ब्रिटिश शासन का प्रभाव MCQ प्रश्न उत्तर और व्याख्या - GK Quiz (Set-3)

ब्रिटिश शासन का भारत के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव MCQ प्रश्न उत्तर और विस्तृत समाधान के साथ। भारत में ब्रिटिश शासन का प्रभाव MCQ क्विज़, आगामी परीक्षाओं जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC की तैयारी करें।

ब्रिटिश शासन का भारत के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 3)

व्याख्या: स्थायी बंदोबस्त के पश्चात, ब्रिटिश सरकार ने भू-राजस्व की एक नयी पद्धति अपनायी, जिसे रैयतवाड़ी बंदोबस्त कहा जाता है। मद्रास के तत्कालीन गवर्नर (1820-27) टॉमस मनरो द्वारा 1820 में प्रारंभ की गयी इस व्यवस्था को मद्रास, बम्बई एवं असम के कुछ भागों लागू किया गया।

व्याख्या: सर पीसी ईल्बर्ट जो वायसराय की परिषद में विधि सदस्य थे। उन्होंने एक विधेयक जिसे इल्बर्ट बिल की संज्ञा दी जाती है। विधान परिषद में 2 फरवरी 1883 को प्रस्तुत किया।

विधेयक का उद्देश्य था कि जातिभेद पर आधारित सभी न्यायिक आयोग्यताएं तुरंत समाप्त कर दी जाए और भारतीय तथा यूरोपीय न्यायाधीशों की शक्तियां कर समान कर दी जाए।

व्याख्या: भारत में पहला ब्रिटिश प्रेसीडेंसी सूरत में स्थापित किया गया था। जॉन मिडनॉल पहले ब्रिटिश अन्वेषक, जिसने भारत के लिए थलचर यात्रा की थी।

भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के समय, श्री जॉन राजदूत थे। भारत में, 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद, ब्रिटिश प्रशासन शासन 28 जून 1858 को शुरू हुआ।

प्रथम भारतीय कारखाना 1612 में सूरत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किया गया था। अब सूरत प्रमुख कपड़ा उद्योग, जहाज निर्माण और कपड़ा और सोने के निर्यात के कारण व्यापार का केंद्र बन गया है।

व्याख्या: इसे सेंट हेलेना अधिनियम, 1833 या भारत सरकार अधिनियम, 1833 के रूप में भी जाना जाता है। सेंट हेलेना द्वीप का नियंत्रण ईस्ट इंडिया कंपनी से क्राउन को स्थानांतरित कर दिया गया था।

इसे ब्रिटिश संसद द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी के चार्टर अधिनियम, 1813 को नवीनीकृत करने हेतु पारित किया गया था। इस अधिनियम ने 20 वर्षों के लिये EIC के चार्टर का नवीनीकरण किया। इसके तहत ईस्ट इंडिया कंपनी अपने वाणिज्यिक विशेषाधिकारों से वंचित हो गई।

चाय और चीन के साथ व्यापार को छोड़कर व्यापार पर कंपनी का एकाधिकार लेसेज़ फेयर एवं नेपोलियन बोनापार्ट की महाद्वीपीय प्रणाली के परिणामस्वरूप समाप्त हो गया था।

व्याख्या: 1813 के चार्टर एक्ट द्वारा कंपनी के एकाधिकार को समाप्त कर दिया गया, जबकि चीन से चाय के व्यापार पर एकाधिकार कायम रखा गया।

व्याख्या: 1813 ई. के चार्टर एक्ट द्वरा ईस्ट इंडिया कम्पनी के चाय और चीनी के व्यापार पर एकाधिकार बना रहा था, किन्तु 1833 ई. के चार्टर एक्ट द्वारा कंपनी के ये दोनों विशेषाधिकार भी समाप्त कर दिए गए।

व्याख्या: इसे 1833 का सेंट हेलेना अधिनियम भी कहा जाता है। इस अधिनियम को 28 अगस्त 1833 को शाही स्वीकृति मिली।

1833 के चार्टर अधिनियम को ब्रिटिश भारत में केंद्रीकरण की दिशा में अंतिम कदम माना जाता है। भारत के गवर्नर-जनरल को पूरे ब्रिटिश भारत के लिए कार्यकारी और विधायी अधिकार दिया गया था।

लॉर्ड विलियम बेंटिक भारत का पहला गवर्नर-जनरल था। 1833 के चार्टर एक्ट ने एक वाणिज्यिक निकाय के रूप में ईस्ट इंडिया कंपनी की सभी गतिविधियों को समाप्त कर दिया। इस अधिनियम ने ईस्ट इंडिया कंपनी को केवल एक प्रशासनिक निकाय बना दिया।

व्याख्या: 1885, बंगाल और बिहार में भूमि पर काश्तकारों के अधिकार बंगाल काश्तकारी अधिनियम द्वारा दिए गए थे। बंगाल काश्तकारी अधिनियम, 1885 बंगाल सरकार का एक अधिनियम था जिसने व्यापक किसान विद्रोह के जवाब में जमींदारों और उनके काश्तकारों के अधिकारों को परिभाषित किया। 1822 में, लॉर्ड हेस्टिंग्स ने बंगाल काश्तकारी अधिनियम पारित किया।

व्याख्या:इसने पिट्स इंडिया एक्ट के कारण शुरू की गई दोहरी सरकारी योजना को समाप्त कर दिया। इस अधिनियम ने चूक के सिद्धांत को भी समाप्त कर दिया।

कंपनी के कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स की शक्तियां भारत के राज्य सचिव के पास निहित थीं। इस राज्य सचिव को ब्रिटिश सांसद और प्रधान मंत्री के मंत्रिमंडल का सदस्य होना था। उन्हें 15 सदस्यों की एक परिषद द्वारा सहायता प्रदान की जानी थी। इस अधिनियम द्वारा भारत के गवर्नर जनरल को वायसराय, जिसका अर्थ था-सम्राट का प्रतिनिधि, कहा जाने लगा।

व्याख्या: आधुनिक शिक्षा के संदर्भ में शिक्षा का माध्यम को लेकर उठे प्राच्य-आंगल विवाद का अंत मैकाले के प्रपत्र (1835) से हुई। इसके अनुसार अंग्रेजी भाषा को भारत में शिक्षा का माध्यम स्वीकार किया गया।

व्याख्या: वुड का आदेश पत्र या वुड का घोषणापत्र (वुड्स डिस्पैच) सर चार्ल्स वुड द्वारा बनाया सौ अनुच्छेदों का लम्बा पत्र था जो 1854 में आया था। इसमें भारतीय शिक्षा पर विचार किया गया और उसके सम्बन्ध में सिफारिशें की गई थीं।

सर चार्ल्स वुड उस समय ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के 'बोर्ड ऑफ कन्ट्रोल' के सभापति थे। इस घोषण पत्र को भारत में अंग्रेज़ी शिक्षा का मैग्ना कार्टा भी कहा जाता है।

व्याख्या: गोपाल कृष्ण गोखले (9 मई 1866 - फरवरी 19, 1915) भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक थे।

गोपाल कृष्ण गोखले शाही विधान परिषद के सदस्य थे। वे भारत में पहली बार अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा के एक महान चैंपियन के रूप में लोकप्रिय थे। इसलिए, जी.के. गोखले ने फिर से अनौपचारिक सदस्य के बिल के रूप में 16 मार्च 1911 को परिषद में एक निजी विधेयक पेश किया।

व्याख्या: हार्टोग समिति का गठन 1929 ई. में 'भारतीय परिनीति आयोग' ने सर फ़िलिप हार्टोग के नेतृत्व में किया था। शिक्षा के विकास पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु इस समिति का गठन किया गया था। हर्टोग समिति ने प्राथमिक शिक्षा के महत्व की बात कही थी।

  • हार्टोग समिति की सिफारिश के आधार पर 1935 ई. में 'केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड' का पुनर्गठन किया गया।

लिण्डसे आयोग का गठन 1929 में किया गया था,इसके अध्यक्ष लिण्डसे थे, इसकी स्थापना के समय भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन थे, इसका उद्देश्य भारत में मिशनरी शिक्षा के विकास से था।

सार्जेण्ट योजना 1944 ई. में 'केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार मण्डल' ने प्रस्तुत की थी। इस समय अंग्रेज़ अधिकारी 'सार्जेण्ट' ब्रिटिश भारत सरकार में शिक्षा सलाहकार के पद पर नियुक्त था। उसी के नाम से यह 'राष्ट्रीय शिक्षा योजना' प्रस्तुत की गई थी।

योजना के अनुसार प्राथमिक विद्यालय एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय स्थापित करने तथा छ: से ग्यारह वर्ष के बच्चों को निःशुल्क अनिवार्य शिक्षा दिये जान की व्यवस्था की गई।


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