भक्ति आन्दोलन से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या - Bhakti Movement GK Quiz (set-4)

भक्ति आन्दोलन से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या - Bhakti Movement GK Quiz (set-4).

भक्ति आंदोलन

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 4)

व्याख्या: नरसी मेहता गुजराती भक्तिसाहित्य की श्रेष्ठतम विभूति थे। पदप्रणेता के रूप में गुजराती साहित्य में नरसिंह का लगभग वही स्थान है जो हिंदी में सूरदास का। वैष्णव जन तो तैणे कहिए जे पीड पराई जाणे रे' पंक्ति से आरंभ होनेवाला सुविख्यात पद नरसिंह मेहता का ही है। नरसिंह ने इसमें वैष्णव धर्म के सारतत्वों का संकलन करके अपनी अंतर्दृष्टि एवं सहज मानवीयता का परिचय दिया है।

व्याख्या: गुरु नानक का जन्म: 15 अप्रैल, 1469, तलवंडी, पंजाब में हुआ था। ये सिक्खों के प्रथम गुरु (आदि गुरु) थे। इनके अनुयायी इन्हें 'गुरु नानक', 'बाबा नानक' और 'नानकशाह' नामों से संबोधित करते हैं। गुरु नानक 20 अगस्त, 1507 को सिक्खों के प्रथम गुरु बने थे। वे इस पद पर 22 सितम्बर, 1539 तक रहे। इनकी प्रमुख रचनाएं है जपुजी, तखारी' राग के बारहमाहाँ।

व्याख्या: सिख धर्म 15वीं सदी में भारतीय संत परंपरा से निकला एक पन्थ है, जिसकी शुरुआत गुरु नानक देव ने की थी। इसमें सनातन धर्म का व्यापक प्रभाव मिलता है। इस पन्थ के अनुयायीयों को सिख कहा जाता है। सिखों के धार्मिक ग्रन्थ श्री आदि ग्रंथ या गुरु ग्रंथ साहिब तथा दसम ग्रन्थ हैं। सिख धर्म में अकाली, नामधारी तथा उदासी सम्प्रदाय प्रमुख हैं, तथा इनके धार्मिक स्थल को गुरुद्वारा कहते हैं।

व्याख्या: चैतन्य महाप्रभु भक्तिकाल के प्रमुख संतों में से एक हैं। इन्होंने वैष्णवों के गौड़ीय संप्रदाय की आधारशिला रखी। बंगाल और उड़ीसा में वैष्णववाद को लोकप्रिय बनाने का श्रेय चैतन्य को प्राप्त है।

व्याख्या: चैतन्य महाप्रभु का जन्म 18 फ़रवरी सन् 1486 को नवद्वीप (नादिया), पश्चिम बंगाल में हुआ था। चैतन्य की कर्म भूमि वृन्दावन रही है।चैतन्य सगुण भक्ति को महत्त्व देते थे। इनकी मृत्यु 1534 में पूरी उड़ीसा में हुई थी।

व्याख्या: प्रतापरुद्र गजपति (1497-1540 ई.) उड़ीसा के 'गजपति वंश' का अन्तिम और शक्तिशाली हिन्दू शासक था। प्रतापरूद्र चैतन्य से प्रभावित होकर उनका शिष्य बन गया।

व्याख्या: मलूकदास का जन्म 'लाला सुंदरदास खत्री' के घर वैशाख कृष्ण 5, संवत् 1631 में कड़ा, जिला इलाहाबाद में हुआ। इनकी मृत्यु 108 वर्ष की अवस्था में संवत् 1739 में हुई। आलसियों का यह मूल मंत्र - अजगर करै न चाकरी, पंछी करै न काम। दास मलूका कहि गए, सबके दाता राम। इन्हीं का है।वृंदावन में वंशीवट क्षेत्र स्थित मलूक पीठ में संत मलूकदास की जाग्रत समाधि है। इनकी मुख्य रचनाएँ रत्नखान, ज्ञानबोध, भक्ति विवेक आदि अनेक ग्रंथ है।


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