उड़ीसा राज्य की पहाड़ियों और जंगलों के निवासी हैं। ये कोंड, काँध या कोंध भी कहलाते हैं।

व्याख्या: कम्युनिस्ट इंटरनेशनल की स्थापना मार्च, 1919 में व्लादिमीर लेनिन और रुसी पार्टी (बोल्शेविक) द्वारा की गई थी। एम. एन. राय लेनिन के निमंत्रण पर मॉस्को गए तथा कम्युनिस्ट इंटरनेशनल के सदस्य बने। कम्युनिस्ट इंटरनेशनल के सदस्य बनने वाले वे पहले भारतीय थे।

व्याख्या: अवध किसान सभा की स्थापना 1920 में बाबा राम चंद्र ने की थी। वह एक ट्रेड यूनियनवादी थे जिन्होंने अवध के किसानों को इकट्ठा किया और पहले जमींदार विरोधी प्रदर्शन का नेतृत्व किया।

जवाहरलाल नेहरू, बाबा रामचंद्र और अन्य ने अवध किसान सभा की स्थापना की, जिसे आमतौर पर अवध किसान सभा के रूप में जाना जाता है। यह जमींदारों और तालुकदारों का विरोध करने के लिए स्थापित किया गया था जिन्होंने अत्यधिक कर और लगान की मांग की थी।

व्याख्या: महाराष्ट्र में रामोसी कृषक जत्था को वासुदेव बलवन्त फड़के ने 1879 ई. में स्थापित किया। रामोसी किसानों ने जमींदारों के अत्याचार के विरुद्ध विद्रोह किया।

व्याख्या: अवध का एका आन्दोलन सन् 1920 ई. में मदारी पासी के नेतृत्व में लगान में बढ़ोत्तरी के विरुद्ध हुआ था जो अवध के बाराबंकी, हरदोई, बहराइच, सीतापुर इत्यादि क्षेत्रों में विस्तृत था। इस आन्दोलन में छोटे जमींदार भी शामिल हुए थे। इस समय लगान की दर 50त्न से अधिक पहुंच गयी थी। चूंकि इस आन्दोलन का नेतृत्व पिछड़ी जाति के मदारी पासी एवं कुछ ऐसे नेताओं ने किया, जो कांग्रेस या खिलाफत नेताओं के आन्दोलन के प्रति पूर्णतः प्रतिबद्ध नहीं थे।

परिणामतः इस आन्दोलन से राष्ट्रवादी नेता अलग-थलग पड़ गए। सरकार ने मार्च सन् 1922 तक इस आन्दोलन को कुचल दिया। एका आन्दोलन अन्य किसान आन्दोलनों से अलग था, क्योंकि इसमें काश्तकारों के साथ-साथ छोटे जमींदार भी शामिल थे।

व्याख्या: नाई धोबी बंद आंदोलन वर्ष 1917 में पंडित मोतीलाल नेहरू, पंडित मदन मोहन मालवीय और गौरीशंकर मिश्र ने किसानों के हक में 'उत्तर प्रदेश किसान सभा' का गठन किया था। प्रतापगढ़ ज़िले की एक जागीर में 'नाई धोबी बंद' सामाजिक बहिष्कार संगठित कारवाई की पहली घटना थी।

व्याख्या: छोटानागपुर जनजाति विद्रोह 1820 ई0 में हुआ था।

व्याख्या: 1917 के दशक में बिहार के चंपारण में अंग्रेजी सरकार कृषकों को अपने कुल भूमि के 3/20 हिस्से पर नील की खेती करने के लिए मजबूर कर देती थी 'इसे तिनकठिया पद्धति या गिरमिटिया प्रणाली कहा जाता था' नील की खेती करने के कारण भूमि की उर्वरा शक्ति समाप्त हो जाती थी जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता था। इसके विरोध में ही गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में प्रथम जन आंदोलन चंपारण सत्याग्रह के नाम से चलाया था भारतीय राजनीति में गांधीजी का प्रवेश पहली बार चंपारण सत्याग्रह से ही हुआ था गांधीजी ने पहली बार भारत में सत्याग्रह का प्रयोग चंपारण सत्याग्रह में किया था।


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